कालरात्रि माता का भोग

  1. Navratri 7th day 2022: Maa Kalratri Navratri Seventh Day Puja Vidhi know favorite mantra flowers colors and aarti
  2. Maa Kaalratri जाने कालरात्रि माँ की कहानी, आरती, मंत्र व पूजा
  3. तन्त्र साधना एवं सिद्धि प्राप्ति विधि तथा माता कालरात्री का विशिष्ट भोग।।
  4. Navratri 2020 Seven Day of Shardiya Navaratri Maa Kaalratri Puja Vidhi Mantra Bhog Subh Color
  5. Maa Kalratri Puja Vidhi, Mantra, Katha: मां कालरात्रि के विकराल रूप को देख क्यों भक्त करते हैं नवरात्रि पर अपनी आंखें दान, जानें मां से जुड़ा ये गूढ़ रहस्य Chaitra Navratri 2022 Maa Kalratri puja vidhi mantra katha vrat prasad bhog why people donate their eyes to mata Kalratri on chaitra navratri 2022 day 7 dharm latest news
  6. Gupt Navratri 2023: गुप्त नवरात्रि के दौरान किस दिन क्या भोग लगाएं? जानें देवघर के ज्योतिषी से
  7. Chaitra Navratri 2022: सातवें दिन होती है माता कालरात्रि की पूजा, पढ़ें विधि और व्रत कथा


Download: कालरात्रि माता का भोग
Size: 61.76 MB

Navratri 7th day 2022: Maa Kalratri Navratri Seventh Day Puja Vidhi know favorite mantra flowers colors and aarti

चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन 8 अप्रैल, शुक्रवार को है। नवरात्रि के सातवें दिन को दुर्गा सप्तमी के नाम से भी जानते हैं। इस दिन मां कालरात्रि की पूजन का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, मां कालरात्रि की पूजा करने वाले भक्तों पर मां दुर्गा की विशेष कृपा बनी रहती है। कैसा है मां कालरात्रि का स्वरूप- मां कालरात्रि के चार हाथ हैं। उनके एक हाथ में खड्ग (तलवार), दूसरे लौह शस्त्र, तीसरे हाथ में वरमुद्रा और चौथा हाथ अभय मुद्रा में हैं। मां कालरात्रि का वाहन गर्दभ है। चैत्र नवरात्रि की अष्टमी 8 या 9 अप्रैल को? जानें डेट, शुभ मुहूर्त व कन्या पूजन टाइमिंग मां कालरात्रि का प्रिय रंग और पुष्प- मां कालरात्रि को रातरानी का पुष्प अर्पित करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि मां कालरात्रि को लाल रंग प्रिय है। इसलिए पूजा के समय लाल रंग का गुलाब या गुड़हल अर्पित करना चाहिए। मां कालरात्रि पूजन विधि- नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि का पूजन किया जाता है। माता रानी को अक्षत, पुष्प, धूप, गंधक और गुड़ आदि का भोग लगाएं। मां कालरात्रि को रातरानी पुष्प अतिप्रिय है। पूजन के बाद मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करना चाहिए। व अंत में आरती उतारें। अप्रैल 2022 में कब है हनुमान जी का जन्मदिन? यहां पढ़ें जन्मोत्सव से जुड़े वैचारिक मतभेद व पूजन का उत्तम मुहूर्त मां कालरात्रि का ध्यान- करालवंदना धोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्। कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युतमाला विभूषिताम॥ दिव्यं लौहवज्र खड्ग वामोघो‌र्ध्व कराम्बुजाम्। अभयं वरदां चैव दक्षिणोध्वाघ: पार्णिकाम् मम॥ महामेघ प्रभां श्यामां तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा। घोरदंश कारालास्यां पीनोन...

