Jaivik ghatak kise kahate hain

  1. जैविक खेती, खाद की पूरी जानकारी ! Jaivik Kheti Kya Hoti Hai
  2. इतिहास किसे कहते हैं
  3. Lipi Kise Kahate Hain
  4. मानव शरीर
  5. भाषा का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं
  6. मानव शरीर
  7. Lipi Kise Kahate Hain
  8. भाषा का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं
  9. इतिहास किसे कहते हैं
  10. जैविक खेती, खाद की पूरी जानकारी ! Jaivik Kheti Kya Hoti Hai


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जैविक खेती, खाद की पूरी जानकारी ! Jaivik Kheti Kya Hoti Hai

एक ज़मीन पर बार बार एक ही प्रकार की फसल की पैदावार करने से भी मृदा की उर्वरता में कमी हो जाती हैं और ये बातें मिट्टी में कीटों , रोगों और मातम के निर्माण को प्रोत्साहित करते हैं। फसलों के स्थान को हर वर्ष बदलते रहना चाहिए और कुछ वर्षों के लिए मूल स्थान पर वापस नहीं लाना चाहिए । जैसे - सब्जियों की फसल के लिए न्यूनतम3 से 4 वर्ष का अन्तराल रखना चाहिए । सूखी जैविक खाद , को इन में से किसी भी एक चीज़ से बनया जा सकता है - रॉक फॉस्फेट या समुद्री घास और इन्हे कई अवयवों के साथ मिश्रितकिया जा सकता है।लगभग सभी जैव उर्वरक पोषक तत्वों की एक व्यापक सरणी प्रदान करते हैं , लेकिन कुछ मिश्रणों को विशेष रूप से नाइट्रोजन , पोटेशियम , और फास्फोरस की मात्रा को संतुलित रखने के लिए और साथ ही सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करने के लिए तैयार कियाजाता हैं। खाद, रासायनिक उर्वरकों से कई अधीक फायदेमदं हैं। रासायनिक उर्वरकों पौधों को तो फायदा पहुँचातें हैं किन्तु इनसे मिट्टी को कोई फायदा नहीं पहुँचता है। ये आम तौर पर उसी ऋतु में पैदावार बढ़ाते है जिसमें इनका छिड़काव कियाजाता हैं। क्योंकि खाद मिट्टी को पोषक तत्व प्रदान करती है और मिट्टी की संरचना में सुधार लाती है , इस वज़ह से इसकेलाभकारी प्रभाव लंबे समय तक चलते है। आवरणफसल का प्रयोग उन फसलों में किया जाता है जिनकी2लाइनों के बीच काफी खाली जगह होती है जो वर्षा ऋतु में मृदा अपरदनएवं पोषक तत्व क्षरण को बढ़ावा देती है। इस खाली जगह में कोई कम ऊचांई एंव उथली जड़ोंवाली दाल वर्गीयप्रजातिकी खेती करते है,जो खाली जगह पर आवरण बनाकर मृदा संरक्षण के साथ साथ पोषक तत्वक्षरण को भी निंयत्रित करती है। सिंचित अवस्था में मानसून आने के 15 से 20 दिन पूर्व या असिंचित अवस्था में मानसून आ...

