जीव द्रव्य किसे कहते हैं

  1. भौतिक विज्ञान
  2. जीवद्रव्यकुंचन क्या है ?
  3. द्रव और द्रव्य में क्या अन्तर है?
  4. जैन सार
  5. जीव
  6. जीव विज्ञान


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भौतिक विज्ञान

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द्रव्यसंग्रह

ठहरे हुए पुद्गल तथा जीवों को ठहरने में सहकारी कारण अधर्म-द्रव्य है । उसमें दृष्टान्त -- जैसे छाया पथिकों को ठहरने में सहकारी कारण; परन्तु स्वयं गमन करते हुए जीव व पुद्गलों को अधर्म द्रव्य नहीं ठहराता है । सो ऐसे है -- यद्यपि निश्चयनय से आत्म-अनुभव से उत्पन्न सुखामृत रूप जो परम स्वास्थ्य है वह निज रूप में स्थिति का कारण है; परन्तु मैं सिद्ध हूँ, शुद्ध हूँ, अनंतज्ञान आदि गुणों का धारक हूँ, शरीर प्रमाण हूँ, नित्य हूँ, असंख्यात प्रदेशी हूँ तथा अमूर्तिक हूँ ॥१॥ इस गाथा में कही हुई सिद्धभक्ति के रूप से पहले सविकल्प अवस्था में सिद्ध भी जैसे भव्य जीवों के लिए बहिरंग सहकारी कारण होते हैं, उसी तरह अपने-अपने उपादान कारण से अपने आप ठहरते हुए जीव पुद्गलों को अधर्मद्रव्य ठहरने का सहकारी कारण होता है । लोक-व्यवहार से जैसे छाया अथवा पृथ्वी ठहरते हुए यात्रियों आदि को ठहरने में सहकारी होती है उसी तरह स्वयं ठहरते हुए जीव पुद्गलों के ठहरने में अधर्मद्रव्य सहकारी होता है । इसी प्रकार अधर्मद्रव्य के कथन द्वारा यह गाथा समाप्त हुई ॥१८॥ अब आकाशद्रव्य का कथन करते हैं -- ठहरे हुए पुद्गल तथा जीवों को ठहरने में सहकारी कारण अधर्म-द्रव्य है । उसमें दृष्टान्त -- जैसे छाया पथिकों को ठहरने में सहकारी कारण; परन्तु स्वयं गमन करते हुए जीव व पुद्गलों को अधर्म द्रव्य नहीं ठहराता है । सो ऐसे है -- यद्यपि निश्चयनय से आत्म-अनुभव से उत्पन्न सुखामृत रूप जो परम स्वास्थ्य है वह निज रूप में स्थिति का कारण है; (सिद्धोsहं सुद्धोsहं अणंतणाणाइगुणसमिद्धोsहं । देहपमाणो णिच्चो असंखदेसो अमुत्तो य ।।) परन्तु मैं सिद्ध हूँ, शुद्ध हूँ, अनंतज्ञान आदि गुणों का धारक हूँ, शरीर प्रमाण हूँ, नित्य हूँ, असंख्यात प्रदेशी हूँ तथा अमूर्तिक ...

जीवद्रव्यकुंचन क्या है ?

