केदारनाथ श्लोक

  1. Sanskrit Essay on Kedarnath (केदारनाथः)
  2. आद्य शंकराचार्य जयंती : 15 बातें जो उन्हें बनाती है खास
  3. केदारनाथ धाम
  4. Shiv Puja: दर सोमवारी 'हा' एक श्लोक म्हणा, महादेवाच्या कृपेने भरघोस पुण्य कमवा!
  5. Bhagwat Katha in Hindi /सम्पूर्ण भागवत महापुराण कथा हिंदी
  6. द्वादश ज्योतिर्लिंग
  7. केदारनाथ कैसे जाएं? केदारनाथ का महत्व एवं केदारनाथ के 10 अद्भुत रहस्य, How to reach Kedarnath Importance of Kedarnath and 10 amazing secrets of Kedarnath


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Sanskrit Essay on Kedarnath (केदारनाथः)

केदारनाथ-ज्योतिर्लिङ्गं द्वादश ज्योतिर्लिङ्गेषु अन्यतमम् अस्ति । एतदेकं प्राचीनं शिवक्षेत्रम् । हिमालये केदारनाथः यत्र अस्ति तं भागं “रुद्रहिमालयः” इति वदन्ति । अयं पर्वतः “सुमेरुपर्वतः” “पञ्चपर्वतः” इत्यपि उच्यते । अत्र रुद्रहिमालयः, विष्णुपुरी, ब्रह्मपुरी, उद्गरिकान्ता, स्वर्गारोहणम् इति पञ्च पर्वताः सन्ति । अतः एव अस्य नाम “पञ्चपर्वतः” इति । गन्धमादनः रुद्रहिमालयस्य कश्चन भागः । नरनारायणमन्दिरस्य गोपुरं स्वर्णनिर्मितमस्ति । ४५ पादपरिमितोन्नतप्रदेशे गर्भगृहे सिंहासनस्योपरि शालग्रामशिलायाः पूर्वाभिमुखः श्रीनारायणविग्रहः अस्ति । योगमुद्रास्थितः किरीटधारी पद्मासनस्थः बदरीनाथः अस्ति। अस्मिन् स्थाने स्थितं शिवक्षेत्रं ब्रह्मकपालनाम्ना निर्दिश्यते । वेदव्यासमहर्षिः अत्र स्थितवान् । श्री शङ्कराचार्यः अत्रैव स्थित्वा भाष्यग्रन्थान् रचितवान् । श्रीमन्मध्वाचार्यः बदरीनाथे एव समाधिस्थः अभवत् इति जनानां विश्वासः । महर्षिः श्री वेदव्यासः महाभारतम् अत्रैव रचितवान् गणपतिः अत्रैव तत् लिखितवान् इति विश्वासः। वेदव्यासेन अष्टादशपुराणानि अपि अत्रैव प्रणीतानि । बदरिकाश्रमतः अष्टकिलोमीटरमिेते दूरे ४०० पादपरिमितोन्नतात् स्थानात् पतता जलेन सुन्दरजलपातः निर्मितः। अस्य नाम वसुधारा जलपातः इति । हृषीकेशतः रुद्रप्रयागपर्यन्तम् आगत्य अग्रे केदारनाथक्षेत्रं गन्तुं शक्यते । एतत् हृषीकेशतः २४० किलोमीटरमिेते दूरेऽस्ति । सर्वतः हिमाच्छादितानि गिरिशिखराणि सन्ति । केदारनाथप्रदेशं रुद्रहिमालयः इति कथयन्ति । सुमेरुपर्वतः गन्धमादनगिरिः च अस्यैव भागौ स्तः । केदारनाथक्षेत्रं द्वादशज्योतिलिङ्गक्षेत्रेषु अन्यतमम् अस्ति । Related Content:

आद्य शंकराचार्य जयंती : 15 बातें जो उन्हें बनाती है खास

Adi Shankaracharya Jayanti: हिन्दू माह के अनुसार वैशाख शुक्ल पक्ष की पंचमी को आदि शंकराचार्य की जयंती मनाई जाती है। अंग्रेंजी कैलेंडर के अनुसार इस बार 25 अप्रैल को यह जयंत मनाई जाएगी। आद्य या आदि शंकराचार्य की जन्म दिनांक और सन् को लेकर विद्वानों में मतभेद हैं। हलांकि मठों की परंपरा के अनुसार जो माना जाता है उसे ही सत्य मानना चाहिए। आओ जानते हैं उनके बारे में 15 खास बातें। 1. जन्म : महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने अपनी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश में लिखा है कि आदि शंकराचार्यजी का काल लगभग 2200 वर्ष पूर्व का है। दयानंद सरस्वती जी 139 साल पहले हुए थे। इस वक्त अंग्रेजी वर्ष 2023 चल रहा है और विक्रम संवत 2080 चल रहा है। विक्रम संवत् अंग्रेजी संवत से 57 वर्ष पूर्व प्रारंभ हुआ था। इस वक्त कलि संवत 5124 चल रहा है। युधिष्ठिर संवत कलि संवत से 38 वर्ष पूर्व प्रारंभ हुआ था। मतलब इस वक्त युधिष्ठिर संवत 5163 चल रहा है। आदि शंकराचार्य का जन्म केरल के मालाबार क्षेत्र के कालड़ी नामक स्थान पर नम्बूद्री ब्राह्मण शिवगुरु एवं आर्याम्बा के यहां 508 ईस्वी पूर्व हुआ था और वे 32 वर्ष तक ही जीए थे। आदि शंकराचार्य का जन्म 508 ईस्वी पूर्व हुआ था और उन्होंने 474 ईसा पूर्व अपनी देह को त्याग दिया था। 788 ईस्वी में जिन शंकराचार्य का जन्म हुआ था वे अभिनव शंकराचार्य थे। अभिनव शंकराचार्य का जन्म 788 ईस्वी में हुआ और उनकी मृत्यु 820 ईस्वी में हुई थी। शंकराचार्य ने पश्‍चिम दिशा में 2648 में जो शारदामठ बनाया गया था उसके इतिहास की किताबों में एक श्लोक लिखा है। उत्तर दिशा में उन्होंने बद्रिकाश्रम में ज्योर्तिमठ की स्थापना की थी। यह स्थापना उन्होंने 2641 से 2645 युधिष्ठिर संवत के बीच की थी। इसके बाद पश्‍चिम दिशा में द्व...

केदारनाथ धाम

महत्वपूर्ण जानकारी • स्थान: केदारनाथ, उत्तराखंड 246445। • 2023 में मंदिर खुलने की तिथि: श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट 25 अप्रैल 2023 मंगलवार को खुलेंगे। • केदारनाथ मंदिर समापन तिथि 2023: भैया दूज के अवसर पर श्री केदारनाथ धाम के कपाट बंद रहेंगे। • खुला और बंद समय: • • • • केदारनाथ मंदिर सुबह 7 बजे सामान्य दर्शनार्थियों के लिए खुलता है। • • दोपहर 1.00 बजे से अपराह्न 2.00 बजे तक विशेष प्रार्थना की जाती है और फिर मंदिर को फिर से बनाने के लिए बंद कर दिया जाता है। • • शाम 5 बजे फिर से मंदिर जनता के लिए खोल दिया जाता है। • • भगवान शिव की पांच मुख वाली श्रृंगार की प्रतिमा और सुबह 7.30 बजे से सुबह 8.30 बजे तक की गई नियमित आरती। • • रात्रि 8.30 बजे केदारेश्वर श्रद्धेय मंदिर बंद कर दिया जाता है। • • केदार घाटी सर्दियों में बर्फ से ढकी रहती है। हालांकि केदारनाथ मंदिर का उद्घाटन और समापन क्षण निकाला जाता है, लेकिन यह आमतौर पर कार्तिक (अक्टूबर-नवंबर) के पहले दिन बंद हो जाता है और हर साल वैशाख (अप्रैल-मई) में फिर से खुलता है। • • इसके समापन के दौरान मंदिर बर्फ में डूबा हुआ है और ऊखीमठ में पूजा की जाती है। • • • • निकटतम हवाई अड्डा: केदारनाथ से लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा। • निकटतम रेलवे स्टेशन: केदारनाथ से लगभग 221 किलोमीटर की दूरी पर ऋषिकेश रेलवे स्टेशन। • * तारीख अलग-अलग हो सकती है केदारनाथ मंदिर हिन्दुओं के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह मंदिर 12 ज्योतिलिंगों में से एक है तथा चार धाम और पंच केदार में भी इस मंदिर का नाम सम्मिलित है। यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। केदारनाथ मंदिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिल में स्थित है तथा ...

Shiv Puja: दर सोमवारी 'हा' एक श्लोक म्हणा, महादेवाच्या कृपेने भरघोस पुण्य कमवा!

ज्योती म्हणजे प्रकाश. ज्योती म्हणजे तेज. ज्योती म्हणजे ज्ञान. ज्योती म्हणजे प्रेरणा. ज्योती म्हणजे चेतना. या सर्व शक्तिरूपी शिवाचे प्रतीक, संस्कृतात त्याला लिंग असे म्हणतात, तेच ज्योतिर्लिंग! ती एकूण बारा आहेत. त्याचे वर्णन एका श्लोकात केले आहे. बारा ज्योतिर्लिंगांची नावे लक्षात राहत नसतील, तर हा श्लोक पाठ करून टाका. या श्लोकाच्या उच्चाराने ज्योतिर्लिंगांचे स्मरण होईल आणि पुण्यही पदरात पडेल. सोरटी सोमनाथ, श्रीशलि, महांकालेश्वर, ओंकारमांधता, परळी वैजनाथ, भीमाशंकर, रामेश्वर, औंढ्या नाननाथ, काशी विश्वनाथ, त्र्यंबकेश्वर, केदारनाथ, घृष्णेश्वर ही बारा ज्योतिर्लिंगे आहेत. याशिवाय नेपाळमधील पशुपतिनाथ हे दोन्ही मिळून एक ज्योतिर्लिंग होत असते. ही बारा ज्योतिर्लिंगे भारताच्या पूर्व-पश्चिम, दक्षिण-उत्तर भागात आहेत. एवढ्या मोठ्या आपल्या देशातील लोकांच्या भाषा वेगवेगळ्या असतील, पण आपली संस्कृती एक आहे. अन ती म्हणजे भारतीय संस्कृती. याची प्रतीके म्हणजे ज्योतिर्लिंगे! एकराष्ट्रीयत्त्वाची ती एक खूण म्हटली पाहिजे. मानवांना प्रकाश, तेज, ज्ञान, प्रेरणा आणि चेतना देत राहणारी ही बारा ज्योतिर्लिंगे आहेत.

Bhagwat Katha in Hindi /सम्पूर्ण भागवत महापुराण कथा हिंदी

( भागवत कथा,भाग-1 ) माहात्म्य [ अथ प्रथमो अध्यायः ] अनंत कोटी ब्रम्हांड नायक परम ब्रह्म परमेश्वर परमात्मा भगवान नारायण की असीम अनुकंपा से आज हमें श्रीमद् भागवत भगवान श्री गोविंद का वांग्मय स्वरूप के कथा सत्र में सम्मिलित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है | निश्चय ही आज हमारे कोई पूर्व जन्म के पुण्य उदय हुए हैं | नैमिषारण्य नामक वन में श्री सूत जी महाराज हमेशा श्री सौनकादि अट्ठासी हजार ऋषियों को पुराणों की कथा सुनाते रहते हैं | आज की कथा में श्रीमद् भागवत की कथा सुनाने जा रहे हैं , ऋषि गण कथा सुनने के लिए उत्सुक हो रहे हैं | नियम के अनुसार सर्वप्रथम मंगलाचरण कर रहे हैं | सूतोवाच- मा• 1.1 यह मंगलाचरण भी कोई साधारण नहीं है , इस श्लोक के चारों चरणों में भगवान के नाम रूप गुण और लीला का वर्णन है | जो समस्त भागवत का सार है | प्रथम चरण में भगवान के स्वरूप का वर्णन है भगवान का स्वरूप है सत यानी प्रकृति तत्व समस्त जड़ जगत भगवान का ही रूप है | चिद् चैतन समस्त सृष्टि के जीव मात्र ये भी भगवान का ही रूप हैं स्वयं भगवान आनंद स्वरूप हैं इस प्रकार भगवान श्रीमन्नारायण चैतन की अधिष्ठात्री श्री देवी तथा जड़त्व की अधिष्ठात्री भू देवी दोनों महा शक्तियों को धारण किए हुए हैं यह भगवान का स्वरूप है | दूसरे चरण में भगवान के गुणों का वर्णन है विश्वोत्पत्यादि हेतवे समस्त सृष्टि को बनाने वाले उसका पालन करने वाले तथा अंत में उसे समेट लेने वाले भगवान श्रीमन्नारायण है यह भगवान का गुण है | तीसरे चरण में तापत्रय विनाशाय आज सारा संसार दैहिक दैविक भौतिक इन तीनों तापों से त्रस्त है और कोई शारीरिक व्याधियों से घिरा है , कोई दैविक विपत्तियों में फंसा है तो कोई भौतिक सुख सुविधाओं के अभाव में जल रहा है | किंतु परमात्...

