कार्तिक एकादशी कब है 2022

  1. Dev Prabodhini Ekadashi 2022: इस बार देव प्रबोधिनी एकादशी है बेहद खास, जानिए क्यों?
  2. Rama Ekadashi 2022: कब है रमा एकादशी व्रत? जानें तिथि, पूजा मुहूर्त, पारण समय और महत्व
  3. Utpanna Ekadashi 2022 Kab Hai Puja Vidhi Lord Vishnu Devi Ekadashi Worship Importance
  4. Dev Uthani Ekadashi 2022 Kab Hai Date Dev Prabodhini Ekadashi Muhurat Lord Vishnu Puja Vidhi
  5. rama ekadashi 2022 date when is rama ekadashi fasting know exact date auspicious time worship method and rules tvi
  6. Rama Ekadashi 2022:इस साल कब है रमा एकादशी व्रत? जानिए तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व
  7. देवउठनी एकादशी 2022 व्रत दिनांक व मुहूर्त New Delhi, India
  8. Dev Uthani Ekadashi 2022 Kab Hai Date Dev Prabodhini Ekadashi Muhurat Lord Vishnu Puja Vidhi
  9. Rama Ekadashi 2022: कब है रमा एकादशी व्रत? जानें तिथि, पूजा मुहूर्त, पारण समय और महत्व
  10. देवउठनी एकादशी 2022 व्रत दिनांक व मुहूर्त New Delhi, India


Download: कार्तिक एकादशी कब है 2022
Size: 17.33 MB

Dev Prabodhini Ekadashi 2022: इस बार देव प्रबोधिनी एकादशी है बेहद खास, जानिए क्यों?

Dev Prabodhini Ekadashi 2022: कार्तिक शुक्ल एकादशी 4 नवंबर 2022 शुक्रवार को 117 दिन की योगनिद्रा से भगवान श्रीहरि जागने वाले हैं। देव का उत्थान होने वाला है, देव का प्रबोधन होने वाला है, देव उठने वाले हैं, देव जागने वाले हैं। सप्तलोकों में घंटे, घड़ियाल, शंख की मंगल ध्वनि गूंज उठेगी। चारों ओर भगवान श्रीहरि की जय-जयकार होगी। इस बार देवोत्थान एकादशी के दिन माता लक्ष्मी के प्रिय दिन शुक्रवार का संयोग भी आ रहा है। इसलिए यह दिन श्रीहरि के साथ मां लक्ष्मी की कृपा पाने का भी सबसे उत्तम दिन बन गया है। देव उठनी एकादशी इस बार खास होगी। बड़ी एकादशी पर जब भगवान विष्णु निद्रा से जागेंगे तो उस दिन माता लक्ष्मी का प्रिय दिन शुक्रवार रहेगा। इस कारण मां लक्ष्मी की आराधना भी होगी। यह दिन देव दीवाली के रूप में भी मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार एकादशी व्रत का फल सौ राजसूय यज्ञ तथा एक सहस्त्र अश्वमेध यज्ञ के फल के बराबर होता है। इस एकादशी के दिन जो भी मनुष्य श्रद्घापूर्वक जो कुछ भी जप-तप और स्नान-दान करते हैं, वह सब अक्षय फलदायक होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करके, दिनभर निराहार व्रत रखकर रात्रि जागरण करने समस्त कर्म सुफल देते हैं मनुष्य जीवित रहते हुए पृथ्वी पर समस्त सुखों का भोग करता है। व्रती के अनजाने में किए गए पापों का नाश होता है तथा मृत्यु के उपरांत श्रीहरि के विमान में बैठकर बैकुंठ लोक को जाता है। देवोत्थान एकादशी के दिन बिल्वपत्र को प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए।

Rama Ekadashi 2022: कब है रमा एकादशी व्रत? जानें तिथि, पूजा मुहूर्त, पारण समय और महत्व

