कानूनी अधिकार कितने प्रकार के होते हैं

  1. अधिकार का अर्थ, परिभाषा, प्रकार/वर्गीकरण, सिद्धांत
  2. अधिकार कितने प्रकार के होते हैं?
  3. कानूनी अधिकार कितने हैं? – ElegantAnswer.com
  4. मौलिक अधिकार किसे कहते हैं, मानव अधिकार के प्रकार
  5. अधिकार क्या है? अधिकार कितने प्रकार के होते है? MA POLITICAL SCIENCE
  6. 16 कानूनी अधिकार जो हर भारतीय को पता होना आवश्यक है!
  7. मानव अधिकार क्या है मानव अधिकार कितने प्रकार के होते हैं?


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अधिकार का अर्थ, परिभाषा, प्रकार/वर्गीकरण, सिद्धांत

सालमण्ड के अनुसार," क़ानूनी अधिकार एक ऐसा हित है जो क़ानून के शासन द्वारा मान्य और सुरक्षित किया जाता है और जिसका आदर करना एक क़ानूनी कर्तव्य है।" अधिकार का अर्थ (adhikar kya hai) अधिकारों का व्यक्ति के जीवन मे बहुत बड़ा स्थान है, क्योंकि अधिकारों के अभाव मे व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास सम्भव नही है। मानव के पूर्ण विकास के लिए स्वतंत्रता आवश्यक है तथा स्वतंत्रता का महत्व तभी है, जब मनुष्य उसका उपयोग कर सके एवं राज्य और समाज उसे मान्यता दें। जब स्वतंत्रता को राज्य की मान्यता मिल जाती है, तो वह अधिकार बन जाती है। पर इसका यह अर्थ नही है कि अधिकारों की उत्पत्ति राज्य द्वारा होती है। वे तो समाज मे पैदा होते है, राज्य तो सिर्फ उन्हें मान्यता प्रदान करता है। अधिकार की परिभाषा (adhikar ki paribhasha) लाॅस्की के अनुसार " अधिकार मानव जीवन की वे परिस्थितियां है, जिनके बिना सामान्यतः कोई व्यक्ति अपना पूर्ण विकास नही कर सकता। बार्कर के अनुसार " अधिकार न्याय की उस सामान्य व्यवस्था का परिणाम है जिस पर राज्य और उसके कानून आधारित है। जी.डी. रिची के अनुसार " नैतिक अधिकार एक व्यक्ति की ओर से दूसरे के प्रति ऐसे दावे है जिन्हें समाज ने मान्यता दे दी हो। जब राज्य इन दावों को कानूनी मान्यता दे देता है तब वे कानूनी अधिकार बन जाते है। बोसांक के अनुसार " अधिकार समाज द्वारा स्वीकृत और राज्य द्वारा क्रियान्वित एक माँग है। गार्नर के अनुसार " अधिकार वे शक्तियाँ है जो नैतिक प्राणी होने के नाते मनुष्य के कार्यों की पूर्ति के लिए आवश्यक है।" बाइल्ड के अनुसार " कुछ विशेष कार्यों को करने की स्वतंत्रता की विवेकपूर्ण मांग को अधिकार कहते है। उपरोक्त परिभाषाओं की विवेचना करने पर कुछ बातें स्पष्ट होती है। कि स...

अधिकार कितने प्रकार के होते हैं?

6 मौलिक अधिकार के नाम • समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18) • स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22) • शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 24) • धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28) • संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 और 30) • संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32) संपत्ति के अधिकार को मूल अधिकार से निकालकर 42 वें संविधान संशोधन द्वारा कानूनी अधिकार बना दिया गया है। इसे संविधान के भाग बारे में अनुच्छेद 300क कानूनी अधिकार की संज्ञा दी गई।

