कार्तिक कृष्ण पक्ष एकादशी 2022

  1. रमा एकादशी 2022
  2. rama ekadashi 2022 date shubh muhurt importance significance upay in hindi know aaj ka panchang 21 october
  3. रमा एकादशी व्रत कथा और महत्व
  4. Dev Uthani Ekadashi 2022: कब है देवउठनी एकादशी? जानें तुलसी विवाह समेत क्या करना माना जाता है शुभ
  5. Dev Uthani Ekadashi 2022:आज है देवउठनी एकादशी, जानें सही मुहूर्त, पारण समय और महत्व
  6. Ekadashi Vrat List
  7. 2023 एकादशी व्रत
  8. Rama Ekadashi 2022:इस साल कब है रमा एकादशी व्रत? जानिए तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व
  9. Ekadashi Vrat List
  10. rama ekadashi 2022 date shubh muhurt importance significance upay in hindi know aaj ka panchang 21 october


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रमा एकादशी 2022

हिंदू धर्म में व्रत उपवास का महत्व बहुत अधिक है। हर महीने आने वाली एकादशियों का माहात्म्य तो ओर भी अधिक है। हर एकादशी की अपनी एक खास विशेषता होती है। उसी प्रकार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी भी खास है। आइये जानते हैं इसके महत्व, व्रत एवं पूजा विधि के बारे में। 2022में कब है रमा एकादशी इस वर्ष रमा एकादशी 21 अक्टूबर दिनशुक्रवार कोहै। रमा एकादशी व्रत तिथि व शुभ मुहूर्त रमा एकादशी तिथि - 21अक्टूबर 2022 पारण का समय – प्रातः 06:26बजे से 08:42तक (22अक्टूबर 2022) एकादशी तिथि आरंभ – दोपहर 16:04बजे(20 अक्टूबर 2022) से एकादशी तिथि समाप्त – दोपहर 17:22बजे (21 अक्टूबर 2022) तक क्यों कहते हैं इसे रमा एकादशी कार्तिक का महीना एकादशी पौराणिक कथा युद्धिष्ठर की जिज्ञासा को शांत करते हुए भगवान श्री कृष्ण रमा एकादशी की कथा कहते हैं। बहुत समय पहले की बात है एक मुचुकुंद नाम के राजा हुआ करते थे। बहुत ही नेमी-धर्मी राजा थे और भगवान विष्णु के भक्त भी। उनकी एक कन्या भी थी जिसका नाम था चंद्रभागा। चंद्रभागा का विवाह हुआ चंद्रसेन के पुत्र शोभन से। कार्तिक मास की दशमी की बात है कि शोभन अपनी ससुराल आये हुए थे। संध्याकाल में राजा ने मुनादी करवादी कि एकादशी को राज्य में उपवास किया जायेगा, कोई भी भोजन ग्रहण न करे। अब शोभन के लिये यह बड़ी मुश्किल की घड़ी थी क्योंकि शोभन ने कभी उपवास किया ही नहीं था दूसरा उससे भूख सहन नहीं होती थी। उसने अपनी समस्या को चंद्रभागा के सामने रखा तो उसने कहा कि हमारे राज्य में मनुष्य तो क्या पालतु जीव जंतुओं तक भोजन ग्रहण करने की अनुमति नहीं होती। तब विवश होकर शोभन उपवास के लिये तैयार हो गया लेकिन पारण के दिन का सूर्योदय वह नहीं देख पाया और उसने प्राण त्याग दिये। राजसी सम्मान...

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त्योहार - रमा एकादशी गुप्त मनोकामना की पूर्ति के लिए पीतल अथवा कांसे की कटोरी में चने की दाल, 12 पीले फूल और दो पीली मिठाई को रखकर भगवान विष्णु को अर्पित करते हुए अपनी मनोकामना का स्मरण करें. आचार्य विक्रमादित्य की भविष्यवाणी संक्रमित बीमारियां बढ़ने की संभावना. डेंगू, मलेरिया और मौसमी बीमारियां होंगी.