इतिहास किसे कहते हैं

इतिहास किसे कहते है – itihaas kise kahate hain इतिहास किसे कहते हैं(itihas kise kahate hain )अक्सर इस सवाल का उत्तर जानने की जिज्ञासा लाखों लोगों में होती है। तभी तो हजारों लोग इस प्रश्न का जवाव गूगल पर जानना चाहते हैं। इतिहास से अभिप्राय उने विगत घटनाओं से है। जिसमें देश समाज, ब्रह्मांड से जुड़ी हुई समस्त पिछली घटनाओ और उन घटनाओं के विषय में अवधारणाओं का उल्लेख किया जाता है। इतिहास किसे कहते हैं – ITIHAAS KISE KAHATE HAIN इतिहास का अर्थ – itihaas ka arth kya hai इतिहास का शाब्दिक अर्थ की बाद की जाय तो यह हिन्दी के दो शब्दों के मेल से बना है। इति और हास, इति का मतलब होता है बीती हुई और हास का मतलब कहानी से है। इस प्रकार इतिहास का अर्थ (itihas ka arth) होता है बीती हुई कहानी। इस प्रकार इसे इस रूप में समझा जा सकता है, की इतिहास वह शास्त्र है जिसमें विगत घटित घटनाओं के बारें में हमें जानकारी मिलती है। इतिहास के प्रकार ऊपर आपने इतिहास के अर्थ के बारें में जाना की इतिहास से क्या अभिप्राय है। अब हम इतिहास की उपयोगिता और इतिहास के प्रकार के बारें में जानते हैं। इतिहास को वर्गीकृत करना कठिन है। लेकिन सुविधा की दृष्टि से इतिहास को मुख्य रूप से भागों में बांटा जा सकता है। • प्राचीन इतिहास • मध्यकालीन इतिहास • आधुनिक इतिहास READ नीमराना किले का इतिहास और जानकारी | Neemrana Fort Palace History in Hindi इस वर्गीकरण के अलावा भी इतिहास के और भी प्रकार हो सकते हैं। सामाजिक इतिहास, साँस्कृतिक इतिहास, राजनीतिक इतिहास, धार्मिक इतिहास, आर्थिक इतिहास इत्यादि। इतिहास क्या है परिभाषा– itihas ki paribhasha kya hai अक्सर लोग इतिहास की परिभाषा जानना चाहते हैं की इतिहास क्या है। इतिहास की परिभाषा इन...

Lipi Kise Kahate Hain

यह लेख लिपि किसे कहते हैं (lipi kise kahate hain), लिपि कितने प्रकार की होती है, हमारे जीवन में लिपि का क्या महत्व है , ध्वनि और लिपि में क्या अंतर है तथा लिपि के उदाहरण इत्यादि . यदि आप हिंदी व्याकरण सीखना चाहते हैं या हिंदी से संबंधित जानकारियाँ पढ़ना चाहते हैं तो इस वेबसाइट (hindios.in) पर हिंदी से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध हैं, जिसे सरल भाषाओं के प्रयोग करके उदाहरण सहित बताया गया है. आप इसे आसानी से पढ़ सकते हैं. लिपि किसे कहते हैं | (lipi kise kahate hain)- बोलते समय हमारे मुख से ध्वनियाँ निकलती हैं . इन ध्वनियों को लिखने के लिए प्रयोग किए जाने वाले चिन्हों को लिपि कहते हैं. लिपि का अर्थ है: किसी भाषा की लेखन शैली अथवा ढंग. दूसरे शब्दों में- एक भाषा को लिखने के लिए जिन चिन्हों का उपयोग किया जाता है उसे लिपि कहते हैं . जैसे हिंदी भाषा को लिखने के लिए रोमन लिपि का प्रयोग किया जाता है . लिपि के उदाहरण(Lipi ke udaharan)– गुरुमुखी(gurmukhi lipi), रोमन लिपि, पंजाबी(panjabi lipi), देवनागरी(devnagri lipi), गुजराती, उड़िया, टाकरी ,कैथी इत्यादि. अभी हम समझे हैं की लिपि क्या है (lipi kya hai) ? चलिए अब लिपि के महत्व के बारे में प्रकाश डालते हैं और जानते हैं कि हमारे जीवन में लिपि का क्या महत्व है? लिपि का महत्व ध्वनियां, जो वाणी से निकल जाती है तथा आकाश में जाकर समा जाती है क्योंकि उनका स्थायित्व नहीं होता है. जब हम किसी को अपने विचारों को समझाना चाहते हैं, तो यदि वह हमारे निकट रहते हैं तो हमारी वाणी से निकली हुई ध्वनियों को सुनकर वह हमारे विचारों को समझ लेते हैं. परंतु यदि वह हमारे निकट ना हो या कहीं दूर दूसरे जगहों पर हो तो वह हमारी ध्वनियों को नहीं सुन पाएंगे. ...

