जैविक युद्ध क्या है

  1. जैविक हथियार का प्रयोग कैसे किया जाता है? क्या है जैविक हथियार?
  2. जैविक युद्ध से संरक्षा के लिये अहम अवसर
  3. जैविक युद्ध के लिए कितने तैयार हैं हम, आखिर क्यों चिंता बढ़ा रही चीन
  4. जैविक युद्ध का अर्थ क्या है? – ElegantAnswer.com
  5. जैविक हथियार
  6. इतिहास में पहली बार: परमाणु और जैविक युद्ध के खिलाफ भारत
  7. शीतयुद्ध
  8. जैविक युद्ध के लिए कितने तैयार हैं हम, आखिर क्यों चिंता बढ़ा रही चीन
  9. जैविक हथियार का प्रयोग कैसे किया जाता है? क्या है जैविक हथियार?
  10. जैविक युद्ध से संरक्षा के लिये अहम अवसर


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जैविक हथियार का प्रयोग कैसे किया जाता है? क्या है जैविक हथियार?

क्या है जैविक हथियार, इस खतरनाक हथियार का प्रयोग कैसे किया जाता है? देखे पूरी जानकारी जैविक हथियार यानी बायोलॉजिकल वेपन, एक ऐसा खतरनाक और महाविनाशक हथियार जो बिना किसी धमाके के एक साथ आधी दुनिया को तबाह कर सकता है। तो आइये देखते हैं। जैविक हथियार क्या है? जैविक हथियार का प्रयोग कैसे किया जाता है? बॉयोलॉजिकल वेपन क्या है? • जैविक हथियार क्या है? कैसे दिखता है बायोलॉजिकल वेपन? • • • • • • जैविक हथियार एक जैविक एजेंट जिसे बायो-एजेंट, जैविक युद्ध एजेंट, जैविक हथियार, या जैव हथियार भी कहा जाता है। जैविक हथियार एक जीवाणु, वायरस, प्रोटोजोआ, परजीवी, कवक, रसायन या विष है जिसे उद्देश्यपूर्ण रूप से जैव आतंकवाद में एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। सामान्य भाषा मे कहा जाए तो जब बैक्टीरिया, वायरस और फफूंद जैसे संक्रमणकारी तत्वों का इस्तेमाल जानबूझकर इंसानों को संक्रमित करने के लिए किया जाता है तो इसे जैविक हथियार कहते हैं। • जैविक युद्ध क्या है? जैविक युद्ध अथवा कीटाणु युद्ध किसी युद्ध में किसी व्यक्ति, पशु अथवा पौधे को मारने के उद्देश्य से उसके उसमें जीवाणु, विषाणु अथवा फफूंद जैसे जैविक आविष अथवा संक्रमणकारी तत्वों का उपयोग करने को जैविक युद्ध कहा जाता हैं। • जैविक हथियार के प्रयोग से क्या होगा? जैविक हथियार विभिन्न तरीकों से मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालने की क्षमता रखते हैं, अपेक्षाकृत हल्के एलर्जी प्रतिक्रियाओं से लेकर गंभीर चिकित्सा स्थितियों तक, जिसमें गंभीर चोट, साथ ही साथ गंभीर भी शामिल हैं। या स्थायी विकलांगता या मृत्यु भी हो जाता है। इनका प्रयोग करके ही इंसान को नुकसान पहुंचाया जाता है। हालांकि इनमें से सबसे ज्यादा प्रयोग वायरस का होता है। जैविक हथियार कम...