रमा एकादशी व्रत कथा और महत्व

लेख सारिणी • • • • • • रमा एकादशी का महत्व रमा एकादशी कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष के 11वें दिन और दीवाली से चार दिन पहले मनाई जाती है। यह कार्तिक कृष्ण रमा एकादशी व्रत कथा रमा एकादशी की कथा – पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन समय में एक नगर में मुचुकंद नाम के एक प्रतापी राजा रहते थे, जिनकी चंद्रभागा नामक एक पुत्र थी। जब राजा की पुत्री बड़ी हो गई तो राजा ने उसका विवाह राजा चंद्रसेन के बेटे शोभन के साथ कर दिया। कथाओं में किए वर्णन के अनुसार शोभन एक समय बिना खाए नहीं रह सकता था। एक बार की बात है, कार्तिक मास के महीने में शोभन अपनी पत्नी के साथ उसके यहां यानि ससुराल आया। जिस दौरान रमा एकादशी का व्रत पड़ गया। चंद्रभागा के गृह राज्य में सभी रमा एकादशी का नियम पूर्वक व्रत रखते थे। जिसके चलते चंद्रभागा के पति शोभन को भी ऐसा ही करने के लिए कहा गया। मगर शोभन इस बात को लेकर परेशान हो गया कि वह तो एक पल भी भूखा नहीं रह सकता है तो वह रमा एकादशी का व्रत कैसे करेगा। अपनी इस परेशानी को लेकर वह अपनी पत्नी चंद्रभागा के पास गया और उपाय बताने के लिए कहा। तब चंद्रभागा ने कहा कि अगर ऐसा है तो आपको इस राज्य से बाहर जाना पड़ेगा। क्योंकि हमारे राज्य में तो ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो इस व्रत नियम का पालन न करता हो। यहां तक कि रमा एकादशी व्रत के दिन हमारे राज्य के जीव-जंतु भी भोजन नहीं करते। ये सुनकर शोभन को रमा एकादशी उपवास रखना पड़ा, किंतु व्रत का पारण करने से पहले ही उसकी मृत्यु हो गई। शोभन की पत्नी चंद्रभागा ने पति के साथ खुद को सती नहीं किया और पिता के यहां रहने लगी। उधर रमा एकादशी का व्रत के पुण्य से शोभन को अगले जन्म में मंदरांचल पर्वत पर आलीशान राज्य प्राप्त हुआ। एक बार की बात है कि मुचुकुंदपु...

Dev Uthani Ekadashi 2022: कब है देवउठनी एकादशी? जानें तुलसी विवाह समेत क्या करना माना जाता है शुभ

देवउठनी एकादशी के दिन ही योगनिद्रा से जागेंगे भगवान विष्णु कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष को रखा जाता है देवउठनी एकादशी का व्रत D ev Uthani Ekadashi 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन एकादशी का व्रत रखा जाता है लेकिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन पड़ने वाली एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इसे देवोत्थान एकादशी, देव प्रभोदिनी एकादशी, देवउठनी एकादशी जैसे नामों से भी जाना जाता है. इस बार देवउठनी एकादशी का व्रत और पूजन शुक्रवार 04 नवंबर 2022 को किया जाएगा. एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस दिन कुछ जगहों पर तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है. भगवान शालीग्राम और तुलसी के पौधे का विवाह कराया जाता है. सभी एकादशी में कार्तिक शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी का महत्व इसलिए भी और अधिक बढ़ जाता है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु पूरे चार माह बाद योगनिद्रा से जागते हैं. भगवान विष्णु के चार माह के शयनकाल से जागृत हाने के बाद उन्हें सबसे पहले तुलसी दल अर्पित की जाती है. आचार्य गुरमीत सिंह जी से जानते हैं देवउठनी एकादशी के महत्व के बारे में. ये भी पढ़ें: कब है शनि प्रदोष व्रत? जानें शिव पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस एकादशी के व्रत को करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है. भगवान विष्णु के जागृत होते ही चार माह से रुके हुए विवाह, गृहप्रवेश, जातकर्म, मुंडन आदि जैसे सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है. यह भी पढ़ेंः देवउठनी एकादशी मुहूर्त एकादशी तिथि आरंभ- गुरुवार 03 नवंबर शाम 07:30 से एकादशी तिथि समाप्त- शुक्रवार 04 नवंबर शाम 06:08 पर उदयातिथ...