द्वादश ज्योतिर्लिंग

अनुक्रम • 1 स्थल • 2 सन्दर्भ • 2.1 टीका टिप्पणी • 3 स्रोत्र • 4 इन्हेंभीदेखें स्थल क्रम. ज्योतिर्लिंग चित्र राज्य स्थिति वर्णन श्री श्रीमल्लिकार्जुन विराजमान हैं। इसे दक्षिण का कैलाश कहते हैं। श्री महाकालेश्वर ( मालवा क्षेत्र में श्रीॐकारेश्वर स्थान श्री केदारनाथ श्री भीमशंकर का स्थान श्रीविश्वनाथजी सबसे प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में एक हैं। श्री त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग श्रीनागेश्वर ज्योतिर्लिंग श्रीरामेश्वर तीर्थ श्रीरामेश्वर या श्रीरामलिंगेश्वर के नाम से जाना जाता है।. निकट श्रीघुश्मेश्वर (गिरीश्नेश्वर) ज्योतिर्लिंग को घुसृणेश्वर या घृष्णेश्वर भी कहते हैं। इनका स्थान सन्दर्भ • • For Rameshvara as one of the twelve "Pillars of Light", see: टीका टिप्पणी क. ^ सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। :उज्जयिन्यां महाकालमोंकारममलेश्वरम्॥1॥ परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम्।:सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥2॥ वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।:हिमालये तु केदारं घृष्णेशं च शिवालये॥3॥ एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रात: पठेन्नर:।:सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥4॥ स्रोत्र • इन्हेंभीदेखें • • •

केदारनाथ कैसे जाएं? केदारनाथ का महत्व एवं केदारनाथ के 10 अद्भुत रहस्य, How to reach Kedarnath Importance of Kedarnath and 10 amazing secrets of Kedarnath

केदारनाथ कैसे जाएं? केदारनाथ का महत्व एवं केदारनाथ के 10 अद्भुत रहस्य How to reach Kedarnath Importance of Kedarnath and 10 amazing secrets of Kedarnath Motivational Quotes, Best Shayari, WhatsApp Status in Hindiके साथ-साथ और भी कई प्रकार के Hindi Quotes , सफलता के सूत्र, गायत्री मंत्र का अर्थआदि शेयर कर रहा हूँ। जो आपको जीवन जीने, समझने और Life में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्व पूर्णभूमिका निभाते है,आध्यात्म ज्ञान से सम्बंधित हनुमान चालीसा का अर्थ, ॐध्वनि, आदि कई How to reach Kedarnath in hindi दोस्तों नमस्कार आज हम बात कर रहे है बाबा केदार की जी है, बाबा केदारनाथ भारत का प्रमुख धाम है जो भोले नाथ का निवास स्थान माना जाता है। हम आपको बताएंगे कि कैसे जाएं केदारनाथ, या कौन से मार्ग से जाएं केदारनाथ। How to reach Kedarnath in hindi भारत एक तीर्थ स्थल है जहाँ कयी देवी देवता निवास करते है, उसमे एक छोटा सा राज्य है उत्तराखंड जो पहले उत्तराँचल के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ पर इस राज्य के अपने चार प्रमुख धाम है, जिनमे बाबा केदार की अलग ही महिमा है। How to reach Kedarnath in hindi आपको हम केदारनाथ की दूरी के बारे मे अवगत करा रहे है-- केदारनाथ से प्रमुख शहरों की दूरी-- (1) ऋषिकेश से केदारनाथ 223 कि.मी (2) दिल्ली से केदारनाथ 458 कि.मी (3) कानपुर से केदारनाथ 492 कि.मी (4) नागपुर से केदारनाथ 1421 कि.मी (5) बंगलोर से केदारनाथ 2484 कि.मी (6) लखनऊ से केदारनाथ 469 कि.मी (7) कलकत्ता से केदारनाथ 1,293कि.मी (8) मुंबई से केदारनाथ 11,437 कि.मी (9) चेन्नई से केदारनाथ 1,965 कि.मी आप भारत के किसी भी शहर से क्यों न हो केदारनाथ की वास्तविक यात्रा सही मायने में हरिद्वार या ऋषिकेश से आरंभ ह...