कानूनी अधिकार कितने हैं? – ElegantAnswer.com

कानूनी अधिकार कितने हैं? इसे सुनेंरोकेंभारत एक लोकतंत्र है। लोकतांत्रिक प्रणाली में हर नागरिक को कुछ संवैधानिक अधिकार प्राप्त होते हैं। प्रतिकूल कब्जे 2020 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले? इसे सुनेंरोकेंसुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है कि प्रतिकूल कब्जे के स्वामित्व में परिपक्व होने के आधार पर टाइटल ( स्वामित्व ) घोषणा के लिए एक वाद सुनवाई योग्य है। इस मामले में, वादी ने यह कहते हुए टाइटल की घोषणा के लिए एक वाद दायर किया कि वाद की संपत्ति पर प्रतिकूल कब्जे ने उसे कुछ अधिकार प्रदान किए हैं। कानून का नियम क्या है? इसे सुनेंरोकेंविधि (या, कानून) किसी नियमसंहिता को कहते हैं। विधि प्रायः भलीभांति लिखी हुई दिशा व निर्देशों (इन्स्ट्रक्शन्स) के रूप में होती है। समाज को सम्यक ढंग से चलाने के लिये विधि अत्यन्त आवश्यक है। विधि मनुष्य का आचरण के वे सामान्य नियम होते हैं जो राज्य द्वारा स्वीकृत तथा लागू किये जाते है, जिनका पालन अनिवार्य होता है। भारत का सर्वश्रेष्ठ कानून कौन सा है? इसे सुनेंरोकेंसंविधान वह सर्वोच्च कानून है जिसका सभी को पालन करना पड़ता है। गिरफ़्तारी और सजा में क्या अंतर है? इसे सुनेंरोकेंएक गिरफ्तारी एक सजा से काफी अलग है और दोनों स्थितियों में एक आपराधिक बचाव वकील गिरफ्तारी के आसपास के मुद्दों और निम्नलिखित जांच से निपटने में विशेष रूप से सहायक हो सकता है। एक गिरफ्तारी को मरियम-वेबस्टर डिक्शनरी द्वारा “कानून के अधिकार द्वारा हिरासत में लेने या रखने के कृत्य” के रूप में परिभाषित किया गया है। कानून कितने प्रकार? इसे सुनेंरोकेंसाधारणतया वर्तमान समय के राज्यों में दो प्रकार के कानून होते हैं-साधारण कानून और संवैधानिक कानून । इन दोनों प्रकार के कानूनों में से संवैधानिक कानूनों द्वार...

मौलिक अधिकार किसे कहते हैं, मानव अधिकार के प्रकार

मौलिक अधिकार मानव जीवन के लिए बहुत ही जरूरी होता है क्योंकि इसके बिना कोई भी माना ना तो अपने व्यक्तित्व का विकास कर पाता है और ना ही समाज के लिए उपयोगी कार्य कर पाता है। मानव अधिकार ऐसी शक्ति है जो सभी मानव के गरिमा को बनाए रखती है। मानव अधिकार के अंदर ही मौलिक अधिकार भी आता है। आपने मौलिक अधिकार के बारे में तो कई बार सुना होगा लेकिन क्या आप मानव अधिकार के बारे में जानते हैं? यदि नहीं तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें। आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको, मौलिक अधिकार किसे कहते हैं? मानव अधिकार किसे कहते हैं ? मानव अधिकार के प्रकार, के बारे में जानकारी देने वाले हैं। मानवाधिकार का अर्थ मानवाधिकार का अर्थ है अधिकार जो किसी भी राष्ट्र में रह रहे सभी मनुष्य को प्राप्त होता है। यह अधिकार देश में रह रहे वयस्कों, बच्चों, स्त्रियों, बूढ़ों सभी को प्राप्त है। ऐसी अधिकार जो मानव की गरिमा को बनाए रखते हैं, मानवाधिकार कहलाते हैं। हंट के अनुसार, “मानवाधिकार मानवीय विचारों की स्वतंत्रता भी व्यक्ति है जो सैद्धांतिक अभी मूल्यों की आधारशिला है। जिससे मानव उन्नति के शिखर पर अग्रसर होता है।” श्रीनिवास शास्त्री के अनुसार ,“अधिकार समुदाय के कानून द्वारा स्वीकृत वह व्यवस्था नियम अथवा रीति है जो नागरिक के सर्वोच्च नैतिक कल्याण में सहायक हो।” मानव अधिकार के प्रकार मानव अधिकारों को कुल पांच भागों में बांटा गया है:- • सिविल अधिकार • राजनीतिक अधिकार • आर्थिक अधिकार • सामाजिक अधिकार • सांस्कृतिक अधिकार 1. सिविल अधिकार सिविल अधिकार को हम नागरिक अधिकार भी करते हैं यह लोकतंत्र का एक अनिवार्य घटक है। यह जाति या धर्म की परवाह किए बिना सामान सामाजिक अवसरों और कानून के तहत सुरक्षा की गारंटी देते हैं। जब लोगों को ...

