इलाहाबादी अमरूद

  1. इलाहाबादी अमरूद का कैसे बचेगा अस्तित्‍व प्रकृति की मार के चलते मिठास खोने लगा है
  2. ठंड में इलाहाबादी अमरूद की बहार, कोरोना काल में भी बढ़ी डिमांड, allahabad guava increased demand in barwani
  3. इलाहाबादी सेबिया अमरूद की अब दूसरे राज्यों में भी सेबिया रंग में हो सकेगी पैदावार
  4. allahabadi guava avoid variety diseases apple like taste Latest News in Hindi, Newstrack Samachar, Aaj Ki Taja Khabar


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इलाहाबादी अमरूद का कैसे बचेगा अस्तित्‍व प्रकृति की मार के चलते मिठास खोने लगा है

इलाहाबादी अमरूद का कैसे बचेगा अस्तित्‍व..., प्रकृति की मार के चलते मिठास खोने लगा है प्रयागराज के उद्यान विशेषज्ञ वीके सिंह का कहना है कि पिछले वर्ष अमरूद की फसल मक्खी कीड़ों के चलते ज्यादा प्रभावित हुई थी। उत्पादन में बारिश जल्दी होने के चलते बरसात व सर्दी की मुख्य फसल प्रभावित हुई थी। इस बार फल मक्खी के नियंत्रण को काफी प्रयास किया है। प्रयागराज, जागरण संवाददाता। पूरे देश में अपने अलग स्वाद और मिठास के लिए मशहूर इलाहाबादी अमरूद की पैदावार और अस्तित्व पर पिछले दाे वर्षों से संकट के बादल मंडराने लगे हैं। विश्‍व प्रसिद्ध यहां के अमरूद के पौधों और फलों में कीड़े लग जा रहे हैं। हालांकि इसे बचाने के लिए कई विशेष प्रयोग भी हो रहे हैं। साथ ही अमरूद की खेती करने वाले किसानों को कीड़े न लगे, इसके लिए प्रशिक्षित भी किया जा रहा है। अमरूद का बेहतर दाम मिले, किया जा रहा प्रयास : किसानों की आय दोगुनी करने के लिए केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार अपने-अपने स्तर पर काम कर रही हैं। इन सबके बीच कई राज्यों की सरकारों ने फलदार वृक्षों की खेती को प्रोत्साहित करने पर भी जोर दिया है। अमरूद की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से किसानों को अनुदान दिया जाता है। अमरूद की खेती करने वाले किसानों को फल का बेहतर दाम मिले, इसके लिए प्रयास किया जा रहा है। अमरूद के बेहतर उत्‍पादन को किसानों का प्रशि‍क्षण : हालांकि इलाहाबादी अमरूद अपनी पहचान खोता जा रहा है। एक दौर था जब विदेशों तक इसकी मांग थी लेकिन अब इसका दायरा सिमट रहा है। इसे बचाने के लिए औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र खुसरो बाग, प्रयागराज में कौशल विकास एंव उद्यमशीलता मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत माली प...

प्रयागराज:

इलाहाबाद वर्तमान में प्रयागराज अपनी अलग-अलग खासियतों के चलते देशभर में मशहूर है.इस प्रसिद्धि का एक प्रमुख कारण यहां के अमरुद भी है.इलाहाबादी अमरूदों की मिठास देश ही नहीं विदेशों में भी पसंद की जाती है. मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने क्या खूब कहा है ‘कुछ इलाहाबाद में सामां नहीं बहबूद के,मां धरा क्या है बजुज़ अकबर के और अमरूद के’ यहां पाए जाने वाले अमरूदों की अलग-अलग प्रजातियां और मिठास आपको कहीं और नहीं मिलेंगी.सुरखा अमरूद को तो जीआई (GI) भी प्राप्त है. इसके अलावा इलाहाबादी सफेदा,धारीदार,चित्तीदार,सरदार अमरुद जैसे अमरुदो की कई प्रजातियां लोगों द्वारा बेहद पसंद की जाती है. इन दिनों सर्दियों में शहर के नुक्कड़ से लेकर बड़े बाजारों तक इलाहाबादी अमरूद की धूम है. इस बार इलाहाबादी अमरूद की पैदावार हुई है कम विदेशों तक मशहूर इलाहाबादी अमरूदों की पिछले साल से पैदावार कम हो रही है.उत्पादकता कम होने के कारण इन दिनों बाजार में अलग किस्म के अमरुद भी नजर आ रहे हैं.जी हां इन दिनों बाजारों में आकार में बड़े छत्तीसगढ़ी अमरूद(जंबो अमरुद) भी बिक रहे हैं. उत्पादकता कम होने के कारण और अमरूदों में कीड़े लग जाने के कारण इस बार इलाहाबादी अमरूद बाजार में कम दिख रहे हैं और उनकी जगह छत्तीसगढ़ी अमरूदों ने ले ली है. आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ी अमरुद आकार में बड़े और महंगे होते हैं. इन्हें 15 दिनों तक संरक्षित किया जा सकता है.एक अमरुद लगभग 400 से 500 ग्राम का होता है.बाजार में छत्तीसगढ़ी अमरुद 80 से ₹100 किलो बिक रहे हैं. अभी भी लोगों की पहली पसंद है इलाहाबादी अमरूद कुछ स्वाद लोगों के ज़हन में इस कदर बस जाते हैं कि उसकी जगह और कोई नहीं ले सकता.यही हाल है इलाहाबादी अमरूदो का.इस बार भले ही बाजार में अलग-अलग...

