काव्य की परिभाषा एवं भेद

  1. काव्य
  2. दृश्य काव्य की परिभाषा, भेद एवं उदाहरण – Best Hindi Blog in India
  3. अलंकार , काव्य की परिभाषा एवं भेद , काव्य
  4. काव्य का स्वरूप एवं भेद संपूर्ण जानकारी । kaavya ka swaroop avam bhed
  5. काव्य की परिभाषा तथा भेद
  6. CLASS 9TH HINDI MP BOARD NCERT 12. काव्य
  7. MP Board Class 10th Special Hindi काव्य बोध – MP Board Solutions
  8. काव्य बोध ncert class 10th hindi imp questions


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काव्य

अनुक्रम • 1 परिचय • 2 काव्य का प्रयोजन • 3 काव्य परिभाषा • 4 काव्य के भेद: • 4.1 स्वरूप के अनुसार काव्य के भेद: • 4.1.1 श्रव्य काव्य • 4.1.1.1 प्रबंध काव्य • 4.1.1.2 मुक्तक • 4.1.2 दृश्य काव्य • 4.2 शैली के अनुसार काव्य के भेद: • 5 काव्य का इतिहास • 6 सन्दर्भ • 7 इन्हें भी देखें • 8 बाहरी कड़ियाँ परिचय [ ] सामान्यत: खण्डकाव्यं भवेत्काव्यस्यैकदेशानुसारि च। – कवित्व के साथ-साथ संगीतात्कता की प्रधानता होने से ही इनको हिन्दी में ‘गीतिकाव्य’ भी कहते हैं। ‘गीति’ का अर्थ हृदय की रागात्मक भावना को छन्दोबद्ध रूप में प्रकट करना है। गीति की आत्मा भावातिरेक है। अपनी रागात्मक अनुभूति और कल्पना के कवि वर्ण्यवस्तु को भावात्मक बना देता है। गीतिकाव्य में काव्यशास्त्रीय रूढ़ियों और परम्पराओं से मुक्त होकर वैयक्तिक अनुभव को सरलता से अभिव्यक्त किया जाता है। स्वरूपत: गीतिकाव्य का आकार-प्रकार महाकाव्य से छोटा होता है। इन सब तत्त्वों के सहयोग से संस्कृत मुक्तककाव्य को एक उत्कृष्ट काव्यरूप माना जाता है। मुक्तकाव्य महाकाव्यों की अपेक्षा अधिक लोकप्रिय हुए हैं। संस्कृत में गीतिकाव्य मुक्तक और प्रबन्ध दोनों रूपों में प्राप्त होता है। प्रबन्धात्मक गीतिकाव्य का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण मुक्तककाव्य की परम्परा स्फुट सन्देश रचनाओं के रूप में वैदिक युग से ही प्राप्त होती है। काव्य का प्रयोजन [ ] स्वास्थ्यं प्रतिभाभ्यासो भक्तिर्विद्वत्कथा बहुश्रुतता। स्मृतिदाढर्यमनिर्वेदश्च मातरोऽष्टौ कवित्वस्य ॥ ( काव्यं यशसे अर्थकृते व्यवहारविदे शिवेतरक्षतये। सद्यः परनिर्वृतये कान्तासम्मिततयोपदेशयुजे॥ (काव्य यश और धन के लिये होता है। इससे लोक-व्यवहार की शिक्षा मिलती है। अमंगल दूर हो जाता है। काव्य से परम शान्ति मिलती है और कवि...

