Jhansi ki rani ka chitra

  1. झांसी की रानी कविता
  2. Ek Veer Stree Ki Kahaani... Jhansi Ki Rani (TV Series 2009
  3. khoob ladi mardani
  4. झाँसी की रानी (कविता)


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झांसी की रानी कविता

CBSE Class 6 Hindi Chapter 10 Jhansi Ki Rani Poem Solution सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय: प्रस्तुत कविता हिंदी भाषा और साहित्य की प्रसिद्ध कवयित्री श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखी गई है। इनका जन्म उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद जिले में हुआ था। इन्हें बचपन से ही कविता लिखने का शौक़ था तथा इनकी अधिकतर रचनाएं देश-प्रेम से ओत-प्रोत रहती थीं। वह एक रचनाकार होने के साथ-साथ स्वाधीनता संग्राम में सेनानी भी थीं। उन्होने गाँधीजी के साथ असहयोग आंदोलन में भाग लिया तथा दो बार जेल भी गईं। इसीलिए उनकी रचनाओं में राष्ट्रीयता की झलक देखने को मिलती है। झांसी की रानी कविता का सार- Jhansi Ki Rani Poem Summary: प्रस्तुत कविता में कवयित्री ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई द्वारा दिखाए गए अदम्य शौर्य का उल्लेख किया है। उस युद्ध में लक्ष्मीबाई ने अपनी अद्भुत युद्ध कौशल और साहस का परिचय देकर बड़े-बड़े वीर योद्धाओं को भी हैरान कर दिया था। उनकी वीरता और पराक्रम से उनके दुश्मन भी प्रभावित थे। उन्हें बचपन से ही तलवारबाज़ी, घुड़सवारी, तीरंदाजी और निशानेबाज़ी का शौक था। वह बहुत छोटी उम्र में ही युद्ध-विद्या में पारंगत हो गई थीं। अपने पति की असमय मृत्यु के बाद उन्होंने एक कुशल शासक की तरह झांसी का राजपाट संभाला तथा अपनी अंतिम सांस तक अपने राज्य को बचाने के लिए अंग्रेजों से अत्यंत वीरता से लड़ती रहीं। उनके पराक्रम की प्रशंसा उनके शत्रु भी करते थे। Ncert Solution for Class 6 Hindi Vasant All Chapters Chapter 01. Chapter 04. Chapter 10. Chapter 13. Chapter 16. झांसी की रानी कविता अर्थ सहित- Jhansi Ki Rani Poem in Hindi Summary सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ...

Ek Veer Stree Ki Kahaani... Jhansi Ki Rani (TV Series 2009

Ek Veer Stree ki Kahaani... Jhansi Ki Rani is the story of an ordinary girl who went on to become an extraordinary ruler. Her defiance against the British is exemplary even today. The fervor... Ek Veer Stree ki Kahaani... Jhansi Ki Rani is the story of an ordinary girl who went on to become an extraordinary ruler. Her defiance against the British is exemplary even today. The fervor that she aroused gave birth to various leaders and revolutionaries who finally freed our ... Ek Veer Stree ki Kahaani... Jhansi Ki Rani is the story of an ordinary girl who went on to become an extraordinary ruler. Her defiance against the British is exemplary even today. The fervor that she aroused gave birth to various leaders and revolutionaries who finally freed our nation from the British. The show attempts to bring forth the various facets of this remar...

khoob ladi mardani

khoob ladi mardani जैसी झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की वीरगाथा को अपने शब्दों में पिरोने वाली सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1004 को हुआ था। सुभद्रा कुमारी चौहान हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थीं। उनके दो कविता संग्रह तथा तीन कथा संग्रह प्रकाशित हुए पर उनकी प्रसिद्धि khoob ladi mardani poem(खूब लड़ी मर्दानी ) झाँसी की रानी कविता के कारण है। ये राष्ट्रीय चेतना की मसहूर कवयित्री रही हैं, वे स्वाधीनता संग्राम में अनेक बार जेल गईं और कई यातनाएँ सही। इनकी रचना में सादगी की अनुभूति होती है। Subhadra Kumari Chauhan की मृत्यु में 15 फ़रवरी 1948 (उम्र 43) में हुई । आज Hindi Hain Hum आप सभी के लिए लाया है rani laxmi bai poem, khub ladi mardani lyrics, khoob ladi mardani jhansi ki rani और poems on rani lakshmi bai का पूरा संग्रह जिसे हम और आप बचपन में खूब पढ़ा करते थे और आज भी हमें khoob ladi mardani woh to jhansi wali rani thi कविता उतनी ही पसंद है। khoob ladi mardani Poem in hindi khoob ladi mardani Poem in hindi सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी, लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी, नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी, बरछी ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी। वीर शिवाजी की गाथायें उसकी याद ज़बानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी म...

झाँसी की रानी (कविता)

अनुक्रम • 1 परिचय • 2 झांसी की रानी कविता • 3 सन्दर्भ • 4 बाहरी कड़ियाँ परिचय [ ] कविता का हर अंतरे का अंत इस कथन से होता है कि लेखिका ने रानी लक्ष्मीबाई की कथा बुंदेलों से सुनी है। कैसे वो राजवंश में जन्मीं और बाल्यकाल से ही अत्यंत वीरांगना थीं। वे झांसी की रानी कविता [ ] सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी, लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी, नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी, बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी। वीर शिवाजी की गाथायें उसको याद ज़बानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार, देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार, नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार, सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवाड़। महाराष्ट्र-कुल-देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में, ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में, राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में, सुभट बुंदेलों की विरुदावलि-सी वह आयी थी झांसी में। चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव को मिली भवानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी ...