Khatu shyam history in hindi

  1. Khatu Shaym Mandir: खाटू श्याम मंदिर का इतिहास भगवान श्रीकृष्ण से है जुड़ा, जानें शीश दानी की महिमा
  2. Khatu Shyam Ji Ki Kahani In Hindi
  3. खाटू श्याम का इतिहास कहानी कथा.
  4. श्री खाटू श्याम विशाल मंदिर दिल्ली धाम में क्या है खास और यहाँ कैसे पहुंचे
  5. खाटू श्याम बाबा के प्रसिद्ध नाम, जानिए क्यों कहलाते है लखदातार
  6. Khatu Shaym Temple History: कृष्ण से जुड़ा है मंदिर का इतिहास, जानिए श्याम को 'शीश दानी' क्यों कहते हैं
  7. Khatu Shyam: कौन हैं कलयुग के भगवान श्री खाटू श्याम? पढ़ें उनकी कथा
  8. जानिए खाटू श्याम जी का इतिहास! क्यों कहा जाता है उन्हें हारे का सहारा
  9. श्री श्याम मंदिर
  10. खाटूश्यामजी


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Khatu Shaym Mandir: खाटू श्याम मंदिर का इतिहास भगवान श्रीकृष्ण से है जुड़ा, जानें शीश दानी की महिमा

डीएनए हिंदी: राजस्थानके सीकर स्थित (Rajasthan Sikar) खाटू श्याम (Khatu Shaym Temple) के मंदिर में हर साल लोगों की काफी भीड़ होती है. कई बार तो श्रद्धालु खाटू श्याम के दर्शन करने के लिए सुबह से शाम तक लाइन में लगते हैं और फिर बहुत धक्का मुक्की होती है. खाटू श्याम का मंदिर ( Khatu Shyam Mandir)आज का नहीं है बल्कि हजारों साल पुराना है. राजस्थान में यह सबसे प्रसिद्ध मंदिर है, यहां दूर दूर से लोग निशान चढ़ाने के लिए आते हैं. श्री खाटू श्याम जी का मंदिर भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए प्रमुख पूजा स्थल माना जाता है. खाटू श्याम के कई नाम हैं और उनकी महिमा भी बहुत है. आइए जानते हैं इस मंदिर का इतिहास और क्या है खाटू श्याम की महिमा. भगवान खाटू श्याम को वर्तमान समय (कलियुग) का देवता माना जाता है. खाटू श्याम मंदिर उत्तर भारत के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है. मंदिर के मूल संस्थापकों के वंशज ऐतिहासिक रूप से मंदिर की सेवा करते रहे हैं.ऐसा माना जाता है कि श्री खाटू श्याम मंदिर में हर साल लगभग एक लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. खाटू श्याम जी मंदिर का इतिहास क्या है (History of Khatu Shyam Temple) खाटू श्याम राजस्थान के खाटू शहर में भगवान कृष्ण (Lord Krishna) का एक सदियों पुराना मंदिर है.खाटू श्याम मंदिर भगवान कृष्ण की मूर्ति के लिए जाना जाता है जो उनके सिर के रूप में है, श्याम की मूर्ति का रंग भी सांवरा है और उसका आधा सिर कटा हुआ है.राजस्थान के यह राज्य के सबसे प्रमुख पूजा स्थलों में से एक है. इस बेहद खूबसूरत मंदिर की उपस्थिति के कारण ही शहर की लोकप्रियता बढ़ी है. खाटू श्याम मंदिर की कहानी महाभारत के सदियों पुराने हिंदू महाकाव्य से आती है. पांडवों में से एक,भीम के परपोते वीर बर्बरीक को...