दृश्य काव्य की परिभाषा, भेद एवं उदाहरण – Best Hindi Blog in India

आज के इस लेख के हम दृश्य काव्य के बारे में पढ़ने वाले हैं जो कि काव्य शास्त्र का प्रमुख भाग है, इस लेख में आप दृश्य काव्य की परिभाषा एवं दृश्य काव्य के उदाहरण के बारे में पढ़ेगें तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें। दृश्य काव्य की परिभाषा ऐसा काव्य जिसका आनन्द प्रत्यक्ष रूप में आंखों से देख कर लिया जाता है, इस प्रकार के काव्य दृश्य काव्य कहलाते हैं। 1. रूपक रूप का प्रयोग होने के कारण इनको रूपक कहा जाता है। प्रकरण, नाटक, भाण, व्योग इसके प्रमुख उदाहरण हैं। 2. उपरूपक प्रमुख कवियों के अनुसार काव्य के स्वरूप में छन्द को भेद का आधार बनाया गया है। इस लेख में हमने आपको दृश्य काव्य के बारे में जानकारी दी है यदि आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। Related Posts: • चम्पू काव्य की परिभाषा, इतिहास एवं उदाहरण • काव्यशास्त्र की परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण • श्रव्य काव्य की परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण • पद्य काव्य की परिभाषा एवं उदाहरण • मुक्त छंद की परिभाषा और उदाहरण • रौद्र रस की परिभाषा, अवयव एवं उदाहरण • पुनरुक्ति अलंकार की परिभाषा एवं उदाहरण • गद्य काव्य की परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण • मात्रिक छन्द की परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण • अद्भुद रस कि परिभाषा, अवयव एवं उदाहरण • छन्द की परिभाषा,अंग, प्रकार एवं उदाहरण • Hindi Poems, Hindi Kavita, Poetry | हिन्दी कविताएं, कविता… • रस - परिभाषा, भेद और उदाहरण - हिन्दी व्याकरण, Ras in Hindi • प्रतीप अलंकार की परिभाषा और उदाहरण • भक्ति रस की परिभाषा, अवयव एवं उदाहरण • काव्यलिंग अलंकार की परिभाषा एवं उदाहरण • उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण • अलंकार किसे कहते हैं – परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण • वीभत्स रस की प...

अलंकार , काव्य की परिभाषा एवं भेद , काव्य

अलंकार के प्रकार- 1. शब्दालंकार- जहाँ शब्दों के कारण काव्य की शोभा बढ़ती है, वहाँ शब्दालंकार होता है। इसके अंतर्गत अनुप्रास,यमक,श्लेष और पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार आते हैं। 2. अर्थालंकार- जहाँ अर्थ के कारण काव्य की शोभा में वृध्दि होती है, वहाँ अर्थालंकार होता है। इसके अंतर्गत उपमा,उत्प्रेक्षा,रूपक,अतिशयोक्ति, अन्योक्ति, अपन्हुति, विरोधाभास आदि अलंकार शामिल हैं। यहाँ पर 'र' वर्ण की आवृत्ति चार बार एवं 'प ' वर्ण की आवृत्ति एकसे अधिक बार हुआ है। अनुप्रास के प्रमुख दोभेद किए जा सकते हैं- 1. वर्णानुप्रास 2. शब्दानुप्रास वर्णानुप्रास को चार भागों में बाँटा गया है - 1. छेकानुप्रास काव्य में जहाँ किसी वर्ण की आवृत्ति मात्र दो बार होती है , वहाँ छेकानुप्रास होता है। उदाहरण - (क) अपलक अनंत, नीरव भूतल ( पंत , नौका विहार ) यहाँ पर अ वर्ण की आवृत्ति दो बार हुई है। (ख) बरस सुधामय कनक दृष्टि बन ताप तप्त जन वक्षस्थल में। (ग) प्रिया प्रान सुत सर्वस मोरे (घ) बचन बिनीत मधुर रघुबर के। (ङ) गा के लीला सव प्रियतम की वेणु, वीणा बजा के। प्यारी बातें कथन करके वे उन्हें बोध देतीं। ( हरिऔध, राधा की समाज सेवा ) (च) बिबिध सरोज सरोवर फूले। 2. श्रुत्यानुप्रास काव्य में जहाँ एक ही उच्चारण स्थान के बहुत से वर्णों के प्रयोग मिलते हैं वहाँ श्रुत्यानुप्रास होता है। वास्तव में यहाँ सुनने में वे वर्ण एक से लगते हैं। उदाहरण- (क) ता दिन दान दीन्ह धन धरनी (ख) कंकन किंकिननूपुर धुनि सुनि 3. वृत्यानुप्रास काव्य में जहाँ किसी एक या अनेक वर्णों की आवृत्ति कई बार होती है , वहाँ वृत्यानुप्रास होता है। उदाहरण (क) पतन पाप पाखंड जले, जग में ऐसी ज्वाला सुलगा दे ( दिनकर, कविता का आह्वान ) (ख) ध्वनिमयी करके गिरि- कंदरा, कलित-कानन...