अधिकार क्या है? अधिकार कितने प्रकार के होते है? MA POLITICAL SCIENCE

2 Related लास्की के अनुसार – लास्की ने अधिकार के बारे में बताया है कि एक राज्य अपने नागरिकों को जिस प्रकार के अधिकार प्रदान करता है, उन्हीं के आधार पर राज्य को अच्छा या बुरा कहा जा सकता है। इसकी परिभाषा को व्यक्त करते हुए लास्की ने कहा है कि अधिकार सामाजिक जीवन की वे परिस्थितियां हैं, जिनके अभाव में सामान्यतया कोई भी नागरिकों अपने व्यक्तित्व का विकास नहीं कर पाता है। अधिकारों को समर्थक दो भागों में विभाजित किया जाता है। • सबसे पहले आप का नैतिकअधिकार यानी मॉरल राइट और • दूसरा कानूनीअधिकार यानी लीगल राइट। अब हम दोनों प्रकारों को एक-एक करके समझते हैं। नैतिक अधिकार (moral right) – नैतिकअधिकार वे अधिकारहोते हैं जिनका संबंध मानव के नैतिक आचरण से होता है। इनअधिकारों को कानून का संरक्षण प्राप्त नहीं होता है। यानी अगर कोई नागरिक नैतिकअधिकार का पालन नहीं करता है तो कानून उसे दंडित नहीं कर सकता है। इन्हें सिर्फ समाज के द्वारा ही स्वीकृत किया जाता है। जैसे अगर कोई नागरिक वृद्ध हो गया है तो यह उसका नैतिकअधिकार है जो उसके बच्चे उसकी देखभाल ठीक उसी तरह करें जैसे उसने अपने बच्चों की देखभाल की थी। जब वे छोटे थे तो आप देखी ही पाते होंगे कि आजकल ऐसे कई लोग हैं जो अपने वृद्ध मां बाप का ध्यान नहीं रखते हैं। लेकिन इस सब में जो कानून है, इन सब मामलों में दखल नहीं दे सकता है तो यही था आप का नैतिक अधिकार। कानूनी अधिकार अब जो अधिकार का दूसरा प्रकार कानूनी अधिकार है। उसके बारे को समझ लेते हैं। कानूनीअधिकार वे विशेषाधिकार होते हैं जो एक नागरिक को अपने राज्य द्वारा प्रदान किए जाते हैं और अगर कोई नागरिक इन अधिकारोंका उल्लंघन करता है तो कानून उसे दंडित भी कर सकता है। कानूनी अधिकारों को भी दो भागों में व...

16 कानूनी अधिकार जो हर भारतीय को पता होना आवश्यक है!