जैविक युद्ध से संरक्षा के लिये अहम अवसर

नवंबर 28, 2022 उन्होंने कहा, “वैसे तो जैव सुरक्षा और जैव संरक्षा सुनिश्चित करना कहीं ज़्यादा उच्च प्राथमिकता है, मगर महामारी ने भी दिखा दिया है कि अगर जानबूझकर युद्ध या आतंक के हथियारों के रूप में, जैविक शस्त्रों का प्रयोग किया जाए, तो किस हद तक बाधा उत्पन्न हो सकती है.” जैव सुरक्षा प्राथमिकता यूएन निरस्त्रीकरण अधिकारी ने कन्वेंशन में कहा कि राजनैतिक रूप से स्वीकार्य एक पुष्टिकरण प्रोटोकॉल विकसित करने के लिये, आधुनिक विज्ञान के उपकरणों का लाभ उठाने के नवीन विचार तलाश करने होंगे. इस कन्वेंशन के तहत तीन सप्ताह तक बैठकें चलेंगी जोकि हर पाँच वर्ष में आयोजित होती हैं, मगर जैविक शस्त्र कन्वेंशन की समीक्षा के लिये आयोजित होने वाली इन बैठकों के आयोजन में, कोविड-19 के कारण एक वर्ष की देरी हुई. इज़ूमी नाकामित्सू ने कहा, “कन्वेंशन को मज़बूत करने के प्रयासों में, कोई भी मुद्दा चर्चा से बाहर नहीं छोड़ा जाना चाहिए.” उन्होंने उभरती प्रौद्योगिकियों के अनुसन्धान और अच्छाई के लिये उनके प्रोत्साहन में, शान्तिपूर्ण वैज्ञानिक सहयोग और ज़्यादा पारदर्शिता के लिए समर्थन का आग्रह किया. नाकामित्सू ने ज़ोर देकर कहा, “इसलिए ये समीक्षा सम्मेलन, देशों के सामने इस महत्वपूर्ण कन्वेंशन को मज़बूत करने की ख़ातिर एकजुट होने का एक अहम मौक़ा पेश करता है.” सहमति निर्माण ऐसी बहुत कम सम्भावना नज़र आती है कि आगामी सप्ताहों के दौरान जिनीवा में होने वाली चर्चाओं में, क़ानूनी रूप से बाध्य प्रोटोकॉल्स पर वार्ता फिर शुरू करने पर कोई सहमति बन सकेगी. मगर इस नवें समीक्षा सम्मेलन के लिये मनोनीत अध्यक्ष इटली के लियोनार्डो बैंसिनी का कहना है कि पुष्टिकरण और अनुपालन के मुद्दे पर, वार्ताएँ फिर से शुरू किए जाने के मुद्दे पर प्र...

जैविक युद्ध के लिए कितने तैयार हैं हम, आखिर क्यों चिंता बढ़ा रही चीन

जैविक युद्ध के लिए कितने तैयार हैं हम, आखिर क्यों चिंता बढ़ा रही चीन-पाक की सीक्रेट डील चीन ने पाक को अपने साथ मिलाया है और दोनों मिलकर यह साजिश रच रहे हैं। यह भी आशंका जताई जा रही है कि चीन ने पाक की जमीन का इस्तेमाल करते हुए इबोला जैसा एक खतरनाक वायरस बना भी लिया है, जो बड़े पैमाने पर जान ले सकता है। देश में पहले ही कोरोना से 30 हजार के करीब लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में जैविक युद्ध की यह आहट कितना खतरा पैदा कर सकती है? हम एक न दिखने वाले दुश्मन से लड़ने के लिए कितने तैयार हैं? जानते हैं सब कुछ...। • अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध के दौरान जैविक हथियारों को तैयार करने की एक होड़ सी दिखने लगी थी। • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी करीब 10 जैविक हथियार तैयार करने में लगा हुआ था। इनमें सेरिन, एंथ्रेक्स जैसे खतरनाक वायरस भी थे। • कनाडा, जापान, सोवियत संघ और अमेरिका भी इस होड़ में बिल्कुल पीछे नहीं रहे। • मौजूदा समय की बात करें तो इबोला, जीका जैसे वायरस को हमेशा संदेह से देखा जाता रहा है। • कोरोना वायरस को लेकर चीन पर उंगलियां उठ रही हैं। कहा जा रहा है कि यह वायरस चीनी सेना के अंतर्गत आने वाली वुहान लैब से निकला है। • अमेरिका ने साफ तौर पर चीन पर आरोप लगाए हैं। हालांकि अभी तक इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं। मगर वुहान लैब पर शक गहराता जा रहा है कि कोरोना यहीं से निकला। क्यों बढ़ा रहा यह हमारी चिंता • कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले में हम दुनिया में तीसरे नंबर पर आ चुके हैं। देश में संक्रमितों की संख्या 11 लाख पार हो चुकी है। ऐसे में चीन और पाकिस्तान के बीच हुई गुप्त डील हमारी चिंता बढ़ा सकती है। • चीन और पाकिस्तान भारत के खिलाफ नापाक इरादे रखते हैं, यह जगज...