ठंड में इलाहाबादी अमरूद की बहार, कोरोना काल में भी बढ़ी डिमांड, allahabad guava increased demand in barwani

इलाहाबादी अमरूद की बहार जिले में नर्मदा के तटीय क्षेत्रों में उद्यानिकी फसलों में विशेष रूप से फलों की खेती बड़े पैमाने पर होती है. इसमें केला, अमरूद ,सीताफल ,पपीता ,चीकू आदि शामिल हैं. लेकिन इन दिनों अमरूद की फसल बहार पर है. अमरूद की विशेष किस्म 'इलाहाबादी अमरूद' की मांग अधिक है. इलाहाबादी अमरूद महाराष्ट्र, दिल्ली व गुजरात में भी खूब पसंद किया जाता है. अपने खास गुणों के चलते इसे इलाहाबादी सफेदा अमरूद भी कहा जाता है. गरीबों का सेब कहा जाता है इलाहाबादी अमरूद वैज्ञानिकों के अनुसंधान के बाद इलाहाबादी अमरूद को गरीबों के सेब की संज्ञा दी है. इस अमरूद में विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में है. सेब के समकक्ष गुण होने के कारण इसे पुअर मेन्स एप्पल भी कहते हैं. ठंड में शरीर को विटामिन सी की आवश्यकता होती है इसलिए ये मौसमी फल के साथ स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है. फीका पड़ रहा देशी अमरूद निमाड़ में अमरूद को जामफल भी कहा जाता है. यहां अमरूद आमतौर पर जामफल के रूप में प्रचलित है. बाजार में वैसे तो देशी अमरूद की भी खूब आवक है लेकिन इलाहाबादी अमरूद की बात ही अलग है. देशी अमरूद जहां 25 से 30 रुपए प्रति किलो बिक रहा है. वहीं इलाहाबादी अमरूद 50 से 60 रुपए किलो तक बिक रहा है. देशी अमरूद के मुकाबले काफी नरम और स्वादिष्ट होने के चलते लोग इसे बड़े चांव से खाते हैं. यदि कोई इस समय इलाहाबादी अमरूद के बगीचे के पास से गुजरे तो अमरूद की महक राहगीर का ध्यान अपनी और खींच लेती है. किसानों को लाभ ही लाभ जिले में करीब 300 हेक्टेयर से ज्यादा में इलाहाबादी व देशी अमरूद की बागवानी कर किसान लाभ कमा रहे हैं. पौधा लगाने के तीन से चार वर्ष तक किसान अन्य फसल भी लगाते हैं. पौधा जब फलदार पेड़ के रूप में आता है तब इ...

