जीवन वृत्त लेखन

  1. शरद नागर :: :: :: अमृतलाल नागर : जीवन
  2. जीवन परिचय
  3. CBSE Class 11 Hindi फ़ीचर लेखन
  4. वृत्तांत लेखन क्या है, वृत्तांत कैसे लिखें
  5. विद्यापति की जीवनी
  6. जीवनी लेखन। जीवनी लेखन विकास।हिन्दी की प्रमुख जीवनी और उनके लेखक । Jeevni Lekhan ka Vikas
  7. Jivani in Hindi


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शरद नागर :: :: :: अमृतलाल नागर : जीवन

नाम : अमृतलाल नागर जन्‍म तिथि : गुरुवार भाद्रपद कृष्‍ण चतुर्थी (बहुला चौथ), वि.सं. 1973, तदनुसार 17 अगस्‍त, 1916 ई. जन्‍म स्‍थान : गोकुलपुरा, आगरा (ननिहाल में) पिता : राजाराम नागर माता : विद्यावती नागर शिक्षा : हाई स्‍कूल (1934) प्रथम रचना : दिसंबर, 1928 में आनंद पाक्षिक में प्रकाशित कविता विवाह : प्रतिभा (मूल नाम सावित्री देवी ऊर्फ बिट्टो) के साथ 31 जनवरी, 1932 नौकरी : 'आल इंडिया यूनाइटेड एश्‍योरेन्‍स कंपनी' के लखनऊ कार्यालय में 18 दिनों तक डिस्‍पैचर की नौकरी की। सन 1939 में नवलकिशोर प्रेस के प्रकाशन विभाग तथा माधुरी के संपादकीय विभाग में अवैतनिक सेवा। 7 दिसंबर, 1953 से 31 मई 1956 तक आकाशवाणी, लखनऊ में ड्रामा प्रोड्यूसर के पद पर कार्य किया, किंतु साहित्यिक कार्यों में नौकरी को बाधा मानकर त्‍यागपत्र दे दिया। फिल्‍मों में : सन 1940 से 1947 ई. तक मुंबई (बंबई), कोल्‍हापुर तथा चेन्‍नई (मद्रास) के फिल्‍मोउद्योग में पटकथा एवं संवाद लेखन। स्‍वतंत्र लेखक : 1948 से लखनऊ में रहकर स्‍वतंत्र लेखन। भाषाओं की जानकारी : हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी तथा बाँगला भाषाओं पर अधिकार और तमिल भाषा का भी थोड़ा-बहुत ज्ञान। मानद पद 1. भारतीय जननाट्य संघ के अध्‍यक्ष मंडल में (1947) 2. इंडो-सोवियत सांस्‍कृतिक संघ की राष्‍ट्रीय समिति के सदस्‍य (1961-62) 3. इंडो-सोवियत सांस्‍कृतिक संघ की उत्तर प्रदेश शाखा के महामंत्री (1966-68) 4. अध्‍यक्ष, हिंदी समिति, उत्तर प्रदेश (1973-76) 5. उपाध्‍यक्ष, कार्यकारी अध्‍यक्ष, उत्तरप्रदेश संगीत नाटक अकादमी (1974-79) 6. सदस्‍य, सलाहकार समिति, आकाशवाणी, लखनऊ (1974-79) 7. सदस्‍य (कार्यकारिणी), उत्तरप्रदेश हिंदी संस्‍थान इनके अतिरिक्‍त साहित्‍य अकादेमी, नई दिल्‍ली, उत्तर...

