जिन

  1. Jina, Jīna: 22 definitions
  2. Pad Parichay In Hindi
  3. Swar And Vyanjan In Hindi / स्वर और व्यंजन
  4. CBSE Class 8 Hindi Grammar संज्ञा
  5. CBSE Class 7 Hindi Grammar वर्ण विचार
  6. अनुनासिक शब्द उदाहरण सहित Anunasik in Hindi Examples, Use
  7. Class 7 Hindi Vyakaran Chapter 2 Varn Vichaar (CBSE 2023
  8. Class 6 Hindi Grammar Chapter 2 Varn Vichar for Session 2023


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Jina, Jīna: 22 definitions

[ Ganitashastra glossary archive.org: Hindu Mathematics Jina (जिन) represents the number 24 (twenty-four) in the “word-numeral system” ( bhūtasaṃkhyā), which was used in Sanskrit texts dealing with astronomy, mathematics, metrics, as well as in the dates of inscriptions and manuscripts in ancient Indian literature.—A system of expressing numbers by means of words arranged as in the place-value notation was developed and perfected in India in the early centuries of the Christian era. In this system the numerals [e.g., 24— jina] are expressed by names of things, beings or concepts, which, naturally or in accordance with the teaching of the Śāstras, connote numbers. context information Ganitashastra (शिल्पशास्त्र, gaṇitaśāstra) refers to the ancient Indian science of mathematics, algebra, number theory, arithmetic, etc. Closely allied with astronomy, both were commonly taught and studied in universities, even since the 1st millennium BCE. Ganita-shastra also includes ritualistic math-books such as the Shulba-sutras. [ Mahayana glossary academia.edu: A Study and Translation of the Gaganagañjaparipṛcchā Jīna (जीन) refers to the “victorious one”, according to the Gaganagañjaparipṛcchā: the eighth chapter of the Mahāsaṃnipāta (a collection of Mahāyāna Buddhist Sūtras).—Accordingly, “[...] The Bodhisattva Gaganagañja then sustained the jewel-canopy of ten thousand yojanas high over the Lord’s lion throne in the sky, joined the palms of his hands, saluted, and praised the Lord with...

Pad Parichay In Hindi

Contents • 1 पद परिचय की परिभाषा भेद और उदाहरण | Pad Parichay In Hindi Examples • 1.1 पद परिचय की परिभाषा • 1.2 पद परिचय की उदाहरण • 1.3 पद परिचय की भेद • 1.4 संज्ञा • 1.5 लिंग • 1.6 वचन • 1.7 कारक • 1.8 सर्वनाम • 1.9 विशेषण • 1.10 क्रिया • 1.11 क्रिया के भेद • 1.12 क्रियाविशेषण • 1.13 संबंधबोधक • 1.14 समुच्चयबोधक (योजक) • 1.15 समुच्चयबोधक के भेद • 1.16 पद परिचय हिंदी व्याकरण Examples with Questions and Answers • 1.17 पद परिचय अन्य उदाहरण हमें एक ऐसी व्यावहारिक व्याकरण की पुस्तक की आवश्यकता महसूस हुई जो विद्यार्थियों को हिंदी भाषा का शुद्ध लिखना, पढ़ना, बोलना एवं व्यवहार करना सिखा सके। ‘ पद परिचय की परिभाषा भेद और उदाहरण | Pad Parichay In Hindi Examples वाक्य में आए शब्दों को पद कहते हैं। ये पद पद परिचय की परिभाषा व्याकरण की दृष्टि से वाक्य में आए पदों का परिचय देना पद-परिचय कहलाता है। पद-परिचय देते समय शब्द के भेद, उपभेद, लिंग, वचन और कारक आदि का परिचय भी दिया जाता है। संज्ञा का पद-परिचय- उदाहरण- खुशी ने गृह-कार्य कर लिया। खुशी- 1. संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा 2. स्त्रीलिंग 3. एकवचन 4. कर्ता कारक ‘कर लिया’ क्रिया की कर्ता। पद परिचय की उदाहरण विजय यहाँ दसवीं कक्षा में पढ़ता था। विजय – संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, कर्ता कारक, ‘पढ़ता था’ क्रिया का कर्ता। यहाँ – स्थानवाचक क्रियाविशेषण, ‘पढ़ता था’ क्रिया का स्थान निर्देश। दसवीं – विशेषण, क्रमसूचक, संख्यावाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, ‘कक्षा’ विशेष्य का विशेषण। कक्षा में- संज्ञा, जातिवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, अधिकरण कारक। पढ़ता था – अकर्मक क्रिया, पढ़ धातु, अन्य पुरुष, पुल्लिग, एकवचन, भूतकाल, कर्तृवाच्य, इसका कर्ता विजय। ...