रमा एकादशी व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी ति​​थि को रखा जाता है. जो भी व्यक्ति रमा एकादशी व्रत की कथा को पढ़ता या सुनता है, उसके पाप मिट जाते हैं. इस व्रत को करने वाला व्यक्ति मृत्यु के बाद विष्णु लोक में स्थान प्राप्त करता है. Rama Ekadashi 2022: हिंदू कैलेंडर के आधार पर रमा एकादशी का व्रत हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी ति​​थि को रखा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने का विधान है. रमा एकादशी का व्रत करने से ब्रह्म हत्या सहित अनेक प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं. जो भी व्यक्ति रमा एकादशी व्रत की कथा को पढ़ता या सुनता है, उसके भी पाप मिट जाते हैं. इस व्रत को करने वाला व्यक्ति मृत्यु के बाद विष्णु लोक में स्थान प्राप्त करता है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कि रमा एकादशी व्रत कब है और पूजा मुहूर्त एवं पारण समय क्या है? रमा एकादशी 2022 तिथि पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 20 अक्टूबर दिन गुरुवार को शाम 04 बजकर 04 मिनट से शुरू होगी और यह तिथि अगले दिन 21 अक्टूबर शुक्रवार को शाम 05 बजकर 22 मिट तक मान्य रहेगी. अब उदयातिथि को देखा जाए तो 21 अक्टूबर को प्राप्त हो रही है, इसलिए रमा एकादशी का व्रत 21 अक्टूबर को रखा जाएगा. यह भी पढ़ें: कब है अहोई अष्टमी व्रत? जानें तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व रमा एकादशी 2022 पूजा मुहूर्त रमा एकादशी के दिन प्रात:काल से ही शुक्ल योग प्रारंभ हो रहा है, जो शाम 05 बजकर 48 मिनट तक है. उसके बाद से ब्रह्म योग प्रारंभ हो जाएगा. ये दोनों ही योग पूजा पाठ के लिए शुभ हैं. रमा एकादशी व्रत की पूजा करने का श्रेष्ठ मुहूर्त प्रात: 07 ब...

Utpanna Ekadashi 2022 Kab Hai Puja Vidhi Lord Vishnu Devi Ekadashi Worship Importance

Utpanna Ekadashi 2022 Puja: कार्तिक माह 8 नवंबर को खत्म हो जाएगा और मार्गशीर्ष माह की शुरुआत हो जाएगी. मार्गशीर्ष यानी अगहन मास में आने वाली एकादशी का विशेष महत्व है. मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकदाशी कहा जाता है. मान्यता है कि जो भक्ति भाव और सच्ची श्रद्धा के साथ उत्पन्ना एकादशी का व्रत करता है उसे अश्वमेघ यज्ञ करने के समान फल प्राप्त होता है. इस माह में श्रीकृष्ण की उपासना का विधान है. वहीं एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है. इस साल कब है उत्पन्ना एकादशी, जानें मुहूर्त और महत्व. उत्पन्ना एकादशी 2022 डेट (Utpanna Ekadashi 2022 Date) उत्पन्ना एकादशी का व्रत इस साल 20 नवंबर 2022, रविवार को रखा जाएगा. एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अति प्रिय है. इस दिन उनका पूजन-मंत्रों का जाप करने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. कहते हैं कि एकादशी व्रत के परिणाम स्वरूप व्यक्ति को मृत्यु के बाद यमराज की यातनाएं नहीं सेहनी पड़ती. साथ ही कई जन्मों के मृतक परिजन भी तर जाते हैं. उत्पन्ना एकादशी 2022 मुहूर्त (Utpanna Ekadashi 2022 Muhurat) हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि की शुरुआत 19 नवंबर 2022 को सुबह 10 बजकर 29 मिनट पर होगी और उत्पन्ना एकादशी तिथि का समापन 20 नवंबर 2022 को सुबह 10 बजकर 41 मिनट पर होगा. एकादशी व्रत का पारण अगले दिन द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद किया जाता है. उत्पन्ना एकादशी व्रत पारण समय - सुबह 06:48 - सुबह 08:56 उत्पन्ना एकादशी व्रत महत्व (Utpanna Ekadashi Significance) देवी एकादशी श्रीहरि का ही शक्ति रूप है.पद्म पुराण के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने उत्पन्न होकर असुर मुर का संहार किया था इसलिए इसका नाम उत्पन्ना एकादशी पड़ा.मान्यता है कि उत्पन्ना एक...