जीवन परिचय

जीवन परिचय किसी व्यक्ति विशेष के जीवन वृतांत को जीवनी में किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति के जीवन के अन्तर्वाह्य स्वरूप का घटनाओं के आधार पर कलात्मक चित्रण रहता है। इससे उसके गुण दोषमय व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति होती है। सामान्यतः जीवनी में सारे जीवन में किए हुए कार्यों का वर्णन होता है पर इस नियम का पालन आवश्यक नहीं है। शिप्ले के अनुसार:- “जीवनी लेखक को अपने नायक के संपूर्ण जीवन अथवा उसके यथेष्ट भाग की चर्चा करनी चाहिए जीवनी में इतिहास साहित्य और व्यक्ति की त्रिवेणी होती है। परंतु इस में इतिहास की भांति घटनाओं का आंकलन नहीं होता इसमें मनुष्य के जीवन की व्याख्या एवं उसके व्यक्तिगत जीवन का अध्ययन प्रत्यक्ष और वास्तविक रुप से प्राप्त होता है।” जीवनी लेखक जीवनी लेखक अपने नायक के चरित्र में स्वाभाविकता लाने के लिए जीवन को क्रमशः अन्वेषित एवं उद्घाटित करना चाहिए अर्थात आरंभ से ही उसके केवल गुणों को ही नहीं वरन दोषों को भी तटस्थ भाव से वर्णन करना चाहिए। हमारे यहां जीवन चरित्र लिखने की विशेष परंपरा नहीं रही है व्यक्ति कालीन वार्ताओं नाभादास का ‘ भक्तमाल‘ आदि ग्रंथों में जीवन संबंधी इतिवृत्त मिल जाते हैं। लेखन जीवन परिचय के लेखन का आरंभ 19वीं शताब्दी के अंत से होता है कार्तिक प्रसाद खत्री , भारतेंदु , राधाकृष्ण दास , बालमुकुंद गुप्त आदि इस युग के प्रसिद्ध जीवनी लेखक हैं। आज जीवनी साहित्य नायक को जीवन तथ्यों को वैज्ञानिक रूप से प्रस्तुत करता है। आज के प्रमुख जीवनीकारों की कृतियों में – • रामविलास शर्मा कृत ‘निराला की साहित्य साधना’, • राहुल सांस्कृत्यायन कृत्य ‘नए भारत के नए लोग’, ‘सूरदास’, • पृथ्वी सिंह की ‘लेनिन’ तथा ‘कार्ल मार्क्स’, • विष्णु प्रभाकर कृत ‘आवारा मसीहा’, प्रमुख जीवनियां है। ...

CBSE Class 11 Hindi फ़ीचर लेखन

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वृत्तांत लेखन क्या है, वृत्तांत कैसे लिखें

Table of Contents • • • • • • • • • • • Vrutant Lekhan क्या है : Vrutant Lekhan को आसान भाषा में समझे तो इसका अर्थ है जो घटना घट चुकी है उसके बारे में पूरी Detail में लिखना, जैसे घटना का समय, उसका title, घटना कब हुई, किसके हाथों हुई, उसे किसने आयोजित कराया, परिणाम क्या रहा। जैसे आप प्रतिदिन सुबह समाचार पत्र में देखते हैं यदि कोई घटना घट चुकी होती है तो उसके बारे में समाचार पत्र में विस्तार से वृतांत लिखा गया होता है यानी उस घटना के बारे में पूरा विस्तार से बताया होता है। यानी जो घटना घट चुकी होती है उसके बारे में विस्तार से एक रिपोर्ट लिखना Vrutant Lekhan कहलाता है। वृत्तांत कैसे लिखें : वृतांत लिखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण points से हैं जिन पर ध्यान देना आवश्यक है जैसे वृत्तांत लेखन में सबसे पहले आपको उसका शीर्षक लिखना है उसके बाद वृत्तांत लेखन में सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात है की यदि कोई घटना हुई है तो वह कब हुई है उसका दिनांक और समय क्या था यह लिखना सबसे महत्वपूर्ण है। दूसरा महत्वपूर्ण पॉइंट है यदि कोई घटना हुई है तो वह घटना कहां हुई है उसका स्थान क्या है अगर किसी ने कोई कार्यक्रम आयोजित करवाया है तो वह कहां करवाया है यह किस स्थान पर करवाया है। तीसरा महत्वपूर्ण पॉइंट है घटना किसके द्वारा हुई है यानी अगर किसी ने कोई कार्यक्रम आयोजित करवाया है तो वह कार्यक्रम किसके द्वारा कराया गया है। चौथा महत्वपूर्ण पॉइंट है यदि कोई कार्यक्रम आयोजित कराया गया तो वह किसकी अध्यक्षता में कराया गया उस कार्यक्रम को कराने वाले मुख्य अतिथि कौन थे यह लिखना भी महत्वपूर्ण है। पांचवा पॉइंट है समारोह में कार्यक्रम कैसा था यानी जो कार्यक्रम कराया गया इस कार्यक्रम के बारे में आपको 4 से 5 लाइन में ...