Swar And Vyanjan In Hindi / स्वर और व्यंजन

Swar And Vyanjan In Hindi वर्ण क्या होता है ? मनुष्य किसी वर्ण का उच्चारण करते समय जब हवा उसके फेफड़े से निकलती है। फिर यह हवा glottis, larynx जैसे अंगो से होकर गुजरती है और अंत में यह हवा मुँह में प्रवेश करती है। तब नाक, तालू, तालु, वायुकोशीय रिज, दांत, होंठ, जीभ जैसे विभिन्न अंगों की हलचल होती है तब जाकर उच्चारण होता है। फिर इस उच्चारण ध्वनि को लिखकर किसी चिन्ह के रूप में बताए जाता है फिर यह चिन्ह का जब ध्वनियों को व्यक्त करने के लिए उपयोग होता है उसे ‘ जब जीभ और उसका पिछला भाग एक साथ आता है तब एक अलग वर्ण का उच्चारण होता है और जब जीभ और दांत एक दूसरे को छूते है तब अलग वर्ण का उच्चारण होता है। वर्ण का कभी खंड और टुकड़े नहीं होते है। यह एक अखंड स्वरुप में रहते है। उदाहरण: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, क, ख, आदि। यह समस्त वर्णो की माला को ‘वर्णमाला’ कहा जाता है। हिंदी वर्णमाला में 45 वर्ण होते है। जिसमे 10 स्वर 35 व्यंजन होते है। लेखन के आधार पर 52 वर्ण होते हैं इसमें 13 स्वर , 35 व्यंजन तथा 4 संयुक्त व्यंजन होते है। यह हिंदी वर्णमाला को दो भागों में विभक्त किए गए है। • स्वर • व्यंजन हिंदी वर्णमाला में स्वर कितने होते है / Swar Kitne Hote Hain हिंदी वर्णमाला में swar kitne hote hain इस प्रश्न का उत्तर कुछ इस तरह है। हिंदी वर्णमाला में कुल 13 स्वर होते है। हिंदी वर्णमाला में व्यंजन कितने होते है / Vyanjan Kitne Hote Hain हिंदी वर्णमाला में Vyanjan kitne hote hain इस प्रश्न का उत्तर कुछ इस तरह है। हिंदी वर्णमाला में कुल 35 व्यंजन होते है। हिंदी वर्णमाला के अनुसार Swar And Vyanjan In Hindi को आसानी से और विस्तार से समझने के लिए इस लेख को आखिर तक पढ़े। आपके Swar And Vyanjan In Hindi के बारेम...

CBSE Class 8 Hindi Grammar संज्ञा

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CBSE Class 7 Hindi Grammar वर्ण विचार

CBSE Class 7 Hindi Grammar वर्ण विचार Pdf free download is part of CBSE Class 7 Hindi Grammar वर्ण विचार वर्ण – वर्ण वह ध्वनि है जिसके और खंड (टुकड़े) नहीं किए जा सकते; जैसे- अ, इ – क, चु, ख, र इत्यादि। वर्ण के भेद – वर्ण के दो भेद होते हैं- • स्वर • व्यंजन वर्णमाला – वर्गों के व्यवस्थित रूप को वर्णमाला कहते हैं। प्रत्येक भाषा की अपनी वर्णमाला होती है। हिंदी वर्णमाला में ग्यारह स्वर और 33 व्यंजन हैं। 1. स्वर – जिन वर्णो को बोलने के लिए अन्य ध्वनियों का सहारा नहीं लेना पड़ता, उन्हें स्वर कहते हैं। स्वरों के उच्चारण में हवा हमारे मुख से बिना किसी रुकावट के निकलती हैं। हिंदी में ग्यारह स्वर हैं, अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ। 2. व्यंजन – जिन वर्गों का उच्चारण स्वरों की सहायता से होता है, उन्हें व्यंजन कहते हैं। व्यंजन के उच्चारण में ‘अ’ स्वर की सहायता लेनी पड़ती है। जैसे- स्वर के भेद उच्चारण में लगने वाले समय के आधार पर स्वरों के तीन भेद होते हैं। • ह्रस्व स्वर • दीर्घ स्वर • प्लुत स्वर 1. ह्रस्व स्वर – ‘ह्रस्व’ का अर्थ है-लघु अथवा छोटा। जिन स्वरों के उच्चारण में कम समय लगता है, उन्हें हम ह्रस्व स्वर कहते हैं। ये कुल चार हैं-अ, इ, उ, ऋ।। 2. दीर्घ स्वर – दीर्घ का अर्थ है-बड़ा। जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वरों की अपेक्षा अधिक समय लगता है, उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। ये कुल सात हैं-आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।। 3. प्लुत स्वर – इसके उच्चारण में सबसे अधिक समय लगता है। इसका प्रयोग केवल संस्कृत में किया जाता है; जैसे ओम–यहाँ ‘इ’ प्लुत का चिह्न है। व्यंजन के भेद व्यंजन के तीन भेद हैं- • स्पर्श व्यंजन • अंतस्थ व्यंजन • ऊष्म व्यंजन। 1. स्पर्श व्यंजन – स्पर्श यानी छूना। जिन व्यंजनों के...