Dev Uthani Ekadashi 2022 Kab Hai Date Dev Prabodhini Ekadashi Muhurat Lord Vishnu Puja Vidhi

Dev Uthani Ekadashi 2022: हिंदू धर्म में देव शयनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi 2022) के बाद श्रीहरि का शयन काल शुरु होता है जो चतुर्मास के चार महीने तक रहता है. दे‌व उठनी एकादशी के बाद से सभी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, यज्ञोपवित संस्कार आदि शुरू हो जाते है. आइए जानते हैं इस साल कब है देव उठनी एकादशी, मुहूर्त और महत्व. देवउठनी एकादशी 2022 कब ? (When is Dev uthani ekadashi 2022) साल में पड़ने वाली 24 एकादशियों में देवउठनी एकादशी सबसे बड़ी और बहुत महत्वपूर्ण एकदाशी मानी जाती है. इस साल देव उठनी एकादशी 4 नवंबर 2022 को है. इस दिन से जगत के पालनहार भगवान विष्णु सृष्टि का कार्यभार संभालेंगे. देवउठनी एकादशी 2022 मुहूर्त (Dev uthani ekadashi 2022 Muhurat) हिंदू पंचांग के अनुसार देवउठनी एकादशी तिथि 03 नवंबर 2022 को शाम 07 बजकर 30 मिनट पर प्रारंभ होगी. देवउत्थान एकादशी तिथि का समापन 04 नवंबर 2022 को शाम 06 बजकर 08 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार देवउठनी एकादशी का व्रत 04 नवंबर को रखा जाएगा. देवउठनी एकादशी व्रत पारण समय - सुबह 06.39 - सुबह 08.52 (5 नवंबर 2022) देवउठनी एकादशी पर विष्णु जी को कैसे जगाएं ? (Dev uthani ekadashi Puja Vidhi)_ देवउठनी एकादशी पर श्रीहरि की रात्रि में शुभ मुहूर्त में पूजा की जाती है. आंगन में चूना और गेरू से रंगोली बनाई जाती है जिस पर गन्ने मंडप बनाते हैं. इसमें भगवान विष्णु के शालीग्राम स्वरूप की पूजा की जाती है. शालीग्राम जी को नए वस्त्र और जनेऊ अर्पित करने के बाद उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये, त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्॥ इस मंत्र तेज स्वर में उच्चारण करते हुए श्रीहरि को जगाया जाता है. इस दिन 11 दीपक देवी-देवताओं के निमित्त जलाएं...

rama ekadashi 2022 date when is rama ekadashi fasting know exact date auspicious time worship method and rules tvi

Rama Ekadashi 2022 Date: रमा एकादशी व्रत कब है? जानें सही तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और नियम हिंदू धर्म में रमा एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है. रमा एकादशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है. इसके कुछ दिनों बाद ही दीपावली का पर्व मनाया जाता है. जानें इस बार रमा एकादशी व्रत 2022 कब है? पूजा का शुभ मुहूर्त और नियम नोट कर लें. Rama Ekadashi 2022: रमा एकादशी कार्तिक मास (Kartik Maas) के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है. मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत करता है, उसे सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है. ऐसी मान्यता है कि रमा एकादशी का व्रत करने से ब्रह्म हत्या जैसे महापाप से भी मुक्ति मिल जाती है. अगर यह व्रत सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं तो उसे सुख और सौभाग्य प्राप्त होता है. जानें इस बार रमा एकादशी 2022 (Rama Ekadashi 2022) कब है? पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व क्या है? आगे पढ़ें... रमा एकादशी तिथि- 21 अक्टूबर, शुक्रवार एकादशी तिथि प्रारंभ- 20 अक्टूबर, गुरुवार, 4:07 बजे, शाम एकादशी तिथि समाप्त- 21 अक्टूबर, शुक्रवार, 5: 25 बजे, शाम रमा एकादशी व्रत : उदया तिथि के अनुयार 21 अक्टूबर, दिन शुक्रवार को रखा जायेगा रामा दकादशी व्रत पारण: रमा एकादशी व्रत का पारण 22 अक्टूबर, दिन शनिवार को प्रात: सूर्योदय के बाद कर सकते हैं. • रमा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठ जायें. • इसके बाद स्नानादि जैसे सभी कार्यों से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें. • रमा एकादशी के दिन निर्जला व्रत रखें. • अपने सामर्थ्यनुसार एक समय का फलाहार व्रत भी रख सकते हैं. • इस दिन विष्णु जी और उनकी पत्नी लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है. • पूजा करने के बाद विष्णु जी और लक्ष्मी जी को भोग लगा...