जैविक युद्ध का अर्थ क्या है? – ElegantAnswer.com

जैविक युद्ध का अर्थ क्या है? इसे सुनेंरोकेंजैविक युद्ध (Biological warfare) अथवा कीटाणु युद्ध (germ warfare) किसी युद्ध में किसी व्यक्ति, पशु अथवा पौधे को मारने के उद्देश्य से उसके उसमें जीवाणु, विषाणु अथवा फफूंद जैसे जैविक आविष अथवा संक्रमणकारी तत्वों का उपयोग करना कहलाता है। जैविक हथियार संधि कब हुई? इसे सुनेंरोकें1975 में अस्तित्व में आई इस संधि को जैविक एवं विषाक्त हथियार संधि के नाम से जाना जाता है, जिससे 2019 तक 185 देश जुड़ चुके थे। निरस्त्रीकरण के मार्ग में आने वाली मुख्य बाधाओं को स्पष्ट कर सकेंगे और उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है? निरस्त्रीकरण की आवश्यकता अग्रलिखित कारणों से अनुभव की जाती है: इसे सुनेंरोकेंरासायनिक हथियार कन्वेंशन भारत ने जनवरी, 1993 के 14वें दिन इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे। भारत ने इस कन्वेंैशन के प्रावधानों के अनुसरण में रासायनिक हथियार कन्वेंकशन अधिनियम, 2000 को अधिनियमित किया। आज की तिथि में, 193 राष्ट्र इस कन्वेंधशन के पक्षकार हैं। सीडब्ल्यूसी संधि पर कितने देशों ने हस्ताक्षर किए? इसे सुनेंरोकेंCWC का मसौदा 1992 में तैयार हुआ, 1993 में इसे हस्ताक्षर के लिए प्रस्तुत किया गया और अप्रैल 1997 से प्रभावी रूप से लागू हुआ. इस समझौते से युद्ध में केमिकल हथियारों के इस्तेमाल, उनके डेवलपमेंट, रखने या उनके ट्रांसफर पर रोक लगा दी गई थी. 2021 तक CWC के 193 सदस्य थे. इनमें से 165 ने इस समझौते पर दस्तखत किए थे. वायुमंडल की सबसे हल्की गैस कौन सी है? इसे सुनेंरोकेंसही उत्तर H है। हाइड्रोजन (H) एक रंगहीन, गंधहीन, अधात्विक, स्वादहीन, अत्यधिक ज्वलनशील गैस है। यह आवर्त सारणी की सबसे हल्की गैस है जिसका परमाणु क्रमांक 1 है। हाइड्रोजन की खोज हेनरी कैवेंडिश ने की थ...

जैविक हथियार

दस्तक दस्तक। ........ क्या यह कोई दस्तक तो नहीं कैसे जैविक हथियारों का उपयोग होगा ?.... विकसित देश हथियार बनाने की होड में लगे हुए थे और अपने देशो में हथियारों का इतना भंडार एकत्रित कर लिया की अंतरराष्ट्रीय बाजार में उन हथियारों को बचने की होड़ लग गई ,सभी विकासशील देश विकसित देशो का बहुत बड़ा हथियार बचने का केन्द्र हो गए ,हथियारो को बनाने की प्रतियोगिताविश्व में इतनी बढ़गयी जितने ज्यादा हथियार और हथियार ऐसे होने लगे की आधुनिक टेक्नोलॉजी में भी प्रतियोगिता होने लगी। इसमें भी एक सीमा थी और युद्धों में हथियारों का उपयोग महॅगा पड़ता था। यह सब पहले विश्व युद्ध औरदूसरा विश्व युद्ध में सभी देशो को पता चल गया था। जब अमेरिका ने हिरोशिमा और नागाशाकी में रासायनिक बम गिराए गए तो जापान में बहुत नुकसान उठाना पड़ा था। किसी भी युद्ध के लिए हथियारों की जरुरत होती है ,युद्धों के तरीको में बदलाव आना सम्भव था। यह बदलाव जैविक युद्धों के रूप में आया ,प्राचीन समय में भी जैविक हथियारों का उपयोग होताथा। जैविक युद्ध होता क्या है इसे जानने की कोशिश करते है जैविक युद्ध अथवा कीटाणु युद्ध किसी युद्ध में किसी व्यक्ति, पशु अथवा पौधे को मारने के उद्देश्य से उसके उसमें जीवाणु, विषाणु अथवा फफूंद जैसे जैविक आविष अथवा संक्रमणकारी तत्वों का उपयोग करना कहलाता है। पहले जैव हथियार रोमवासियों द्वारा प्रयुक्त किया गया था। प्राचीन रोमन लोग अपने शत्रुओं के कुँओं में जहर डाल देते थे। 606 ई. पूर्व असीरियनों ने अपने पतन से पूर्व फफूंदग्रस्त राई का प्रयोग कर शत्रुओं को शिथिल करने का प्रयास किया था। ऐसे खाद्य पदार्थ का सेवन करने से गैंग्रीन, गर्भपात, मानसिक विभ्रमता आदि रोग हो जाते हैं। विष-बाण का प्रयोग तो हमारे पुराणों में भ...