Khatu Shyam Ji Ki Kahani In Hindi

हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी देवताओं को पूजा जाता है। हर व्यक्ति अपनी निजी आस्था के अनुसार अपने किसी ईष्ट को पूजता है। हम अपने जीवन में जरूर किसी एक शक्ति को अपनी पूर्ण आस्था और विश्वास के साथ मानते हैं, और जीवन में कठिन समय आने पर उन्हीं से प्रार्थना करते हैं। और दोस्तों यह सच भी है कि यदि हम उस शक्ति पर अगाध विश्वास और सच्चे मन से आस्था रखते हैं, तो वह हमें निश्चित रूप से उन परेशानियों से निकाल लेती हैं। दोस्तों, हम इस लेख में निर्बलों और कमजोरों के रक्षक, लखदातार, कलयुग के अवतारी, मोरबी नंदन, हारे का सहारा, खाटू श्याम बाबा (Khatu Shyam Baba) के बारे में विस्तार पूर्वक संपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं। आपसे अनुरोध है कि तीन बाण धारी, खाटू नरेश के बारे में समस्त जानकारी के लिए हमारे लेख क्यों हैं हारे का सहारा, शीश के दानी, खाटू श्याम बाबा | Khatu Shyam Ji Ki Kahani In Hindi को अंत तक अवश्य पढ़ें। Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • खाटू श्याम की कहानी, Khatu Shyam Baba Ki Katha, Khatu Shyam Ji Ki Kahani In Hindi प्रमुख बिंदु संबंधित जानकारी वास्तविक नाम बर्बरीक अन्य प्रसिद्ध नाम हारे का सहारा, लखदातार, खाटू श्याम, खाटू नरेश, श्याम बाबा, मोरवी नंदन, मोर छड़ी धारी, तीन बाण धारी, कलयुग के अवतारी, श्री श्याम जन्मतिथि देवउठनी एकादशी (कार्तिक शुक्ल पक्ष ) दादा का नाम महाबली भीम दादी का नाम हिडिम्बा पिता का नाम महाबली घटोत्कच माता का नाम अहिलावती (मोरबी) भाई के नाम अंजनपर्व, मेघवर्ण पूर्वज पांडव वास्तु निर्माता शासक राजा रूप सिंह चौहान निर्माण का वर्ष सन् 1027 मंदिर अवस्थित है खाटू, सीकर जिला, राजस्थान में प्रमुख अस्त्र धनुष और तीन दिव्य बाण मेला आयोजन ...

खाटू श्याम का इतिहास कहानी कथा.

खाटू श्याम मंदिर सीकर (राजस्थान) में स्थित हैं. खाटू श्याम का इतिहास बहुत प्राचीन हैं. आज से लगभग 1000 वर्ष पूर्व में इस मंदिर का निर्माण हुआ था. सीकर जिला मुख्यालय से 43 किलोमीटर दूर खाटू नामक गाँव में बाबा खाटू श्याम का प्राचीन मंदिर हैं. इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण और बर्बरीक की पूजा होती हैं. खाटू श्याम में बर्बरीक का सिर हैं जिसे बर्बरीक ने भगवान कृष्ण के कहने पर दान कर दिया था. कलयुग में खाटू श्याम को श्री कृष्ण का अवतार माना जाता हैं. खाटू श्याम को हारे का सहारा कहा जाता हैं क्योंकि जिसकी मनोकामना कहीं पूरी नहीं होती उसको श्याम बाबा पूरी करते हैं. इस लेख में हम आपको खाटू श्याम का इतिहास, कहानी, कथा और खाटू श्याम मंदिर कहाँ स्थित हैं कि पूरी जानकारी देंगे. 11 खाटू श्याम जी का मंदिर खाटू श्याम का इतिहास (History Of Khatu Shyam In Hindi) परिचय बिंदु परिचय नाम बाबा खाटू श्याम जी अन्य नाम किसका अवतार हैं पिता का नाम घटोत्कच माता का नाम मोरवी काल महाभारत कालीन History Of Khatu Shyam Ji खाटू श्याम का इतिहास महाभारत काल से हैं. ये पाण्डु पुत्र भीम के पौत्र थे जिनसे खुश होकर भगवान श्रीकृष्ण ने इनको कलयुग में अपने नाम से पूजनीय होने का आशीर्वाद दिया था. खाटू श्याम जी का नाम बचपन में बर्बरीक था, घर-परिवार,माता-पिता और गुरुजन सभी इनको बर्बरीक नाम से ही जानते थे. भगवान श्री कृष्ण ने इनको अपने घुँघराले बालों की वजह से श्याम नाम दिया था. खाटू श्याम जी को श्याम बाबा, दीनों का नाथ, कलयुग का अवतार, शीश का दानी, खाटू वाला श्याम, हारे का सहारा, लखदातार, नील घोड़े का असवार, खाटू नरेश आदि नामों से भी जाना जाता हैं. खाटू श्याम को मोरवीनंदन भी कहा जाता हैं. खाटू श्याम जी की कहानी खाटू श्य...