Rama Ekadashi 2022:इस साल कब है रमा एकादशी व्रत? जानिए तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

Rama Ekadashi 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रमा एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने का विधान है। रमा एकादशी को सबसे शुभ और महत्वपूर्ण एकादशी माना जाता है। इसे कार्तिक कृष्ण एकादशी या रम्भा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। ये एकादशी दिवाली के चार दिन पहले आती है। रमा एकादशी व्रत को सबसे महत्वपूर्ण एकादशी में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि रमा एकादशी का व्रत करने से ब्रह्महत्या सहित अनेक प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं। जो भी व्यक्ति रमा एकादशी व्रत की कथा को पढ़ता या सुनता है, उसके भी पाप मिट जाते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं रमा एकादशी की तिथि पूजा विधि और महत्व के बारे में...

देवउठनी एकादशी 2022 व्रत दिनांक व मुहूर्त New Delhi, India

कार्तिक मास में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान, देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी दीपावली के बाद आती है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयन करते हैं और कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन उठते हैं, इसीलिए इसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में 4 माह शयन के बाद जागते हैं। भगवान विष्णु के शयनकाल के चार मास में विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किये जाते हैं, इसीलिए देवोत्थान एकादशी पर भगवान हरि के जागने के बाद शुभ तथा मांगलिक कार्य शुरू होते हैं। इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है। देवोत्थान एकादशी व्रत और पूजा विधि प्रबोधिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन और उनसे जागने का आह्वान किया जाता है। इस दिन होने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार हैं- ●इस दिन प्रातःकाल उठकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए और भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए। ●घर की सफाई के बाद स्नान आदि से निवृत्त होकर आंगन में भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनाना चाहिए। ●एक ओखली में गेरू से चित्र बनाकर फल,मिठाई,बेर,सिंघाड़े,ऋतुफल और गन्ना उस स्थान पर रखकर उसे डलिया से ढांक देना चाहिए। ●इस दिन रात्रि में घरों के बाहर और पूजा स्थल पर दीये जलाना चाहिए। ●रात्रि के समय परिवार के सभी सदस्य को भगवान विष्णु समेत सभी देवी-देवताओं का पूजन करना चाहिए। ●इसके बाद भगवान को शंख, घंटा-घड़ियाल आदि बजाकर उठाना चाहिए और ये वाक्य दोहराना चाहिए- उठो देवा, बैठा देवा, आंगुरिया चटकाओ देवा, नई सूत, नई कपास, देव उठाये कार्तिक मास तुलसी विवाह का आयोजन देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है। तुलसी के वृक्ष और शालिग्राम की यह शादी सामान्य व...

Dev Uthani Ekadashi 2022 Kab Hai Date Dev Prabodhini Ekadashi Muhurat Lord Vishnu Puja Vidhi

Dev Uthani Ekadashi 2022: हिंदू धर्म में देव शयनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi 2022) के बाद श्रीहरि का शयन काल शुरु होता है जो चतुर्मास के चार महीने तक रहता है. दे‌व उठनी एकादशी के बाद से सभी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, यज्ञोपवित संस्कार आदि शुरू हो जाते है. आइए जानते हैं इस साल कब है देव उठनी एकादशी, मुहूर्त और महत्व. देवउठनी एकादशी 2022 कब ? (When is Dev uthani ekadashi 2022) साल में पड़ने वाली 24 एकादशियों में देवउठनी एकादशी सबसे बड़ी और बहुत महत्वपूर्ण एकदाशी मानी जाती है. इस साल देव उठनी एकादशी 4 नवंबर 2022 को है. इस दिन से जगत के पालनहार भगवान विष्णु सृष्टि का कार्यभार संभालेंगे. देवउठनी एकादशी 2022 मुहूर्त (Dev uthani ekadashi 2022 Muhurat) हिंदू पंचांग के अनुसार देवउठनी एकादशी तिथि 03 नवंबर 2022 को शाम 07 बजकर 30 मिनट पर प्रारंभ होगी. देवउत्थान एकादशी तिथि का समापन 04 नवंबर 2022 को शाम 06 बजकर 08 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार देवउठनी एकादशी का व्रत 04 नवंबर को रखा जाएगा. देवउठनी एकादशी व्रत पारण समय - सुबह 06.39 - सुबह 08.52 (5 नवंबर 2022) देवउठनी एकादशी पर विष्णु जी को कैसे जगाएं ? (Dev uthani ekadashi Puja Vidhi)_ देवउठनी एकादशी पर श्रीहरि की रात्रि में शुभ मुहूर्त में पूजा की जाती है. आंगन में चूना और गेरू से रंगोली बनाई जाती है जिस पर गन्ने मंडप बनाते हैं. इसमें भगवान विष्णु के शालीग्राम स्वरूप की पूजा की जाती है. शालीग्राम जी को नए वस्त्र और जनेऊ अर्पित करने के बाद उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये, त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्॥ इस मंत्र तेज स्वर में उच्चारण करते हुए श्रीहरि को जगाया जाता है. इस दिन 11 दीपक देवी-देवताओं के निमित्त जलाएं...