Maa Kaalratri जाने कालरात्रि माँ की कहानी, आरती, मंत्र व पूजा

Maa Kaalratri माँ की कहानी, मंत्र व पूजा विधि Download Aarti PDF & JPG नवरात्रि का सातवां दिन कालरात्रि माता ( Maa Kaalratri) को समर्पित है। माता दुर्गा अपने उग्र व हिंसक रूप में कालरात्रि के रूप में जानी जाती हैं| माता का यह रूप महाकाली की ही एक अभिव्यक्ति है। एक तरफ माता का यह रूप बुरी शक्तियों के प्रति अत्यंत ही उग्र और हिंसक है वही दूसरी ओर माँ अपने भक्तों के प्रति अत्यंत करूणामयी, कोमल और को शांत है | माता इस रूप मे अपने भक्तो को बुरी शक्तियों का सामना करने का साहस और उनका नाश करने की शक्ति देती है| कालरात्रि माता की कथा Kaalratri Mata Ki Katha Page Contents • • • • • पौराणिक कथाओ के अनुसार शुंभ और निशुंभ दो राक्षसों Kaalratri Mata) का रूप ले लिया। और इन दोनों राक्षसों को मार गिराया| देवी कालरात्रि (Kaalratri Devi) के रूप मे ही माता ने अत्यंत बलशाली राक्षस रक्तबीज का वध किया था| रक्तबीज को वरदान प्राप्त था की उसके खून की हर एक बूँद जो जमींन पर गिरेगी उससे एक और रक्तबीज जन्म ले लेगा| जब माता ने उसका वध किया तो उसका सारा खून पी गयी और खून का एक बूँद भी जमींन पर गिरने नहीं दिया| इसीलिये माता के इस रूप मे उनकी जीभ रक्त रंजित लाल है |( Kaalratri Mata Ki Katha) कालरात्रि ( Kaalratri) दो शब्दों को मिला कर बना है, एक शब्द है काल जिसका अर्थ है “मृत्यु” यह दर्शाता है वह है जो अज्ञानता को नष्ट करती है| और एक शब्द है रात्रि, माता को रात के अंधेरे के गहरे रंग का प्रतीक दर्शाया है | कालरात्रि का रूप दर्शाता है कि एक करूणामयी माँ अपनी सन्तान की सुरक्षा के लिए आवश्यकता होने पर अत्यंत हिंसक और उग्र भी हो सकती है। कालरात्रि माता का स्वरूप Maa Kaalratri Ka Swaroop कालरात्रि माँ (Maa Kaa...

तन्त्र साधना एवं सिद्धि प्राप्ति विधि तथा माता कालरात्री का विशिष्ट भोग।।

तन्त्र साधना एवं सिद्धि प्राप्ति विधि तथा माता कालरात्री और शनिदेव का सम्बन्ध पूजा-विधि एवं विशेष भोग ।। Tantra Siddhi Hetu Kalratri Ki Pooja. जय श्रीमन्नारायण, मित्रों, जगतजननी, जगत्कल्याणि, जगन्माता श्री दुर्गा का सप्तम रूप माता श्री कालरात्रि हैं । ये काल का नाश करने वाली हैं, इसलिए कालरात्रि कहलाती हैं ।। नवरात्रि के सप्तम दिन इनकी पूजा और अर्चना की जाती है । इस दिन साधक को अपना चित्त सहस्रार चक्र में स्थिर कर साधना करनी चाहिए । संसार में काल का नाश करने वाली देवी “कालरात्री” ही हैं ।। भक्तों की सामान्य पूजा मात्र से ही उनके सभी दु:ख-संताप आदि माता भगवती हर लेती हैं । दुश्मनों का नाश करने वाली तथा मनोवांछित फल देकर अपने भक्तों को संतुष्ट करती हैं ।। किसी भी नवरात्रि में सातवां दिन सप्तमी को माता कालरात्रि की उपासना का विधान है । मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, इनका वर्ण अंधकार की भाँति काला है ।। इनके केश बिखरे हुए हैं, कंठ में विद्युत की कान्ति बिखेरनेवाली माला तथा तीन नेत्र ब्रह्माण्ड की तरह विशाल एवं गोल हैं जिनमें से बिजली की भाँति किरणें निकलती रहती हैं ।। मित्रों, इनकी नासिका से निकलनेवाली श्वास-प्रश्वास से जैसे अग्नि की भयंकर ज्वालायें निकलती रहती हैं । माँ का यह भय उत्पन्न करने वाला स्वरूप केवल पापियों का नाश करने के लिये ही है ।। माँ कालरात्रि अपने भक्तों को सदैव शुभ फल प्रदान करने वाली हैं । माता कालरात्रि को शुभंकरी भी कहा जाता है क्योंकि ये अपने भक्तों का सदा ही शुभ ही करती हैं ।। दुर्गा पूजा के सप्तम दिन साधक का मन “सहस्रार” चक्र में स्थित होता है । मधु कैटभ नामक महापराक्रमी असुर से अपने भक्तों के जीवन की रक्षा हेतु भगवान विष्णु को निंद्...

