जलवायु परिवर्तन क्या है

  1. जलवायु परिवर्तन क्या है
  2. क्या किसानों को जलवायु परिवर्तन की भयावहता के बारे में जानकारी है
  3. जलवायु परिवर्तन: क्या है नेट जीरो उत्सर्जन और ये क्यों अहम है?
  4. Climate Change in Hindi
  5. जलवायु परिवर्तन परिचय


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जलवायु परिवर्तन क्या है

जलवायु परिवर्तन से तात्पर्य पृथ्वी की पर्यावरणीय परिस्थितियों में परिवर्तन से है। यह कई आंतरिक और बाहरी कारकों के कारण होता है। पिछले कुछ दशकों में जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक चिंता का विषय बन गया है। इसके अलावा, ये जलवायु परिवर्तन पृथ्वी पर जीवन को विभिन्न तरीकों से प्रभावित करते हैं। ये जलवायु परिवर्तन पारिस्थितिकी तंत्र और पारिस्थितिकी पर विभिन्न प्रभाव डाल रहे हैं। इन परिवर्तनों के कारण, पौधों और जानवरों की कई प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं। मानव गतिविधियों के कारण बहुत समय पहले जलवायु बदलना शुरू हो गया था लेकिन हमें इसके बारे में पिछली शताब्दी में पता चला। पिछली शताब्दी के दौरान, हमने जलवायु परिवर्तन और मानव जीवन पर इसके प्रभाव को देखना शुरू किया। हमने जलवायु परिवर्तन पर शोध करना शुरू किया और पता चला कि जलवायु परिवर्तन के कारण यद्यपि जलवायु परिवर्तन के सैकड़ों कारण हैं, हम केवल प्राकृतिक और मानव निर्मित कारणों पर चर्चा करने जा रहे हैं। प्राकृतिक कारण इनमें ज्वालामुखी विस्फोट, सौर विकिरण, टेक्टोनिक प्लेट मूवमेंट, कक्षीय विविधताएं शामिल हैं। इन गतिविधियों के कारण किसी क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति जीवन के लिए काफी हानिकारक हो जाती है। साथ ही, ये गतिविधियाँ पृथ्वी के तापमान को काफी हद तक बढ़ा देती हैं जिससे प्रकृति में असंतुलन पैदा हो जाता है। मनुष्य ने अपनी आवश्यकता और लालच के कारण कई ऐसे कार्य किए हैं जो न केवल उनमें वनों की कटाई, जीवाश्म ईंधन का उपयोग, औद्योगिक अपशिष्ट, एक अलग प्रकार का प्रदूषण और बहुत कुछ शामिल हैं। ये सभी चीजें जलवायु और पारिस्थितिकी तंत्र को बहुत बुरी तरह से नुकसान पहुंचाती हैं। और जानवरों और पक्षियों की कई प्रजातियाँ शिकार के कारण विलुप्त या विलुप्त होने...

क्या किसानों को जलवायु परिवर्तन की भयावहता के बारे में जानकारी है

• शशिकान्त त्रिवेदी, वरिष्ठ पत्रकार 11 अक्टूबर 2021, भोपाल । क्या किसानों को जलवायु परिवर्तन की भयावहता के बारे में जानकारी है – आजादी के बाद के शुरुआती दशकों में भारतीय कृषि की प्रमुख चुनौती किसी भी कीमत पर फसल उत्पादन और पैदावार में वृद्धि करना था। आज, यह चुनौती कृषि आय को बढ़ाने के बारे में है, साथ ही साथ बढ़ती आबादी के लिए उत्पादन भी सुनिश्चित करना है. ऐसी खेती जिसमें लागत काम लगे, संसाधनों का उचित उपयोग हो और जो जलवायु के लिए माकूल हो. इन दिनों हर देश जलवायु परिवर्तन पर गहन विचार विमर्श कर रहा है और उन उपायों के बारे में किसी निष्कर्ष पर पहुँचना चाहता है जिससे जलवायु परिवर्तन के कारण खेती पर आई किसी भी आफत से निपटा जा सके. हाल में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने खेती के लिए फसलों की कुछ ख़ास 35 किस्मों को भारतीय किसानों को सौंपा है. विभिन्न फसलों की ये सभी किस्में जलवायु के उतार चढ़ाव को बर्दाश्त कर सकती हैं और इनमें उच्च पोषक तत्व हैं जिन्हे 2021 में विकसित किया गया है। इनमें चना की सूखा रोधी किस्म, मोज़ेक वायरस रोधी अरहर, सोयाबीन की जल्दी पकने वाली रोग प्रतिरोधी किस्में शामिल हैं। चावल और बायोफोर्टिफाइड किस्मों के गेहूं, बाजरा, मक्का और चना, क्विनोआ और फावा बीन्स शामिल हैं। उदाहरण के तौर पर इन में से एक भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित एक नई खरपतवार रोधी चावल की किस्म को जारी किया है. इसे तैयार करने और रोपने की जरुरत नहीं है इसे सीधे बोया जा सकता है. बाढ़ वाले खेतों में धान की रोपाई किसान मुख्य रूप से खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए बाढ़ वाले खेतों में धान की रोपाई करते हैं और उगाते हैं, लेकिन यह किस्म प्राकृतिक रूप से खरपतवार रोधी है. यह किस्म हमारे ...