इलाहाबादी सेबिया अमरूद की अब दूसरे राज्यों में भी सेबिया रंग में हो सकेगी पैदावार

इलाहाबादी सेबिया अमरूद की अब दूसरे राज्यों में भी सेबिया रंग में हो सकेगी पैदावार भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान लखनऊ के वैज्ञानिकों ने इलाहाबादी सेबिया अमरूद की पैदावार को लेकर ऐसा शोध पूरा किया है जिससे कि अब यह अमरूद प्रयागराज के अलावा दूसरे राज्यों में भी इसी रंग में होगा। इसके पौधे भी अब तैयार हो रहे हैं वीरेंद्र द्विवेदी, प्रयागराज। इलाहाबादी सेबिया अमरूद दुनिया भर में अपने स्वाद और विशेष रंग के लिए जाना जाता है। ऐसा अमरूद प्रयागराज के अलावा अब तक अन्य राज्यों में नहीं हुआ है। लेकिन भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान लखनऊ के वैज्ञानिकों ने इलाहाबादी सेबिया अमरूद की पैदावार को लेकर ऐसा शोध पूरा किया है, जिससे की अब यह अमरूद प्रयागराज के अलावा दूसरे राज्यों में भी इसी रंग में होगा। भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान लखनऊ ने अपने अलग-अलग राज्यों में खुले सेंटरों पर इस प्रजाति के अमरूद के रंग और पैदावार को लेकर सात वर्ष बाद शोध को पूरा कर लिया है। शोध में तैयार सेबिया अमरूद की नई प्रजाति को औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र खुसरोबाग में मदर प्लांट के लिए 80 पौधे लगाए गए हैं। सेबिया अमरूद की नई प्रजाति में दो वर्ष में ही फल मिलने लगेगा। खुसरोबाग के मुख्य उद्यान विशेषज्ञ डा.कृष्ण मोहन चौधरी और उद्यान विशेषज्ञ वीके सिंह ने बताया कि भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान लखनऊ के वैज्ञानिकों ने अपने बिहार, बंगाल,मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के सेंटर में 2013 से शोध शुरू किया था। जिसको हाल ही में पूरा किया गया है। बताया कि सेबिया अमरूद की नई प्रजाति के अलावा खुसरोबाग में अलग-अलग 14 किस्म में अमरूद के मदर प्लांट लगाए गए हैं। खुसरोबाग में सेबिया अमरूद के नई प्रजाति के मदर प्लांट से पांच हजा...

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• 21 की उम्र में बेहद बोल्ड हैं अवनीत कौर, देखें ये 10 तस्वीरें • व्हाइट ड्रेस में परियों जैसी लगीं शनाया कपूर, देखें तस्वीरें • दिल्ली के पास इन हिल स्टेशनों में मनाएं छुट्टियां • बालों को स्ट्रेट करने के घरेलू नुस्खे • इन 5 तरीकों से कम करें हार्ट अटैक का खतरा • टाइगर श्रॉफ की बोल्ड बहन, हुस्न से मचाती हैं कहर • नवाजुद्दीन-अवनीत के किसिंग सीन पर मचा बवाल • विजय देवरकोंडा संग रोमांस करेंगी मृणाल ठाकुर! • सारा ने शेयर की सबसे खूबसूरत तस्वीरें, फ्लोरल ड्रेस में लगीं हसीन • आलिया ने क्यूट अदाओं से जीता दिल, स्माइल पर दिल हार बैठे फैंस और देखें फोटो स्टोरी यह भी पढ़ें..... वैसे तो फलों की कई वैराइटी है, लेकिन जिक्र जब अमरूद का हो और वह भी इलाहाबादी अमरुद का तो दिमाग में अलग ही छवि जनरेट हो जाती है। कारण है बिल्कुल सेब जैसा स्वाद और तमाम बीमारियों से निजात। इसे विस्तार देने के लिए तमाम दूसरे शहरों में नर्सरियां लगीं लेकिन इलाहाबादी माटी की उपज जैसा स्वाद कहीं नहीं मिला।इलाहाबाद की जलवायु में अमरूद इतना घुल मिल गया है कि इसकी खेती यहाँ अत्यंत सफलतापूर्वक की जाती है। यह भी पढ़ें..... इसमें लोहा, चूना तथा फास्फोरस अच्छी मात्रा में होते हैं जाड़े की ऋतु में यह इतना अधिक तथा सस्ता प्राप्त हो जाता है कि लोग इसे निर्धन जनता का एक प्रमुख फल भी कहते हैं। यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक फल है। इसमें विटामिन "सी' अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त विटामिन "ए' तथा "बी' भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें लोहा, चूना तथा फास्फोरस अच्छी मात्रा में होते हैं। यह भी पढ़ें..... हर प्रकार की मिट्टी में उपजाया जा सकता है इलाहाबाद अमरूद की जेली तथा बर्फी भी बनाई जाती है। इसे डिब्बो...