इतिहास में पहली बार: परमाणु और जैविक युद्ध के खिलाफ भारत

TARKASH: यूक्रेन में पिछले एक साल से चल रहे युद्ध के बीच कई बार परमाणु युद्ध होने या फिर जैविक या रासायनिक युद्ध शुरू होने की आशंका जताई गई है और दुनिया का जियोपॉलिटिक्स जिस तरह से बदल रहा है, उसे देखते हुए अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है, कि कभी भी कहीं भी इस तरह के युद्ध हो सकते हैं। लिहाजा, रासायनिक और जैविक युद्ध को दुनिया के लिए एक उभरते खतरे के रूप में पहचान करते हुए भारत और अमेरिका ने संयुक्त सैन्य अभ्यास में इन खतरों से निपटने का अभ्यास शुरू किया है। भारत-अमेरिका युद्धाभ्यास भारत और अमेरिकी सैनिक लगातार संयुक्त युद्धाभ्यास कर रहे हैं और इस संयुक्त अभ्यास में पहली बार "रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु (CBRN) और टेरर रिस्पॉंस" को शामिल किया गया है। इस युद्धाभ्यास का नाम तरकश है, जिसका आयोजन भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) और यूएस स्पेशल ऑपरेशंस फोर्स (SOF) ने साफ मिलकर चेन्नई में किया है। यह अभ्यास का छठा संस्करण है, जो 16 जनवरी से शुरू हुआ है और 14 फरवरी को समाप्त होगा। भारत और अमेरिका के स्पेशल फोर्सेस के बीच इस अभ्यास की प्लानिंग उस वक्त तैयार की गई, जब पिछले साल मई में रूस ने आरोप लगाया था, कि रूस को फंसाने के लिए और पश्चिमी देशों से सैन्य सहायता प्राप्त करने के लिए यूक्रेन अपने ही लोगों पर खार्किव में रासायनिक हथियार का इस्तेमाल करने वाला है। आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त अभ्यास सूत्रों ने कहा है, कि चेन्नई में चल रहे अभ्यास के दौरान किए गए विभिन्न आतंकवाद विरोधी अभ्यासों में आतंकवादियों द्वारा रासायनिक और जैविक हमलों का मुकाबला करने के लिए भी एक अभ्यास को शामिल किया गया था। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया है, कि "संयुक्त अभ्यास में...

शीतयुद्ध

अनुक्रम • 1 शीतयुद्ध का अर्थ • 2 शीतयुद्ध की उत्पत्ति • 3 शीत युद्ध का विकास • 3.1 शीत युद्ध के विकास का प्रथम चरण • 3.2 शीत युद्ध के विस्तार का दूसरा चरण • 3.3 शीत युद्ध के विकास का तीसरा चरण • 3.4 शीत युद्ध के विकास का अन्तिम काल • 4 अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर शीत-युद्ध का प्रभाव • 5 सन्दर्भ शीतयुद्ध का अर्थ [ ] जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है कि यह अस्त्र-शस्त्रों का युद्ध न होकर धमकियों तक ही सीमित युद्ध है। इस युद्ध में कोई वास्तविक युद्ध नहीं लड़ा गया। यह केवल परोक्ष युद्ध तक ही सीमित रहा। इस युद्ध में दोनों महाशक्तियों ने अपने वैचारिक मतभेद ही प्रमुख रखे। यह एक प्रकार का कूटनीतिक युद्ध था जो महाशक्तियों के संकीर्ण स्वार्थ सिद्धियों के प्रयासों पर ही आधारित रहा। शीत युद्ध एक प्रकार का वाक युद्ध / जो कागज के गोलों, पत्र-पत्रिकाओं, के.पी.एस. मैनन के अनुसार - शीत युद्ध दो विरोधी विचारधाराओं - पूंजीवाद और साम्यवाद (Capitalism and Communism), दो व्यवस्थाओं - बुर्जुआ लोकतन्त्र तथा सर्वहारा तानाशाही (Bourgeoise Democracy and Proletarian Dictatorship), दो गुटों - नाटो और वार्सा समझौता, दो राज्यों - अमेरिका और सोवियत संघ तथा दो नेताओं - जॉन फॉस्टर इल्लास तथा स्टालिन के बीच युद्ध था जिसका प्रभाव पूरे विश्व पर पड़ा। इस प्रकार कहा जा सकता है कि शीतयुद्ध दो महाशक्तियों के मध्य एक वाक युद्ध था जो कूटनीतिक उपायों पर आधारित था। यह दोनों महाशक्तियों के मध्य द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद उत्पन्न तनाव की प्रत्यक्ष अभिव्यक्ति था। यह वैचारिक युद्ध होने के कारण वास्तविक युद्ध से भी अधिक भयानक था। शीतयुद्ध की उत्पत्ति [ ] शीतयुद्ध के लक्षण द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ही प्रकट होने लगे थे, जब दो...