जलवायु परिवर्तन: क्या है नेट जीरो उत्सर्जन और ये क्यों अहम है?

November 02, 2021 | 05:54 pm 1 मिनट में पढ़ें क्या है नेट जीरो उत्सर्जन और ये क्यों अहम है? भारतीय प्रधानमंत्री उनके इन ऐलान से सुस्त चल रहे इस सम्मेलन में हलचल बढ़ गई है और अन्य देशों पर भी नेट जीरो को लेकर महत्वाकांक्षी ऐलान करने का दबाव बढ़ गया है। आखिर ये नेट जीरो उत्सर्जन है क्या और ये इतना महत्वपूर्ण क्यों है, आइए जानते हैं। क्या है नेट जीरो उत्सर्जन? नेट जीरो उत्सर्जन का मतलब है कि वातावरण में केवल उतनी ग्रीनहाउस गैसें छोड़ी जाएं जितनी पेड़ या नई टेक्नोलॉजी आदि सोख सकें, यानि वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा बढ़े नहीं। कार्बन डाईऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और फ्लोरिनेटेड गैस मुख्य ग्रीनहाउस गैसें हैं। कोयला, पेट्रोल और डीजल जैसे जीवाश्म ईंधनों का प्रयोग करने पर वातावरण में ये गैसें छूटती हैं। यातायात से लेकर उद्योगों तक में इन ईंधनों का उपयोग होता है। उदाहरण से समझिए अगर कोई कंपनी जितना कार्बन पैदा करती है, साथ ही इतने पेड़ या कोई सयंत्र लगा देती है जिससे वह सारा कार्बन सोख सके, तो उसका नेट उत्सर्जन जीरो हो जाएगा। वहीं पैदा करने से ज्यादा कार्बन सोखने पर नेट उत्सर्जन नेगेटिव हो जाएगा। क्यों जरूरी है ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा कम करना? जब वातावरण में कार्बन डाईऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा अधिक हो जाती है तो सूर्य की गर्मी धरती पर आ तो जाती है, लेकिन इन गैसों के "कवच" के कारण वातावरण से निकल नहीं पाती, जिससे धरती का तापमान बढ़ने लगता है। इसे ग्रीनहाउस इफेक्ट के नाम से जाना जाता है और ये ग्लोबल वॉर्मिंग का सबसे बड़ा कारण है। ग्लोबल वॉर्मिंग को नियंत्रित करने के लिए ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम करना जरूरी है। कितने प्रकार का होता है नेट जीरो उत्सर्जन?...