भारत एक लोकतंत्र है। लोकतांत्रिक प्रणाली में हर नागरिक को कुछ संवैधानिक अधिकार प्राप्त होते हैं। हर नागरिक को अपने कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी होना आवश्यक है, शिक्षा और जागरूकता के अभाव में बहुत सारे नागरिकों को अपने कानूनी अधिकार नहीं पता होते, जिसकी वजह से हम परेशानी, भ्रष्टाचार और धोखेबाजी का शिकार हो जाते हैं। आइए जानते है इन क़ानूनी अधिकारों के बारे में :- • आपके एल.पी.जी गैस कनेक्शन के साथ आपको 40 लाख रूपये तक की इंश्योरेंस स्वत: मिलती है। यानि खुदा-न-खास्ता यदि आपके गैस सिलिंडर में विस्फोट होता है तो आपको 40 लाख रूपये तक का मुआवजा मिल सकता है। • अगर आप किसी कंपनी द्वारा भेंट किये हुए तोहफे को स्वीकार करते हैं तो आप पर कोई भी व्यक्ति रिश्वत लेने का मुकदमा चला सकता है। आजकल कंपनियों में लोगों को तोहफे भेजने की परम्परा बनती जा रही है। सरकार द्वारा इस तरह की परम्परा को खत्म करने के लिए वर्ष 2010 में एक कानून बनाया गया और इस कानून के मुताबिक अगर आप किसी कंपनी से किसी तरह का तोहफा लेते हैं तो उसको रिश्वत समझा जायेगा और आप पर कानूनी कार्यवाही हो सकती है। • भारत में केवल महिला पुलिस अधिकारी के पास ही महिलाओं को गिरफ्तार करके सुरक्षित थाने में ले जाने का अधिकार होता है l अगर भारत में किसी महिला को पुरुष पुलिस अधिकारी गिरफ्तार करके थाने में लेकर जाता है तो इसको अपराध माना जाता है और ऐसे पुलिस अधिकारियों पर कानूनी कारवाई हो सकती है। अगर किसी महिला को रात के 6 बजे से लेकर सुबह के 6 बजे समय के बीच पुलिस स्टेशन आने के लिए कहा जाता है तो उस महिला को अधिकार है कि वह पुलिस स्टेशन आने से मना कर सकती है। • इनकम टैक्स अधिकारियों या कर वसूल करने वाले अधिकारियों के पास आपको गिरफ्त...

मानव अधिकार क्या है मानव अधिकार कितने प्रकार के होते हैं?

विषयसूची Show • • • • • • • • • • • • • मानव अधिकार का अर्थ मानव अधिकार शब्द हिन्दी का युग्म शब्द है जो दो शब्दो मानव + अधिकार से मिलकर बना है। मानव अधिकारों से आशय मानव के अधिकार से है। मानव अधिकार शब्द को पूर्णत: समझने के पूर्व हमें अधिकार शब्द को समझना होगा - हैराल्ड लास्की के अनुसार, ‘‘अधिकार सामाजिक जीवन की वे परिस्थितियाँ है जिसके बिना आमतौर पर कोई व्यक्ति पूर्ण आत्म-विकास की आशा नहीं कर सकता।’’ वाइल्ड के अनुसार, ‘‘कुछ विशेष कार्यो के करने की स्वतंत्रता की विवेकपूर्ण माँग को अधिकार कहा जाता है।’’ बोसांके के शब्दो में, ‘‘अधिकार वह माँग है जिसे समाज स्वीकार करता है और राज्य लागू करता है।’’ अधिकार वे सुविधाएँ है जो व्यक्ति को जीने के लिए, उसके व्यक्तित्व को पुष्पित और पल्लवित करने के लिए आवश्यक है। मानव अधिकार का क्षेत्र अत्यंत व्यापक है। इसकी परिधि के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के नागरिक, राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों का समावेश है। अपनी व्यापक परिधि के कारण मानव अधिकार शब्द का प्रयोग भी अत्यंत व्यापक विचार-विमर्श का विषय बन गया है। मानव अधिकारकीपरिभाषा मानव अधिकार को विभिन्न विद्वानों ने अपने-अपने ढंग से परिभाषित करने का प्रयास किया है - आर.जे. विसेंट का मत है कि ‘‘मानव अधिकार वे अधिकार है जो प्रत्येक व्यक्ति को मानव होने के कारण प्राप्त है। इन अधिकारों का आधार मानव स्वभाव में निहित है।’’ ए.ए. सईद के अनुसार, ‘‘मानव अधिकारों का सम्बन्ध व्यक्ति की गरिमा से है एवं आत्म-सम्मान का भाव जो व्यक्तिगत पहचान को रेखांकित करता है तथा मानव समाज को आगे बढाता है।’’ डेविड सेलवाई का विचार है कि ‘‘मानव अधिकार संसार के समस्त व्यक्तियों को प्राप्त है, क्योंकि ये स्वयं में...