Dev Uthani Ekadashi 2022:आज है देवउठनी एकादशी, जानें सही मुहूर्त, पारण समय और महत्व

Dev Uthani Ekadashi 2022: आज है देवउठनी एकादशी, जानें सही मुहूर्त, पारण समय और महत्व Dev Uthani Ekadashi 2022 Muhurat: आज 4 नवंबर 2022 दिन, शुक्रवार को देवउठनी एकादशी मनाई जा रही है। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी का व्रत रखा जाता है। एकादशी तिथि श्रीहरि विष्णु को समर्पित है। हर एकादशी का अपना अलग महत्व है। इसी तरह से कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु चार माह की लंबी निद्रा से जागते हैं। इसलिए इस एकादशी को देवोत्थान या देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। आम भाषा में इस देवउठनी ग्यारस और ड्योठान के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं देव उठनी एकादशी की तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि महत्व और पारण का समय। देवउठनी एकादशी तिथि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि प्रारंभ: 03 नवंबर, गुरुवार, सायं 07:30 मिनट पर कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का समापन: 04 नवंबर, शुक्रवार, सायं 06: 08 मिनट पर ऐसे में उदयातिथि के आधार पर देवउठनी एकादशी व्रत 04 नवंबर को रखा जाएगा। देवउठनी एकादशी पूजा मुहूर्त देवउठनी एकादशी का पूजा मुहूर्त: 04 नवंबर, शुक्रवार, प्रातः 06: 35 मिनट से प्रातः 10: 42 मिनट के मध्य लाभ-उन्नति मुहूर्त: 04 नवंबर, शुक्रवार, प्रातः 07:57 मिनट से प्रातः 09:20 मिनट तक अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: 04 नवंबर, शुक्रवार, प्रातः 09:20 मिनट से प्रातः10: 42 मिनट तक देवउठनी एकादशी पारण समय देवउठनी एकादशी व्रत का पारण तिथि : 05 नवंबर, शनिवार पारण समय: प्रातः 06:36 मिनट से प्रातः 08:47 मिनट के मध्य द्वादशी तिथि समाप्त: सायं 05:06 मिनट पर देवउठनी एकादशी पूजा विधि • देवउठनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहू्र्त में स्नान आ...