विद्यापति की जीवनी

ADVERTISEMENTS: हिन्दी साहित्य में विद्यापतिजी का स्थान और महत्त्व प्रथम गीतकार के रूप में है । उन्होंने राधा और कृष्ण के प्रेम भरे गीतों की रचना की । वे आसाम, बंगाल, उड़ीसा, पटना में भी प्रसिद्ध रहे हैं । उन्हें मैथिल कोकिल भी कहा जाता है । चौदहवीं, पन्द्रहवीं शताब्दी में राधा-कृष्ण के प्रेम की जैसी अवधारणा उन्होंने की है, जिसके कारण शैव होकर भी वे कृष्णभक्ति शाखा के कवि कहलाये । मैथिली भाषा के माधुर्य एवं कोमलकांत पदावली में भक्ति एवं शृंगार की ऐसी भावधारा उन्होंने बहायी कि सारा वैष्णव समाज उसमें आकण्ठ डूब गया । हालांकि इस विषय पर विवाद उठता है कि वह भक्त कवि हैं या घोर शृंगारिक कवि हैं ? 2. जीवन वृत एवं रचनाकर्म : विद्यापतिजी का जन्म जिला-दरभंगा के विसपी ग्राम के एक विद्यानुरागी ब्राह्मण परिवार में हुआ था । उनके पिता गणपति ठाकुर संस्कृत के उच्चकोटि के विद्वान् और राजाश्रित कवि रहे हैं । विद्याध्ययन एवं लेखन का संस्कार उन्हें अपने परिवार से मिला था । अपने पिता की भांति उन्होंने राजा शिवसिंह एवं रानी लखिमा देवी का आश्रय प्राप्त किया । विद्यापति मैथिली, संस्कृत, अपभ्रंश के भी सिद्धहस्त कवि रह चुके हैं । कीर्तिलता, कीर्तिपताका उनकी अपभ्रंश में लिखी रचनाएं हैं । कवि ने उनकी भाषा को अवहट्ट का नाम दिया है । कीर्तिलता में उन्होंने आश्रयदाता कीर्तिसिंह की प्रशस्ति में अनुपम व प्रौढ़ रचना की है । ADVERTISEMENTS: विद्यापति की रचनाओं में राजस्तुति परक पद भी मिलते हैं । इसमें मुख्य रूप से भक्ति एवं शृंगार का भाव भी मिलता है । यद्यापि शिव दुर्गा व गंगा के प्रति अनन्य भक्ति-भाव से भी उन्होंने रचनाएं की है, तथापि जिन पदों में राधा-कृष्ण को नायक-नायिका के रूप में ग्रहण कर घोर श्रुंगारिक ...

जीवनी लेखन। जीवनी लेखन विकास।हिन्दी की प्रमुख जीवनी और उनके लेखक । Jeevni Lekhan ka Vikas

