Jaliya wala bag history in hindi

  1. जलियाँवाला बाग़
  2. Jallianwala Bagh 100 Years: Jallianwala Bagh Hatyakands 10 Points
  3. Jallianwala Bagh History:जलियांवाला बाग नरसंहार का इतिहास, जानें जनरल डायर ने क्यों चलाई थी गोली
  4. बलिदान की अमरगाथा जलियाँवाला बाग
  5. Jallianwala Bagh Hatyakand in Hindi
  6. Jallianwala Bagh Massacre Date History Facts In Hindi


Download: Jaliya wala bag history in hindi
Size: 56.27 MB

जलियाँवाला बाग़

अनुक्रम • 1 स्थिति • 2 स्मारक • 3 चित्र दीर्घा • 4 सन्दर्भ स्थिति [ ] जलियाँवाला बाग़ स्मारक [ ] इस स्मारक में लौ के रूप में एक मीनार बनाई गई है जहाँ शहीदों के नाम अंकित हैं। वह कुआँ भी मौजूद हैं जिसमें लोग गोलीबारी से बचने के लिए कूद गए थे। दीवारों पर गोलियों के निशान आज भी देखे जा सकते हैं। इस दुखद घटना के लिए स्मारक बनाने हेतु आम जनता से चंदा इकट्ठा करके इस जमीन के मालिकों से करीब 5 लाख 65 हजार रुपए में इसे खरीदा गया था। १९९७ में बैसाखी के दिन 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ में रोलेट एक्ट, अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों व दो नेताओं जब नेता बाग़ में पड़ी रोड़ियों के ढेर पर खड़े हो कर भाषण दे रहे थे, तभी ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर 90 ब्रिटिश सैनिकों को लेकर वहां पहुँच गया। उन सब के हाथों में भरी हुई राइफलें थीं। सैनिकों ने बाग़ को घेर कर बिना कोई चेतावनी दिए निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलानी शुरु कर दीं। १० मिनट में कुल 1650 राउंड गोलियां चलाई गईं। जलियाँवाला बाग़ उस समय मकानों के पीछे पड़ा एक खाली मैदान था। वहां तक जाने या बाहर निकलने के लिए केवल एक संकरा रास्ता था और चारों ओर मकान थे। भागने का कोई रास्ता नहीं था। कुछ लोग जान बचाने के लिए मैदान में मौजूद एकमात्र कुएं में कूद गए, पर देखते ही देखते वह कुआं भी लाशों से पट गया।

Jallianwala Bagh 100 Years: Jallianwala Bagh Hatyakands 10 Points

नई दिल्ली: आज जालियांवाला बाग की 100वीं बरसी है. देश जालियांवाला बाग की 100वीं बरसी पर शहीदों को याद कर रहा है. साल 1919 में अमृतसर में हुए इस नरसंहार में हजारों लोग मारे गए थे लेकिन ब्रिटिश सरकार के आंकड़ें में सिर्फ 379 की हत्या दर्ज की गई है. जलियांवाला बाग हत्‍याकांड ब्रिटिश भारत के इतिहास का काला अध्‍याय है. आज से 99 साल पहले 13 अप्रैल, 1919 को अंग्रेज अफसर जनरल डायर ने अमृतसर के जलियांवाला बाग में मौजूद निहत्‍थी भीड़ पर अंधाधुंध गोलियां चलवा दी थीं. इस हत्‍याकांड में 1,000 से ज़्यादा लोग मारे गए थे, जबकि 1,500 से भी ज़्यादा घायल हुए थे. जिस दिन यह क्रूरतम घटना हुई, उस दिन बैसाखी थी. इसी हत्‍याकांड के बाद ब्रिटिश हुकूमत के अंत की शुरुआत हुई. इसी के बाद देश को ऊधम सिंह जैसा क्रांतिकारी मिला और भगत सिंह के दिलों में समेत कई युवाओं में देशभक्ति की लहर दौड़ गई. जानिए, जलियांवाला बाग हत्‍याकांड से जुड़ी 10 खास बातें... जलियांवाला बाग हत्याकांड की 100वीं बरसी: 10 खास बातें • अमृतसर के प्रसिद्ध् स्‍वर्ण मंदिर, यानी गोल्‍डन टेंपल से डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल, 1919 को रॉलेट एक्‍ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी. उस दिन बैसाखी भी थी. जलियांवाला बाग में कई सालों से बैसाखी के दिन मेला भी लगता था, जिसमें शामिल होने के लिए उस दिन सैकड़ों लोग वहां पहुंचे थे. • तब उस समय की ब्रिटिश आर्मी का ब्रिगेडियर जनरल रेजिनैल्‍ड डायर 90 सैनिकों को लेकर वहां पहुंच गया. सैनिकों ने बाग को घेरकर ब‍िना कोई चेतावनी दिए निहत्‍थे लोगों पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं. वहां मौजूद लोगों ने बाहर निकलने की कोश‍िश भी की, लेकिन रास्‍ता बहुत संकरा था, और डायर के फौजी उसे रोककर खड़े...