Ekadashi Vrat List

एकादशी व्रत का बहुत अधिक महत्व है और इस व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है। धार्मिक ग्रंथो के अनुसार भगवान शिवजी ने नारद से कहा कि एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। धार्मिक ग्रंथो के अनुसार भगवान शिवजी ने नारद से कहा कि एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। प्रत्येक वर्ष में बारह माह होते है. और एक माह में दो एकादशी होती है। अमावस्या से ग्यारहवीं तिथि, एकाद्शी तिथि, शुक्ल पक्ष की एकाद्शी कहलाती है। इसी प्रकार पूर्णिमा से ग्यारहवीं तिथि कृष्ण पक्ष की एकाद्शी कहलाती है। इस प्रकार हर माह में दो एकाद्शी होती है। जिस वर्ष में अधिक मास होता है। उस साल दो एकाद्शी बढने के कारण 26 एकाद्शी एक साल में आती है। यह व्रत प्राचीन समय से यथावत चला आ रहा है। इस व्रत का आधार पौराणिक, वैज्ञानिक और संतुलित जीवन है। विशेष – वैष्णव अर्थात सन्यासियों का व्रत स्मार्तों अर्थात गृहस्थियों के व्रत से दूसरे दिन होता है। जिसके आगे स्मार्थ या वैष्णव नहीं लिखा है। वह तिथि दोनों के लिए मान्य होगी। एकादशी व्रत की सूची संवत 2079 सन 2022-23 मास और पक्ष एकादशी व्रत तारीख पौष मास कृष्ण पक्ष सफला एकादशी 19 दिसंबर 2022 पौष मास शुक्ल पक्ष पुत्रदा एकादशी 2 जनवरी 2023 माघ मास कृष्ण पक्ष षटतिला एकादशी 18 जनवरी 2023 माघ मास शुक्ल पक्ष जया एकादशी 1 फरवरी 2023 फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष विजया एकादशी 16 फरवरी 2023 (स्मार्त) 17 फरवरी 2023 (वैष्णव) फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष आमलकी एकादशी 3 मार्च 2023 चैत्र मास कृष्ण पक्ष पापमोचनी एकादशी 18 मार्च 2023 एकादशी व्रत की सूची संवत 2080 सन 2023-2024 मास और पक्ष एकादशी व्रत तारीख चैत्र मास शुक्ल पक्ष कामदा एकादशी 0...

2023 एकादशी व्रत

2023 में आने वाली एकादशी व्रत |Ekadashi fast Date In Year 2023 वर्ष के बारह महीनों में कुल चौबीस एकाद्शिया होती हैं इसके अतिरिक्त जिस वर्ष अधिकमास पड़ता हैं तब दो एकाद्शिया बढ़ जाती हैं | इस प्रकार कुल छब्बीस एकादशिया होती हैं | भगवान नारायण की पूजा अर्चना की जाने वाली ये एकादशी व्रत 2023 में कब आ रहे हैं आइये इस पोस्ट के माध्यम से जानते हैं – दिनांक वार पक्ष एकादशी नाम 19 दिसम्बर 2022 सोमवार मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष वर्ष 2023 में सफला एकादशी नहीं है।) 2 जनवरी 2023 सोमवार पौष शुक्ल पक्ष 28 जनवरी 2023 शनिवार माघ कृष्ण पक्ष 01 फरवरी 2023 बुधवार माघ शुक्ल पक्ष 16 फरवरी 2023 गुरुवार फाल्गुन कृष्ण पक्ष विजया एकादशी 03 मार्च 2023 शुक्रवार फाल्गुन शुक्ल पक्ष 18 मार्च 2023 शनिवार चैत्र कृष्ण पक्ष 01 अप्रैल 2023 शनिवार चैत्र शुक्ल पक्ष 16 अप्रैल 2023 रविवार बैशाख कृष्ण पक्ष 01 मई 2023 सोमवार बैशाख शुक्ल पक्ष 15 मई 2023 सोमवार ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष 31 मई 2023 बुधवार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष भीम एकादशी 14 जून 2023 बुधवार आषाढ़ कृष्ण पक्ष 29 जून 2023 गुरुवार आषाढ़ शुक्ल पक्ष 13 जुलाई 2023 गुरुवार श्रावण कृष्ण पक्ष 27 अगस्त 2023 रविवार श्रावण शुक्ल पक्ष पवित्रा एकादशी 10 सितम्बर 2023 रविवार भाद्रपद कृष्ण पक्ष 25 सितम्बर 2023 सोमवार भाद्रपद शुक्ल पक्ष 10 अक्टूबर 2023 मंगलवार अश्विन कृष्ण पक्ष कमला एकादशी 25 अक्टूबर 2023 बुधवार अश्विन शुक्ल पक्ष 09 नवम्बर 2023 गुरुवार कार्तिक कृष्ण पक्ष 23 नवम्बर 2023 गुरुवार कार्तिक शुक्ल पक्ष 22 दिसम्बर 2023 शुक्रवार मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष मोक्षदा एकादशी अन्य समन्धित पोस्ट • • • • •