अनुनासिक शब्द उदाहरण सहित Anunasik in Hindi Examples, Use

बोर्ड परीक्षा में हाई स्कोर करें: हमारे SuccessCDs कक्षा 10 हिंदी कोर्स के साथ! Click here • • • • • अनुनासिक की परिभाषा, अनुनासिक के प्रयोग Anunasik Shabd in Hindi (अनुनासिक शब्द): इससे पहले लेख में हमने अनुस्वार के बारे में जाना था। इस लेख में हम अनुनासिक के बारे में जानेंगे कि अनुनासिक किसे कहते हैं? अनुनासिक का प्रयोग कहाँ होता है? अनुनासिक की जगह कब अनुस्वार का प्रयोग किया जाता है? अनुनासिक और अनुस्वार में क्या अंतर है? Anunasik Meaning, Definition, Use, Rules, Examples for Class 9 & 10 Hindi Grammar See Video Top इनका चिह्न चन्द्रबिन्दु (ँ) है। Top Class 10 Hindi Grammar Lessons अनुनासिक का प्रयोग जिस प्रकार अनुनासिक की परिभाषा में बताया गया है कि जिन स्वरों का उच्चारण मुख और नासिका दोनों से किया जाता है, वे अनुनासिक कहलाते हैं और इन्हीं स्वरों को लिखते समय इनके ऊपर अनुनासिक के चिह्न चन्द्रबिन्दु (ँ) का प्रयोग किया जाता है। यह ध्वनि (अनुनासिक) वास्तव में स्वरों का गुण होती है। अ, आ, उ, ऊ, तथा ऋ स्वर वाले शब्दों में अनुनासिक लगता है। जैसे - कुआँ, चाँद, अँधेरा आदि। Top अनुनासिक के स्थान पर अनुस्वार (बिंदु) का प्रयोग अनुनासिक के प्रयोग में आपने देखा कि हमने बताया अनुनासिक स्वरों का गुण होता है और अ, आ, उ, ऊ, तथा ऋ स्वर वाले शब्दों में अनुनासिक लगता है। यहाँ आपके मन में संदेह उत्पन्न हो सकता है कि स्वरों में तो इ, ई, ए, ऐ, ओ और औ भी आते हैं तो अनुनासिक इन स्वरों वाले शब्दों में क्यों प्रयुक्त नहीं होता। इसका एक कारण है और वह यह है कि जिन स्वरों में शिरोरेखा (शब्द के ऊपर खींची जाने वाली लाइन) के ऊपर मात्रा-चिह्न आते हैं, वहाँ अनुनासिक के लिए जगह की कमी के कारण अनुस्वार (ब...

Class 7 Hindi Vyakaran Chapter 2 Varn Vichaar (CBSE 2023

अपनी बात कहने के लिए हम शब्दों का सहारा लेते हैं। शब्दों का निर्माण कई ध्वनियों से मिलकर होता है। हम मुख से तरह-तरह की ध्वनियाँ निकालते हैं। भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि है। व्याकरण की भाषा में यह ध्वनि वर्ण कहलाती है। वर्णों का मेल ही भाषा के मौखिक तथा लिखित रूप का आधार है। भाषा को लिखने के लिए हर ध्वनि एक चिह्न होता है। वर्ण वह ध्वनि है जिसके और खंड (टुकड़े) नहीं किए जा सकते। वर्ण से संबंधित इन तथ्यों को समझें: • 1. वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है। • 2. इसके टुकड़े नहीं किए जा सकते। • 3. यह भाषा की ध्वनि का एक चिह्न है। • 4. यह ध्वनि का लिखित रूप है। • 5. वर्गों के व्यवस्थित मेल से ही शब्द ब...

Class 6 Hindi Grammar Chapter 2 Varn Vichar for Session 2023

Class 6 Hindi Grammar Chapter 2 वर्ण-विचार. Practice with all types of वर्ण-विचार and its examples. All the contents related to this chapter वर्ण-विचार are given below in text format as well as in PDF file format. We have updated all the Hindi Grammar contents for current Academic Session 2023-2024 based on latest CBSE Curriculum. आपने पिछले पाठमें भाषा के बारे मे जाना। भाषा वाक्यों के मेल से और वाक्य शब्दों के मेल से और शब्द वर्णो के मेल से बनते हैं। वर्ण क्या है? नीचे दिए गए वाक्यों को ध्यान से पढ़िए। काया पुस्तक पढ़ती है- इस वाक्य को बोलकर पढ़िए। इसे बोलने के लिए कुछ ध्वनियों तथा लिखने के लिए लिपि का सहारा लेना पड़ता है। इस वाक्य के खंड किए जा सकते हैं। इसमें चार शब्द प्रयुक्त हैं- “काया” “पुस्तक” “पढ़ती” तथा “है”। यहाँ इन ध्वनियों को अलग-अलग करके दिà¤...