मानव शरीर

vishay soochi • 1 rasayanik star • 2 manav sharir ke bhag • 2.1 koshikaean • 2.2 ootak • 2.3 aang • 2.4 sansthan ya tantr • 3 tika tippani aur sandarbh • 4 sanbandhit lekh manav sharir vibhinn sanrachanatmak staroan ka ek jatil sangathan hai, jisaki shuruat rasayanik star rasayanik star par manav sharir vibhinn jaiv-rasayanoan ka sangathanatmak tatha kriyatmak roop hota hai jisamean vibhinn jab do ya do se adhik 2 likha jata hai. ek anu mean ek se adhik paramanu ho to use yaugik kahate haian. 2O) evan karban daiaauksaid (CO 2) ki tarah hi manav sharir ke bhag koshikaean, ootak, aang evan jatil sansthan ya tantr paraspar milakar manav sharir ki rachana karate haian. ye bhag nimn hai:- koshikaean mukhy lekh: saman gunoan vali, ek hi akar ki tatha ek hi kary karane vali koshikaoan ke samooh ko ootak kahate haian. manav ek bahukoshiy prani hai, jo koshikaean rachana tatha kary mean ek-doosare se bhinn hota haian. ek prakar ki koshikaean, ek hi prakar ka kary karati haian aur ek hi varg ke ootakoan jaise- aang aang do ya adhik tarah ke ootakoan ka ek yugmaj sangrah hota hai, jo ek sath kary karake ek vishesh kriya karate haian. sansthan ya tantr sharir ke vibhinn aang ek sath samoohit hokar kisi ek vishisht kriya ko karane ka kary karate haian, jise samoohik roop se sansthan ya tantr kahate hai. udaharanarth- shvasan sansthan mean anekoan aang hote hai, jo sharir ke bahar ki vayu tatha andar ke • tvachiy sansthan • asthi sansthan ya kankal sansthan • peshiy sansthan • • • rakt ...

भाषा का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं

भाषा का अर्थ (bhasha kise kahate hai) Bhasha ka arth paribhasha visheshta ;'भाषा' शब्द संस्कृत की' भाष' धातु से बना है जिसका अर्थ है बोलना या कहना। वैसे तो सभी जीवधारी बोलते है, लेकिन मानव जिस वाणी को बोलता है बिल्कुल अन्य सभी जीवों से पूरी तरह पृथक है। जीवधारियों की भाषा को विचार-विनिमय की भाषा नही कहा जा सकता। क्योंकि उनकी भाषा केवल सांकेतिक मात्र होती है, जबकि मानव की भाषा का स्वरूप केवल सांकेतिक न होकर लिखित है। विचार और भाव-विनिमय के साधन के लिखित रूप को हम वस्तुतः भाषा कहते है। इस प्रकार मनुष्य के भावों, विचारों और अभिप्रेत अर्थो की अभिव्यक्त के ध्वनि-प्रतीकमय साधन को भाषा कहते है। जिस वक्त भाषा का वर्तमान रूप निर्मित हुआ था, उस समय मानव संकेतों के माध्यम से अपना काम चलाता होगा। वर्तमान में भी अविकसित मनुष्य या जो बोल या सुन नही सकते, व्यक्ति संकेतों के द्वारा ही अपना काम चलाते है। जैसे-जैसे मानव शक्तियों का विकास होता गया, उसकी अभिव्यक्त को वाणी प्राप्त होती गई एवं ध्वनि प्रमुख भाषा का विकास होता गया। इस प्रकार भाषा हमारे विचारों एवं भावों की अभिव्यक्ति का साधन कही जाती है। सामान्य तौर पर मानव-मात्र की भाषा को भाषा कहा जाता है। भाषा एक सामाजिक प्रक्रिया है। वह बोलने और सुनने दोनों के विचार-विनिमय का साधन है। भावाभिव्यक्ति के समस्त साधन भाषा के व्यापक अर्थ में सम्मिलित हो जाते है। भाषा-पशु-पक्षियों की भाषा अथवा संस्कृत के टीकाकारों द्वारा 'इति भाषायद्' द्वारा अभिप्रेत भाषा में सर्वत्र एक ही भाव छिपा हुआ है, वह साधन जिसके द्वारा एक प्राणी दूसरे प्राणी पर अपने विचार भाव या इच्छा जाहिर करता है। 'भाषा' शब्द का प्रयोग बहुत ही व्यापक अर्थ मे होता है। हम मनुष्य या अन्य तीनो...