श्री खाटू श्याम विशाल मंदिर दिल्ली धाम में क्या है खास और यहाँ कैसे पहुंचे

यहां मंदिर के साथ-साथ 36 घाट और 19 मंजिला अत्याधुनिक धर्मशाला का भी निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा रात्रि में 1100 कैंडल लाइट में बाबा के दर्शन, गर्भ गुफा में बाबा के दर्शन,फ्लावर शाप, 1500 किलो अष्टधातु से बनी शिलापट, राधिका वाटिका,यज्ञशाला, गौशाला भी निर्मित किया जाएगा। यहां बुजुर्गो के लिए ट्राम द्वारा दर्शन की सुविधा होगी।साथ ही साथ करीब 25 फीट नीचे गिर गाय के गोबर से निर्मित व्यासपीठ, योग सेंटर, भारत माता धाम बनाया जाएगा। यहां बुजुर्गो के लिए ट्राम द्वारा दर्शन की सुविधा होगी। इसमें 24 घंटे भंडारा सुविधा होगी। श्री खाटू श्याम विशाल मंदिर दिल्ली धाम मंदिर कहाँ स्थित है • कोई भी देवी-देवताओं को मानाने वाले लोग यहाँ आकर दर्शन कर सकतें है, क्यूंकि इसमें 36 धाम होंगे। • इस मंदिर में भारत माता धाम नाम का राष्ट मंदिर भी होगा। • 2000 लोगों की क्षमता वाला विशाल सत्संग, 4000 व्यक्तियों की क्षमता वाला सभागार, अत्याधुनिक धर्मशाला। • मैडिटेशन सेंटर, धर्मार्थ चिकित्सालय, योग सेंटर व् फाइव स्टार सुविधाओं वाले 300 रूम। • रजिस्ट्रड श्याम मंडलों के लिए फ्री बुकिंग, 800 लोगों के लिए हॉल व 20 रुपये प्रतिव्यक्ति खाना। • म्यूजिकल फाउंटेन, स्माल थिएटर बाबा और अन्य धाम की महिमा और महत्त्व दिखने के लिए, श्याम कुंड। श्री खाटू श्याम अलीपुर मंदिर की समय सारिणी (Khatu Shyam Delhi Dham Timings)