जब किसी पादप कोशिका को किसी अतिपरासरी विलियन में रखा जाता है तब कोशिका के कोशिका द्रव्य में उपस्थित जल बहि: परासरण की क्रिया के कारण विसरित होकर विलियन में आने लगता है। जिसके परिणाम स्वरूप कोशिका का कोशिका द्रव कोशिका भित्ति को छोड़कर संकुचित होना प्रारंभ कर देता है इसे प्रारंभिक जीवद्रव्यकुंचनकहते हैं। जब अतिपरासरण विलियन की सांद्रता कोशिका द्रव की सांद्रता से बहुत अधिक होती है। तब पानी के बहि: परासरण की क्रिया तथा जीव द्रव के संकुचन की क्रिया जारी रहती है तथा अंत में जीव द्रव कोशिका भित्ति को छोड़कर कोशिका के मध्य भाग में सिकुड़कर गोलाकार हो जाता है इस क्रिया को जीवद्रव्यकुंचनकहते हैं सामान्यतः जीव द्रव्य कुंजन कोशिका भित्ति तथा संकुचित जीवद्रव्य के महत्व मध्य रिक्त स्थान बाहर का अति परासरी विलियन रहता है। परीक्षा मंथन कंप्यूटर बुक पीडीएफ | Pariksha Manthan Computer PDF Book 2021 इस पोस्ट में हम आपके आप सभी तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यर्थियों के लिए लेकर आए हैं परीक्षा मंथन कंप्यूटर बुक पीडीएफ | Pariksha Manthan Computer Book 2021 PDF जोआपको मध्यप्रदेश के विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे MPPSC, MPSI, Vyapam Exams , MP POLICE Constable , MP Civil Judge Exam आदि के लिए बहुत उपयोगी होगी परीक्षा मंथन कंप्यूटर बुक पीडीएफ | Pariksha Manthan Computer Book 2021 PDF को आप नीचे दी गई लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं। परीक्षा मंथन कंप्यूटर बुक पीडीएफ बुक डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें - computer book pdf download धन्यवाद ! अगर आपको पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे ज्यादा से ज्यादा दोस्तों के साथ शेयर करें। दृष्टि सामान्य ज्ञान PDF Book | Drishti Samanya Gyan Book Pdf in Hindi Download दो...

द्रव और द्रव्य में क्या अन्तर है?

Table of Contents Show • • • • • • • • • • • • • • • द्रव्य किसे कहते हैं Mass in hindi : ब्रह्माण्ड में उपस्थित प्रत्येक वस्तुः जिसका अपना द्रव्यमान हो, तथा जो स्थान घेरता हो, द्रव्य कहलाता है। अर्थात द्रव्यमान एवं आयतन युक्त प्रत्येक संरचना द्रव्य है। किसी वस्तु में उपस्थित द्रव्य की मात्रा उस वस्तु का द्रव्यमान कहलाती है तथा वस्तु द्वारा घेरे गए स्थान की माप उसका आयतन कहलाती है. जिसमें वस्तु की ऊँचाई, लम्बाई व चौड़ाई शामिल हैं। जल, वायु, मृदा, सोना, कुर्सी, किताब आदि सभी वस्तुएँ द्रव्य हैं, जबकि ऊर्जा, प्रकाश, ध्वनि, विचार, भावनाएँ आदि द्रव्य नहीं हैं। द्रव्य की अवस्थाएँ द्रव्य की मुख्यतः तीन अवस्थाएँ होती हैं- (1) ठोस (Solid) (2) द्रव (Liquid) (3) गैस (Gas) ठोस किसे कहते हैं ठोस (Solid) : वे पदार्थ जिनका आकार, सीमा तथा आयतन निश्चित होता है उन्हें ठोस कहते हैं। उदाहरण : काँच की बोतल, परखनली व कुर्सी आदि। ठोस के गुण (1) इनका आकार निश्चित होता है। (2) इनका आयतन निश्चित होता है। (3) ये बहते नहीं हैं। (4) इनको बहुत कम दबाया जा सकता है। (5) गर्म करने पर इनमें सबसे कम वृद्धि होती है। (6) इनके कणों में सबसे कम गति होती है। (7) ठोसों का गलनांक निश्चित होता है। (8) इनके कणों के मध्य प्रबल अन्तर-आण्विक आकर्षण बल होता है। (9) इनका हिमांक और घनत्व अधिक होता है। द्रव किसे कहते हैं द्रव (Liquid) : द्रव अवस्था में वस्तु का आकार अनिश्चित परन्तु आयतन निश्चित होता है अर्थात द्रव पदार्थ जिस पात्र में रखे जाते हैं उसका आकार ग्रहण कर लेते हैं। उदाहरण – जल, दूध, तेल, पेट्रोल आदि। द्रव के गुण (1) इनका आकार निश्चित नहीं होता है. (2) इनका आयतन निश्चित होता है। (3) ये ऊपर से नीचे की ओर बहते हैं।...