मानव शरीर

vishay soochi • 1 rasayanik star • 2 manav sharir ke bhag • 2.1 koshikaean • 2.2 ootak • 2.3 aang • 2.4 sansthan ya tantr • 3 tika tippani aur sandarbh • 4 sanbandhit lekh manav sharir vibhinn sanrachanatmak staroan ka ek jatil sangathan hai, jisaki shuruat rasayanik star rasayanik star par manav sharir vibhinn jaiv-rasayanoan ka sangathanatmak tatha kriyatmak roop hota hai jisamean vibhinn jab do ya do se adhik 2 likha jata hai. ek anu mean ek se adhik paramanu ho to use yaugik kahate haian. 2O) evan karban daiaauksaid (CO 2) ki tarah hi manav sharir ke bhag koshikaean, ootak, aang evan jatil sansthan ya tantr paraspar milakar manav sharir ki rachana karate haian. ye bhag nimn hai:- koshikaean mukhy lekh: saman gunoan vali, ek hi akar ki tatha ek hi kary karane vali koshikaoan ke samooh ko ootak kahate haian. manav ek bahukoshiy prani hai, jo koshikaean rachana tatha kary mean ek-doosare se bhinn hota haian. ek prakar ki koshikaean, ek hi prakar ka kary karati haian aur ek hi varg ke ootakoan jaise- aang aang do ya adhik tarah ke ootakoan ka ek yugmaj sangrah hota hai, jo ek sath kary karake ek vishesh kriya karate haian. sansthan ya tantr sharir ke vibhinn aang ek sath samoohit hokar kisi ek vishisht kriya ko karane ka kary karate haian, jise samoohik roop se sansthan ya tantr kahate hai. udaharanarth- shvasan sansthan mean anekoan aang hote hai, jo sharir ke bahar ki vayu tatha andar ke • tvachiy sansthan • asthi sansthan ya kankal sansthan • peshiy sansthan • • • rakt ...

Lipi Kise Kahate Hain

यह लेख लिपि किसे कहते हैं (lipi kise kahate hain), लिपि कितने प्रकार की होती है, हमारे जीवन में लिपि का क्या महत्व है , ध्वनि और लिपि में क्या अंतर है तथा लिपि के उदाहरण इत्यादि . यदि आप हिंदी व्याकरण सीखना चाहते हैं या हिंदी से संबंधित जानकारियाँ पढ़ना चाहते हैं तो इस वेबसाइट (hindios.in) पर हिंदी से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध हैं, जिसे सरल भाषाओं के प्रयोग करके उदाहरण सहित बताया गया है. आप इसे आसानी से पढ़ सकते हैं. लिपि किसे कहते हैं | (lipi kise kahate hain)- बोलते समय हमारे मुख से ध्वनियाँ निकलती हैं . इन ध्वनियों को लिखने के लिए प्रयोग किए जाने वाले चिन्हों को लिपि कहते हैं. लिपि का अर्थ है: किसी भाषा की लेखन शैली अथवा ढंग. दूसरे शब्दों में- एक भाषा को लिखने के लिए जिन चिन्हों का उपयोग किया जाता है उसे लिपि कहते हैं . जैसे हिंदी भाषा को लिखने के लिए रोमन लिपि का प्रयोग किया जाता है . लिपि के उदाहरण(Lipi ke udaharan)– गुरुमुखी(gurmukhi lipi), रोमन लिपि, पंजाबी(panjabi lipi), देवनागरी(devnagri lipi), गुजराती, उड़िया, टाकरी ,कैथी इत्यादि. अभी हम समझे हैं की लिपि क्या है (lipi kya hai) ? चलिए अब लिपि के महत्व के बारे में प्रकाश डालते हैं और जानते हैं कि हमारे जीवन में लिपि का क्या महत्व है? लिपि का महत्व ध्वनियां, जो वाणी से निकल जाती है तथा आकाश में जाकर समा जाती है क्योंकि उनका स्थायित्व नहीं होता है. जब हम किसी को अपने विचारों को समझाना चाहते हैं, तो यदि वह हमारे निकट रहते हैं तो हमारी वाणी से निकली हुई ध्वनियों को सुनकर वह हमारे विचारों को समझ लेते हैं. परंतु यदि वह हमारे निकट ना हो या कहीं दूर दूसरे जगहों पर हो तो वह हमारी ध्वनियों को नहीं सुन पाएंगे. ...

