जलवायु परिवर्तन नोट्स

  1. IPCC रिपोर्ट: जलवायु परिवर्तन पर नाकाम वैश्विक नेतृत्व की एक बानगी
  2. आपतकालिन र विपद् जोखिम न्यूनीकरण
  3. जलवायु परिवर्तन
  4. मौसम, जलवायु और जलवायु परिवर्तन [यूपीएससी भूगोल एनसीईआरटी नोट्स]
  5. Economic impact of climate change: जलवायु परिवर्तन की उच्च लागत जानना जरूरी


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IPCC रिपोर्ट: जलवायु परिवर्तन पर नाकाम वैश्विक नेतृत्व की एक बानगी

संयुक्त राष्ट्र के वैज्ञानिकों ने, पृथ्वी और तमाम दुनिया पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के बारे में, सोमवार को एक तीखी चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि पारिस्थितिकी विघटन, प्रजातियों के विलुप्तिकरण, जानलेवा गर्मियाँ और बाढ़ें, ऐसे जलवायु ख़तरे हैं जिनका सामना दुनिया, वैश्विक तापमान वृद्धि के कारण, अगले दो दशकों तक करेगी. अन्तरसरकारी जलवायु परिवर्तन पैनल उन्होंने कहा, “रिपोर्ट दिखाती है कि जलवायु परिवर्तन हमारे रहन-सहन और एक स्वस्थ पृथ्वी के वजूद के लिये एक गम्भीर व लगातार बढ़ता ख़तरा है.” “हमारी आज की कार्रवाइयों से, ये आकार मिलेगा कि लोग, बढ़ते जलवायु जोखिमों के लिये किस तरह अनुकूलन करते हैं और प्रकृति उनका किस तरह सामना करती है.” रिपोर्ट के अनुसार, मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन से, प्रकृति में ख़तरनाक और व्यापक बाधा उत्पन्न हो रही है और, जोखिम कम करने के प्रयासों के बावजूद, दुनिया भर में अरबों लोगों की ज़िन्दगी प्रभावित हो रही है और ऐसे लोग व पारिस्थितिकियाँ सबसे ज़्यादा प्रभावित हो रहे हैं जो सामना कर पाने में कम समर्थ हैं. संयुक्त राष्ट्र के वैज्ञानिकों की तरफ़ से जारी होने वाली रिपोर्ट्स की श्रृंखला में यह दूसरी रिपोर्ट है और ग्लासगो जलवायु सम्मेलन - कॉप26 के बाद केवल 100 दिनों में जारी हुई है. ध्यान रहे कि कॉप26 में, वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने और जलवायु परिवर्तन के सबसे ख़तरनाक प्रभावों को रोकने के लिये कार्रवाई तेज़ करने पर सहमति हुई थी. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने अगस्त 2021 में जारी प्रथम रिपोर्ट को, “मानवता के लिये एक रैड कोड” क़रार दिया था और कहा था कि “अगर हम अभी अपनी शक्तियाँ एकजुट कर लें तो, हम जलवायु त्रासदी का रुख़...

आपतकालिन र विपद् जोखिम न्यूनीकरण

प्राकृतिक तथा मानव सिर्जित दुवै प्रकारका विपद् तथा मानवीय सहयोग आवश्यक पर्ने अवस्थाहरुमा काम गर्नमा युनिसेफको लामो इतिहास छ। जब-जब आपत आईपर्छ, तब-तब त्यस विपदबाट प्रभावित स्थानहरुमा परिवार तथा बालबालिकाहरुको जीवनरक्षाका लागि युनिसेफ ­तत्पर रहन्छ। बाढि, पहिरो तथा भुकम्प जस्ता प्राकृतिक प्रकोपहरुबाट नेपाल उच्च जोखिममा छ। भुकम्प तथा मिश्रित विपत्तिहरुको जोखिमका सन्दर्भमा नेपाल क्रमश: ११औं र १६औं स्थानमा रहेको छ। भारतीय र युरोसियन जमिन एक-आपसमा ठोक्किएको भुभाग माथि नेपाल अवस्थित छ, जसको कारण यहाँ ठुला भुकम्पहरु बारम्बार गईरहन्छन्। मेपलक्रफ्टको जलवायु परिवर्तन जोखिममा रहेकाहरुको सुचीमा नेपाल चौथो सबैभन्दा जोखिममा रहेको मुलुक भनिएको छ जस अनुसार नेपालको स्थान “सर्वोच्च जोखिम” को समुहमा पर्दछ। नेपाल जलवायु परिवर्तनका असरहरुबाट पनि जोखिममा रहेको छ र यहाँ तापक्रम बढ्दै जानुको साथै वर्षा पनि अनियमित हुने गरेको छ। जलवायु परिवर्तनका कारण खडेरी, बाढी तथा प्रतिकुल मौसम आइपर्नु जस्ता प्राकृतिक प्रकोपहरुको सम्भावना बढ्दै जान्छ। यसको फलस्वरुप महामारी र सुख्खापन फैलिनुका साथै समुदायको जनजीवन र कृषि उत्पादनमा प्रतिकुल असर पर्दछ। जलवायु परिवर्तनले सबै क्षेत्रमा असर पार्ने भएतापनि विपदको अवस्थामा सबैभन्दा शुरुमा बालबालिकालाई धेरै जोखिम हुने गर्दछ। यस्ता प्रकोपहरुले बालबालिकालाई शारीरिक र मानसिक जोखिम पार्नुको साथै वयस्कहरुमा भन्दा उनीहरुमा उक्त असर लामो समयसम्म रहन्छ। २०७२ को भुकम्पमा ८,९०० जना भन्दा बढिको ज्यान गुमेकोमा लगभग ३३ प्रतिशत बालबालिका थिए। “विगत २५ वर्षमा देशका ८६ प्रतिशत भन्दा बढि घरधुरीले कुनै न कुनै प्रकारले खडेरीको सामना गर्नुपरेको बताइन्छ।” हाल विद्यमान असमानतालाई जलवायु परिवर्...