खाटू श्याम बाबा के प्रसिद्ध नाम, जानिए क्यों कहलाते है लखदातार

महाभारत युद्ध के दौरान जब बर्बरीक अपनी मां से आशिर्वाद लेने पहुंचे तब मां ने उनसे हारे पक्ष का साथ देने का वचन लिया। यानि जिसकी युद्ध में हार होगी, वे उसकी तरफ से लड़ेंगे। भगवान श्रीकृष्ण सर्वव्यापी थे। उन्होंने पता था कि हार कौरवों की होनी है, ऐसे में बर्बरीक उनकी तरफ से युद्ध लड़ेंगे तो​ स्थि​ति बदल सकती है। ऐसे में उन्होंने ब्राह्मण का वेश धारण किया और फिर शीश मांग लिया। बर्बरीक ने अपना शीश दान कर दिया। इस कारण श्याम बाबा को शीश का दानी कहा जाता है। श्री कृष्ण ने बर्बरीक को शीश दान मांगने की वजह भी बताई। उन्होंने कहा कि युद्ध आरम्भ होने से पूर्व युद्धभूमि पूजन के लिए तीनों लोकों में सर्वश्रेष्ठ क्षत्रिय के शीश की आहुति देनी होती है। इसलिए ऐसा करने के लिए वे विवश थे। बर्बरीक ने उनसे प्रार्थना की कि वे अन्त तक युद्ध देखने और अपना नाम उन्हें देने की प्रार्थना की। श्री कृष्ण ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली। श्री कृष्ण इस बलिदान से प्रसन्न होकर बर्बरीक को युद्ध में सर्वश्रेष्ठ वीर की उपाधि से अलंकृत किया।साथ ही अपना नाम श्याम भी उन्हें दिया। श्याम बाबा की महिमा निराली है। कहा जाता है कि जिस पर श्याम बाबा की कृपा होती है, वह हर तरह से संपन्न हो जाता है। इस मान्यता के चलते श्याम बाबा को लखदातार कहा जाता है। यहीं वजह है कि श्याम बाबा के भक्तों में जहां सामान्य व्यक्ति भी है तो अमीर से अमीर। श्याम जी के मेले में पश्चिम बंगाल, आसाम, महाराष्ट्र, पंजाब, गुजरात आदि से बड़ी संख्या में भक्त आते है।

Khatu Shaym Temple History: कृष्ण से जुड़ा है मंदिर का इतिहास, जानिए श्याम को 'शीश दानी' क्यों कहते हैं

डीएनए हिंदी: राजस्थान के सीकर स्थित (Rajasthan Sikar) खाटू श्याम (Khatu Shaym Temple) के मंदिर में हर साल लोगों की काफी भीड़ होती है. कई बार तो श्रद्धालु खाटू श्याम के दर्शन करने के लिए सुबह से शाम तक लाइन में लगते हैं और फिर बहुत धक्का मुक्की होती है. खाटू श्याम का मंदिर ( Khatu Shyam Mandir) आज का नहीं है बल्कि हजारों साल पुराना है. राजस्थान में यह सबसे प्रसिद्ध मंदिर है, यहां दूर दूर से लोग निशान चढ़ाने के लिए आते हैं. श्री खाटू श्याम जी का मंदिर भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए प्रमुख पूजा स्थल माना जाता है. खाटू श्याम के कई नाम हैं और उनकी महिमा भी बहुत है. आईए जानते हैं इस मंदिर का इतिहास और क्या है खाटू श्याम की महिमा. भगवान खाटू श्याम को वर्तमान समय (कलियुग) का देवता माना जाता है. खाटू श्याम मंदिर उत्तर भारत के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है. मंदिर के मूल संस्थापकों के वंशज ऐतिहासिक रूप से मंदिर की सेवा करते रहे हैं.ऐसा माना जाता है कि श्री खाटू श्याम मंदिर में हर साल लगभग एक लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. यह भी पढ़ें- कामाख्या मंदिर का इतिहास और इसकी महिमा सुनकर आप जरूर करने जाएंगे दर्शन खाटू श्याम जी मंदिर का इतिहास क्या है (History of Khatu Shyam Temple) खाटू श्याम राजस्थान के खाटू शहर में भगवान कृष्ण (Lord Krishna) का एक सदियों पुराना मंदिर है.खाटू श्याम मंदिर भगवान कृष्ण की मूर्ति के लिए जाना जाता है जो उनके सिर के रूप में है, श्याम की मूर्ति का रंग भी सांवरा है और उसका आधा सिर कटा हुआ है.राजस्थान के यह राज्य के सबसे प्रमुख पूजा स्थलों में से एक है. इस बेहद खूबसूरत मंदिर की उपस्थिति के कारण ही शहर की लोकप्रियता बढ़ी है. खाटू श्याम मंदिर की कहानी महाभारत के ...

