जलवायु परिवर्तन drishti ias

  1. जलवायु परिवर्तन का अर्थशास्त्र
  2. जलवायु परिवर्तन
  3. जलवायु परिवर्तन,जलवायु परिवर्तन के कारण ,जलवायु परिवर्तन का प्रभाव,सुरक्षात्मक उपाय
  4. पर्यावरणीय सम्मेलन (जलवायु परिवर्तन)
  5. भूमंडलीय ऊष्मीकरण
  6. जलवायु परिवर्तन र नेपालमा यसको प्रभाव «
  7. भारत और जलवायु कूटनीति


Download: जलवायु परिवर्तन drishti ias
Size: 60.64 MB

जलवायु परिवर्तन का अर्थशास्त्र

टैग्स: • • • प्रिलिम्स के लिये COP26, पेरिस समझौता, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष मेन्स के लिये जलवायु परिवर्तन के आर्थिक प्रभाव चर्चा में क्यों? ‘COP26’ जलवायु वार्ता ग्लासगो (स्कॉटलैंड) में होने जा रही है। दुनिया भर में होने वाली जलवायु परिवर्तन की घटनाओं की भयावह स्थिति को देखते हुए यह आगामी जलवायु समझौता वार्ता वर्ष 2015 के पेरिस समझौते में निर्धारित 1.5-2 डिग्री सेल्सियस की ऊपरी सीमा पर ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है। • इस संदर्भ में दुनिया भर में आजीविका पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और वैश्विक वित्तीय प्रणाली की स्थिरता का विश्लेषण करना आवश्यक है। प्रमुख बिंदु • जलवायु परिवर्तन लागत: यद्यपि इसके परिणाम को लेकर असहमति है, किंतु लगभग सभी अर्थशास्त्री वैश्विक उत्पादन पर ग्लोबल वार्मिंग के संभावित प्रभाव के बारे में निश्चित हैं। • ‘अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ’ (IMR) के अनुमान के मुताबिक, अनियंत्रित ग्लोबल वार्मिंग वर्ष 2100 तक विश्व उत्पादन में 7% की कमी कर देगी। • वहीं विश्व के केंद्रीय बैंकों के समूह ‘ नेटवर्क फॉर ग्रीनिंग द फाइनेंशियल सिस्टम ’ (NFGS) का मानना है कि यह विश्व के 13% उत्पादन को प्रभावित करेगा। • सर्वाधिक संवेदनशील क्षेत्र: यह सर्वसम्मति से स्वीकार किया जाता है कि विकासशील देश जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित होंगे। • वर्तमान में दुनिया के अधिकांश गरीब उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों या निचले इलाकों में रहते हैं, जो सूखे या बढ़ते समुद्र के स्तर जैसी जलवायु परिवर्तन की घटनाओं से प्रभावित हैं। • इसके अलावा इन देशों के पास इस तरह के नुकसान को कम करने के लिये संसाधनों की भी कमी है। • सूक्ष्म स्तर पर प्रभाव: बीते वर्ष विश्व बैंक ने बताया था कि वर...

जलवायु परिवर्तन

• Afrikaans • Alemannisch • አማርኛ • Aragonés • Ænglisc • अंगिका • العربية • مصرى • অসমীয়া • Asturianu • Azərbaycanca • تۆرکجه • Башҡортса • Boarisch • Žemaitėška • Bikol Central • Беларуская • Беларуская (тарашкевіца) • Български • भोजपुरी • বাংলা • Brezhoneg • Bosanski • Буряад • Català • Нохчийн • Cebuano • کوردی • Čeština • Чӑвашла • Cymraeg • Dansk • Deutsch • Zazaki • Ελληνικά • English • Esperanto • Español • Eesti • Euskara • فارسی • Suomi • Võro • Føroyskt • Français • Nordfriisk • Furlan • Gaeilge • Kriyòl gwiyannen • Gàidhlig • Galego • Avañe'ẽ • ગુજરાતી • Gaelg • Hausa • עברית • हिन्दी • Fiji Hindi • Hrvatski • Kreyòl ayisyen • Magyar • Հայերեն • Interlingua • Bahasa Indonesia • Ilokano • Ido • Íslenska • Italiano • 日本語 • Patois • Jawa • ქართული • Taqbaylit • Қазақша • ಕನ್ನಡ • 한국어 • Kurdî • Kernowek • Кыргызча • Latina • Lëtzebuergesch • Лезги • Lingua Franca Nova • Luganda • Limburgs • Ladin • Lombard • ລາວ • Lietuvių • Latviešu • Malagasy • Македонски • മലയാളം • Монгол • मराठी • Bahasa Melayu • မြန်မာဘာသာ • नेपाल भाषा • Nederlands • Norsk nynorsk • Norsk bokmål • Occitan • Oromoo • ଓଡ଼ିଆ • ਪੰਜਾਬੀ • Kapampangan • Polski • پنجابی • پښتو • Português • Rumantsch • Română • Русский • Русиньскый • Ikinyarwanda • Саха тыла • Sardu • Sicilianu • سنڌي • Davvisámegiella • Srpskohrvatski / српскохрватски • සිංහල • Simple English • Slovenčina • Slovenščina • Shqip • Српски / srpski • Seeltersk • Sunda • Svenska • Kiswahili • தமிழ் • తెలుగు • Тоҷикӣ • ไทย • Tagalog • Türkç...

जलवायु परिवर्तन,जलवायु परिवर्तन के कारण ,जलवायु परिवर्तन का प्रभाव,सुरक्षात्मक उपाय

जलवायु परिवर्तन हमें गर्मी के मौसम में गर्मी व सर्दी के मौसम में ठण्ड लगती है। ये सब कुछ मौसम में होने वाले बदलाव के कारण होता है। मौसम, किसी भी स्थान की औसत जलवायु होती है जिसे कुछ समयावधि के लिये वहां अनुभव किया जाता है। इस मौसम को तय करने वाले मानकों में वर्षा, सूर्य प्रकाश, हवा, नमी व तापमान प्रमुख हैं। मौसम में बदलाव काफी जल्दी होता है लेकिन जलवायु में बदलाव आने में काफी समय लगता है और इसीलिये ये कम दिखाई देते हैं। इस समय पृथ्वी के जलवायु में परिवर्तन हो रहा है और सभी जीवित प्राणियों ने इस बदलाव के साथ सामंजस्य भी बैठा लिया है। परंतु, पिछले 150-200 वर्षों में ये जलवायु परिवर्तन इतनी तेजी से हुआ है कि प्राणी व वनस्पति जगत को इस बदलाव के साथ सामंजस्य बैठा पाने में मुश्किल हो रहा है। इस परिवर्तन के लिये एक प्रकार से मानवीय क्रिया-कलाप ही जिम्मेदार है। जलवायु परिवर्तन के कारण जलवायु परिवर्तन के कारणों को दो बागों में बांटा जा सकता है- प्राकृतिक व मानव निर्मित I. प्राकृतिक कारण जलवायु परिवर्तन के लिये अनेक प्राकृतिक कारण जिम्मेदार हैं। इनमें से प्रमुख हैं- महाद्वीपों का खिसकना, ज्वालामुखी, समुद्री तरंगें और धरती का घुमाव। • महाद्वीपों का खिसकना– हम आज जिन महाद्वीपों को देख रहे हैं, वे इस धरा की उत्पत्ति के साथ ही बने थे तथा इनपर समुद्र में तैरते रहने के कारण तथा वायु के प्रवाह के कारण इनका खिसकना निरंतर जारी है। इस प्रकार की हलचल से समुद्र में तरंगें व वायु प्रवाह उत्पन्न होता है। इस प्रकार के बदलावों से जलवायु में परिवर्तन होते हैं। इस प्रकार से महाद्वीपों का खिसकना आज भी जारी है। • ज्वालामुखी जब भी कोई ज्वालामुखी फूटता है, वह काफी मात्रा में सल्फरडाई ऑक्साइड, पानी, धूलकण...

पर्यावरणीय सम्मेलन (जलवायु परिवर्तन)

टैग्स: • • • • • • अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन क्या हैं? • अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन कानूनी रूप से एक बाध्यकारी समझौता है जो सरकारों के बीच वैश्विक पर्यावरणीय खतरे से निपटने या इसे कम करने हेतु एक साथ कार्रवाई करने के लिये बातचीत करता है। विविध हितों वाले संप्रभु राष्ट्रों के बीच इस तरह की कार्रवाई करने के लिये एक समझौते पर पहुँचना कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। • हालाँकि हाल के दशकों में इस तरह के समझौते वैश्विक और क्षेत्रीय स्तरों पर अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिये बढ़े हैं। इन सम्मेलनों की आवश्यकता क्यों है? • कन्वेंशन और इसके प्रोटोकॉल का अनुसमर्थन और कार्यान्वयन, कई पार्टियों के लिए, एकतरफा कार्रवाई की तुलना में स्वास्थ्य और पर्यावरणीय प्रभावों को अधिक लागत प्रभावी ढंग से कम करेगा। • यह आर्थिक लाभ भी प्रदान करता है क्योंकि सामंजस्यपूर्ण कानून और सीमाओं के पार मानक, पूरे देश में उद्योग के लिये एक समान अवसर प्रदान करेंगे तथा पर्यावरण एवं स्वास्थ्य की कीमत पर हितधारकों को एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने से रोकेंगे। • ऐसे कारक जो मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाते हैं, खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करते हैं, आर्थिक विकास में बाधा डालते हैं, जलवायु परिवर्तन में योगदान करते हैं और पर्यावरण को क्षति पहुँचाते हैं जिस पर हमारी आजीविका निर्भर करती है। • कन्वेंशन उपर्युक्त अंतर्संबंधों पर चर्चा करने के लिये एक मंच प्रदान करता है और नकारात्मक प्रभावों को रोकने के लिये कार्रवाई करता है। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन क्या है? • • भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जिन्होंने जलवायु परिवर्तन (UNFCCC), जैव विविधता (CBD) और भूमि (...

भूमंडलीय ऊष्मीकरण

भूमण्डलीय ऊष्मीकरण का अर्थ धरती के वायुमण्डल और जलवायु परिवर्तन पर बैठे अन्तर-सरकार पैनल ने निष्कर्ष निकाला है कि " जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, धरती के वातावरण के तापमान में लगातार हो रही विश्वव्यापी बढ़ोतरी को 'भूमण्डलीय ऊष्मीकरण' कहा जा रहा है। हमारी धरती आईपीसीसी द्वारा दिये गये जलवायु परिवर्तन के मॉडल इंगित करते हैं कि धरातल का औसत ग्लोबल तापमान अनुक्रम • 1 शब्दावली • 2 कारण • 2.1 वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसें • 3 प्रतिक्रिया • 3.1 सौर परिवर्तन • 4 तापमान में परिवर्तन • 4.1 हाल में • 4.2 मानव पूर्व जलवायु की भिन्‍नता • 5 जलवायु प्रतिमान • 6 अपेक्षित एवं आशातीत प्रभाव • 6.1 आर्थिक • 7 अनुकूलन और शमन • 8 सामाजिक और राजनीतिक बहस • 9 जलवायु संबंधित मुद्दे • 10 और देखिये • 11 और ज्यादा पढ़ना • 12 सन्दर्भ • 13 बाहरीकड़ियाँ शब्दावली [ ] "भूमण्डलीय ऊष्मीकरण" से आशय हाल ही के दशकों में हुई ऊष्मीकरण और इसके निरन्तर बने रहने के अनुमान और इसके अप्रत्‍यक्ष रूप से कारण [ ] 2 मापन यह दर्शाते हैं कि अगर सारे वर्ष को देखा जाए तो छोटे-छोटे मौसमी परिवर्तन देखने को मिलते हैं; हर साल यह परिवर्तन 2 हटा लेते हैंI ग्रीनहाउस प्रभाव के रूप में अस्तित्व इस प्रकार विवादित नहीं है। स्वाभाविक रूप से ग्रीन हाउस गैसों के पास होने का मतलब है एक गर्मी के प्रभाव के बारे में 33 डिग्री सेल्सियस (59°F), जो पृथ्वी पर रहने योग्य 2) जो ९-२६ प्रतिशत तक greenhouse प्रभाव पैदा करता है; 4) ४-९ प्रतिशत तक और औद्योगिक क्रांति के बाद से मानवी गतिविधि में वृद्धि हुई है जिसके कारण ग्रीन हाउस गैसों कि मात्रा में बहुत जियादा वृद्धि हुई है, इसके कारण 2, 2O) कृषि जैसी मानवीय गतिविधियों के कारण अपना विकास कर रही है!CO 2 और...