Rama Ekadashi 2022: कब है रमा एकादशी व्रत? जानें तिथि, पूजा मुहूर्त, पारण समय और महत्व

रमा एकादशी व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी ति​​थि को रखा जाता है. जो भी व्यक्ति रमा एकादशी व्रत की कथा को पढ़ता या सुनता है, उसके पाप मिट जाते हैं. इस व्रत को करने वाला व्यक्ति मृत्यु के बाद विष्णु लोक में स्थान प्राप्त करता है. Rama Ekadashi 2022: हिंदू कैलेंडर के आधार पर रमा एकादशी का व्रत हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी ति​​थि को रखा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने का विधान है. रमा एकादशी का व्रत करने से ब्रह्म हत्या सहित अनेक प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं. जो भी व्यक्ति रमा एकादशी व्रत की कथा को पढ़ता या सुनता है, उसके भी पाप मिट जाते हैं. इस व्रत को करने वाला व्यक्ति मृत्यु के बाद विष्णु लोक में स्थान प्राप्त करता है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कि रमा एकादशी व्रत कब है और पूजा मुहूर्त एवं पारण समय क्या है? रमा एकादशी 2022 तिथि पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 20 अक्टूबर दिन गुरुवार को शाम 04 बजकर 04 मिनट से शुरू होगी और यह तिथि अगले दिन 21 अक्टूबर शुक्रवार को शाम 05 बजकर 22 मिट तक मान्य रहेगी. अब उदयातिथि को देखा जाए तो 21 अक्टूबर को प्राप्त हो रही है, इसलिए रमा एकादशी का व्रत 21 अक्टूबर को रखा जाएगा. यह भी पढ़ें: कब है अहोई अष्टमी व्रत? जानें तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व रमा एकादशी 2022 पूजा मुहूर्त रमा एकादशी के दिन प्रात:काल से ही शुक्ल योग प्रारंभ हो रहा है, जो शाम 05 बजकर 48 मिनट तक है. उसके बाद से ब्रह्म योग प्रारंभ हो जाएगा. ये दोनों ही योग पूजा पाठ के लिए शुभ हैं. रमा एकादशी व्रत की पूजा करने का श्रेष्ठ मुहूर्त प्रात: 07 ब...

देवउठनी एकादशी 2022 व्रत दिनांक व मुहूर्त New Delhi, India

कार्तिक मास में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान, देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी दीपावली के बाद आती है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयन करते हैं और कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन उठते हैं, इसीलिए इसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में 4 माह शयन के बाद जागते हैं। भगवान विष्णु के शयनकाल के चार मास में विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किये जाते हैं, इसीलिए देवोत्थान एकादशी पर भगवान हरि के जागने के बाद शुभ तथा मांगलिक कार्य शुरू होते हैं। इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है। देवोत्थान एकादशी व्रत और पूजा विधि प्रबोधिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन और उनसे जागने का आह्वान किया जाता है। इस दिन होने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार हैं- ●इस दिन प्रातःकाल उठकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए और भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए। ●घर की सफाई के बाद स्नान आदि से निवृत्त होकर आंगन में भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनाना चाहिए। ●एक ओखली में गेरू से चित्र बनाकर फल,मिठाई,बेर,सिंघाड़े,ऋतुफल और गन्ना उस स्थान पर रखकर उसे डलिया से ढांक देना चाहिए। ●इस दिन रात्रि में घरों के बाहर और पूजा स्थल पर दीये जलाना चाहिए। ●रात्रि के समय परिवार के सभी सदस्य को भगवान विष्णु समेत सभी देवी-देवताओं का पूजन करना चाहिए। ●इसके बाद भगवान को शंख, घंटा-घड़ियाल आदि बजाकर उठाना चाहिए और ये वाक्य दोहराना चाहिए- उठो देवा, बैठा देवा, आंगुरिया चटकाओ देवा, नई सूत, नई कपास, देव उठाये कार्तिक मास तुलसी विवाह का आयोजन देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है। तुलसी के वृक्ष और शालिग्राम की यह शादी सामान्य व...