Khatu Shyam: कौन हैं कलयुग के भगवान श्री खाटू श्याम? पढ़ें उनकी कथा

बर्बरीक महाबली भीम और हिडम्बा के पौत्र थे एवं घटोत्कच के पुत्र थे. वह अपने दादाजी की ही तरह अति बलशाली थे और उनका शरीर भी विशालकाय था. बर्बरीक ने भगवान श्रीकृष्ण को दान किया था अपना शीश. Khatu Shyam: जैसा कि हम सभी जानते हैं आजकल लोग खाटू श्याम या खाटू नरेश को बहुत अधिक मानने लगे हैं परंतु क्या आप जानते हैं कि कौन हैं खाटू श्याम? कैसे हुआ उनका प्राकट्य अथवा क्यों कलयुग में हो रहा है उनका अत्यधिक बोल बाला? अगर नहीं! तो आइये हम बताते है आपको खाटू श्याम से जुड़ी रोचक कहानी. खाटू, सीकर (राजस्थान) में स्थित एक कस्बे का नाम है और खाटू में विराजमान होने के कारण उनका नाम खाटू श्याम पड़ा. कथा आती है महाभारत काल से, खाटू श्याम का असली नाम बर्बरीक था. बर्बरीक महाबली भीम और हिडम्बा के पौत्र थे एवं घटोत्कच के पुत्र थे, वह अपने दादाजी की ही तरह अति बलशाली थे और उनका शरीर भी विशालकाय था. ये भी पढ़ें: मां भगवती को इसलिए लेना पड़ा भ्रामरी और शाकंभरी माता का अवतार, पढ़ें कथा बर्बरीक का संकल्प पंडित इंद्रमणि घनस्यालबताते हैं कि जब महाभारत का युद्ध शुरू हुआ तब बर्बरीक की भी युद्ध देखने की इच्छा हुई, जिसके कारण वह कुरुक्षेत्र की ओर चल दिए तथा उन्होंने यह संकल्प किया कि अंत में जो भी युद्ध हार रहा होगा, वह उसकी तरफ से युद्ध में हिस्सा लेंगे. जब यह बात श्रीकृष्ण को पता लगी तो वह परेशान हो उठे क्योंकि वह युद्ध के परिणाम से अवगत थे, वह जानते थे कि जीत पांडवों की ही होगी परंतु वह यह भी जानते थे कि अगर बर्बरीक ने युद्ध में हिस्सा लिया तो वह ही जीतेंगे. श्रीकृष्ण ने बनाया ब्राह्मण का रूप श्रीकृष्ण ने एक युक्ति अपनाई और वह एक ब्राह्मण का भेष बनाकर बर्बरीक के पास जा पहुंचे, बर्बरीक ने उन्हें प्रणाम किया,...

