Kali mitti ka dusra naam kya hai

  1. भारत में मिट्टी के प्रकार और उनकी विशेषताएं mitti ke prakar
  2. काली मिटटी का दूसरा नाम क्या है
  3. काली मिट्टी का दूसरा नाम क्या है (Kali Mitti Ka Dusra Naam Kya Hai)
  4. काली मिटटी का दूसरा नाम क्या है?
  5. लैटेराइट मिट्टी का दूसरा नाम क्या है?
  6. खड़ी बोली का दूसरा नाम


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भारत में मिट्टी के प्रकार और उनकी विशेषताएं mitti ke prakar

10.1 अन्य GKJANKARI पढ़ें भारत में मिट्टी के प्रकार और उनकी विशेषताएं mitti ke prakar Types of soil in India और भारतीय मिट्टियों का वर्गीकरण न सिर्फ UPSC, PCS और एग्जाम का सिलेबस है बल्कि कृषि विज्ञान और दैनिक जीवन में काम आने वाली Important Topic भी है। मिट्टी के प्रकार जानने से पहले हम यह समझ लें कि मृदा या मिट्टी Soil क्या है ? पृथ्वी की सबसे उपरी परत को मृदा या मिट्टी Soil कहा जाता है जिसका निर्माण किसी टूटे हुए चट्टानों के छोटे महीन कणों, जैविक पदार्थो, खनिज- लवण, बैक्टेरिया इत्यादि के मिश्रण से होता है। भारत में पाए जाने वाली मिट्टियों के अलग अलग विशेषता एवं गुणवत्ता है। क्योंकि यह मिट्टी न सिर्फ पेड़ पौधों को पोषक तत्व पहुंचाने का कार्य करती है बल्कि धरती को खाद्यान्नों से संपूर्ण भी करती है। मिट्टी के प्रकार इन हिंदी में आर्टिकल पढ़ने के बाद आप यह आसानी से समझ पाएंगे कि मिट्टी के प्रकार कितने होते हैं, भारत की मिट्टियों के प्रकार और उनका वितरण क्या है। साथ ही यह भी समझ पाएंगे कि जलोढ़ मिट्टी, काली मिट्टी, लाल मिट्टी, लैटेराइट मिट्टी में मुख्य अंतर क्या है। ◆ मिट्टी के प्रकार, कारण और परिणाम mitti ke prakar भारत के किसी राज्य में जलोढ़ मिट्टी का होना तो किसी राज्य में काली मिट्टी का होना, उस राज्य की भौगोलिक स्थितियों के कारण होता है।भौगोलिक विशिष्टता, उच्चावच और जलवायु के कारण भारत में कई प्रकार की मिट्टियां पाई जाती हैं। Indian Council for agricultural Research (ICMR) के अनुसार भारत में 8 प्रकार की मिट्टियां पाई जाती हैं जो निम्नलिखित है 1.जलोढ़ मिट्टी (Alluvial Soils) 2.काली मिट्टी (Black or Regur Soils) 3.लाल एवं पीली मिट्टी (Red and Yellow Soils) 4.लैटराइट मिट्ट...

काली मिटटी का दूसरा नाम क्या है

काली मिट्टी को रेगड़ मिट्टी या काली कपास मिट्टी के नाम से भी जाना जाता है। काली मिट्टी एक परिपक्व मिट्टी है जो मुख्यतः दक्षिणी प्रायद्वीपीय पठार के लावा क्षेत्र में पायी जाती है। इसका निर्माण चट्टानों के दो वर्ग एवं लौहमय नीस और शिस्ट से हुआ है। ये मिट्टी के कछारी भागों में मुख्य रूप से पाई जाती है। प्राप्ति स्थान 5 लाख वर्ग किमी क्षेत्र मे फैली यह मिट्टी 100 से 250 उत्तरी अक्षांश 730 से 800 पूर्वी देशान्तर के बीच पाई जाती है। यह मिट्टी एवं राज्यों के अधिकांश क्षेत्र, के पश्चिमी क्षेत्र, के दक्षिणी क्षेत्र, राज्य के उत्तरी ज़िलों, के दक्षिणी क्षेत्र, राज्य के उत्तरी ज़िलों, आंध्र प्रदेश के दक्षिणी एवं समुद्रतटीय क्षेत्र, के सलेम, , तथा तिरनलवैली, के तथा आदि ज़िलों में 5.5 लाख वर्ग किमी क्षेत्र पर विस्तृत है। निर्माण यह मिट्टी डकन ट्रेप शैलों के विखण्डन से निर्मित है। साधारणतः यह मिट्टी मृत्तिकामय, लसलसी तथा अपरागम्य होती है। इसका तथा कणों की बनावट घनी होती है। इसमें , एवं जीवांशों की कम मात्रा पायी जाती है, जबकि चूना, पोटाश, , एल्यूमिना एवं पर्याप्त मात्रा में मिले रहते हैं। कृषि के लिए अनुकूल उच्च स्थलों पर मिलने वाली काली मिट्टी निचले भागों की काली मिट्टी की अपेक्षा कम उपजाऊ होती है। निम्न भाग वाली गहरी काली मिट्टी में , , , आदि की की जाती है। की खेती के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होने के कारण इसे कपास की काली मिट्टी अथवा कपासी मृदा भी कहा जाता है। इस मिट्टी की जलधारण क्षमता अधिक है। यही कारण है कि यह मिट्टी शुष्क कृषि के लिए अनुकूल है।