काव्य का स्वरूप एवं भेद संपूर्ण जानकारी । kaavya ka swaroop avam bhed

हिंदी साहित्य विश्व की सर्वश्रेष्ठ साहित्यों में से एक है, जिसमें सभी रसों का आस्वादन किया जाता है। इस साहित्य को श्रेष्ठ बनाने में निश्चित रूप से साहित्यिक व्याकरण का महत्व होता है। इस लेख में आप उन समस्त बिंदुओं तथा काव्य से संबंधित विचारों का विस्तृत रूप से अध्ययन करेंगे। यह लेख हिंदी साहित्य तथा काव्य को जानने के लिए कारगर है। Table of Contents • • • • • • • • • • Kaavya ka swaroop काव्य का स्वरूप एवं भेद कविता के चार सौंदर्य तत्व है – भाव सौंदर्य , विचार सौंदर्य , नाद सौंदर्य और अप्रस्तुत – योजना का सौंदर्य। इन्हे निम्नलिखित रुप में स्पष्ट किया गया है – १ भाव सौंदर्य Bhaav saundarya – प्रेम , करुणा , क्रोध , हर्ष , उत्साह आदि का विभिन्न परिस्थितियों में मर्मस्पर्शी चित्रण ही भाव सौंदर्य है। भाव सौंदर्य को ही साहित्य शास्त्रों ने रस कहा है। प्राचीन आचार्यों ने रस को काव्य की आत्मा माना है। श्रृंगार रस , वीर रस , हास्य रस , करुण , रौद्र , शांत , भयानक , अद्भुत तथा वीभत्स – नौ रस कविता में माने जाते हैं। परवर्ती आचार्यों ने वात्सल्य और भक्ति को भी अलग रस माना है। सूर के बाल वर्णन में वात्सल्य का गोपी प्रेम में ‘ श्रृंगार ‘ का भूषण की शिवा बावनी में ‘ वीर रस ‘ का चित्रण है। २ विचार सौंदर्य Vichar saundarya विचारों की उच्चता से काव्य में गरिमा आती है। गरिमापूर्ण कविताएं प्रेरणादायक भी सिद्ध होती है। उत्तम विचारों एवं नैतिक मूल्यों के कारण ही कबीर , रहीम , तुलसी और वृंद के नीति परख दोहे और गिरधर की कुंडलियां अमर है। इनसे जीवन के व्यवहारिक शिक्षा अनुभव तथा प्रेरणा प्राप्त होती है। आज की कविता में विचार सौंदर्य के प्रचुर उदाहरण मिलते हैं। गुप्त जी की कविता में राष्ट्रीयता देश...

काव्य की परिभाषा तथा भेद

“हमारा घर – हमारा विद्यालय” एवं“डिजीलेप” योजना अंतर्गत शैक्षिक सामग्री का निःशुल्क वितरण शासकीय हाईस्कूल मांद , विख – बिछिया, जिला– मंडला काव्य की परिभाषा तथा भेद आचार्य विश्वनाथ के अनुसार –“रसात्मकं वाक्यं काव्यं” अर्थात “रसयुक्त वाक्य को काव्य कहते हैं।“ पंडित राज जगन्नाथ के अनुसार –“रमणीयार्थ प्रतिपादक: शब्द: काव्यं” अर्थात “रमणीय अर्थ का प्रतिपादन करने वाले शब्द को काव्य कहते हैं।“ आचार्य रामचन्द्र शुक्ल जी के अनुसार – “जो उक्ति हृदय में कोई भाव जागृत कर दे या उसे प्रस्तुत वस्तु या तथ्य की मार्मिक भावना में लीन करदे , वह काव्य है।” काव्य के पक्ष – काव्य के दो पक्ष होते हैं– 1. भाव पक्ष(आंतरिक पक्ष) 2. कला पक्ष (बाह्य पक्ष) भाव पक्ष (आंतरिक पक्ष) - भाव सौन्दर्य , अप्रस्तुत योजना, नाद सौन्दर्य, संगीत तत्व, चित्रात्मकता, विचार सौन्दर्य इस तत्वों के द्वारा कविता की पूर्ण छवि हमारे समक्ष आती है। कला पक्ष(बाह्य पक्ष) – लय , तुक, शब्द योजना, भाषा, गुण , अलंकार, छंद विधान काव्य के भेद – से काव्य के मुख्य रूप से दो भेद होते हैं– 1. दृश्य काव्य , 2. श्रव्य काव्य । दृश्य काव्य – दृश्य काव्य ऐसा काव्य होता है , जिसका आनंद पढ़कर , सुनकर और देखकर लिया जाता है। यह काव्य एक नाट्य विधा है जिसका मंचन किया जाता है। जैसे– नाटक , एकांकी, प्रहसन आदि। उदाहरण - चन्द्रगुप्त , स्कंदगुप्त आदि। श्रव्य काव्य – श्रव्य काव्य ऐसा काव्य होता है , जिसका आनंद सुनकर और पढ़कर लिया जाता है। इसका मंचन नहीं किया जाता। जैसे– गीत , प्रगीत । रामचरितमानस , सूर के पद, मीरा के पद आदि। आधुनिक तकनीकों से दृश्य काव्य का श्रव्य काव्य में तथा श्रव्य काव्य का दृश्य काव्य में रूपान्तरण - श्रव्य से दृश्य में परिवर्तन । काव्...

