जलियांवाला बाग हत्याकांड

  1. Jallianwala Bagh Massacre 13 April Causes History Significance Quotes Messages In Hindi
  2. जलियांवाला बाग हत्याकांड कब हुआ
  3. Jallianwala Bagh History:जलियांवाला बाग नरसंहार का इतिहास, जानें जनरल डायर ने क्यों चलाई थी गोली
  4. जालियनवाला बाग हत्याकांड
  5. जलियाँवाला बाग हत्याकांड
  6. Jallianwala Bagh Massacre 13 April Causes History Significance Quotes Messages In Hindi
  7. जालियनवाला बाग हत्याकांड
  8. जलियाँवाला बाग हत्याकांड
  9. जलियांवाला बाग हत्याकांड कब हुआ
  10. Jallianwala Bagh History:जलियांवाला बाग नरसंहार का इतिहास, जानें जनरल डायर ने क्यों चलाई थी गोली


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Jallianwala Bagh Massacre 13 April Causes History Significance Quotes Messages In Hindi

Jallianwala Bagh Massacre: हर दिन किसी न किसी इतिहास से जुड़ा होता और कुछ न कुछ सिखा कर जाता है. ऐसे ही भारत के इतिहास में आज का दिन यानी 13 अप्रैल गुस्से की भावना मन में जगा देता है. आज भी जलियांवाला कांड को याद कर लोगों की रूह कांप जाती है. भारत के अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था. इस दिन अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के पास जलियांवाला बाग में खून की होली खेली गई थी. जलियांवाला हत्याकांड के 104 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन फिर भी इसके जख्म लोगों के दिलों में ताजा हैं. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इस हत्याकांड के खिलाफ हड़ताल की घोषणा कर दी थी. इसके अलावा महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपना असहयोग आंदोलन शुरू कर दिया था. इस घटना की वजह से साइमन कमीशन का भी गठन हुआ था. क्या हुआ था आज से 104 साल पहले? 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में दो राष्ट्रवादी नेताओं सत्य पाल और डॉ. सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी के विरोध में बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे. जहां अचानक ब्रिटिश सैन्य अधिकारी जनरल डायर अपने सैनिकों के साथ पार्क के अंदर आ गया था और लोगों को चेतावनी दिए बिना उसने अपने सैनिकों को दस मिनट के लिए ताबड़तोड़ गोली चलाने का आदेश दे दिया. कहा जाता है कि दस मिनटों में हजारों लोग मारे गए थे और कई लोग घायल हुए थे. आज भी इस हत्याकांड के निशान जलियांवाला बाग की दीवारों पर देखे जा सकते हैं. ब्रिटिश सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार, कर्नल रेजिनाल्ड डायर की ओर से चलवाई गईं अंधाधुंध गोलियों में पुरुषों, महिलाओं और बच्चों सहित 388 लोग मारे गए थे, जबकि 1,200 लोग घायल हुए थे. उधम सिंह ने लिया था बदला इस घटना के 21 साल बाद 13 मार्च को उधम सिंह ने बदला ले लिया था. उधम...

जलियांवाला बाग हत्याकांड कब हुआ

Jallianwala Bagh Massacre in Hindi: स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में जलियांवाला बाग हत्याकांड, एक महत्वपूर्ण मोड़ था| आइये जानते हैंजलियांवाला बाग हत्याकांडकब हुआ (Jallianwala Bagh massacretook place on), इसके पहले कीराजनीतिक पृष्ठभूमिऔर जलियांवाला बाग हत्याकांडके बाद का इतिहास (Jallianwala Bagh massacre Short Note): क्या था जलियांवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre in Hindi) अमृतसर का नरसंहार, जिसेजलियांवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre) के नाम से जानाजाता है, 13 अप्रैल, 1919 की घटना है, जिसमें ब्रिटिश सैनिकों ने भारत के पंजाब क्षेत्र (अब पंजाब राज्य में) केअमृतसर में जलियांवाला बाग के रूप में जाना जाने वाले एक खुले स्थान पर निहत्थे भारतीयों की एक बड़ी भीड़ पर गोलीबारी की, जिसमें कई सौ लोग मारे गए और सैकड़ों और घायल हुए थे| जलियांवाला बाग नरसंहार की राजनीतिक पृष्ठभूमि (Jallianwala Bagh massacre History) प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) के अंत तक, भारतीय आबादी के बीच उम्मीदें थीं कि ब्रिटिश दमन कम होगा औरभारत को अधिक राजनीतिक स्वायत्तता दी जाएगी| भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को भी यहीलगता था किप्रथम विश्व युद्धसमाप्त होने के बाद भारत कोस्व-शासन प्रदान कर दियाजाएगा|1918 में ब्रिटिश संसद में प्रस्तुत मोंटेगु-चेम्सफोर्ड रिपोर्ट में सीमित स्थानीय स्व-शासन की सिफारिश की गई| लेकिन अंग्रेजों की इससे अलगयोजनाएं थी| 10 मार्च, 1919 को रॉलेट एक्ट (ब्लैक एक्ट)पारित किया गया, जिसमें सरकार को राजद्रोही गतिविधियों से जुड़े किसी भी व्यक्ति को बिना किसी मुकदमे के कैद करने के लिए अधिकार मिल गयाथा|इससे राष्ट्रव्यापी अशांति पैदा हो गई| यहाँ तक किमहात्मा गांधी ने रौलेट एक्ट क...

Jallianwala Bagh History:जलियांवाला बाग नरसंहार का इतिहास, जानें जनरल डायर ने क्यों चलाई थी गोली

Jalian Wala Bagh History: गुलाम भारत की कई दास्तां हैं, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं। आज की पीढ़ी जब उन कहानियों को सुनती है तो कभी रगो में खून दौड़ जाता है तो कभी गर्व से सीना चौड़ा हो जाता है। कभी आंखों में आंसू आ जाते हैं, तो कभी क्रोध से भर जाते हैं। गुलाम भारत के इतिहास में एक ऐसी खूनी दास्तां भी है, जिसमें अंग्रेजो के अत्याचार और भारतीयों के नरसंहार की दर्दनाक घटना है। हर साल वह दिन जब भी आता है, उस नरसंहार की यादें ताजा हो जाती हैं। शहादत का यह दिन 13 अप्रैल को होता है। इस दिन जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था। हर भारतीय के लिए जलियांवाला बाग हत्याकांड बेहद दर्दनाक घटना है, जिसमें खून की नदियां बह गईं। कुआं भारतीयों की लाशों से पट गए और मौत का वह मंजर हर किसी की रूह को चोटिल कर गया। जलियांवाला बाग हत्याकांड की 103वीं बरसी पर जानें उस दिन के नरसंहार का इतिहास। क्यों हुआ था जलियांवाला बाग नरसंहार? दरअसल, उस दिन जलियांवाला बाग में अंग्रेजों की दमनकारी नीति, रोलेट एक्ट और सत्यपाल व सैफुद्दीन की गिरफ्तारी के खिलाफ एक सभा का आयोजन किया गया था। हालांकि इस दौरान शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था। लेकिन कर्फ्यू के बीच हजारों लोग सभा में शामिल होने पहुंचे थे। कुछ लोग ऐसे भी थे जो बैसाखी के मौके पर अपने परिवार के साथ वहीं लगे मेले को देखने गए थे। जलियांवाला बाग का दोषी कौन? जब ब्रिटिश हुकूमत ने जलियांवाला बाग पर इतने लोगों की भीड़ देखी, तो वह बौखला गए। उनको लगा कि कहीं भारतीय 1857 की क्रांति को दोबारा दोहराने की ताक में तो नहीं। ऐसी नौबत आने से पहले ही वह भारतीयों की आवाज कुचलना चाहते थे और उस दिन अंग्रेजों ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दी। सभा में शामिल नेता जब भाषण दे रहे थे, तब...

जालियनवाला बाग हत्याकांड

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जलियाँवाला बाग हत्याकांड

टैग्स: • • • चर्चा में क्यों? हाल ही में प्रधानमंत्री ने जलियाँवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre) की 102वीं वर्षगांठ पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। • भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार (National Archives of India) के 130वें स्थापना दिवस के अवसर पर जलियाँवाला बाग हत्याकांड की शताब्दी को चिह्नित करने के लिये एक प्रदर्शनी “जलियाँवाला बाग” का उद्घाटन किया गया था। प्रमुख बिंदु जलियाँवाला बाग हत्याकांड के विषय में: • 13 अप्रैल, 1919 को जलियाँवाला बाग में आयोजित एक शांतिपूर्ण बैठक में शामिल लोगों पर ब्रिगेडियर जनरल रेगीनाल्ड डायर ने गोली चलाने का आदेश दिया था, जिसमें हज़ारों निहत्थे पुरुष, महिलाएँ और बच्चे मारे गए थे। जलियाँवाला बाग हत्याकांड के लिये उत्तरदायी कारक: • अप्रैल 1919 का नरसंहार एक ऐसी घटना थी जिसके पीछे कई कारक काम कर रहे थे। • भारत में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार प्रथम विश्व युद्ध (1914–18) के दौरान राष्ट्रीय गतिविधियों को रोकने लिये कई दमनकारी कानून लाई। • अराजक और क्रांतिकारी अपराध अधिनियम (Anarchical and Revolutionary Crimes Act), 1919 जिसे रॉलेट एक्ट या काला कानून (Rowlatt Act or Black Act) के नाम से भी जाना जाता है, को 10 मार्च 1919 को पारित किया गया। सरकार को अब किसी व्यक्ति को जो देशद्रोही गतिविधियों में लिप्त था और जिससे देशव्यापी अशांति फैलने का डर था, बिना मुकदमा चलाए कैद करने का अधिकार मिल गया। • 13 अप्रैल, 1919 को सैफुद्दीन किचलू और डॉ. सत्यपाल की रिहाई का अनुरोध करने के लिये जलियाँवाला बाग में लगभग 10,000 पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की भीड़ जमा हुई। • हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक दोनों प्रमुख नेताओं को रॉलेट एक्ट के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध करने पर गिर...

Jallianwala Bagh Massacre 13 April Causes History Significance Quotes Messages In Hindi

Jallianwala Bagh Massacre: हर दिन किसी न किसी इतिहास से जुड़ा होता और कुछ न कुछ सिखा कर जाता है. ऐसे ही भारत के इतिहास में आज का दिन यानी 13 अप्रैल गुस्से की भावना मन में जगा देता है. आज भी जलियांवाला कांड को याद कर लोगों की रूह कांप जाती है. भारत के अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था. इस दिन अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के पास जलियांवाला बाग में खून की होली खेली गई थी. जलियांवाला हत्याकांड के 104 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन फिर भी इसके जख्म लोगों के दिलों में ताजा हैं. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इस हत्याकांड के खिलाफ हड़ताल की घोषणा कर दी थी. इसके अलावा महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपना असहयोग आंदोलन शुरू कर दिया था. इस घटना की वजह से साइमन कमीशन का भी गठन हुआ था. क्या हुआ था आज से 104 साल पहले? 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में दो राष्ट्रवादी नेताओं सत्य पाल और डॉ. सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी के विरोध में बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे. जहां अचानक ब्रिटिश सैन्य अधिकारी जनरल डायर अपने सैनिकों के साथ पार्क के अंदर आ गया था और लोगों को चेतावनी दिए बिना उसने अपने सैनिकों को दस मिनट के लिए ताबड़तोड़ गोली चलाने का आदेश दे दिया. कहा जाता है कि दस मिनटों में हजारों लोग मारे गए थे और कई लोग घायल हुए थे. आज भी इस हत्याकांड के निशान जलियांवाला बाग की दीवारों पर देखे जा सकते हैं. ब्रिटिश सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार, कर्नल रेजिनाल्ड डायर की ओर से चलवाई गईं अंधाधुंध गोलियों में पुरुषों, महिलाओं और बच्चों सहित 388 लोग मारे गए थे, जबकि 1,200 लोग घायल हुए थे. उधम सिंह ने लिया था बदला इस घटना के 21 साल बाद 13 मार्च को उधम सिंह ने बदला ले लिया था. उधम...

जालियनवाला बाग हत्याकांड

• Afrikaans • العربية • অসমীয়া • Azərbaycanca • বাংলা • Brezhoneg • Català • Čeština • Cymraeg • Deutsch • English • Esperanto • Español • Euskara • فارسی • Suomi • Français • Gaeilge • ગુજરાતી • עברית • हिन्दी • Hrvatski • Magyar • Հայերեն • Bahasa Indonesia • Italiano • 日本語 • ಕನ್ನಡ • 한국어 • മലയാളം • Bahasa Melayu • Nederlands • Norsk nynorsk • Norsk bokmål • ଓଡ଼ିଆ • ਪੰਜਾਬੀ • پنجابی • Português • Română • Русский • संस्कृतम् • Simple English • Svenska • தமிழ் • తెలుగు • ไทย • Türkçe • Українська • اردو • Oʻzbekcha / ўзбекча • Tiếng Việt • 中文 जालियनवाला बाग सभा [ ] अमृतसर अखंड भारतातील पंजाब राज्यातील एक महत्त्वाचे शहर होते. योगायोग असा की १३ एप्रीला पंजाबी जनतेचा प्रिय सण ’बैसाखी’ पण होता. रिवाजानुसार हिंदू आणि शीख बान्धव सण साजरा करण्यास एकत्र जमले. प्रचंड जनसमुदाय जालीयानवाला बागेत जमला होता. पण मार्शल लॉ मुळे जमावबन्दी लागू होती. पाच किंवा जास्त जणांचा जमाव नियमबाह्य होता. जालियनवाला बाग हत्याकांड महत्त्वाचे मुद्धे [ ] • 20 जुलै 1905 रोजी सरकारने बंगालची फाळणी करण्याचा निर्णय जाहीर केला आणि ठिणगी पडली. • सरकारचा दावा असा होता की प्रशासकीय विचारांतून हा निर्णय घेण्यात आला आहे. पण त्यामागे राष्ट्रवादी विचारांच्या बंग जनतेची फाळणी करण्याचा हेतू आहे हे जनतेने ओळखले होते. • 16 ऑक्टोबर रोजी कलकत्यात सार्वत्रिक हरताळ पाळण्यात आला व लोकांनी एक दिवस उपोषण केले. • कलकत्यांच्या अनेक रस्त्यांवरून मिरवणुका निघाल्या व संध्याकाळी प्रचंड सभा झाली. तिला 50,000 लोक हजर होते. • बंगालच्या खेडयापाडयांतून न शहराशहरांतून सभा, मिरवणुका व निदर्शने यांचे पडसाद सतत उमटत होते. • परकीय बनावटीच्या ...

जलियाँवाला बाग हत्याकांड

टैग्स: • • • चर्चा में क्यों? हाल ही में प्रधानमंत्री ने जलियाँवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre) की 102वीं वर्षगांठ पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। • भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार (National Archives of India) के 130वें स्थापना दिवस के अवसर पर जलियाँवाला बाग हत्याकांड की शताब्दी को चिह्नित करने के लिये एक प्रदर्शनी “जलियाँवाला बाग” का उद्घाटन किया गया था। प्रमुख बिंदु जलियाँवाला बाग हत्याकांड के विषय में: • 13 अप्रैल, 1919 को जलियाँवाला बाग में आयोजित एक शांतिपूर्ण बैठक में शामिल लोगों पर ब्रिगेडियर जनरल रेगीनाल्ड डायर ने गोली चलाने का आदेश दिया था, जिसमें हज़ारों निहत्थे पुरुष, महिलाएँ और बच्चे मारे गए थे। जलियाँवाला बाग हत्याकांड के लिये उत्तरदायी कारक: • अप्रैल 1919 का नरसंहार एक ऐसी घटना थी जिसके पीछे कई कारक काम कर रहे थे। • भारत में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार प्रथम विश्व युद्ध (1914–18) के दौरान राष्ट्रीय गतिविधियों को रोकने लिये कई दमनकारी कानून लाई। • अराजक और क्रांतिकारी अपराध अधिनियम (Anarchical and Revolutionary Crimes Act), 1919 जिसे रॉलेट एक्ट या काला कानून (Rowlatt Act or Black Act) के नाम से भी जाना जाता है, को 10 मार्च 1919 को पारित किया गया। सरकार को अब किसी व्यक्ति को जो देशद्रोही गतिविधियों में लिप्त था और जिससे देशव्यापी अशांति फैलने का डर था, बिना मुकदमा चलाए कैद करने का अधिकार मिल गया। • 13 अप्रैल, 1919 को सैफुद्दीन किचलू और डॉ. सत्यपाल की रिहाई का अनुरोध करने के लिये जलियाँवाला बाग में लगभग 10,000 पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की भीड़ जमा हुई। • हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक दोनों प्रमुख नेताओं को रॉलेट एक्ट के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध करने पर गिर...