काली मिट्टी का दूसरा नाम क्या है (Kali Mitti Ka Dusra Naam Kya Hai)

* काली मिट्टी:- काली मिट्टी को लावा मिट्टी भी कहते हैं क्योंकि यह दक्कन ट्रैप के लावा चट्टानों की अपक्षय अर्थात टूटने फूटने से निर्मित हुई मिट्टी है। – दक्कन पठार के अलावा यह मिट्टी मालवा पठार की भी विशेषता है अर्थात मालवा पठार पर भी यह मिट्टी पाई जाती है। – काली मिट्टी का सर्वाधिक विस्तार महाराष्ट्र राज्य में है। काली मिट्टी कहाँ पाई जाती है ? भारत की स्थानीय मिट्टी में से यह मिट्टी सबसे अलग दिखाई देती है, इसे रेगुर भी कहा जाता है। 5 लाख वर्ग किमी क्षेत्र मे फैली यह मिट्टी 100 से 250 उत्तरी अक्षांश 730 से 800 पूर्वी देशान्तर के बीच पाई जाती है। यह मिट्टी गुजरात एवं महाराष्ट्र राज्यों के अधिकांश क्षेत्र, मध्य प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र, उड़ीसा के दक्षिणी क्षेत्र, कर्नाटक राज्य के उत्तरी मिट्टी मुख्यतः महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, और मध्य प्रदेश में पाई जाती है और इस मिट्टी में मैग्नेशियम,चूना,लौह तत्व तथा कार्बनिक पदार्थों की अधिकता होती है। इस मिट्टी टिटेनीफेरस मैग्नेटाइड एंव जीवांश(Humus) की उपस्थिति के कारण होता है। काली मिट्टी की विशेषता:- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काली मिट्टी को चेरनोजम कहा गया है। चेरनोजम मिट्टी मुख्य रूप से काला सागर के उत्तर में यूक्रेन में तथा ग्रेट लेक्स के पश्चिम में संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में पाई जाती है। – काली मिट्टी को लावा मिट्टी भी कहते हैं क्योंकि यह दक्कन ट्रैप के लावा चट्टानों की अपक्षय अर्थात टूटने फूटने से निर्मित हुई मिट्टी है। – दक्कन पठार के अलावा काली मिट्टी मालवा पठार की भी विशेषता है अर्थात मालवा पठार पर भी काली मिट्टी पाई जाती है। – काली मिट्टी का सर्वाधिक विस्तार महाराष्ट्र राज्य में है। – काली मिट्टी की प्रमुख विशेषता यह ह...

काली मिटटी का दूसरा नाम क्या है?