जैविक युद्ध के लिए कितने तैयार हैं हम, आखिर क्यों चिंता बढ़ा रही चीन

जैविक युद्ध के लिए कितने तैयार हैं हम, आखिर क्यों चिंता बढ़ा रही चीन-पाक की सीक्रेट डील चीन ने पाक को अपने साथ मिलाया है और दोनों मिलकर यह साजिश रच रहे हैं। यह भी आशंका जताई जा रही है कि चीन ने पाक की जमीन का इस्तेमाल करते हुए इबोला जैसा एक खतरनाक वायरस बना भी लिया है, जो बड़े पैमाने पर जान ले सकता है। देश में पहले ही कोरोना से 30 हजार के करीब लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में जैविक युद्ध की यह आहट कितना खतरा पैदा कर सकती है? हम एक न दिखने वाले दुश्मन से लड़ने के लिए कितने तैयार हैं? जानते हैं सब कुछ...। • अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध के दौरान जैविक हथियारों को तैयार करने की एक होड़ सी दिखने लगी थी। • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी करीब 10 जैविक हथियार तैयार करने में लगा हुआ था। इनमें सेरिन, एंथ्रेक्स जैसे खतरनाक वायरस भी थे। • कनाडा, जापान, सोवियत संघ और अमेरिका भी इस होड़ में बिल्कुल पीछे नहीं रहे। • मौजूदा समय की बात करें तो इबोला, जीका जैसे वायरस को हमेशा संदेह से देखा जाता रहा है। • कोरोना वायरस को लेकर चीन पर उंगलियां उठ रही हैं। कहा जा रहा है कि यह वायरस चीनी सेना के अंतर्गत आने वाली वुहान लैब से निकला है। • अमेरिका ने साफ तौर पर चीन पर आरोप लगाए हैं। हालांकि अभी तक इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं। मगर वुहान लैब पर शक गहराता जा रहा है कि कोरोना यहीं से निकला। क्यों बढ़ा रहा यह हमारी चिंता • कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले में हम दुनिया में तीसरे नंबर पर आ चुके हैं। देश में संक्रमितों की संख्या 11 लाख पार हो चुकी है। ऐसे में चीन और पाकिस्तान के बीच हुई गुप्त डील हमारी चिंता बढ़ा सकती है। • चीन और पाकिस्तान भारत के खिलाफ नापाक इरादे रखते हैं, यह जगज...

जैविक हथियार का प्रयोग कैसे किया जाता है? क्या है जैविक हथियार?