Climate Change in Hindi

Contents • • • • • • • • Climate Change in Hindi Climate change या जलवायु परिवर्तन किसी अवधि में किसी क्षेत्र (या सम्पूर्ण पृथ्वी) के औसत मौसम के स्वरूप (pattern) में परिवर्तन है। दूसरे शब्दों में, जलवायु परिवर्तन में तापमान, वर्षा या हवा के स्वरूप में बड़े बदलाव शामिल हैं जो दशकों या उससे अधिक समय तक होते हैं। जैसे- दक्षिणी और उत्तरी ध्रुव पर बर्फ का पिघलना आदि। वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों के अनुसार पिछली सदी में पृथ्वी का औसत तापमान 1.5° F बढ़ गया है, और अगले सौ वर्षों में 0.5-8.6 °F बढ़ने का अनुमान है। पृथ्वी के औसत तापमान में छोटे बदलाव जलवायु और मौसम में बड़े और संभावित खतरनाक बदलाव ला सकते हैं। औसत तापमान के साथ-साथ मौसम और जलवायु में परिवर्तन देखा जा रहा है। कई स्थानों में बारिश में परिवर्तन देखा जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप तेज बारिश, बाढ़, सूखा और साथ ही कई जगहों पर तेज गर्मी की लहरें देखी जा रही हैं। महासागर गर्म होते जा रहे हैं और अम्लीय (acidic) होते जा रहे हैं। बर्फ तेजी से पिघल रहे हैं जिस कारण समुद्र के स्तर बढ़ रहे हैं। जैसे- जैसे ये परिवर्तन बढ़ते जायेंगे, ये हमारे और पर्यावरण के लिए चुनौती बन जायेंगे। जलवायु में परिवर्तन के लिए काफी हद तक मानव जिम्मेदार है। Humans are largely responsible for Climate Change मानव के गतिविधियों के कारण बड़ी मात्रा में साथ ही साथ जीवाश्म ईंधन ( अधिक मात्रा में greenhouse gases का निर्माण जलवायु को बदल सकता है और इसके परिणामतः मानव के स्वास्थ्य और वातावरण पर खतरनाक प्रभाव देखे जा सकते हैं। Carbon dioxide वातावरण में लगभग सौ साल तक रह सकता है, इसलिए पृथ्वी गर्म ही रहने वाली है। जैसे-जैसे पृथ्वी अधिक गर्म होती जायेगी, वैसे-वैसे गंभीर परि...

जलवायु परिवर्तन परिचय

जलवायु परिवर्तन क्या है? जलवायु परिवर्तन का तात्पर्य दशकों, सदियों या उससे अधिक समय में होने वाली जलवायु में दीर्घकालिक परिवर्तनों से है। यह मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन (जैसे, कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस) को जलाने के कारण पृथ्वी के वातावरण में तेजी से बढ़ती ग्रीनहाउस गैसों के कारण होता है। ये गर्मी-फंसाने वाली गैसें पृथ्वी और महासागरों को गर्म कर रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, तूफान के पैटर्न में बदलाव, समुद्र की धाराओं में बदलाव, बारिश में बदलाव, बर्फ और बर्फ पिघलना, अधिक चरम गर्मी की घटनाएं, आग और सूखा। इन प्रभावों को जारी रखने और कुछ मामलों में, मानव स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे, जंगलों, कृषि, मीठे पानी की आपूर्ति, समुद्र तटों और समुद्री प्रणालियों को प्रभावित करने, तेज करने का अनुमान है। अनुमान • वायुमंडलीय तापमान: 2-4 ° C 2100 द्वारा वृद्धि, ज्यादातर मानव गतिविधि के कारण रेफरी • समुद्र के स्तर में वृद्धि: ~ 1 मीटर 2100 द्वारा थर्मल विस्तार और हिमनदों के पिघलने के कारण। नोट: ग्रीनलैंड और पश्चिम अंटार्कटिक बर्फ की चादर के योगदान से समुद्र के स्तर में वृद्धि हो सकती है रेफरी • तूफान के पैटर्न में बदलाव - वार्मिंग के कारण विश्व स्तर पर उष्णकटिबंधीय तूफान औसतन अधिक तीव्र हो सकते हैं (2 तक 11-2100% की तीव्रता में वृद्धि के साथ) रेफरी जलवायु परिवर्तन के अधिक अनुमानों और प्रवाल भित्तियों के विशिष्ट प्रभावों के लिए, क्लिक करें मौसम और जलवायु के बीच अंतर • मौसम थोड़े समय (कुछ घंटों या कुछ दिनों) में तापमान और वर्षा जैसी वायुमंडलीय स्थितियों को संदर्भित करता है। मौसम वह है जो आप दिन-प्रतिदिन अनुभव करते हैं। • जलवायु किसी विशेष स्थान के लिए आमतौर पर कम से कम 30...