जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की भूमिका का वर्णन करें

  1. history of otto von bismarck । ओटो वॉन बिस्मार्क का इतिहास
  2. जर्मनी का एकीकरण ( Unification of Germany )


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history of otto von bismarck । ओटो वॉन बिस्मार्क का इतिहास

हेजर के अनुसार- 'जर्मनरूपी जहाज का चालक बिस्मार्क राजनीति में नेपोलियन महान तथा लुई चौदहवें के पश्चात् सबसे अधिक प्रभावशाली शासक था।' जी.बी. स्मिथ के अनुसार- 'शासक के रूप में बिस्मार्क घमण्डी होते हुए भी सर्वश्रेष्ठ स्थान रखता था। वह समय को देखकर चलने वाला प्रशियन जाति का सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति था। यद्यपि उसमें कुछ कमियां थीं, तथापि वह एक श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ था।' 19वीं शताब्दी के इतिहास में बिस्मार्क का नाम उल्लेखनीय रहेगा। बिस्मार्क का वास्तविक नाम ऑटोवान बिस्मार्क रकानहौसिन था। उनका जन्म 1 अप्रैल 1815 को बेंडेनबर्ग के अमीर परिवार में हुआ। उनने अपनी शिक्षा बर्लिन विश्वविद्यालय में पूर्ण की। बिस्मार्क जर्मन (प्रशिया) के प्रधानमंत्री (1862-73, 1873-90) और जर्मन साम्राज्य के संस्थापक और प्रथम चांसलर (1871-90) माने जाते हैं। अपने कार्यों और विचारों के आधार पर वे 1862 में देश के प्रधानमंत्री बने। बिस्मार्क ने जर्मन का एकीकरण ही नहीं किया उन्होंने जर्मन को हर स्तर पर सुधारा और व्यवस्थित किया था। कहना चाहिए कि बिस्मार्क ने ही जर्मन को आधुनिक युग में पहुंचाया। बिस्मार्क ने न केवल जर्मनी के एकीकरण में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था, बल्कि उन्होंने जर्मनी को शक्तिशाली देश होने का गौरव प्रदान किया। बिस्मार्क जैसे राजनीतिज्ञ एवं कूटनीतिज्ञ विश्व में अंगुली पर गिने जा सकते हैं। उन्होंने अपने सिद्धान्तों के साथ कभी समझौता नहीं किया। वे कल्पनाजीवी न होकर यथार्थजीवी थे। राजनीतिक सफर : बिस्मार्क 1845 में पोनीरेनिया की विधान सभा का सदस्य और 1845 में ही बर्लिन की शाही सभा का सदस्य बन गए था। 1849 में वह प्रशिया के प्रथम सदन का सदस्य चुने गए। 1851 में उन्हें संघ की विधान सभा फ्रेंकफर्ट में प्रश...

जर्मनी का एकीकरण ( Unification of Germany )

Advertisement जर्मनी के एकीकरण में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका बिस्मार्क की थी | प्रशा के शासक फ्रेडरिक विलियम चतुर्थ की मृत्यु के पश्चात विलियम प्रथम शासक बना उसने | उसने 1862 ईस्वी में बिस्मार्क को प्रशा का चांसलर ( प्रधानमंत्री ) नियुक्त किया | प्रधानमंत्री का पद संभालते ही बिस्मार्क ने कहा – “मेरी सबसे बड़ी इच्छा जर्मन लोगों को एक राष्ट्र के रूप में संगठित करना है |” Advertisement जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क के प्रयास बिस्मार्क ने प्रधानमंत्री बनते ही जर्मनी के एकीकरण की योजना बनाना शुरू कर दिया | वह इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि उसके दो पड़ोसी देश – ऑस्ट्रिया व फ्रांस – जर्मनी के एकीकरण के उद्देश्य को पूरा नहीं होने देंगे | अतः इन देशों के साथ प्रशा की लड़ाई अवश्य होगी | इसलिए उसने अपना ध्यान सर्वप्रथम प्रशा को शक्तिशाली बनाने पर दिया | सेना का पुनर्गठन किया गया तथा उसे युद्ध के लिए तैयार किया गया | जर्मनी के एकीकरण के लिए बिस्मार्क ने निम्नलिखित तीन युद्ध लड़े — (1) डेनमार्क से युद्ध ( 1864 ईस्वी ), ऑस्ट्रिया से युद्ध (1866 ईस्वी ), फ्रांस से युद्ध (1870 -71 ईस्वी ) (1) डेनमार्क से युद्ध ( 1864 ईस्वी ) जर्मनी के एकीकरण में सबसे पहली बाधा डेनमार्क था | प्रशा व डेनमार्क के बीच युद्ध 1864 ईस्वी में हुआ | दोनों देशों के बीच युद्ध का मुख्य कारण दो डचियां थी – श्लेसविंग व होलस्टीन | भौगोलिक दृष्टि से ये डचियां दोनों देशों के बीच में थी | वहाँ पर कानून व्यवस्था डेनमार्क देखता था परंतु औपचारिक रूप से डेनमार्क ने कभी इन डचियों को अपने साम्राज्य में शामिल नहीं किया | युद्ध के कारण प्रशा और डेनमार्क के बीच से युद्ध के निम्नलिखित कारण थे — (क ) प्रशा और डेनमार्क के बीच युद्ध का सबसे...