जल संरक्षण की चार विधियों के नाम बताएं

  1. पानी की बचत और संरक्षण की दिशा में चार अहम कदम
  2. जल संरक्षण की किन्हीं तीन पारंपरिक विधियों का नाम लिखिए।
  3. सिंचाई की प्रमुख विधियां कौन सी है वर्णन कीजिए?
  4. जल संरक्षण


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पानी की बचत और संरक्षण की दिशा में चार अहम कदम

• जल संरक्षण के प्रयास या वर्षा जल संचयन के प्रयास स्थानीय स्तर पर होने चाहिए और स्थानीय प्रयासों के बिना जल संरक्षण के प्रयास व्यापक अभियान का रूप नहीं ले सकेंगें • पानी के पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग को अपनाया जाना चाहिए। ट्रीटमेंट के तरीकों में प्राकृतिक उपचार प्रणाली को शामिल किया जाना चाहिए • गैर सरकारी संगठनों, स्थानीय निकायों और व्यक्तियों को स्थानीय पंचायतों के साथ गहनता से जल संरक्षण के काम में शामिल किया जाना चाहिए • जल प्रबंधकों और नीति निर्माताओं को जल प्रबंधन प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए इस साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस पर भारत के प्रधानमंत्री ने एक अभियान शुरू किया- 'कैच द रेन: वेयर इट इज़, व्हेन इट इज़, फॉर सेविंग वॉटर। अभियान के तहत मानसून की शुरुआत से पहले और मानसून के दौरान मार्च से नवंबर के बीच जल संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस तरह का कदम उच्चतम राजनीतिक प्रतिबद्धता को दिखाता है और संभावना है कि इस तरह के प्रयास देश भर में राज्य और स्थानीय स्तर पर भी किए जाएं । पानी पर हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी और आर्थिक विकास निर्भर है। इस समय देश में कुल 1123 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) जल उपलब्ध है जिसमें 690 बीसीएम सतही जल और शेष भू-जल है। जलाशयों की भंडारण क्षमता सीमित है। इसके साथ-साथ हमारे देश में पानी की एक स्थानिक भिन्नता है यानी अर्ध-शुष्क क्षेत्र को मानसून में कम पानी मिलता है तो पूर्वी और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों को अधिक। साल के लगभग 4 महीनों में मानसून का पानी मिल पाता है। आने वाली पीढ़ी के लिए करनी होगी आज बचत एक अनुमान से पता चलता है कि 2050 तक पानी की मांग इसकी आपूर्ति से अधिक हो जाएगी। इस अतिरिक्त आपूर्ति के लिए पानी का कहां से आएगा? पानी का उपयोग विभिन्न...

जल संरक्षण की किन्हीं तीन पारंपरिक विधियों का नाम लिखिए।

हेलो फ्रेंड संवारा प्रश्न दे रखा है कि जल संरक्षण की किन्ही तीन पारंपरिक विधियों के नाम लिखिए तो आइए इस प्रश्न का उत्तर देख लेते हैं तो सबसे पहले हम देख लेते हैं कि जो जल का जो संरक्षण होता है उस जल संरक्षण के बारे में तो जल संरक्षण का अर्थ क्या है कि जो जल का जो प्रयोग है उसे जल के प्रयोग को क्या करना कम करना या फिर उसको क्या करना है जो जल है उस जल का पुनर्चक्रण करना या फिर जो जल है उसको क्या करना उसको संग्रह करना ठीक है उसको क्या करना उसका जो उपयोग है जैसे कि उसके उपयोग को कम करना और ज्यादा से ज्यादा मात्रा में उसको क्या करना संरक्षण करना ताकि क्या हो सके कि जो भूमिगत जल है उसे भूमिगत जल में वृद्धि हो सके जिससे कृषि में योगदान मिले थे कि सिंचाई में योगदान मिले ठीक है और हमें पीने के लिए भी शुद्ध जल प्राप्त हो ठीक है जिसे ज्यादा से ज्यादा मात्रा में क्या हो ज्यादा से ज्यादा मात्रा में कृषि हो रुक जाओ शक्ति बनी रहे मृदा की ठीक है तो जो जल संरक्षण है उस की कौन-कौन सी विधियां होती है तो जो पहली भी दी है वह कौन सी है कि इस चेक डैम बनाना आज के कारण क्या होता है कि जो जल है उसे जल का संरक्षण किया जाता है ठीक है दूसरी भी दी है कि जो वर्षा जल है उस वर्षा जल को एकत्रित करना ठीक है वर्षा जल को एकत्रित जैसे कि कुएं में तालाब में या फिर जो जल है उसे जल छाजन करना ठीक है और अंतिम तिथि है वह क्या है वह है खाद्य खाद्य राजस्थान है उधर प्रयोग की जाने वाली जल संरक्षण की विधि होती है ठीक है जिसमें क्या किया जाता है कि जो जल है उसका संरक्षण किया जाता है ठीक है तो हमारा जो तेरे यहीं समाप्त होता है आशा है कि आप इस प्रश्न का उत्तर समझ आया हो वीडियो को देखने के लिए धन्यवाद

सिंचाई की प्रमुख विधियां कौन सी है वर्णन कीजिए?

