Iraq ki purn swatantrata ki ghoshna kab hui

  1. स्वतंत्रता का अर्थ, परिभाषा, प्रकार/वर्गीकरण
  2. 26 January kyu manaya jata hai, 26 January kaise manaya jata hai,
  3. Iraq
  4. राष्ट्रीय खेल नीति
  5. प्रथम विश्व युद्ध के कारण एवं परिणाम का वर्णन
  6. मुगल सम्राट अकबर की धार्मिक नीति


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स्वतंत्रता का अर्थ, परिभाषा, प्रकार/वर्गीकरण

अठारहवीं शताब्दी में जब फ्रांस में राजतंत्रशाही के अत्याचार बहुत बढ़ गये थे, तब वहाँ राजनीतिक विचारकों ने इन अत्याचारों के विरूद्ध स्वतंत्रता, समानता और बन्धुत्व का नारा दिया था और 1789 की क्रांति का मुख्य आधार तीन शब्दों का यह नारा ही बना। जिसकी अनुगूँजा बाद में यूरोप तथा संपूर्ण विश्व में होने लगी। स्वतंत्रता व्यक्ति का लक्ष्य बन गया और इसकी प्राप्ति के लिए वह साम्राज्यवाद के विरुद्ध उठ खड़ा हुआ। पालकीवाला के शब्दों में," मनुष्य सदा ही स्वतंत्रता की बलिवेदी पर सर्वाधिक बलिदान देते रहे हैं। वे भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा आत्मा और धर्म की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण देते रहे हैं।" स्वतंत्रता का अर्थ (swatantrata kya hai) swatantrata meaning in hindi;स्वतंत्रता शब्द का अंग्रेजी पर्याय " लिबर्टी " लेटिन भाषा का " लिबर " शब्द से बना है जिसका अर्थ मुक्त या स्वतंत्र या बन्धनों का अभाव होता है। स्वतंत्रता का सही अर्थ प्रो. लाॅस्की के अनुसार, " उस वातावरण की स्थापना से है जिसमे मनुष्यों को अपने पूर्ण विकास के लिए अवसर प्राप्त होते है। राजनीतिशास्त्र की शायद ही कोई ऐसी समस्या हो जिसके संबंध में विद्वानों में इतना मतभेद पाया जाता हो जितना स्वतंत्रता के संबंध में देखने को मिलता हैं। प्रत्येक युग में विचारक स्वतंत्रता की समस्या पर विचार करते रहे हैं और अलग-अलग अर्थ लगाते आये हैं। स्वतंत्रता के दो अर्थ लागाये जाते हैं-- 1. स्वतंत्रता की नकारात्मक धारणा 'स्वतंत्रता', जिसे अंग्रेजी में 'लिबर्टी' कहते हैं, लैटिन भाषा में 'लाइबर' शब्द से बना हैं, जिसका अर्थ उस भाषा में 'बन्धनों का अभाव' होता है। इस धारणा के अंतर्गत स्वतंत्रता का अर्थ हैं-- 'प्रतिबन्धों का न होना' यानि की व्यक्ति...

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26 January kyu manaya jata hai, jaisa ki ham sab jante Hai hamari matrabhumi Kai varshon Tak British Sarkar ke adhin thi, us Samay angreji hukumat ne Bhartiya logon ko jabardasti Apne Kanoon ka palan karne ko kaha aur na manne walon ke sath atyachar bhi Kiya. Kai varshon ke Sangharsh ke bad Bhartiya swatantrata senaniyon ki Kadi mehnat aur jivan nivchhaver karne ke bad Bharat ko 15 August 1947 ko azadi Mili, swatantrata ke Dhai varsh ke bad Bharat Sarkar ne swayam ka Samvidhan lagu Kiya. aur Bharat ko ek prajatantrik ganrajya ghoshit Kiya, lagbhag 2 varsh 11 mahine 18 din ke bad 26 January san 1950 ko Bharat ke sanvidhan ko Bharat ke sanvidhan sabha me pass kiya Gaya. is ghoshna ke bad se is Din Ko prativarsh Bhartiya log gantantra diwas ke roop me manane Lage, ganatantra Divas Bharat ke liye bahut hi mahatva Kaun Din Hai ganatantra ka Arth hota hai Janata ka dwara Janata ke liye shasan ganatantra Divas 26 January ko manaya jata Hai. kyunki isi Din hamare Desh ka sanvidhan lagu hua tha, 26 January san 1930 ko Ravi Nadi ke tat per swatantrata senaniyon ne purn swatantrata ki ghoshna ki thi. jab 13 April 1919 ko Jallianwala Bagh ki ghatna Hui to is ghatna ne hi Bhagat Singh aur udham Singh Jaise Kranti karyon ko janm Diya, kyunki yah ghatna bahut hi dukhad ghatna thi isme general Dyer ke netrutva me angreji fauj ne buddhe bacchon mahilaon sahit sab logon Ko maar Dala tha. is ghatna ke bad sabhi ka dil azadi ki Aag me jalne Laga tha sab log Bharat ki azadi ke liye balidan den...