भाषा का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं

भाषा का अर्थ (bhasha kise kahate hai) Bhasha ka arth paribhasha visheshta ;'भाषा' शब्द संस्कृत की' भाष' धातु से बना है जिसका अर्थ है बोलना या कहना। वैसे तो सभी जीवधारी बोलते है, लेकिन मानव जिस वाणी को बोलता है बिल्कुल अन्य सभी जीवों से पूरी तरह पृथक है। जीवधारियों की भाषा को विचार-विनिमय की भाषा नही कहा जा सकता। क्योंकि उनकी भाषा केवल सांकेतिक मात्र होती है, जबकि मानव की भाषा का स्वरूप केवल सांकेतिक न होकर लिखित है। विचार और भाव-विनिमय के साधन के लिखित रूप को हम वस्तुतः भाषा कहते है। इस प्रकार मनुष्य के भावों, विचारों और अभिप्रेत अर्थो की अभिव्यक्त के ध्वनि-प्रतीकमय साधन को भाषा कहते है। जिस वक्त भाषा का वर्तमान रूप निर्मित हुआ था, उस समय मानव संकेतों के माध्यम से अपना काम चलाता होगा। वर्तमान में भी अविकसित मनुष्य या जो बोल या सुन नही सकते, व्यक्ति संकेतों के द्वारा ही अपना काम चलाते है। जैसे-जैसे मानव शक्तियों का विकास होता गया, उसकी अभिव्यक्त को वाणी प्राप्त होती गई एवं ध्वनि प्रमुख भाषा का विकास होता गया। इस प्रकार भाषा हमारे विचारों एवं भावों की अभिव्यक्ति का साधन कही जाती है। सामान्य तौर पर मानव-मात्र की भाषा को भाषा कहा जाता है। भाषा एक सामाजिक प्रक्रिया है। वह बोलने और सुनने दोनों के विचार-विनिमय का साधन है। भावाभिव्यक्ति के समस्त साधन भाषा के व्यापक अर्थ में सम्मिलित हो जाते है। भाषा-पशु-पक्षियों की भाषा अथवा संस्कृत के टीकाकारों द्वारा 'इति भाषायद्' द्वारा अभिप्रेत भाषा में सर्वत्र एक ही भाव छिपा हुआ है, वह साधन जिसके द्वारा एक प्राणी दूसरे प्राणी पर अपने विचार भाव या इच्छा जाहिर करता है। 'भाषा' शब्द का प्रयोग बहुत ही व्यापक अर्थ मे होता है। हम मनुष्य या अन्य तीनो...

