काला बाला का देवता

  1. Rpsc GK with RG Bhaskar
  2. राजस्थान के प्रमुख लोक देवता (Major Folk Deities of Rajasthan)
  3. श्री बाला त्रिपुर
  4. राजस्थान में लोक देवता व देवियाँ Question
  5. राजस्थान के लोक देवता


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Rpsc GK with RG Bhaskar

• लोक देवता तेजाजी • तेजाजी का जन्म 1074 ईस्वी में माघ शुक्ल चतुर्दशी को खरनाल (नागौर) जिले में हुआ था। • तेजाजी के पिता जी का नाम ताहड़ जी जाट और माताजी का नाम राजकंवर था। • तेजाजी धोलिया गोत्र के नागवंशी जाट है। • तेजाजी का विवाह पनेर (अजमेर) के रायचंद्र की पुत्री पेमलदे से हुआ था। • तेजाजी की बहन जिसका नाम राजल था। • तेजाजी की घोड़ी का नाम लीलण था • तेजाजी को गायों के मुक्तिदाता और नागों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। • तेजाजी के पुजारी को धोड़ला और तेजाजी के चबूतरे को थान कहा जाता है। • तेजाजी की मूर्ति भालाधारी अश्वारोही योद्धा के रूप में है। • तेजाजी का पुजारी किसी व्यक्ति को सांप काटने पर जहर मुंह से चूस कर निकालता है। • राजस्थान में फसल की बिजाई के समय किसान तेजाजी के गीत गाते हैं जिनको तेजा टेर कहा जाता है। • राजस्थान के प्रसिद्ध लोक देवता तेजाजी गाय के गोमूत्र/ गोबर की राख से सांप के जहर का उपचार किया करते थे। • तेजाजी को गौरक्षक लोक देवता कहा जाता है। • तेजाजी को काला बाला का देवता भी कहा जाता है। • तेजाजी को कृषि कार्यों के लिए उपकारक देवता माना जाता है। • तेजाजी राजस्थान में धौलियावीरा के नाम से भी प्रसिद्ध है। • तेजाजी ने लाछा गुजरी की गायों को मेर के मीणाओं से छुड़वाया था। • नागौर जिले में लाछा गुजरी की छतरी बनी हुई है। • तेजाजी की मृत्यु(1103ई) बासक नामक नाग के काटने से हुई थी। • तेजाजी की मृत्यु का समाचार उनकी घोड़ी लीलन के द्वारा उनके घर पहुंचाया गया था। • तेजाजी पर ₹5 की डाक टिकट भी जारी की गई थी। • • तेजाजी के प्रसिद्ध स्थल • • सैंदरिया (अजमेर) यहां पर तेजाजी को सांप ने डसा था। जहां तेजाजी का स्थान बना हुआ है। • सुरसुरा (अजमेर) यहां तेजाजी का निधन...

राजस्थान के प्रमुख लोक देवता (Major Folk Deities of Rajasthan)

राजस्थान के प्रमुख लोक देवता (Major Folk Deities of Rajasthan)- • 1. रामदेव जी (Ramdev Ji) • 2. गोगाजी (Gogaji) • 3. पाबूजी (PabuJi) • 4. मेहाजी मांगलिया (Mehaji Mangalia) • 5. हडबू जी सांखला (Hadbu Ji Sankhala) • 6. तेजाजी (Tejaji) • 7. देवनारायण जी (Devnarayan Ji) • 8. मल्लीनाथ जी (Mallinath Ji) • 9. तल्लीनाथ जी (Tallinath Ji) • 10. बिग्गा जी या वीर बग्गाजी (Bigga Ji) • 11. हरिराम जी (Hariram Ji) • 12. केसरिया कुंवर जी (Kesariya Kunwar Ji) • 13. झरड़ा जी (Jharda Ji) • 14. जुंझार जी (Junjhar Ji) • 15. मामादेव (Mamadev) • 16. आलम जी (Alam Ji) • 17. खेतला जी (Khetla Ji) • 18. डूंगजी-जवाहर जी (Doong Ji-Jawahar Ji) • 19. वीर फत्ता जी (Veer Fatta Ji) • 20. देव बाबा (Dev Baba) • 21. कल्ला जी राठौड़ (Kallaji Rathore) • 22. खेतरपाल जी या क्षेत्रपला जी (Khetarpal Ji) • 23. भूरिया बाबा (Bhuriya Baba) • 24. भोमिया बाबा (Bhomia Baba) • 25. हरिमन बाबा (Hariman Baba) • 26. ओम बन्ना जी (Om Banna Ji) • 27. दशरथ मेघवाल जी (Dashrath Meghwal Ji) • 28. फत्ता जी (Fatta Ji) • 29. पनराज जी (Panraj Ji) • 30. पत्तर जी (Pattar Ji) • 31. ईलोजी (Eulogy) निम्नलिखित 5 लोक देवताओं को पंच पीर कहते हैं।- • 1. रामदेव जी (Ramdev Ji) • 2. गोगाजी (Gogaji) • 3. पाबूजी (PabuJi) • 4. मेहाजी मांगलिया (Mehaji Mangalia) • 5. हडबू जी सांखला (Hadbu Ji Sankhala) • उपर्युक्त 5 लोक देवताओं को हिन्दू तथा मूस्लिम दोनों धर्मों के लोग पूजते हैं या मानते हैं। 1. रामदेव जी (Ramdev Ji)- • पूरा नाम- रामदेव जी तंवर • जन्म स्थान- उण्डू काश्मीर, बाड़मेर जिला, राजस्थान • जन्म दिन- 1409 ई. • पिता- अजमल जी तंवर या अजमाल जी • अजमाल ज...

