जय शिव ओंकारा आरती इमेज

  1. Shiv Ji Ki Aarti
  2. शिव आरती: अर्थ व भावार्थ सहित, ॐ जय शिव ओंकारा आरती हिंदी में, Shivji Ki Aarti
  3. Shiv Aarti: महाशिवरात्रि पर करें भगवान शिव की आरती, ॐ जय शिव ओंकारा…
  4. शिवजी की आरती
  5. Shiv Aarti: ओम जय शिव ओंकारा….इस आरती के साथ भगवान शिव की पूजा करें संपन्न


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Shiv Ji Ki Aarti

भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए के लिए शिव आरती (Om jai Shiv Omkara), शिव भजन और शिव मंत्रों का पाठ किया जाता है। कहा जाता है कि भगवान शिव की आरती के बिना पूजा अधूरी मानी गई है. शिव जी की आरती घी लगी हुई रुई की बत्ती और कपूर से करनी चाहिए। दुनिया भर में भगवान शिव के अनेक भक्त हैं। जो भगवान शिव की भक्ति में रहते हैं उनकी पूजा अर्चना करते हैं। आइये हम भी भगवान शिव की आरती पढ़कर उनकी आराधना करते हैं। यह भी पढ़ें – भगवान शिव की आरती जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा । ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥ एकानन चतुरानन पंचानन राजे । हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥ दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे। त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥ अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी । चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥ श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे । सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥ कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता । जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥ ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका । प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥ काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी । नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥ त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे । कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥ जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा| ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥ यह भी पढ़ें – Download This Image Shiv ji Aarti English Translation OM JAI SHIV OMKARA, PRABHU JAI SHIV OMKARA BRAHMA VISHNU SADA SHIV, ARDHANGII DHARA OM JAI SHIV OMKARA… EKANANA CHATURANAN PANCHANAN RAJE HANSANAN, GARURAASAN VRISHVAHAN SAJE OM JA...

शिव आरती: अर्थ व भावार्थ सहित, ॐ जय शिव ओंकारा आरती हिंदी में, Shivji Ki Aarti

शिव जी की आरती (Shivji Ki Aarti) की बात ही कुछ निराली है क्योंकि भगवान शिव की भक्ति करके जो आनंद हमें मिलता है उतना ही आनंद भगवान शिव भी पाते हैं। शिव भोले की आरती (Shiv Aarti) की बात ही कुछ ऐसी है, भोलेनाथ की आरती करके उन्हें जल्दी प्रसन्न भी किया जा सकता है। उनकी आरती की रचना शिवानन्द जी के द्वारा की गयी थी। इस लेख में आपको सर्वप्रथम शिव आरती जय शिव ओंकारा आरती हिंदी में (Om Jai Shiv Omkara Lyrics In Hindi) पढ़ने को मिलेगी। तत्पश्चात शिवजी की आरती का हिंदी अनुवाद आपको समझाया जाएगा। अंत में शिव की आरती का भावार्थ भी पढ़ने को मिलेगा ताकि आप इसके भावों को अच्छे से समझ सकें। आइए पढ़ें शिव आरती हिंदी अर्थ सहित। शिव आरती (Shiv Aarti) जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा।। ॐ जय शिव ओंकारा एकानन चतुरानन पंचानन राजे। हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे।। ॐ जय शिव ओंकारा दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे।। ॐ जय शिव ओंकारा अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी। चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी।। ॐ जय शिव ओंकारा श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे। सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे।। ॐ जय शिव ओंकारा कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी। सुखकारी दुखकारी जगपालन कारी।। ॐ जय शिव ओंकारा ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका।। ॐ जय शिव ओंकारा काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी। नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी।। ॐ जय शिव ओंकारा (बाद में जोड़ी गयी पंक्ति) त्रिगुण शिव जी की आरती जो कोई नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे।। ॐ जय शिव ओंकारा… जय शिव ओंकारा आरती हिंदी में अर्थ सहित (Om Jai Shiv Omkara Ly...

Shiv Aarti: महाशिवरात्रि पर करें भगवान शिव की आरती, ॐ जय शिव ओंकारा…

Shiv Ji Ki Aarti: महाशिवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म के लोगों के लिए बड़ा ही खास होता है। इस दिन श्रद्धालु शिव की भक्ति में रंगे नजर आते हैं। शिव के मंदिरों में भक्तों का तांता लग जाता है। इस दिन शिवलिंग का जलाभिषेक करने की भी विशेष परंपरा है। शिव और शक्ति (माता पार्वती) के मिलन की रात्रि के तौर पर इस पर्व को मनाया जाता है। अमावस्या से एक दिन पहले की रात में शिवरात्रि मनाई जाती है। महाशिवरात्रि के दिन शिव को पंचामृत से स्नान जरूर करवाना चाहिए। पूजा के समय भगवान शंकर को चंदन का तिलक जरूर लगाएं। इस दिन शिवलिंग पर तीन बेलपत्र, भांग, धतूरा, कमल गट्टे, इत्र जरूर चढ़ाएं। इसी के साथ मौसमी फल, मीठा पान और सफेद मिठाई भी शिव को अर्पित करें। भगवान शिव को खीर का भोग लगाएं। पूरे दिन शिव की मन ही मन अराधना करते रहें। रात्रि के किसी भी प्रहर में विधि विधान पूजा करें। पूजा करने के बाद भगवान शिव की इस आरती का गान करना न भूलें। एकानन चतुरानन पंचानन राजे । हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥ दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे। त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥ अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी । चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥ श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे । सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥ कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता । जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥ ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका । प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥ काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी । नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥ त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे । कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥

शिवजी की आरती

शिवजी की आरती Shivji Ki Aarti ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी। त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे। सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी। सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा। पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा। भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला। शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी। नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

Shiv Aarti: ओम जय शिव ओंकारा….इस आरती के साथ भगवान शिव की पूजा करें संपन्न

Shiv Ji Ki Aarti: आज से सावन का पावन महीना शुरू हो चुका है। कहा जाता है कि ये माह भगवान शिव को अति प्रिय है। तभी तो इस पूरी महीने शिव भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के उपाय करते हैं। खास बात ये है कि इस बार सावन महीने की शुरुआत सोमवार के दिन से हुई है। सावन में आने वाले सोमवार के व्रत रखने की बड़ी महिमा बताई जाती है। कहा जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से सावन सोमवार व्रत रखता है उसकी सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। लेकिन सोमवार व्रत की पूजा में भगवान शिव की इस आरती को उतारना न भूलें। जो इस प्रकार है… Shiv Aarti (ॐ जय शिव ओंकारा… आरती): ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी। त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे। सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी। सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा। पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा। भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला। शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी। नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पा...