Jallianwala Bagh History:जलियांवाला बाग नरसंहार का इतिहास, जानें जनरल डायर ने क्यों चलाई थी गोली

Jalian Wala Bagh History: गुलाम भारत की कई दास्तां हैं, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं। आज की पीढ़ी जब उन कहानियों को सुनती है तो कभी रगो में खून दौड़ जाता है तो कभी गर्व से सीना चौड़ा हो जाता है। कभी आंखों में आंसू आ जाते हैं, तो कभी क्रोध से भर जाते हैं। गुलाम भारत के इतिहास में एक ऐसी खूनी दास्तां भी है, जिसमें अंग्रेजो के अत्याचार और भारतीयों के नरसंहार की दर्दनाक घटना है। हर साल वह दिन जब भी आता है, उस नरसंहार की यादें ताजा हो जाती हैं। शहादत का यह दिन 13 अप्रैल को होता है। इस दिन जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था। हर भारतीय के लिए जलियांवाला बाग हत्याकांड बेहद दर्दनाक घटना है, जिसमें खून की नदियां बह गईं। कुआं भारतीयों की लाशों से पट गए और मौत का वह मंजर हर किसी की रूह को चोटिल कर गया। जलियांवाला बाग हत्याकांड की 103वीं बरसी पर जानें उस दिन के नरसंहार का इतिहास। क्यों हुआ था जलियांवाला बाग नरसंहार? दरअसल, उस दिन जलियांवाला बाग में अंग्रेजों की दमनकारी नीति, रोलेट एक्ट और सत्यपाल व सैफुद्दीन की गिरफ्तारी के खिलाफ एक सभा का आयोजन किया गया था। हालांकि इस दौरान शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था। लेकिन कर्फ्यू के बीच हजारों लोग सभा में शामिल होने पहुंचे थे। कुछ लोग ऐसे भी थे जो बैसाखी के मौके पर अपने परिवार के साथ वहीं लगे मेले को देखने गए थे। जलियांवाला बाग का दोषी कौन? जब ब्रिटिश हुकूमत ने जलियांवाला बाग पर इतने लोगों की भीड़ देखी, तो वह बौखला गए। उनको लगा कि कहीं भारतीय 1857 की क्रांति को दोबारा दोहराने की ताक में तो नहीं। ऐसी नौबत आने से पहले ही वह भारतीयों की आवाज कुचलना चाहते थे और उस दिन अंग्रेजों ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दी। सभा में शामिल नेता जब भाषण दे रहे थे, तब...

बलिदान की अमरगाथा जलियाँवाला बाग

भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में कुछ ऐसी तारीखें हैं जिन्हे कभी भी भुलाया नही जा सकता। 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में घटी घटना को याद करके आज भी अंग्रेजों के क्रूर अत्याचार की तस्वीर आँखों को नम कर देती है। 13 अप्रैल को जलियाँवाला बाग में उपस्थित अनेक लोगों में जिनमें बच्चे और महिलाएं भी अधिक संख्या में थी, उन सबपर किये गये अमानवीय अत्याचार तथा क्रूरता का उदाहरण अन्यत्र नही मिलता। आज भी जलियाँवाला बाग में अनगिनत गोलियों के निशान जनरल डायर की क्रूरता याद दिलाते हैं। जलियाँवाला बाग में रोलेक्ट एक्ट के विरोध में एक सभा का आयोजन हुआ था। जिसपर जनरल डायर की निर्दयी मानसिकता का प्रहार हुआ था। इस घटना ने भारत के इतिहास की धारा को ही बदल दिया था। सर्वप्रथम ये जानना जरूरी है कि रौलट एक्ट क्या था ? भारत में रौलट एक्ट 21 मार्च 1919 से लागु किया गया था। इसने डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट की जगह ली थी क्योंकि ये एक्ट प्रथम विश्व युद्ध के बाद ही समाप्त हो गया था। रौलट एक्ट में ऐसी विशेष अदालतों की व्यवस्था की गई थी जिनके निर्णयों के विरुद्ध अपील नही हो सकती थी। मुकदमे की कारवाही बंद कमरों में होती थी। जिसमें गवाह पेश करने की भी इजाजत नही थी। प्रान्तीय सरकारों को अन्य अधिकारों के अलावा ऐसी असाधारण शक्तियां प्रदान की गईं थी कि वे किसी की भी तलाशी ले सकती थीं। उसे गिरफ्तार कर सकती थीं या जमानत मांग सकती थीं। 13 अप्रैल 1919 को राष्ट्रीय कॉग्रेस के आह्वान पर तत्कालीन केन्द्रीय असेम्बली में पारित रौलट एक्ट बिल, जो जनमत के विरोध के बावजूद पारित कर दिया गया था। उसका आम सभाओं द्वारा विरोध करने का निर्णय लिया गया था। इस बिल का उद्देश्य भारत की आजादी के लिये चल रही गतिविधियों को कुचलना था। अत...