Navratri 2020 Seven Day of Shardiya Navaratri Maa Kaalratri Puja Vidhi Mantra Bhog Subh Color

नवरात्रि का सातवां दिन: मां कालरात्रि भक्तों को काल से बचाती हैं, जानिए देवी मां की पूजा विधि, मंत्र, भोग, शुभ रंग शारदीय नवरात्रि का आज यानी 23 अक्टूबर, 2020सातवां दिन है। आजका दिन मां कालरात्रि को समर्पित होता है। मान्यता है कि मां कालरात्रि भक्तों को अभय वरदान देने के साथ ग्रह बाधाएं भी दूर करती... शारदीय नवरात्रि का आज यानी 23 अक्टूबर, 2020 सातवां दिन है। आज का दिन मां कालरात्रि को समर्पित होता है। मान्यता है कि मां कालरात्रि भक्तों को अभय वरदान देने के साथ ग्रह बाधाएं भी दूर करती हैं। मां कालरात्रि की अराधना से आकस्मिक संकटों से मुक्ति मिलती है। जानिए शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की कृपा पाने के लिए कैसे करें पूजा, भोग, शुभ रंग और मंत्र- Navratri 2020 7th Day: दैत्य रक्तबीज का वध करने के लिए माता पार्वती ने लिया था कालरात्रि रूप, पढ़ें ये पौराणिक कथा भक्तों को देती हैं मां कालरात्रि ये आशीर्वाद मान्यता है कि नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की विधि-विधान से पूजा करने वाले भक्तों पर माता रानी अपनी कृपा बरसाती हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, मां कालरात्रि अपने भक्तों को काल से बचाती हैं। मतलब जो भक्त मां के इस स्वरूप की अराधना करते हैं उनकी अकाल मृत्यु नहीं होती है। मां कालरात्रि का सिद्ध मंत्र- ‘ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:।’ मंत्र- एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥ वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा। वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥ Dhanteras 2020: धनतेरस कब है? दक्षिण दिशा में दीपक जलाने के पीछे की ये है पौराणिक कहानी मां कालरात्रि को क्या लगाएं भोग- नवरात्रि के सातवें द...

Maa Kalratri Puja Vidhi, Mantra, Katha: मां कालरात्रि के विकराल रूप को देख क्यों भक्त करते हैं नवरात्रि पर अपनी आंखें दान, जानें मां से जुड़ा ये गूढ़ रहस्य Chaitra Navratri 2022 Maa Kalratri puja vidhi mantra katha vrat prasad bhog why people donate their eyes to mata Kalratri on chaitra navratri 2022 day 7 dharm latest news

Maa Kalratri Puja Vidhi, Mantra, Katha: मां कालरात्रि के विकराल रूप को देख क्यों भक्त करते हैं नवरात्रि पर अपनी आंखें दान, जानें मां से जुड़ा ये गूढ़ रहस्य Chaitra Navratri 2022 Maa Kalratri puja vidhi mantra katha vrat prasad bhog why people donate their eyes to mata Kalratri on chaitra navratri 2022 day 7 dharm latest news - News Nation नई दिल्ली : Maa Kalratri Puja Vidhi, Mantra, Katha: माता कालरात्रि की पूजा नवरात्रि के सातवें दिन की जाती है. मां कालरात्रि को देवी पार्वती के समतुल्य माना गया है. मां कालरात्रि माता पार्वती का वो स्वरूप हैं जिनकी न सिर्फ सात्विक अपितु तामसिक पूजा भी जाती है. मां कालरात्रि के नाम में ही उनकी उत्पत्ति का कारण छिपा हुआ है. मां कालरात्रि के नाम का अर्थ 'काल' अर्थात् 'मृत्यु' और 'रात्रि' अर्थात् 'रात' है. देवी के नाम का शाब्दिक अर्थ अंधेरे को ख़त्म करने वाली है. ऐसे में आज हम आपको मां कालरात्रि से जुड़े एक बड़े ही विचित्र रहस्य के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके अनुसार नवरात्रि पर मां कालरात्रि के समक्ष भक्त अपनी आंखें दान करते हैं. यह भी पढ़ें: मां कालरात्रि का स्वरूप देवी भागवत पुराण के अनुसार, देवी कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला है और इनके श्वास से आग निकलती है. मां के बाल बड़े और बिखरे हुए हैं और गले में धारण की हुई माला बिजली की तरह चमकती रहती है. मां कालरात्रि को आसुरी शक्तियों का विनाश करने वाला बताया गया है. इसके साथ ही जमान के तीन नेत्र ब्रह्माण्ड की तरह विशाल व गोल हैं. मां के चार हाथ हैं, जिनमें एक हाथ में खडग, अर्थात तलवार, दूसरे में लौह अस्त्र, तीसरा हाथ अभय मुद्रा में हैं और चौथा वरमुद्रा में है. माता का यह स्वरूप बेहद विकराल है...

