Italy ke ekikaran ke liye kisne young italy ki sthapna ki

  1. इटली का एकीकरण
  2. की यंग इटली की स्थापना किसने व कब की? » Ki Young Italy Ki Sthapana Kisne V Kab Ki
  3. पाटलीपुत्र नगर की स्थापना किसने की थी


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इटली का एकीकरण

उत्तर – इटली की स्वतन्त्रता एवं राष्ट्रीय एकीकरण के पावन यज्ञ में असंख्य देशभक्तों ने अपने अमूल्य जीवन की आहुति दी थी। अनेक देशभक्तों को इस पुनीत कार्य का पुरस्कार देश से निकाले जाने के रूप में प्राप्त हुआ। इटालियन देशभक्तों में चार महान् विभूतियों को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। उनके महत्त्व का दिग्दर्शन इस वाक्य में भलीभाँति हो जाता है, " मेजिनी ने इटली की आत्मा , कैवूर ने मस्तिष्क, गैरीबाल्डी तथा विक्टर इमैनुअल द्वितीय ने शरीर बनकर अपनी मातृभूमि इटली की पराधीनता की जंजीरें काट डाली और देश के एकीकरण के कार्य को सम्पूर्ण किया। " उपर्युक्त चारों महान् देशभक्तों ने इस कार्य को सम्पन्न करने के लिए अपनी सम्पूर्ण शक्ति लगा दी थी। इटली के एकीकरण का कार्य अनेक प्रयासों के माध्यम से पूरा हुआ था। इटली के राष्ट्रवादियों ने स्थान-स्थान पर कार्बोनरी नामक गुप्त समितियाँ स्थापित की थीं। समितियों की बैठक रात में होती थी। देश के सभी मुख्य नेता इन समितियों के सदस्य बन गए थे। कार्बोनरी का मुख्य उद्देश्य विदेशियों को इटली से बाहर निकालना तथा वैधानिक स्वतन्त्रता की स्थापना करना था। इटली के एकीकरण के इतिहास में किए गए प्रारम्भिक प्रयासों में कार्बोनरी का स्थान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण था। जिस समय कार्बोनरी समितियाँ राष्ट्रीय एकीकरण की दिशा में प्रयासरत थीं , उसी समय इटली की राजनीति में मेजिनी नामक देशभक्त का उदय हुआ, जिसने इटली के एकीकरण के लिए अपना जीवन अर्पित कर दिया। वह कार्बोनरी का सदस्य रह चुका था।1830 ई. में उसने इटली के राज्यों में होने वाली क्रान्तियों का नेतृत्व किया। उसने इटली की जनता को सन्देश इन निष्कर्षों के आधार पर मेजिनी ने ' युवा इटली ' नामक दल का गठन किया। इसकी सहायता से उसने देश म...

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bismarak Germany ka ekikaran parsha ke nartaiya mai chahta thavillian ko German sangh ke samrat ka Taj 8 February 1871 isvi mai pahenaya Gayabismarak ko sabse adhik bheye Faras se thaGermany mein rashtriyta ka sandesh vahak nepolian bona part ko Mana jata hai.Germany ke arthik rashtravad ka pita friend Rick list ko Mana jata hai.Germany rashtriy Sabha ko diet ke naam se Jana jata tha yah Frankfart mai hoti thi. 1815 isvi se 1850 isvi ke bich German samrajya par Austriya ka adhipatya tha Austriya ka chancelar metarnikh thaekhi kart German rashtra ke nirman mein raat, Bombar, lasar ityadi darshnik kaun ne Mehtavpuran bhumika nibhaiFrankfart savidhan sabha ka gathan mey 1848 isvi mai keya geyaWilliam pratham ke shasan kal mein parsha ka raksha mantri vahan run av senapati vahan malltak tha23 September 1862 isvi ko bismarak parsha ka chancellor bannabismarak ka Janam 1 April 1815 isvi ko burdenburg mai huwa tha. William pratham ne bismarak ko baazigar kaha thasarjova ke yuddh mein 1866 isvi mai Austriya ne parsha ke aage aatmsamarpan Kar Diya 23 August 1866 isvi ke parag sandhi ke tet Austriya German Sang main shamil huaFrance av porsha ke bich sedan ka yudh 15 Julay 1870 isvi ko huwaNapoleon tritiya ne parsha ke aage 1 September 1870 isvi ko atamsamparpan keyabismarak ne Germany ke samrat William pratham ka RajyAbhishek varshai ke raj Mahal mein kiyafreakfrient ki sandhi 10 1871 isvi ko France our parsha ke bich Hui Sudan ke yuddh ke bad Germany ka ekikaran sambhav Ho sakahtt...

की यंग इटली की स्थापना किसने व कब की? » Ki Young Italy Ki Sthapana Kisne V Kab Ki

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पाटलीपुत्र नगर की स्थापना किसने की थी

अनुक्रम • • • पाटलीपुत्र नगर की स्थापना किसने की थी | पाटलिपुत्र का इतिहास कितना पुराना है | Patliputra nagar ki sthapna kisne ki thi पुराने समय में बिहारी की राजधानी पटना का नाम पाटलिपुत्र था. आज से लगभग 2000 साल पूर्व गंगा नदी के दक्षिण तट को पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता था. तथा वर्तमान में पाटलिपुत्र नाम से पटना में एक रेलवे स्टेशन भी है. अगर इतिहास की बात करे तो चक्रवती सम्राट अजातशत्रु के उतराधिकारी उदयिन ने अपनी राजधानी राजगृह से पटना में स्थान्तरित की थी. पाटलिपुत्र का नया नाम पटना है. इसके पश्चात् चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने साम्राज्य की स्थापना करने के बाद पाटलिपुत्र को अपनी राजधानी बनाई थी. भारत का सर्वोच्च न्यायालय कहाँ स्थित है | न्यायधीशो की संख्या पटना का इतिहास क्या है एक लोककथा के अनुसार राजा पत्रक पाटलिपुत्र के जनक है. उन्होंने अपनी पत्नी पाटलि के लिए जादू से पाटलिपुत्र नगर को बनाया था. इस कारन नगर का नाम रानी पाटलि के नाम से पाटलिपुत्र रखा गया. इतिहासकारों के अनुसार पटना नगर का इतिहास 490 ई पूर्व का है. बिहार के इतिहास को हम सरल रूप में निचे बिन्दुओ में समझते है. • चन्द्र गुप्त मौर्य के द्वारा अपनी राजधानी बनाने के पश्चात् यहाँ एक दुर्ग का निर्माण किया गया था. मौर्य साम्राज्य के बढ़ते प्रभाव के साथ ही इस नगर का महत्त्व बढ़ता गया. चन्द्रगुप्त मौर्य के समय मौर्य साम्राज्य वर्तमान में बंगाल की खाड़ी से लेकर अफगानिस्तान फैला था. पहले पाटलिपुत्र लकड़ी का बना हुआ था लेकिन बाद में इसे पाषण की शिलाओ में तब्दील कर दिया गया. • मौर्य साम्राज्य में पाटलिपुत्र का महत्त्व बहुत था यह राज्य का राजनैतिक और वाणिज्य केंद था. उसके बाद अनेक राजवंशो का भारत पर राज रहा. तथा उन्होंन...