नमस्कार दोस्तों, आपने अपने जीवन में अक्सर काली मिट्टी के बारे में जरूर सुना हुआ होगा। जैसा कि आपको पता होगा कि काली मिट्टी पसंद के लिए काफी अच्छी होती है क्योंकि इस की उपजाऊ क्षमता काफी अधिक होती है, और यह आपने अपने स्कूल जीवन में जरूर पढ़ा होगा या फिर यदि आप स्कूल में है, तो आप इन सभी चीजों के बारे में जरूर पढ़ रहे होंगे। दोस्तों क्या आप जानते हैं, कि काली मिट्टी का दूसरा नाम क्या होता है,(Kali Mitti ka dusra naam kya hai), या फिर काली मिट्टी को अन्य किस यदि आपको इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, तथा आप इसके बारे में जानना चाहते है, कि काली मिट्टी का दूसरा नाम क्या है, (kali mitti ko aur kis naam se jana jata hai) तो हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से इसके बारे में संपूर्ण जानकारी विस्तार से देने वाले है। आज किस आर्टिकल के अंतर्गत हम यह जानने वाले हैं, कि काली मिट्टी का दूसरा नाम क्या है। इसके अलावा हम आपको इस पोस्ट के अंतर्गत काली मिट्टी से जुड़ी कुछ अन्य जानकारियां भी देने वाले हैं। काली मिट्टी के अंतर्गत अधिकांश कपास की खेती की जाती है या फिर काली मिट्टी के अंतर्गत कपास की खेती सर्वाधिक की जाती है तो इसी कारण इसको कपास की मिट्टी भी कहा जाता है। क्योंकि इसमें ही ज्यादातर कपास की खेती की जाती है। काली मिट्टी के फायदे काली मिट्टी के अन्य नाम | kali mrida ka dusra naam kya hai दोस्तों काली मिट्टी के माध्यम से अनेक फायदे देखने को मिलते हैं, जिसके बारे में हमने आपको कुछ फायदा के बारे में नीचे बताया है:- 1. काली मिट्टी का इस्तेमाल बालों को मुलायम तथा चमकदार बनाने के लिए काफी ज्यादा किया जाता है। जब आप काली मिट्टी को अपने बालों को लगाते हैं तथा उससे अपने बालों को धोते हैं तो यह आप...

लैटेराइट मिट्टी का दूसरा नाम क्या है?

Explanation : लैटेराइट मृदा का दूसरा नाम लाल मृदा है। लैटेराइट मृदा उच्च ताप व भारी वर्षा वाले क्षेत्र में पाई जाती है। 'मृदा' शैल, मलवा और जैव सामग्री का सम्मिश्रण होती है, जो पृथ्वी की सतह पर विकसित होती है। लैटेराइट लैटिन शब्द लेटर से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ ईंट होता है। ये मृदाएँ उच्च तापमान तथा भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में विकसित होती हैं। ये मृदाएँ उष्णकटिबन्धीय वर्षा के कारण हुए तीव्र निक्षालन का परिणाम है। उच्च तापमानों में तेजी से पनपने वाले जीवाणु ह्यूमस को नष्ट कर देते हैं अर्थात् इनमें ह्यूमस की कमी होती है। यह मृदा कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा और असम के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है। लैटेराइट मृदाएं तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल में काजू जैसी फसलों के लिए अधिक उपयुक्त हैं। इन मृदाओं का विकास प्रायद्वीपीय पठार के ऊंचे क्षेत्रों में होता है।

खड़ी बोली का दूसरा नाम

खड़ी से अर्थ है खरी अर्थात शुद्ध अथवा ठेठ हिंदी बोली। शुद्ध अथवा ठेठ हिंदी बोली या भाषा को उस समय खरी या खड़ी बोली के नाम से संबोधित किया गया जबकि हिंदुस्तान में अरबी फारसी और हिंदुस्तानी शब्द मिश्रित उर्दू भाषा का चलन था या दूसरी तरफ अवधी या ब्रज भाषा का। ठेठ या शुद्ध हिंदी का चलन न था। यह लगभग 18वी शताब्दी के आरम्भ का समय था जब कुछ हिंदी गद्यकारों ने ठेठ हिंदी में लिखना शुरू किया। इसी ठेठ हिंदी को खरी हिंदी या खडी हिंदी बोली कहा गया। खड़ी बोली से तात्पर्य खड़ी बोली हिंदी से है जिसे भारतीय संविधानने राजभाषा के रूप में स्वीकृत किया है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से इसे आदर्श (स्टैंडर्ड) हिंदी, उर्दू तथा हिंदुस्तानी की मूल आधार स्वरूप बोली होने का गौरव प्राप्त है। खड़ी बोली पश्चिम रुहेलखंड, गंगा के उत्तरी दोआब तथा अंबाला जिले की उपभाषा है जो ग्रामीण जनता के द्वारा मातृभाषा के रूप में बोली जाती है। इस प्रदेश में रामपुर, बिजनौर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, सहारनपुर, देहरादून का मैदानी भाग, अंबाला तथा कलसिया और भूतपूर्व पटियाला रियासत के पूर्वी भाग आते हैं। खड़ी बोली वह बोली है जिसपर ब्रजभाषा या अवधी आदि की छाप न हो। ठेंठ हिंदी। आज की राष्ट्रभाषा हिंदी का पूर्व रूप। इसका इतिहास शताब्दियों से चला आ रहा है। यह परिनिष्ठित पश्चिमी हिंदी का एक रूप है।

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