श्री बाला त्रिपुर

भगवती श्रीबाला का ध्यान : अरुण किरण जालै रंजीता सावकाशा, विधृत जपवटीका पुस्तकाभीति हस्ता । इतरकर वराढय़ा फुल्ल कल्हार संस्था , निवसतु ह्यदी बाला नित्य कल्याण शीला ।। (छवि: श्री राजराजेश्वरी पीठ, कड़ी, उत्तर गुजरात) माँ श्री बाला त्रिपुर-सुन्दरी मां भगवती का बाला सुंदरी स्वरुप है. ‘दस महा-विद्याओ’ में तीसरी महा-विद्या भगवती षोडशी है, अतः इन्हें तृतीया भी कहते हैं । वास्तव में आदि-शक्ति एक ही हैं, उन्हीं का आदि रुप ‘काली’ है और उसी रुप का विकसित स्वरुप ‘षोडशी’ है, इसी से ‘षोडशी’ को ‘रक्त-काली’ नाम से भी स्मरण किया जाता है । भगवती तारा का रुप ‘काली’ और ‘षोडशी’ के मध्य का विकसित स्वरुप है । प्रधानता दो ही रुपों की मानी जाती है और तदनुसार ‘काली-कुल′ एवं ‘श्री-कुल′ इन दो विभागों में दशों महा-विद्यायें परिगणित होती हैं । भगवती षोडशी के मुख्यतः तीन रुप हैं – (१) श्री बाला त्रिपुर-सुन्दरी या श्री बाला त्रिपुरा, (२) श्री षोडशी या महा-त्रिपुर सुन्दरी तथा (३) श्री ललिता त्रिपुर-सुन्दरी या श्री श्रीविद्या । आठ वर्षीया स्वरुप बाला त्रिपुर सुन्दरी का, षोडश-वर्षीय स्वरुप षोडशी स्वरुप तथा ललिता त्रिपुर सुन्दरी स्वरुप युवा अवस्था को माना है । श्री विद्या की प्रधान देवि ललिता त्रिपुर सुन्दरी है । यह धन, ऐश्वर्य भोग एवं मोक्ष की अधिष्ठातृ देवी है । अन्य विद्यायें को मोक्ष की विशेष फलदा है, तो कोई भोग की विशेष फलदा है परन्तु श्रीविद्या की उपासना से दोनों ही करतल-गत हैं । ‘श्री बाला’ का मुख्य मन्त्र तीन अक्षरों का है और उनका पूजा-यन्त्र ‘नव-योन्यात्मक’ जिसे बाला यंत्रभी कहा गया है । अतः उन्हें ‘त्रिपुरा’ या ‘त्र्यक्षरी’ नामों से भी अभिहित करते हैं । ‘श्री ललिता’ या ‘श्री श्रीविद्या’ का मुख्य मन्...