क्या है जैविक हथियार, इस खतरनाक हथियार का प्रयोग कैसे किया जाता है? देखे पूरी जानकारी जैविक हथियार यानी बायोलॉजिकल वेपन, एक ऐसा खतरनाक और महाविनाशक हथियार जो बिना किसी धमाके के एक साथ आधी दुनिया को तबाह कर सकता है। तो आइये देखते हैं। जैविक हथियार क्या है? जैविक हथियार का प्रयोग कैसे किया जाता है? बॉयोलॉजिकल वेपन क्या है? • जैविक हथियार क्या है? कैसे दिखता है बायोलॉजिकल वेपन? • • • • • • जैविक हथियार एक जैविक एजेंट जिसे बायो-एजेंट, जैविक युद्ध एजेंट, जैविक हथियार, या जैव हथियार भी कहा जाता है। जैविक हथियार एक जीवाणु, वायरस, प्रोटोजोआ, परजीवी, कवक, रसायन या विष है जिसे उद्देश्यपूर्ण रूप से जैव आतंकवाद में एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। सामान्य भाषा मे कहा जाए तो जब बैक्टीरिया, वायरस और फफूंद जैसे संक्रमणकारी तत्वों का इस्तेमाल जानबूझकर इंसानों को संक्रमित करने के लिए किया जाता है तो इसे जैविक हथियार कहते हैं। • जैविक युद्ध क्या है? जैविक युद्ध अथवा कीटाणु युद्ध किसी युद्ध में किसी व्यक्ति, पशु अथवा पौधे को मारने के उद्देश्य से उसके उसमें जीवाणु, विषाणु अथवा फफूंद जैसे जैविक आविष अथवा संक्रमणकारी तत्वों का उपयोग करने को जैविक युद्ध कहा जाता हैं। • जैविक हथियार के प्रयोग से क्या होगा? जैविक हथियार विभिन्न तरीकों से मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालने की क्षमता रखते हैं, अपेक्षाकृत हल्के एलर्जी प्रतिक्रियाओं से लेकर गंभीर चिकित्सा स्थितियों तक, जिसमें गंभीर चोट, साथ ही साथ गंभीर भी शामिल हैं। या स्थायी विकलांगता या मृत्यु भी हो जाता है। इनका प्रयोग करके ही इंसान को नुकसान पहुंचाया जाता है। हालांकि इनमें से सबसे ज्यादा प्रयोग वायरस का होता है। जैविक हथियार कम...

जैविक युद्ध से संरक्षा के लिये अहम अवसर

नवंबर 28, 2022 उन्होंने कहा, “वैसे तो जैव सुरक्षा और जैव संरक्षा सुनिश्चित करना कहीं ज़्यादा उच्च प्राथमिकता है, मगर महामारी ने भी दिखा दिया है कि अगर जानबूझकर युद्ध या आतंक के हथियारों के रूप में, जैविक शस्त्रों का प्रयोग किया जाए, तो किस हद तक बाधा उत्पन्न हो सकती है.” जैव सुरक्षा प्राथमिकता यूएन निरस्त्रीकरण अधिकारी ने कन्वेंशन में कहा कि राजनैतिक रूप से स्वीकार्य एक पुष्टिकरण प्रोटोकॉल विकसित करने के लिये, आधुनिक विज्ञान के उपकरणों का लाभ उठाने के नवीन विचार तलाश करने होंगे. इस कन्वेंशन के तहत तीन सप्ताह तक बैठकें चलेंगी जोकि हर पाँच वर्ष में आयोजित होती हैं, मगर जैविक शस्त्र कन्वेंशन की समीक्षा के लिये आयोजित होने वाली इन बैठकों के आयोजन में, कोविड-19 के कारण एक वर्ष की देरी हुई. इज़ूमी नाकामित्सू ने कहा, “कन्वेंशन को मज़बूत करने के प्रयासों में, कोई भी मुद्दा चर्चा से बाहर नहीं छोड़ा जाना चाहिए.” उन्होंने उभरती प्रौद्योगिकियों के अनुसन्धान और अच्छाई के लिये उनके प्रोत्साहन में, शान्तिपूर्ण वैज्ञानिक सहयोग और ज़्यादा पारदर्शिता के लिए समर्थन का आग्रह किया. नाकामित्सू ने ज़ोर देकर कहा, “इसलिए ये समीक्षा सम्मेलन, देशों के सामने इस महत्वपूर्ण कन्वेंशन को मज़बूत करने की ख़ातिर एकजुट होने का एक अहम मौक़ा पेश करता है.” सहमति निर्माण ऐसी बहुत कम सम्भावना नज़र आती है कि आगामी सप्ताहों के दौरान जिनीवा में होने वाली चर्चाओं में, क़ानूनी रूप से बाध्य प्रोटोकॉल्स पर वार्ता फिर शुरू करने पर कोई सहमति बन सकेगी. मगर इस नवें समीक्षा सम्मेलन के लिये मनोनीत अध्यक्ष इटली के लियोनार्डो बैंसिनी का कहना है कि पुष्टिकरण और अनुपालन के मुद्दे पर, वार्ताएँ फिर से शुरू किए जाने के मुद्दे पर प्र...