Gupt Navratri 2023: गुप्त नवरात्रि के दौरान किस दिन क्या भोग लगाएं? जानें देवघर के ज्योतिषी से

परमजीत कुमार/देवघर. आसाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुप्त नवरात्रि मनाई जाएगी. इस नवरात्रि में तंत्र साधना की जाती है. इस दौरान 9 दिन में देवी के 9 रूपों की पूजा होती है. प्रतिपदा से नवमी तक देवी को विशेष भोग लगाने और उस भोग को गरीबों में दान करने से सारी मनोकामना पूर्ण होती है. ये बातें बैद्यनाथधाम के ज्योतिषाचार्य पंडित नन्द किशोर मुदगल ने कहीं. ज्योतिषाचार्य पंडित नन्द किशोर मुदगल के मुताबिक, आसाढ़ महीने की गुप्त नवरात्रि 19 जून से शुरू हो रही है. नौ दिन के इस अनुष्ठान में भक्तों को चाहिए कि वे देवियों को विशेष भोग लगाएं और उस भोग को गरीबों में दान करें. इससे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही शारीरिक कष्ट से मुक्ति मिलती है. इन नौ दिनों में देवियों को अलग अलग फूलों की माला भी अर्पण करनी चाहिए. पहले दिन शैलपुत्री की पूजा: गुप्त नवरात्रि के पहला दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है. इस दिन घी से बनी मिठाई का भोग लगाएं और गरीबों में दान करें. इसके साथ ही कनेल फूल की माला माता को अर्पित करें. इससे शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी. दूसरे दिन माता ब्राह्मचारनी की पूजा: गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्राह्मचारनी की पूजा की जाती है. इस दिन शक्कर से बने प्रसाद का भोग लगाएं. साथ ही गरीबों को दान करें. पूजा में बेली फूलो से बनी माला अर्पण करें. इससे दीर्घायु होते हैं. तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा: गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. इस दिन माता को दूध चढ़ाये और गरीब को दान करें. हर्श्रृंगार फूलो की माला अर्पण करें. इससे सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है. चौथे दिन माता कूष्मांडा की पूजा: गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन माता कू...

Chaitra Navratri 2022: सातवें दिन होती है माता कालरात्रि की पूजा, पढ़ें विधि और व्रत कथा

डीएनए हिंदी: आज चैत्र नवरात्रि की सप्तमी तिथि यानी नवरात्र का सातवां दिन हैं. इस दिन शक्ति के रूप मां दुर्गा के सातवें स्वरूप माता कालरात्रि की पूजा की जाती है. मां कालरात्रि को काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, चंडी आदि नामों से भी जाना जाता है. मान्यता है कि मां कालरात्रि की पूजा अर्चना करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. साथ ही जीवन में आने वाली सभी बाधाएं भी दूर हो जाती हैं. ऐसे करें देवी की पूजा (Chaitra Navratri 2022 Maa kaalratri Puja Vidhi) • इस दिन भी सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े धारण करें. • सबसे पहले गणपति बप्पा की अराधना करें. • फिर माता कालरात्रि की पूजा में अक्षत, धूप, रातरानी के पुष्प, गंध, रोली, चंदन का इस्तेमाल करते हुए उनका पूजन करें. • मां को पान, सुपारी भेंट करें. • घी या कपूर जलाकर मां कालरात्रि की आरती करें और कथा सुनें. • देवी कालरात्रि को गुड़ का भोग लगाएं. ये भी पढ़ें- देवी कालरात्रि का मंत्र (Maa kaalratri Mantra) ॐ ऐं ह्रीं क्रीं कालरात्रै नमः या देवी सर्वभू‍तेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। मां की कथा (Chaitra Navratri 2022 Maa kaalratri Vrat Katha) देवी भागवत पुराण (Bhagwat puran) के अनुसार, मां कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला है, सिर के बाल बिखरे हुए हैं, गले में बिजली की तरह चमकने वाली एक माला है. मां के तीन नेत्र हैं जो ब्रह्मांड की तरह बिल्कुल गोल और विशाल हैं. मां की चार भुजाएं हैं जिसमें एक हाथ में उन्होंने तलवार, दूसरे में लौह अस्त्र, तीसरा हाथ अभय मुद्रा में और चौथा वरमुद्रा में है. मां कालरात्रि का वाहन गर्दभ है. ऐसी मान्यता है कि मां अपने इस स्...