जैन सार

तत्त्व एवं पदार्थ 1. तत्त्व किसे हम कहते हैं ? तत्व माने वस्तु का यथार्थ स्वभाव । 2. तत्त्व कितने होते हैं ? तत्व सात होते हैं। 3. तत्त्व कौन-कौन से होते हैं ? जीव, अजीव, आस्रव और बंध, संवर, निर्जरा, मोक्ष का पंथ । जीव - जिसमें जानने-देखने की शक्ति हो। अजीव - जिसमें जानने-देखने की शक्ति न हो। आस्रव - कर्मों का आगमन । बंध - जीव और कर्मों का एकमेक होना (दूध-पानी की तरह) संवर - आस्रव का निरोध । निर्जरा - कर्मों का आंशिक रूप से झड़ना। मोक्ष - कर्मों का सम्पूर्ण क्षय । विशेष 1. हमें इन सातों तत्वों को जानकर उनपर श्रद्धा करनी चाहिए, तभी हम सम्यकदृष्टि कहलायेंगे। 2. सात तत्वों में जीव तत्व ग्रहण करने योग्य है, अजीव, आस्रव एवं बंध छोड़ने योग्य है तथा संवर, निर्जरा एवं मोक्ष उपादेय है। 3. इन सात तत्वों में पुण्य- पाप जोड़ देने से नव पदार्थ होते हैं। पुण्य किसे हम कहते हैं ? पाप किसे हम कहते हैं ? अच्छा कार्य है पुण्य कहाता - बु रा कार्य है पाप कहाता। काम करो तुम अच्छा - पाओगे सुख सच्चा। बुरे कार्य को छोड़ो - धर्म से नाता जोड़ो। द्रव्य द्रव्य किसे कहते हैं ? गुणों के समूह को द्रव्य कहते हैं। द्रव्य कितने होते हैं ? द्रव्य छः होते हैं। द्रव्य कौन-कौन से होते हैं ? जीव द्रव्य, पुद्गल द्रव्य, धर्म द्रव्य, अधर्म दव्य, आकाश द्रव्य और काल द्रव्य जीव - जिसमें जानने-देखने की शक्ति हो। पुद्गल - जिसमें रूप, रस, गंध एवं स्पर्श पाया जाए। धर्म - जो गतिशील जीव और पुद्गलों की गति में सहायक हो। अधर्म - जो ठहर ते हुए जीव और पुद्गलों को ठहरने में सहायक हो। आकाश - जो समस्त द्रव्यों को अवगाह/स्थान दें। काल - जो प्रत्येक पदार्थ के परिणमन (परिवर्तन) में सहकारी हो। विशेष छः द्रव्यों के समूह को विश्व कहते ...