इतिहास किसे कहते हैं

इतिहास किसे कहते है – itihaas kise kahate hain इतिहास किसे कहते हैं(itihas kise kahate hain )अक्सर इस सवाल का उत्तर जानने की जिज्ञासा लाखों लोगों में होती है। तभी तो हजारों लोग इस प्रश्न का जवाव गूगल पर जानना चाहते हैं। इतिहास से अभिप्राय उने विगत घटनाओं से है। जिसमें देश समाज, ब्रह्मांड से जुड़ी हुई समस्त पिछली घटनाओ और उन घटनाओं के विषय में अवधारणाओं का उल्लेख किया जाता है। इतिहास किसे कहते हैं – ITIHAAS KISE KAHATE HAIN इतिहास का अर्थ – itihaas ka arth kya hai इतिहास का शाब्दिक अर्थ की बाद की जाय तो यह हिन्दी के दो शब्दों के मेल से बना है। इति और हास, इति का मतलब होता है बीती हुई और हास का मतलब कहानी से है। इस प्रकार इतिहास का अर्थ (itihas ka arth) होता है बीती हुई कहानी। इस प्रकार इसे इस रूप में समझा जा सकता है, की इतिहास वह शास्त्र है जिसमें विगत घटित घटनाओं के बारें में हमें जानकारी मिलती है। इतिहास के प्रकार ऊपर आपने इतिहास के अर्थ के बारें में जाना की इतिहास से क्या अभिप्राय है। अब हम इतिहास की उपयोगिता और इतिहास के प्रकार के बारें में जानते हैं। इतिहास को वर्गीकृत करना कठिन है। लेकिन सुविधा की दृष्टि से इतिहास को मुख्य रूप से भागों में बांटा जा सकता है। • प्राचीन इतिहास • मध्यकालीन इतिहास • आधुनिक इतिहास READ नीमराना किले का इतिहास और जानकारी | Neemrana Fort Palace History in Hindi इस वर्गीकरण के अलावा भी इतिहास के और भी प्रकार हो सकते हैं। सामाजिक इतिहास, साँस्कृतिक इतिहास, राजनीतिक इतिहास, धार्मिक इतिहास, आर्थिक इतिहास इत्यादि। इतिहास क्या है परिभाषा– itihas ki paribhasha kya hai अक्सर लोग इतिहास की परिभाषा जानना चाहते हैं की इतिहास क्या है। इतिहास की परिभाषा इन...

जैविक खेती, खाद की पूरी जानकारी ! Jaivik Kheti Kya Hoti Hai

एक ज़मीन पर बार बार एक ही प्रकार की फसल की पैदावार करने से भी मृदा की उर्वरता में कमी हो जाती हैं और ये बातें मिट्टी में कीटों , रोगों और मातम के निर्माण को प्रोत्साहित करते हैं। फसलों के स्थान को हर वर्ष बदलते रहना चाहिए और कुछ वर्षों के लिए मूल स्थान पर वापस नहीं लाना चाहिए । जैसे - सब्जियों की फसल के लिए न्यूनतम3 से 4 वर्ष का अन्तराल रखना चाहिए । सूखी जैविक खाद , को इन में से किसी भी एक चीज़ से बनया जा सकता है - रॉक फॉस्फेट या समुद्री घास और इन्हे कई अवयवों के साथ मिश्रितकिया जा सकता है।लगभग सभी जैव उर्वरक पोषक तत्वों की एक व्यापक सरणी प्रदान करते हैं , लेकिन कुछ मिश्रणों को विशेष रूप से नाइट्रोजन , पोटेशियम , और फास्फोरस की मात्रा को संतुलित रखने के लिए और साथ ही सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करने के लिए तैयार कियाजाता हैं। खाद, रासायनिक उर्वरकों से कई अधीक फायदेमदं हैं। रासायनिक उर्वरकों पौधों को तो फायदा पहुँचातें हैं किन्तु इनसे मिट्टी को कोई फायदा नहीं पहुँचता है। ये आम तौर पर उसी ऋतु में पैदावार बढ़ाते है जिसमें इनका छिड़काव कियाजाता हैं। क्योंकि खाद मिट्टी को पोषक तत्व प्रदान करती है और मिट्टी की संरचना में सुधार लाती है , इस वज़ह से इसकेलाभकारी प्रभाव लंबे समय तक चलते है। आवरणफसल का प्रयोग उन फसलों में किया जाता है जिनकी2लाइनों के बीच काफी खाली जगह होती है जो वर्षा ऋतु में मृदा अपरदनएवं पोषक तत्व क्षरण को बढ़ावा देती है। इस खाली जगह में कोई कम ऊचांई एंव उथली जड़ोंवाली दाल वर्गीयप्रजातिकी खेती करते है,जो खाली जगह पर आवरण बनाकर मृदा संरक्षण के साथ साथ पोषक तत्वक्षरण को भी निंयत्रित करती है। सिंचित अवस्था में मानसून आने के 15 से 20 दिन पूर्व या असिंचित अवस्था में मानसून आ...