Iraq

Head Of Government: Prime Minister: Mohammed Shia al-Sudani ... (Show more) Capital: ... (Show more) Population: (2023 est.) 43,388,000 ... (Show more) Head Of State: President: Abdul Latif Rashid ... (Show more) Form Of Government: multiparty republic with one legislative house (Council of Representatives of Iraq [329 ... (Show more) During ancient times, lands that now ʿIrāq ʿArabī, “Arabian Iraq”) and modern northwestern Iran ( ʿIrāq ʿAjamī, “foreign [i.e., Persian] Iraq”). Iraq gained formal independence in 1932 but remained subject to British imperial influence during the next quarter century of turbulent monarchical rule. Political instability on an even greater scale followed the overthrow of the monarchy in 1958, but the installation of an Land Iraq is one of the easternmost countries of the Arab world, located at about the same Deserts Western and southern Iraq is a vast Al-Ḥajarah in the western part and as Al-Dibdibah in the east. Al-Ḥajarah has a complex Wadi Al-Bāṭin runs 45 miles (75 km) in a northeast-southwest direction through Al-Dibdibah. It has been recognized since 1913 as the boundary between western Kuwait and Iraq.

राष्ट्रीय खेल नीति

• खेलों को बढ़ावा देने तथा प्रतिभाशाली युवाओं को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने वर्ष 2001 में नई राष्ट्रीय खेल नीति बनाई। • आरंभ में राष्ट्रीय खेल नीति 1984 में बनाई गई थी। • राष्ट्रीय खेल नीति की मुख्य बातें हैं- • खेलों का आधार व्यापक करना तथा उपलब्धियों में श्रेष्ठता लाना • संरचनात्मक ढाँचे का विकास तथा उच्चीकरण • राष्ट्रीय खेल फेडरेशनों और दूसरी उपयुक्त संस्थाओं को सहायता प्रदान करना • खेल को वैज्ञानिक तथा प्रशिक्षण संबंधी मज़बूती प्रदान करना • खिलाड़ियों को प्रोत्साहन • महिलाओं, पिछड़ी जनजातियों तथा ग्रामीण युवाओं की भागीदारी को बढ़ावा • खेलों के उत्थान में संगठित क्षेत्रों की भागीदारी को बढ़ावा • जनता में खेलों के प्रति रुझान बढ़ाना। •