जलवायु परिवर्तन

जलवायु परिवर्तन एक परिचय • जलवायु परिवर्तन एक प्रमुख भूमण्डलीय पर्यावरणीय और विकासात्मक समस्या है। यद्यपि जलवायु परिवर्तन के सभी संभावित परिणामों को समझना बाकी है , और यह अब स्थापित या निश्चित हो चुका है , कि इससे विपरीत प्रभाव पड़ते हैं , जैसे कि मौसम , बाढ़ और सूखा पड़ने की घटनाएँ बार - बार या लगातार होना और समुद्रीय स्तर के बढ़ने से समुद्री तटों का छोटा होना तथा जलवायु में अत्यधिक परिवर्तनों के कारण भारी हानि होती है अत्यधिक जलवायु परिवर्तन अथवा जलवायु परिवर्तन से असमानता में वृद्धि होती है - जिसमें गरीब , महिलाएँ , वृद्ध और बहुत ही छोटे बच्चे इससे प्रभावित होते हैं , विशेषकर अल्पविकसित और विकासशील क्षेत्रों के सम्बन्ध में इसका प्रकोप होता है और इससे भी अधिक वहाँ पर नुकसान होता है , जहाँ पर जलवायु बहुत ही संवेदनशील होती है खासकर कृषि , मछली पालन और वानिकी क्षेत्रों में लोगों की आजीविका इन्हीं संसाधनों पर निर्भर होती है , जिसके कारण उन लोगों की अनुकूलन क्षमता बहुत ही सीमित होती है। इसके साथ ही अधिकतर गरीबी से प्रभावित क्षेत्रों में संसाधनों और आवश्यक सेवाओं का स्तर बहुत ही सीमित होता है , जिसके कारण जलवायु परिवर्तन के विषय और विपरीत प्रभावों का सामना करना , उनसे निपटने की क्षमता भी बहुत ही सीमित हो जाती है। • आई.पी.सी. सी. ( IPCC, 2014) की पाँचवी मूल्यांकन रिपोर्ट के अनुसार खोजों से पता लगा है , कि वायुमण्डल और समुद्र में तापन की वृद्धि होने के कारण भूमण्डलीय जल प्रवाह चक्र में परिवर्तन हुआ है और हिम तथा बर्फ के पिघलने से भूमण्डलीय समुद्र स्तर में वृद्धि देखी गई है और कुछ जलवायु में अत्यधिक परिवर्तन हुआ है। ग्रीन हाऊस गैस कार्बन डाइ आक्साइड ( CO) मीथेन ( CH) तथा नाइट्रोक...

मौसम, जलवायु और जलवायु परिवर्तन [यूपीएससी भूगोल एनसीईआरटी नोट्स]

जलवायु क्या है? जलवायु • जलवायु कई वर्षों में किसी स्थान का औसत मौसम है। • मौसम कुछ ही घंटों में बदल सकता है जबकि जलवायु को बदलने में लाखों साल लगते हैं। • ग्रह पृथ्वी ने शुरू से ही जलवायु में कई बदलाव देखे हैं। जलवायु परिवर्तन के साक्ष्य के टुकड़े क्या हैं? जलवायु परिवर्तन के साक्ष्य • समुद्र तल से वृद्धि • वैश्विक तापमान वृद्धि • गर्म होते महासागर • सिकुड़ती बर्फ की चादरें • घटती आर्कटिक समुद्री बर्फ • ग्लेशियल रिट्रीट • चरम प्राकृतिक घटनाएं • महासागर अम्लीकरण • घटा हुआ हिम आवरण जलवायु परिवर्तन के कारण क्या हैं? जलवायु परिवर्तन के कारण • जलवायु परिवर्तन के कई कारण हैं। जलवायु पर सबसे महत्वपूर्ण मानवजनित प्रभाव वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की सांद्रता में बढ़ती प्रवृत्ति है। • कारणों को दो में बांटा जा सकता है: • खगोलीय कारण • सनस्पॉट गतिविधियां • मिलनकोविच दोलन • स्थलीय कारण • ज्वालामुखी • ग्रीनहाउस की एकाग्रता खगोलीय कारण • खगोलीय कारण सनस्पॉट गतिविधियों से संबंधित सौर उत्पादन में भिन्नताएं हैं। • सनस्पॉट सूर्य पर काले और ठंडे पैच होते हैं जो आवर्ती तरीके से उठते और गिरते हैं। • जब सनस्पॉट की संख्या बढ़ जाती है, तो ठंडा और गीला मौसम और अधिक तूफान आता है। • ये सूर्य से प्राप्त सूर्यातप की मात्रा को संशोधित करते हैं, जिसका प्रभाव जलवायु पर पड़ सकता है। • मिलनकोविच दोलन, जो सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षीय विशेषताओं में भिन्नता, पृथ्वी के कंपन और पृथ्वी के अक्षीय झुकाव में परिवर्तन के चक्रों का अनुमान लगाते हैं। ये सभी सूर्य से प्राप्त सूर्यातप की मात्रा को बदल देते हैं, जिसका प्रभाव जलवायु पर पड़ सकता है। ज्वालामुखी • ज्वालामुखी को जलवायु परिवर्तन का दूसरा कारण माना जाता...

Economic impact of climate change: जलवायु परिवर्तन की उच्च लागत जानना जरूरी

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