पेड़ पौधों एवं फसलों में प्राकृतिक रूप से जल की आवश्यक पूर्ति नहीं हो पाती है जिससे उनमें कृत्रिम रुप से सिंचाई‌ करनी होती है। कृत्रिम रूप से पेड़ पौधों एवं फसलों पानी देने के तरीकों या प्रणालियों को ही सिंचाई की विधियां (methods of irrigation in hindi) कहां जाता है। सिंचाई की प्रमुख विधियां कौन - कौन सी है? | methods of irrigation in hindi पौधों की उचित वृद्धि एवं विकास के लिए सिंचाई करना अत्यन्त आवश्यक है। पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक नमी, सूखा सहन करने, भू - परिष्करण क्रियाओं, पौधों के लिए स्वस्थ एवं ठण्डा वातावरण तैयार करना, भूमि में उपस्थित लवणों को घोलना व भूमि की दृढ़ता आदि उद्देश्यों को ध्यान में रखकर मौसम तथा फसल सम्बन्धी विभिन्न कारकों के कारण वर्षा जल पर सिंचाई की निर्भरता से फसल उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अतः कृत्रिम स्रोतों से सिंचाई जल की आपूर्ति की जाती है। सिंचाई के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सतही सिंचाई में नदियों, नहरों व झीलों का जल प्रयोग किया जाता है। सिंचाई की विधियों का विस्तृत वर्गीकरण निम्न चार्ट द्वारा दर्शाया गया है - सिंचाई की प्रमुख विधियां कौन सी है वर्णन कीजिए? | Agriculture Studyy भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 328 मिलियन हेक्टेयर है जिसमें 142 मिलीयन हेक्टेयर पर खेती (kheti) की जाती है जो कुल का लगभग 43% है। भारत का कुल संचित क्षेत्रफल 113 मिलियन हेक्टेयर है। भारत में प्रथम सिंचाई आयोग की स्थापना सन् 1901 में की गई थी। भारत की विशाल जनसंख्या को अतः यहाँ की अर्थव्यवस्था के कुशल संचालन में कृषि उत्पादन की एक महती भूमिका है। कृषि उत्पादन जल, वायु, तापमान व भूमि सम्बन्धी आवश्यकताओं पर निर्भर करता है। इन आवश्यकताओं में वर्षा एक ...

जल संरक्षण

जल संरक्षण का अर्थ है जल के प्रयोग को घटाना एवं सफाई, निर्माण एवं कृषि आदि के लिए अवशिष्ट जल का पुनःचक्रण (रिसाइक्लिंग) करना। • धीमी गति के शावर हेड्स (कम पानी गरम होने के कारण कम ऊर्जा का प्रयोग होता है और इसीलिए इसे कभी-कभी ऊर्जा-कुशल शावर भी कहा जाता है)! [ • • शौचालय में पानी डालने के लिए खारे पानी (समुद्री पानी) या बरसाती पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है। • फॉसेट एरेटर्स, जो कम पानी इस्तेमाल करते वक़्त 'गीलेपन का प्रभाव' बनाये रखने के लिए जल के प्रवाह को छोटे-छोटे कणों में तोड़ देता है। इसका एक अतिरिक्त फायदा यह है कि इसमें हाथ या बर्तन धोते वक़्त पड़ने वाले छींटे कम हो जाते हैं। • इस्तेमाल किये हुए • शौचालय में पानी देने या बगीच • नली बंद नलिका, जो इस्तेमाल हो जाने के बाद जल प्रवाह को होते रहने देने के बजाय बंद कर देता है। जल को देशीय वृक्ष-रोपण कर तथा आदतों में बदलाव लाकर भी संचित किया जा सकता है, मसलन- झरनों को छोटा करना तथा ब्रश करते वक़्त पानी का नल खुला न छोड़ना आदि। जल संरक्षण धीमी गति के शावर हेड्स (कम पानी गरम होने के कारण कम ऊर्जा का प्रयोग होता है और इसीलिए इसे कभी-कभी ऊर्जा-कुशल शावर भी कहा जाता है) धीमा फ्लश शौचालय एवं खाद शौचालय. चूंकि पारंपरिक पश्चिमी शौचालयों में जल की बड़ी मात्रा खर्च होती है, इसलिए इनका विकसित दुनिया में नाटकीय असर पड़ता है। शौचालय में पानी डालने के लिए खारे पानी (समुद्र पानी) या बरसाती पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है। फॉसेट एरेटर्स, जो कम पानी इस्तेमाल करते वक़्त 'गीलेपन का प्रभाव' बनाये रखने के लिए जल के प्रवाह को छोटे-छोटे कणों में तोड़ देता है। इसका एक अतिरिक्त फायदा यह है कि इसमें हाथ या बर्तन धोते वक़्त पड़ने वाले छींटे कम हो ...