प्रथम विश्व युद्ध के कारण एवं परिणाम का वर्णन

बोस्निया की राजधानी सराजेबो में आस्ट्रियन राजकुमार फ्रांसिस फर्डीनिण्ड की पत्नी सहित हत्या के कारण आस्ट्रिया ने 28 जुलाई, 1914 ई. को सर्बिया के विरूद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। धीरे-धीरे यूरोप के देश इस युद्ध में शामिल होते गये और प्रथम विश्वयुद्ध आरंभ हो गया। इस युद्ध में एक ओर मित्र राष्ट्र (इंग्लैण्ड, फ्रांस एवं अमेरिका) थे तो दूसरी ओर जर्मनी के नेतृत्व में केन्द्रिय शक्तियाँ थीं। युद्ध के प्रारंभ के समय अमेरिका तटस्थ था मगर जब जर्मनी ने अमेरिका के जहाजों को पनडुब्बियों द्वारा डुबाया तो अमेरिका भी जर्मनी के विरूद्ध मित्र राष्ट्रों की ओर से युद्ध में शामिल हो गया। अमेरिका के मित्र राष्ट्रों के साथ आने से उनकी स्थिति मजबूत हुई। जर्मनी एवं उसके साथी परास्त हुये। 1 नवम्बर, 1918 ई. को युद्ध विराम हो गया। प्रथम विश्वयुद्ध का प्रारंभ 28 जुलाई, 1914 ई. को आस्ट्रीया के सर्विया पर आक्रमण के साथ ही प्रथम विश्व युद्ध आरंभ हो गया। 1 अगस्त, 1914 ई. को जर्मनी ने रूस के विरूद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। 3 अगस्त, 1914 ई. को जर्मनी ने फ्रांस के विरूद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। 4 अगस्त, 1914 ई. को इंग्लैण्ड ने जर्मनी के विरूद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। 4 अगस्त, 1914 ई. को ही अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने तटस्थ रहने की घोषणा की। 6 अप्रैल, 1917 ई. को अन्तत: अमेरिका ने भी मित्र राष्ट्रों के पक्ष में प्रथम विश्व युद्ध में प्रवेश किया। इस प्रकार 28 जुलाई, 1914 को प्रथम विश्व युद्ध आरंभ हो गया। एक के बाद एक देश इस युद्ध में शामिल होते चले गये। प्रारंभिक दौर में जर्मनी एवं उसके साथियों ने मित्र राष्ट्रों को कई मोर्चो पर शिकस्त दी। अमेरिका के युद्ध में प्रवेश होते ही पासा पलट गया। अमेरिकी मित्र देश जीतेत...

मुगल सम्राट अकबर की धार्मिक नीति

अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य- • • • • • सार्वभौमिक सहिष्णुता थी। इसे सुलहकुल की नीति अर्थात् सभी के साथ शांतिपूर्ण व्यवहार का सिद्धांत भी कहा जाता था। सुलहकुल की नीति अपनाई। अब्दुल लतीफ तथा सूफी विचारधारा का काफी प्रभाव पङा था। अकबर ने दार्शनिक एवं धर्मशास्त्रीय विषयों पर वाद-विवाद के लिए अपनी राजधानी फतेहपुर सीकरी में एक इबादतखाना (प्रार्थना-भवन) की स्थापना 1575ई. में करवाया। अकबर द्वारा इबादतखाना बनवाने के पिछे अकबर समस्त धार्मिक मामलों को अपने हाथों में लेने के लिए 1579ई. में महजरनामा या एक घोषणा पत्र जारी करवाया। जिसने उसे धर्म के मामलों में सर्वोच्च बना दिया। इस पर पाँच उलेमाओं या इस्लामी धर्मविदों के हस्ताक्षर थे। महजर नामक दस्तावेज का प्रारूप शेख मुबारक ने तैयार किया था,किन्तु से जारी करने की प्रेरणा शेख मुबारक एवं उसके दोनों पुत्रों अबुल फजल एवं फैजी द्वारा दी गयी थी। अकबर ने उलेमाओं के विरोध को कम करने तथा राजत्व की गरिमा को बचाने के लिए महजरनामा नामक सिद्धांत की घोषणा की थी। अकबर ने सभी धर्मों में सामंजस्य स्थापित करने के लिए 1582ई. में तौहीद-ए-इलाही ( दैवी एकेश्वरवाद)या दीन -ए -इलाही नामक एक नया धर्म प्रवर्तित किया। तौहीद -ए-इलाही वास्तव में सूफी सर्वेश्वरवाद पर आधारित एक विचार पद्धति थी। जिसके प्रवर्तन की प्रेरणा मुख्य रूप से सुलहकुल या सार्वभौमिक सौहार्द्र से मिली थी। इस नवीन सम्प्रदाय(दीन – ए -इलाही) का प्रधान पुरोहित अबुल-फजल था। हिन्दुओं में केवल महेशदास(उर्फ बीरबल) ने ही इसे स्वीकार किया था। इस नवीन धर्म में दीक्षा के लिये इतवार का दिन निश्चित था।और इस दीक्षा के दौरान दीक्षित व्यक्ति को अकबर का प्रिय उद्घोष अल्लाह-उ-अकबरकहना पङता था। जेस्सुइट लेखक बारटोली ने दीन...

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