जीवनी क्या होती हैं • भारतीय साहित्य में पाश्चात्य साहित्य जैसी जीवनी लिखने की परंपरा नहीं रही है। जीवनी के विषय में विचार विश्लेषण करते हुए अमत राय ने लिखा कि यह अकाट्य सत्य है कि हमारे यहाँ जीवनियों का एक सिरे से अकाल है , जबकि यूरोप की जबानों में यह चीज़ आसमान पर पहुँची हुई है , कोई बड़ा साहित्यकार नहीं है , कलाकार नहीं है , वैज्ञानिक नहीं है , जननायक नहीं हैं , जिसकी कई-कई जीवनियां , एक से एक अच्छी न हों। भारतीय आत्म प्रकाशन के स्थान पर आत्म गोपन को महत्व देता है जबकि जीवनी साहित्य गोपन के स्थान पर प्रकाशन में विश्वास करता है।कृष्णानंद गुप्त ने इस विषय में लिखा है- • " हमारे देश के प्राचीन साहित्यकारों ने अपने विषय में कभी कुछ कहने की आवश्यकता नहीं समझी। यहाँ तक कि दूसरों के संबंध में भी वे सदा चुप रहे हैं। इसी से हमारे यहां आधुनिक युग में जिसे इतिहास कहते हैं वह नहीं है , जीवन चरित भी नहीं है और आत्म कथा नाम की चीज तो बिलकुल नहीं नहीं है।" • भारतीय जीवन दष्टि व्यष्टिमूलक न होकर समष्टिमूलक है। व्यक्तिवादी अपने को अन्यों के समक्ष रखने तथा अन्य के व्यक्तित्व का उद्घाटन करने में विश्वास रखता है। जीवन में व्यष्टिवादी महत्व को प्रतिपादित करते हुए विश्वनाथ सिंह ने लिखा है "जीवनी और आत्म कथा के लिए लौकिक दष्टिकोण के अतिरिक्त व्यष्टिमूलकता भी होनी चाहिए , जिसका अभाव लौकिक संस्कृत में भी रहा है। भारतीय मनीषियों की चेतना इस काल में भी समष्टिमूलक रही है। वे समष्टि में ही अपना व्यष्टि विलीन कर देने के पक्षपाती थे।" • जिसके परिणामस्वरूप संस्कृत , पाली , प्राकृत तथा अपभ्रंश में जीवनी साहित्य का अभाव रहा है। • हिंदी साहित्य के आरंभिक काल में जीवनी का प्रारंभिकरूप चरित काव्यों तक सीमि...

Jivani in Hindi

• जीवनी क्या होती हैं? जीवनी एक व्यक्ति के जीवन का विस्तृत विवरण है। इसमें शिक्षा, काम, रिश्ते और मृत्यु जैसे बुनियादी तथ्यों से अधिक जानकारी शामिल है। यह इन जीवन की घटनाओं के एक व्यक्ति के अनुभव को चित्रित करता है। जीवनी संबंधी कार्य आमतौर पर गैर-कल्पना हैं, लेकिन किसी व्यक्ति के जीवन को चित्रित करने के लिए भी कल्पना का उपयोग किया जा सकता है। एक जीवनी जिसमें व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है, एक प्रोफ़ाइल या पाठ्यक्रम vitae (résumé) के विपरीत, एक अधिकृत जीवनी अनुमति, सहयोग और कई बार किसी विषय के उत्तराधिकारियों की भागीदारी के साथ लिखी जाती है। एक आत्मकथा व्यक्ति द्वारा स्वयं कभी-कभी एक सहयोगी या भूत लेखक की सहायता से लिखी जाती है। जैसा कि आप जान चुके हैं कि जीवनी किसी के जीनव के बारे में विस्तार से जानकारी होती है। इसलिए हिंदी स्वराज (hindiswaraj) आपको Jivani की एक अलग कैटेगरी प्रदान करता है जिसके माध्यम से आप सभी महान व्यक्तियों की बायोग्राफी के बारे में जानकारी ले सकते हैं। भारत के महान व्यक्तियों की जीवनी हिंदी में | Jivani in Hindi Jivani meaning in Hindi | जीवनी मीनिंग इन हिंदी किसी की जीवनी( jivani), एक गहन रूप विरासत लेखन कहलाता है, जिसमें अनुभव के अंतरंग विवरण शामिल हैं, और इसमें विषय के व्यक्तित्व का विश्लेषण शामिल हो सकता है। एक विषय की जीवन कहानी प्रस्तुत करती है,जिसमे साहित्य से लेकर फिल्म तक विविध मीडिया में काम करती है, जीवनी के रूप में जानी जाने वाली शैली का निर्माण करती है। किसी भी महान व्यक्ति के Jivani के बारे में पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट www.hindiswaraj.com पर जाएं फिर स्टोरी (story) नाम की कैटेगरी (category) में जाकर बायोग्रा...