जीव

अनुक्रम • 1 एक कोशिकीय जीव • 2 बहुकोशिकीय जीव • 3 जैन दर्शन • 4 सन्दर्भ • 5 इन्हें भी देखें • 6 बाहरी कड़ियाँ एक कोशिकीय जीव [ ] मात्र अति सूक्ष्म जीव ही एक कोशिकीय होते हैं। बहुकोशिकीय जीव [ ] वे जीव जिनमे कोशिकाएं बहुत अधिक संख्या में पाई जाती हैं। उन्हें बहुकोशिकीय जीव कहते हैं। जैसेः बड़े जानवर, मनुष्य आदि इसी श्रेणी में आते है। जैन दर्शन [ ] • Afrikaans • Alemannisch • Aragonés • العربية • الدارجة • مصرى • অসমীয়া • Asturianu • Azərbaycanca • تۆرکجه • Башҡортса • Boarisch • Žemaitėška • Bikol Central • Беларуская • Беларуская (тарашкевіца) • Български • বাংলা • Bosanski • Буряад • Català • 閩東語 / Mìng-dĕ̤ng-ngṳ̄ • ᏣᎳᎩ • کوردی • Čeština • Cymraeg • Dansk • Deutsch • Zazaki • Ελληνικά • English • Esperanto • Español • Eesti • Euskara • Estremeñu • فارسی • Suomi • Võro • Français • Arpetan • Nordfriisk • Frysk • Gaeilge • Kriyòl gwiyannen • Galego • Gaelg • 客家語/Hak-kâ-ngî • עברית • Hrvatski • Kreyòl ayisyen • Magyar • Հայերեն • Interlingua • Bahasa Indonesia • Ilokano • ГӀалгӀай • Ido • Íslenska • Italiano • 日本語 • Patois • La .lojban. • Jawa • ქართული • Qaraqalpaqsha • Taqbaylit • Қазақша • ភាសាខ្មែរ • ಕನ್ನಡ • 한국어 • Kurdî • Kernowek • Кыргызча • Latina • Lëtzebuergesch • ລາວ • Lietuvių • Latviešu • Malagasy • Македонски • മലയാളം • मराठी • Bahasa Melayu • မြန်မာဘာသာ • Napulitano • Plattdüütsch • नेपाली • नेपाल भाषा • Nederlands • Norsk nynorsk • Norsk bokmål • Occitan • ਪੰਜਾਬੀ • Papiamentu • Polski • پنجابی • پښتو • Português • Runa Simi • Română • Armãneashti • Русский • ...

जीव विज्ञान

अनुक्रम • 1 चित्रावली • 2 आधुनिक जीवविज्ञान के आधार • 3 इतिहास • 3.1 जीव विज्ञान का जनक अरस्तू को माना जाता है। – Father Of Biology • 3.2 (I) जन्तु विज्ञान ( Zoology ) • 3.3 (Ii) वनस्पति विज्ञान ( Botany ) • 4 शाखाएँ एवं जीवनवृति के विकल्प • 5 जीवविज्ञान के वे विषय जो अभी तक अनसुलझे हैं • 6 सन्दर्भ • 7 इन्हें भी देखें • 8 बाहरी कड़ियाँ चित्रावली [ ] • • 1665 1665 • 1683 एंटोनी वान लीउवेनहुक - • 1758 कार्ल वॉन लिनिअस - अपने 'सिस्टेमा नेचुरे' नामक ग्रन्थ में जन्तु-जगत एवम् पादप-जगत का वर्गीकरण किया जो आज भी वैध है। • 1839 थियोडोर श्वान और मैथियस जैकब स्लेडेन - • 1858 • 1866 • 1925 लोटका-वोल्त्रा समीकरण (Lotka-Volterra equations ) के साथ • 1935 में वेंडेल मेरेडिथ स्टेनली द्वारा • 1944 ओसवाल्ड एवरी ने दिखाया कि 1944 ओसवाल्ड एवरी ने दिखाया कि • 1950 बारबरा मैक्लिंटॉक ने आनुवांशिक सामग्री में गतिशील तत्वों (transposons) की खोज को प्रकाशित किया किन्तु वह लंबे समय तक अमान्य रहा। वर्तमान समय में उनका यही खोज आनुवंशिक इंजीनियरिंग प्रक्रियाओं का आधार है। • 1952 एलन लॉयड हॉजकिन और एंड्रयू फील्डिंग हक्सले ने इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी के आधारभूत समीकरण स्थापित किए। • 1953 जेम्स डी वॉटसन और फ्रांसिस क्रिक ने • 1973 जॉन मेनार्ड स्मिथ और जॉर्ज आर प्राइस ने विकासवादी स्थिर रणनीति (Evolutionary Stable Strategy) की अवधारणा प्रस्तुत की जो • 1982 स्टेनली प्रूसिनर ने प्रिओन्स (prions) की परिकल्पना दी जो अनुवांशिक तत्त्व से रहित संक्रामक एजेन्ट * 1982 स्टेनली प्रूसिनर ने प्रिओन्स (prions) की परिकल्पना दी जो अनुवांशिक तत्त्व से रहित संक्रामक एजेन्ट हैं। • 1983 कैरी मुलिस (Kary Mullis) ने 1983 कैरी मुलिस...