CLASS 9TH HINDI MP BOARD NCERT 12. काव्य

12. काव्य-बोध (काव्य की परिभाषा एवं भेद, रस, अलंकार, छन्द) 12. काव्य-बोध (काव्य की परिभाषा एवं भेद, रस, अलंकार, छन्द प्रश्न 8. खण्डकाव्य किसे कहते हैं ? हिन्दी के प्रसिद्ध खण्डकाव्यों के नाम लिखिए। अथवा किन्हीं दो खण्डकाव्यों के नाम लिखिए। उत्तर-खण्डकाव्य-खण्डकाव्य वह रचना है जिसमें जीवन का कोई एक भाग, एक घटना अथवा एक चरित्र का चित्रण होता है। खण्डकाव्य अपने आप में एक पूर्ण रचना होती है। सम्पूर्ण रचना एक ही छन्द में पूर्ण होती है। हिन्दी के कुछ प्रसिद्ध खण्डकाव्य-पंचवटी, जयद्ध-वध, नहुष, सुदामाचरित, पथिक, हल्दीघाटी इत्यादि। प्रश्न 9. महाकाव्य और खण्डकाव्य में कोई दो अन्तर लिखकर एक-एक रचना तथा रचनाकार का नाम लिखिए। अथवा महाकाव्य एवं खण्डकाव्य में कोई तीन अन्तर लिखिए। उत्तर-अन्तर -(1) महाकाव्य में जीवन की विशद् व्याख्या होती है, जबकि खण्डकाव्य में जीवन का कोई एक भाग, एक घटना अथवा एक चरित्र का चित्रण होता है। (2) महाकाव्य सर्गबद्ध होता है। इसमें कम-से-कम आठ सर्ग होते हैं, जबकि खण्डकाव्य अपने आप में एक पूर्ण रचना होती है। (3) पात्रों, घटनाओं आदि की संख्या महाकाव्य में अधिक होती है, जबकि खण्डकाव्य में इनकी संख्या कम होती है। रचनाएँ एवं रचनाकार- महाकाव्य-रामचरितमानस (तुलसीदास)। खण्डकाव्य-सुदामाचरित (नरोत्तमदास)। प्रश्न 10. मुक्तक काव्य किसे कहते हैं ? इसके प्रकार बताइए। अथवा मुक्तक काव्य किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित लिखिए। उत्तर-मुक्तक काव्य-मुक्तक काव्य में एक अनुभूति, एक भाव और एक ही कल्पना का चित्रण होता है। मुक्तक काव्य की भाषा सरल एवं स्पष्ट होती है। वर्ण्य विषय अपने आप में पूर्ण होता है। इसका प्रत्येक छन्द स्वतन्त्र होता है। उदाहरण- रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय। टूटे ...