जलियांवाला बाग हत्याकांड कब हुआ

Jallianwala Bagh Massacre in Hindi: स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में जलियांवाला बाग हत्याकांड, एक महत्वपूर्ण मोड़ था| आइये जानते हैंजलियांवाला बाग हत्याकांडकब हुआ (Jallianwala Bagh massacretook place on), इसके पहले कीराजनीतिक पृष्ठभूमिऔर जलियांवाला बाग हत्याकांडके बाद का इतिहास (Jallianwala Bagh massacre Short Note): क्या था जलियांवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre in Hindi) अमृतसर का नरसंहार, जिसेजलियांवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre) के नाम से जानाजाता है, 13 अप्रैल, 1919 की घटना है, जिसमें ब्रिटिश सैनिकों ने भारत के पंजाब क्षेत्र (अब पंजाब राज्य में) केअमृतसर में जलियांवाला बाग के रूप में जाना जाने वाले एक खुले स्थान पर निहत्थे भारतीयों की एक बड़ी भीड़ पर गोलीबारी की, जिसमें कई सौ लोग मारे गए और सैकड़ों और घायल हुए थे| जलियांवाला बाग नरसंहार की राजनीतिक पृष्ठभूमि (Jallianwala Bagh massacre History) प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) के अंत तक, भारतीय आबादी के बीच उम्मीदें थीं कि ब्रिटिश दमन कम होगा औरभारत को अधिक राजनीतिक स्वायत्तता दी जाएगी| भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को भी यहीलगता था किप्रथम विश्व युद्धसमाप्त होने के बाद भारत कोस्व-शासन प्रदान कर दियाजाएगा|1918 में ब्रिटिश संसद में प्रस्तुत मोंटेगु-चेम्सफोर्ड रिपोर्ट में सीमित स्थानीय स्व-शासन की सिफारिश की गई| लेकिन अंग्रेजों की इससे अलगयोजनाएं थी| 10 मार्च, 1919 को रॉलेट एक्ट (ब्लैक एक्ट)पारित किया गया, जिसमें सरकार को राजद्रोही गतिविधियों से जुड़े किसी भी व्यक्ति को बिना किसी मुकदमे के कैद करने के लिए अधिकार मिल गयाथा|इससे राष्ट्रव्यापी अशांति पैदा हो गई| यहाँ तक किमहात्मा गांधी ने रौलेट एक्ट क...

Jallianwala Bagh History:जलियांवाला बाग नरसंहार का इतिहास, जानें जनरल डायर ने क्यों चलाई थी गोली

Jalian Wala Bagh History: गुलाम भारत की कई दास्तां हैं, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं। आज की पीढ़ी जब उन कहानियों को सुनती है तो कभी रगो में खून दौड़ जाता है तो कभी गर्व से सीना चौड़ा हो जाता है। कभी आंखों में आंसू आ जाते हैं, तो कभी क्रोध से भर जाते हैं। गुलाम भारत के इतिहास में एक ऐसी खूनी दास्तां भी है, जिसमें अंग्रेजो के अत्याचार और भारतीयों के नरसंहार की दर्दनाक घटना है। हर साल वह दिन जब भी आता है, उस नरसंहार की यादें ताजा हो जाती हैं। शहादत का यह दिन 13 अप्रैल को होता है। इस दिन जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था। हर भारतीय के लिए जलियांवाला बाग हत्याकांड बेहद दर्दनाक घटना है, जिसमें खून की नदियां बह गईं। कुआं भारतीयों की लाशों से पट गए और मौत का वह मंजर हर किसी की रूह को चोटिल कर गया। जलियांवाला बाग हत्याकांड की 103वीं बरसी पर जानें उस दिन के नरसंहार का इतिहास। क्यों हुआ था जलियांवाला बाग नरसंहार? दरअसल, उस दिन जलियांवाला बाग में अंग्रेजों की दमनकारी नीति, रोलेट एक्ट और सत्यपाल व सैफुद्दीन की गिरफ्तारी के खिलाफ एक सभा का आयोजन किया गया था। हालांकि इस दौरान शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था। लेकिन कर्फ्यू के बीच हजारों लोग सभा में शामिल होने पहुंचे थे। कुछ लोग ऐसे भी थे जो बैसाखी के मौके पर अपने परिवार के साथ वहीं लगे मेले को देखने गए थे। जलियांवाला बाग का दोषी कौन? जब ब्रिटिश हुकूमत ने जलियांवाला बाग पर इतने लोगों की भीड़ देखी, तो वह बौखला गए। उनको लगा कि कहीं भारतीय 1857 की क्रांति को दोबारा दोहराने की ताक में तो नहीं। ऐसी नौबत आने से पहले ही वह भारतीयों की आवाज कुचलना चाहते थे और उस दिन अंग्रेजों ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दी। सभा में शामिल नेता जब भाषण दे रहे थे, तब...