जानिए खाटू श्याम जी का इतिहास! क्यों कहा जाता है उन्हें हारे का सहारा

Share भगवान खाटू श्याम जी का एक सुप्रसिद्ध मंदिर है। खाटू नगर में स्थापित होने के कारण भगवान श्याम को खाटू श्याम के नाम से जाना जाता है। करीब 1 हजार से अधिक वर्ष पुराना ये मंदिर आज लोगों की आस्था का बड़ा केन्द्र है। यहां हर रोज हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। खाटू श्याम जी को उनके भक्त श्याम बाबा, तीन बाण धारी, नीले घोड़े का सवार, लखदातार, हारे का सहारा, शीश का दानी, मोर्वीनंदन, खाटू वाला श्याम, खाटू नरेश, श्याम धणी आदि नामों से भी पुकारते हैं। आज हम आपको खाटू श्याम की कथा, खाटू श्याम अवतार, खाटू श्याम मंदिर आदि के बारे में बताएंगे। खाटू श्याम जी कौन है? खाटू श्याम जी की कहानी महाभारत काल से शुरू होती है। पहले वे बर्बरीक के नाम से जाने जाते थे। वे महाबलशाली गदाधारी भीम के पुत्र घटोत्कच और दैत्य मूर की पुत्री मोरवी के पुत्र हैं। बाल्यावस्था से ही वे वीर और महान योद्धा थे। श्री खाटू श्याम जी ने युद्ध कला अपनी माँ मोरवी और भगवान श्री कृष्ण से सीखी थी। इसके बाद श्रीकृष्ण के कहने पर नव दुर्गा की घोर तपस्या कर माता को प्रसन्न किया और तीन अमोघ बाण प्राप्त किये। इस प्रकार वे तीन बाणधारी के नाम से भी प्रसिद्ध हुए। साथ ही अग्निदेव ने प्रसन्न होकर ऐसा धनुष प्रदान किया था, जो उन्हें तीनों लोकों पर विजय दिला सकता था। कलयुग में वही बर्बरीक खाटू श्याम के नाम से विख्यात हुए। श्याम नाम बर्बरीक को भगवान श्रीकृष्ण ने प्रदान किया था। खाटू श्याम जी की जीवन कथा श्री खाटू श्याम जी का इतिहास जानने के लिए एक बार फिर महाभारत की कथा में चलते हैं। जैसा कि आपने पढ़ा बर्बरीक को तपस्या के बाद माॅं दूर्गा से तीन अमोघ बाण और अग्निदेवता से धनुष प्राप्त हो चुका था। इधर, कौरवों और पाण्डवो के बीच महाभारत ...

श्री श्याम मंदिर

khatu shyam mandir rajasthan- राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है यह श्री श्याम जी का मंदिर ( khatu shyam mandir ) भगवान कृष्ण के कई प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है यह मंदिर। खाटू श्याम जी के इस मंदिर की हिंदू भक्तों में बहुत ज्यादा मान्यता है। यहाँ हर वर्ष लाखों भक्त बाबा श्याम जी के दर्शन के लिए आते हैं। खासतौर पर फरवरी से मार्च के बीच यहाँ लगने वाले मेले के अवसर पर सबसे ज्यादा श्रद्धालु आते हैं। खाटू श्याम जी का इतिहास कलियुग से भी पहले द्वापर युग से माना जाताहै। द्वापर युग में हुए युद्ध जिसे महाभारत के नाम से जाना जाता है तब से है खाटू श्याम जी का इतिहास। जो आज खाटू श्याम जी के नाम से पूरी दुनिया भर में पूजे जाते है। वो पांडवों में से महाबली भीम के पुत्र घटोत्कच और उनकी पत्नी मौरवी के पुत्र बर्बरीक हैं। बर्बरीक बचपन से ही वीर योद्धा थे। माता नव दुर्गा की घोर तपस्या करके बर्बरीक ने माता से वरदान के रूप में तीन अमोघ बाणों को प्राप्त किया था। " खाटू श्याम जी को तीन बाण धारी भी कहा जाता है "जिससे तीनो लोकों को जीता जा सकता था। महाभारत युद्ध के आरम्भ में ही बर्बरीक ने महाभारत के युद्ध में शामिल होने की इच्छा जताई। उन्होंने माता मौरवी से कहा में युद्ध में भाग लेने जा रहा हूँ। माता मौरवी ने बर्बरीक से कहा युद्ध स्थल में जाने से पहले मुझे दो वचन दे कर जाओ। की रास्तें में तुमसे कोई भी कुछ भी मांगे तो तुम मना नहीं करोगे और दूसरा यह की तुम हरे का सहारा बनोगे। माता मौरवी के इन वचनों को सुन कर बर्बरीक ने जो आज्ञा माता आपने जैसा कहा है वैसा ही होगा। इतना कहने के बाद बर्बरीक वहाँ से चल दिए युद्ध भूमि के तरफ। श्री कृष्ण जी को बर्बरीक के इन वचनों का पता चला तो उन्होंने एक ब्राह्मण का रूप ...

खाटूश्यामजी

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