Jallianwala Bagh Hatyakand in Hindi

Jallianwala Bagh Hatyakand in Hindi : यह बात उस समय की है जब हिन्दुस्तानियों ने अंग्रेजो की प्रथम विश्व युद्ध में तन मन धन से सहायता की थी. और इसके बदले ब्रिटिश हुकूमत ने वादा किया था की वे उन्हें बेहतर सुविधाए देंगे लेकिन हुआ इसके सब कुछ उलट लोगो को अंग्रेजो का अत्याचार सहना पड़ा और उनकी दमकारी नीतियों को सहते हुए गोलिया खानी पड़ी. और अंग्रेजो ने जलियांवाला बाग जैसे हत्याकांड को भी अंजाम दिया था. आइये विस्तार से जानते है जलियांवाला बाग हत्याकांड के बारे में – विषय-सूची 1 • • • • • • • • • • • • • • Jallianwala Bagh Hatyakand in Hindi जलियांवाला बाग हत्याकांड दिनांक 13 अप्रेल 1919 स्थान जलियांवाला बाग, अमृतसर (पंजाब) शहीदों की संख्या 484 हंटर जाँच समिति का गठन अक्टूबर 1919 हत्याकांड का आर्डर देने वाला अधिकारी ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर कितनी गोलियां चली 1650 राउंड (लगभग) जलियांवाला बाग हत्याकांड के कारण (Jallianwala Bagh Hatyakand ke Kaaran)- (i) गदर आंदोनल का प्रभाव – गदर पार्टी की स्थापना 21 अप्रेल 1913 को सानफ्रांसिस्को (अमेरिका) में की गयी थी इस पार्टी का एक ही उदेश्य था की भारत से ब्रिटिश हुकूमत को उखड फेकना. इसके लिए इन्होने 21 फरवरी 1915 को अंग्रेजो के विरुद्ध योजना बनाई थी लेकिन इस योजना की जानकारी अंग्रेजो को पता चल गयी जिस कारण सभी नेता और आंदोलनकारियो को गिरफ्तार कर लिया गया जिनमे से 42 आंदोलनकारियो को फांसी दे दी गयी और बाकियों को जेल में बंद कर दिया गया. इससे लोगो में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह और तेज हो गया. (ii) अंग्रेजो दुवारा जबरन भारतीयों नोजवानो को सेना में भर्ती करना. (iii) मुलभुत आवश्यकता की वस्तुओं पर अधिक कर लगा कर वस्तुओं की कीमत बढ़ा देना. (i...

Jallianwala Bagh Massacre Date History Facts In Hindi

नई द‍िल्‍ली : जलियांवाला बाग हत्‍याकांड ब्रिटिश भारत के इतिहास का काला अध्‍याय है. आज से 99 साल पहले 13 अप्रैल, 1919 को अंग्रेज अफसर जनरल डायर ने अमृतसर के जलियांवाला बाग में मौजूद निहत्‍थी भीड़ पर अंधाधुंध गोलियां चलवा दी थीं. इस हत्‍याकांड में 1,000 से ज़्यादा लोग मारे गए थे, जबकि 1,500 से भी ज़्यादा घायल हुए थे. जिस दिन यह क्रूरतम घटना हुई, उस दिन बैसाखी थी. इसी हत्‍याकांड के बाद ब्रिटिश हुकूमत के अंत की शुरुआत हुई. इसी के बाद देश को ऊधम सिंह जैसा क्रांतिकारी मिला और भगत सिंह के दिलों में समेत कई युवाओं में देशभक्ति की लहर दौड़ गई. जानिए, जलियांवाला बाग हत्‍याकांड से जुड़ी 10 खास बातें... 1. अमृतसर के प्रसिद्ध् स्‍वर्ण मंदिर, यानी गोल्‍डन टेंपल से डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल, 1919 को रॉलेट एक्‍ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी. उस दिन बैसाखी भी थी. जलियांवाला बाग में कई सालों से बैसाखी के दिन मेला भी लगता था, जिसमें शामिल होने के लिए उस दिन सैकड़ों लोग वहां पहुंचे थे. 2. तब उस समय की ब्रिटिश आर्मी का ब्रिगेडियर जनरल रेजिनैल्‍ड डायर 90 सैनिकों को लेकर वहां पहुंच गया. सैनिकों ने बाग को घेरकर ब‍िना कोई चेतावनी दिए निहत्‍थे लोगों पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं. वहां मौजूद लोगों ने बाहर निकलने की कोश‍िश भी की, लेकिन रास्‍ता बहुत संकरा था, और डायर के फौजी उसे रोककर खड़े थे. इसी वजह से कोई बाहर नहीं निकल पाया और हिन्दुस्तानी जान बचाने में नाकाम रहे. 3. जनरल डायर के आदेश पर ब्रिटिश आर्मी ने बिना रुके लगभग 10 मिनट तक गोलियां बरसाईं. इस घटना में करीब 1,650 राउंड फायरिंग हुई थी. बताया जाता है कि सैनिकों के पास जब गोलियां खत्‍म हो गईं, तभी उनके हाथ रुके...