Rama Ekadashi 2022:इस साल कब है रमा एकादशी व्रत? जानिए तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

Rama Ekadashi 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रमा एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने का विधान है। रमा एकादशी को सबसे शुभ और महत्वपूर्ण एकादशी माना जाता है। इसे कार्तिक कृष्ण एकादशी या रम्भा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। ये एकादशी दिवाली के चार दिन पहले आती है। रमा एकादशी व्रत को सबसे महत्वपूर्ण एकादशी में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि रमा एकादशी का व्रत करने से ब्रह्महत्या सहित अनेक प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं। जो भी व्यक्ति रमा एकादशी व्रत की कथा को पढ़ता या सुनता है, उसके भी पाप मिट जाते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं रमा एकादशी की तिथि पूजा विधि और महत्व के बारे में...

Ekadashi Vrat List

एकादशी व्रत का बहुत अधिक महत्व है और इस व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है। धार्मिक ग्रंथो के अनुसार भगवान शिवजी ने नारद से कहा कि एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। धार्मिक ग्रंथो के अनुसार भगवान शिवजी ने नारद से कहा कि एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। प्रत्येक वर्ष में बारह माह होते है. और एक माह में दो एकादशी होती है। अमावस्या से ग्यारहवीं तिथि, एकाद्शी तिथि, शुक्ल पक्ष की एकाद्शी कहलाती है। इसी प्रकार पूर्णिमा से ग्यारहवीं तिथि कृष्ण पक्ष की एकाद्शी कहलाती है। इस प्रकार हर माह में दो एकाद्शी होती है। जिस वर्ष में अधिक मास होता है। उस साल दो एकाद्शी बढने के कारण 26 एकाद्शी एक साल में आती है। यह व्रत प्राचीन समय से यथावत चला आ रहा है। इस व्रत का आधार पौराणिक, वैज्ञानिक और संतुलित जीवन है। विशेष – वैष्णव अर्थात सन्यासियों का व्रत स्मार्तों अर्थात गृहस्थियों के व्रत से दूसरे दिन होता है। जिसके आगे स्मार्थ या वैष्णव नहीं लिखा है। वह तिथि दोनों के लिए मान्य होगी। एकादशी व्रत की सूची संवत 2079 सन 2022-23 मास और पक्ष एकादशी व्रत तारीख पौष मास कृष्ण पक्ष सफला एकादशी 19 दिसंबर 2022 पौष मास शुक्ल पक्ष पुत्रदा एकादशी 2 जनवरी 2023 माघ मास कृष्ण पक्ष षटतिला एकादशी 18 जनवरी 2023 माघ मास शुक्ल पक्ष जया एकादशी 1 फरवरी 2023 फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष विजया एकादशी 16 फरवरी 2023 (स्मार्त) 17 फरवरी 2023 (वैष्णव) फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष आमलकी एकादशी 3 मार्च 2023 चैत्र मास कृष्ण पक्ष पापमोचनी एकादशी 18 मार्च 2023 एकादशी व्रत की सूची संवत 2080 सन 2023-2024 मास और पक्ष एकादशी व्रत तारीख चैत्र मास शुक्ल पक्ष कामदा एकादशी 0...

rama ekadashi 2022 date shubh muhurt importance significance upay in hindi know aaj ka panchang 21 october

त्योहार - रमा एकादशी गुप्त मनोकामना की पूर्ति के लिए पीतल अथवा कांसे की कटोरी में चने की दाल, 12 पीले फूल और दो पीली मिठाई को रखकर भगवान विष्णु को अर्पित करते हुए अपनी मनोकामना का स्मरण करें. आचार्य विक्रमादित्य की भविष्यवाणी संक्रमित बीमारियां बढ़ने की संभावना. डेंगू, मलेरिया और मौसमी बीमारियां होंगी.