राजस्थान में लोक देवता व देवियाँ Question

प्रश्न 121लांगुरिया गीत निम्न में से किस देवी से संबंधित है - (अ)शीला माता (ब)कैला देवी (स)करणी माता (द)राणी सती उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 122निम्नलिखित में से किसे राठौड़ राजवंश की कुल देवी के रूप में भी जाना जाता है - (अ)बाणमाता (ब)नागनेची (स)अन्नपूर्णा (द)शाकम्भरी उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 123शीतला माता का मुख्य मन्दिर कहां अवस्थित है - (अ)आमेर (ब)चाकसू (स)सांगानेर (द)विराट नगर उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 124किस लोक देवता की पत्नी उनकी मृत्यु के बाद सही हो गई - (अ)मल्लीनाथ (ब)हरबूजी (स)तेजाजी (द)देवजी उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 125‘बीजासण माता’ का मंदिर किस जिले में स्थित है - (अ)झालावाड़ (ब)जालौर (स)सवाई माधोपुर (द)बूंदी उत्तर SHOW ANSWER जोगणिया माता - भीलवाड़ा से संबंधित है। प्रश्न 127निम्न में से किस लोक देवता को ‘काला और बाला’ का देवता भी कहा जाता है - (अ)वीर कल्लाजी (ब)वीर तेजाजी (स)केसरिया कुंवर जी (द)मेहाजी मांगळिया जी उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 128करणी माता की इष्ट देवी थी - (अ)रूपण माता (ब)सचिया माता (स)तेमड़ाराय देवी (द)तनोटिया देवी उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 129पाबूजी के पवाड़े रेबारी जाति के द्वारा किस वाद्य यंत्र के साथ गाये जाते हैं - (अ)माठ (ब)रावणहत्था (स)डेरू (द)झांझ उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 130गोगाजी की शीर्ष मेड़ी स्थित है - (अ)नोहर (ब)ददरेवा (स)सुरसुरा (द)सैंदरिया उत्तर SHOW ANSWER page no.(13/24)

राजस्थान के लोक देवता

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • मारवाड़ के पंच पीर (1) गोगाजी (2) पाबूजी (3) हड़बूजी (4) रामदेव जी (5) मेहा जी। पाबू, हड़बू, रामदे, मांगलिया मेहा। पाँचों पीर पधारजो गोगाजी गेहा।। गोगाजी चौहान • पंच पीरों में सर्वाधिक प्रमुख स्थान। • जन्म – संवत् 1003 में, जन्म स्थान – ददरेवा (चूरू)। • पिता – जेवरजी चौहान, माता – बाछल दे, पत्नी – कोलुमण्ड (फलौदी, जोधपुर) की राजकुमारी केलमदे (मेनलदे)। • केलमदे की मृत्यु साँप के कांटने से हुई जिससे क्रोधित होकर केलमदे को जीवित करते हैं। तभी से गोगाजी नागों के देवता के रूप में पूजे जाते हैं। • गोगाजी का अपने मौसेरे भाईयों अर्जन व सुर्जन के साथ जमीन जायदाद को लेकर झगड़ा था। अर्जन – सुर्जन ने मुस्लिम आक्रान्ताओं ( गोगाजी वीरतापूर्वक लड़कर शहीद हुए। • युद्ध करते समय गोगाजी का सिर शीर्षमेडी (शीषमेडी) तथा धड़ धड़मेड़ी/ धुरमेड़ी/गोगामेड़ी भी कहते हैं। • बिना सिर के ही गोगाजी को युद्ध करते हुए देखकर जाहिर पीर(प्रत्यक्ष पीर) कहा। • उत्तर प्रदेश में गोगाजी को जहर उतारने के कारण जहर पीर/जाहर पीर भी कहते हैं। • गोगामेड़ी का निर्माण बिस्मिल्लाह लिखा है तथा इसकी आकृति मकबरेनुमा है। गोगामेड़ी का वर्तमान स्वरूप बीकानेर के महाराजा गोगामेड़ी, हनुमानगढ़ में भव्य मेला भरता है। • गोगाजी की आराधना में श्रद्धालु सांकल नृत्य करते हैं। • • प्रतीक चिहृ – सर्प। • • गोगाजी की ध्वजा सबसे बड़ी ध्वजा मानी जाती है। • ‘ गोगाजी की ओल्डी‘ नाम से प्रसिद्ध गोगाजी का अन्य पूजा स्थल – साँचौर (जालौर)। • गोगाजी से सम्बन्धित वाद्य यंत्र – डेरू। • किसान वर्षा के बाद खेत जोतने से पहले हल व बैल को गोगाजी के नाम की राखी गोगा राखड़ीबांधते हैं। • स...