जलवायु परिवर्तन र नेपालमा यसको प्रभाव «

बढ्दो मानव जनसंख्या र उसका बढ्दा आवश्यकतालाई परिपूर्ति गर्ने क्रममा प्राकृतिक स्रोतहरूलाई उपभोग गरी रित्याउने गति पनि तीव्र गतिमा बढेर जाने गरेको देखिन्छ । यसै क्रममा ऊर्जा शक्तिको बढ्दो उपयोगबाट स्रोतहरूको आफ्नै धान्न सक्ने क्षमतालाई निरन्तर रूपमा कमजोर पार्ने प्रक्रियामा सभ्य समाजको भूमिका अझै बढी देखिएको छ । उदाहरणका लागि सन् १९९० मा वायुमण्डलमा फ्याँकिएको कार्बन डाइअक्साइडमध्ये २६ प्रतिशत त केवल क्यानडा र संयुक्त राज्य अमेरिकाले मात्रै फ्याँकेको, पश्चिमी युरोपले १४ प्रतिशत, पूर्वी युरोप र सोभियत संघसमेतले २३ प्रतिशत फ्याँकेको उल्लेख हुनुलाई लिन सकिन्छ । यसै सन्दर्भमा विश्वव्यापी रूपमा वातावरणीय क्षेत्रलाई विनाश गर्ने क्रमसँगै यसका विशेष खालका वातावरणीय चुनौतीहरू मानव समुदायबीच उपस्थित भइसकेको परिवेशमा तीमध्ये केही महत्वपूर्ण चुनौतीहरूलाई हामी यसरी उल्लेख गर्न सक्छौं । जलवायु परिवर्तन विश्वव्यापी समस्या हो र विश्वका विभिन्न भागमा बस्ने व्यक्तिले असर र सामना विविध किसिमले भोग्नु र गर्नुपरेको अहिलेको अवस्था छ । प्राकृतिक स्वरूपमा र अत्यन्तै न्यून गतिमा प्रकृतिले मानिसलाई जलवायु परिवर्तनको असरका रूपमा दण्ड दिइरहेको छ । भौतिक विकासको लालसामा औद्योगिक राष्ट्रहरूले प्राकृतिक नियमलाई खलबल्याइरहेका छन् । प्राकृतिक वस्तुहरूको तीव्र गतिमा दोहन गर्दै आर्थिक विकासको सिँढी बढिरहेका छन् । जलवायु परिवर्तनको असर निश्चित रूपमा गरिब राष्ट्रहरूमाथि बढी पर्छ र गरिब राष्ट्रहरूको गल्ती कम तर प्रकृतिले दिएको सजाय वा विनाश बढी भइरहेको अवस्था छ । नेपाललगायतका दक्षिण एसियाली मुलुकहरू जलवायु परिवर्तनप्रति विशेष संवेदनशील हुनुपर्ने अवस्था आइसकेको छ । मानिसले लगभग हालसम्म ७० हजारभन्दा बढी खालका रसा...

भारत और जलवायु कूटनीति

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में जलवायु कूटनीति और भारत के संदर्भ में उसके विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं। संदर्भ हिमालय एवं एंडीज़ पर्वत शृंखलाओ में पिघलते ग्लेशियर, कैरेबियन एवं ओशिनियाई भूभागों में बढ़ते तूफान और अफ्रीका एवं मध्य पूर्व में बदलता मौसम पैटर्न जलवायु परिवर्तन जनित चुनौतियों की एक भयावह तस्वीर प्रस्तुत करती हैं। वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन उन महत्त्वपूर्ण चुनौतियों में से एक है जिसके प्रभावों को प्रत्यक्ष रूप से महसूस किया जा रहा है। दुनिया भर के वैज्ञानिकों और नीति-निर्माताओं के बीच आम सहमति है कि जलवायु परिवर्तन न केवल अंतर्राष्ट्रीय शांति को प्रभावित करता है बल्कि यह राष्ट्रों की सुरक्षा के लिये भी एक बड़ा खतरा है। जानकारों का मानना है कि वैश्विक समुदाय को इन चुनौतियों से निपटने के लिये एक व्यापक गठबंधन की आवश्यकता है, क्योंकि यदि एक देश वैश्विक मानकों का पालन करते हुए अपने कार्बन उत्सर्जन में कमी करता है और अन्य देश इन मानकों को नज़रअंदाज़ करते हैं तो मानकों का पालन करने वाले देशों को इसका कोई लाभ नहीं होगा और उसे अथक प्रयासों के बावजूद भी जलवायु परिवर्तन के परिणामों का सामना करना होगा। जलवायु कूटनीति • विशेषज्ञों के अनुसार, जलवायु कूटनीति का आशय अंतर्राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन हेतु एक व्यवस्था विकसित करने और इसके प्रभावी संचालन को सुनिश्चित करने से है। • उदाहरण के लिये विकासशील देशों में नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग संबंधी बाज़ार विफलताओं की पहचान करने के उद्देश्य से वर्ष 2000 में G8 रिन्यूएबल एनर्जी टास्...