MP Board Class 10th Special Hindi काव्य बोध – MP Board Solutions

MP Board Class 10th Special Hindi काव्य बोध 1. काव्य की परिभाषा ‘छन्दबद्ध’ रचना काव्य कहलाती है। आचार्य विश्वनाथ ने काव्य को परिभाषित करते हुए लिखा है—’वाक्यं रसात्मकं काव्यम्’। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार, “कविता शेष सृष्टि के साथ हमारे रागात्मक सम्बन्धों की रक्षा और निवास का साधन है। वह इस जगत के अनन्त रूपों, अनन्त व्यापारों और अनन्त चेष्टाओं के साथ हमारे मन की भावनाओं को जोड़ने का कार्य करती है।” काव्य के भेद-काव्य के दो भेद माने गये हैं- • श्रव्य काव्य, • दृश्य काव्य (1) श्रव्य काव्य जिस काव्य को पढ़कर या सुनकर आनन्द प्राप्त किया जाये,वह श्रव्य काव्य कहलाता है। श्रव्य काव्य के दो भेद माने गये हैं- • प्रबन्ध काव्य, • मुक्तक काव्य। (क) प्रबन्ध काव्य-प्रबन्ध काव्य वह काव्य रचना कहलाती है जिसकी कथा शृंखलाबद्ध होती है। इसके छन्दों का सम्बन्ध पूर्वापर होता है। प्रबन्ध काव्य के दो प्रकार माने गये हैं- (i) महाकाव्य, (ii) खण्डकाव्य। (i) महाकाव्य-महाकाव्य में किसी महापुरुष के समस्त जीवन की कथा होती है। इसमें कई सर्ग होते हैं। मूल कथा के साथ प्रासंगिक कथाएँ भी होती हैं। महाकाव्य का प्रधान रस श्रृंगार, वीर अथवा शान्त होता है। हिन्दी के प्रमुख महाकाव्य एवं उनके रचयिता- (ii) खण्डकाव्य-खण्डकाव्य में जीवन का खण्ड चित्रण होता है। इसका नायक यशस्वी होता है। सीमित कलेवर में इसकी कथा अपने आप में पूर्ण होती है। हिन्दी के प्रमुख खण्डकाव्य एवं उनके रचयिता- (ख) मुक्तक काव्य-मुक्तक काव्य में प्रत्येक छन्द स्वयं में पूर्ण होता है तथा पूर्वापर सम्बन्ध से मुक्त होता है। बिहारी सतसई के दोहे,कबीर की साखी मुक्तक काव्य हैं। 2. रस रस की परिभाषा जिसका आस्वादन किया जाये वही रस है। रस का अर्थ आनन्द ह...

काव्य बोध ncert class 10th hindi imp questions

अध्याय 11 काव्य बोध काव्य की परिभाषा एवं भेद प्रश्न 1. काव्य की परिभाषा लिखिए तथा उसके भेद बताइए। उत्तर- “काव्य हमारे भावों, विचारों की शाब्दिक अभिव्यक्ति है जो आनंद की अनुभूति कराने वाली होने के कारण संरक्षणीय है।” आचार्य विश्वनाथ ने परिभाषा दी है। रसात्मक वाक्य काव्यम्’। काव्य के दो प्रकार होते हैं- (1) श्रव्य काव्य (2) दृश्य काव्य प्रश्न 2. श्रव्य काव्य तथा दृश्य काव्य के भेद बताइए। उत्तर- श्रव्य काव्य के दो भेद होते हैं- (1) प्रबंध काव्य (2) मुक्तक काव्य। प्रबंध काव्य के भी दो भेद होते हैं-(1) महाकाव्य (2) खण्ड काव्य। मुक्तक काव्य के दो भेद होते हैं- (1) पाठ्य मुक्तक (2) गेय मुक्तक दृश्य काव्य के नाटक, एकांकी आदि भेद होते हैं। प्रश्न 3. प्रबन्ध काव्य किसे कहते हैं ? इसके भेद बताइए। अथवा प्रबन्ध काव्य का अर्थ लिखते हुए उसके भेदों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए। उत्तर- प्रबन्ध काव्य विषय प्रधान एवं वर्णनीय होता है। इसमें कथावस्तु के अनुकूल घटना विशेष का क्रमबद्ध रूप से काव्यात्मक वर्णन होता है। प्रबन्ध काव्य के दो भेद होते हैं- (1) महाकाव्य (‘ रामचरितमानस ) (2) खण्डकाव्य (‘सुदामाचरित ) प्रश्न 4. महाकाव्य किसे कहते हैं? दो प्रमुख महाकाव्यों एवं उनके रचनाकारों के नाम लिखिए। अथवा महाकाव्य किसे कहते हैं? हिन्दी के दो महाकाव्यों के नाम लिखिए। उत्तर- महाकाव्य विस्तृत होता है। इसमें प्रकृति का विशद् चित्रण होता है। जीवन उल्लेख होता है तथा पात्रों की संख्या अधिक होती है। हिन्दी के दो महाकाव्य निम्नलिखित हैं (1)’ रामचरितमानस’ (तुलसीदास), (2) ‘कामायनी’ (जयशंकर प्रसाद)। के समग्र रूप का प्रश्न 5. खण्डकाव्य किसे कहते हैं ? हिन्दी के चार खण्डकाव्यों के नाम लिखिए। अथवा खण्डकाव्य की परिभाषा...