खिलाफत आंदोलन क्यों हुआ

  1. ExamsIAS IAS Coaching in Delhi & Online Website & Study Material in Hindi
  2. खिलाफत आन्दोलन – Page 2 – Naukri Aspirant
  3. खिलाफत आंदोलन क्यों हुआ ? गाँधीजी ने इसका समर्थन क्यों किया ?
  4. खिलाफत आन्दोलन क्या है और क्यों हुआ था? जाने पूरा सच
  5. खिलाफत आंदोलन के 100 साल इसी से हुआ असहयोग आंदोलन का उद्गम स्वराज इसका मकसद नहीं था
  6. खिलाफत आंदोलन का वर्णन कीजिए। महात्मा गांधी ने इसका समर्थन क्यों किये?
  7. खिलाफत आंदोलन क्या था?
  8. ExamsIAS IAS Coaching in Delhi & Online Website & Study Material in Hindi
  9. खिलाफत आंदोलन क्यों हुआ ? गाँधीजी ने इसका समर्थन क्यों किया ?
  10. खिलाफत आन्दोलन – Page 2 – Naukri Aspirant


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• 1919 से 1922 के मध्य दो सशक्त जन आंदोलन (Khilafat Movement & Non coparation Movement) चलाए गए हालांकि यह दोनों आंदोलन प्रथक प्रथक मुद्दों पर प्रारंभ हुए थे किंतु दोनों ने ही संघर्ष के एक ही तरीके अहिंसक सहयोग के मार्ग को अपनाया। • प्रथम विश्व युद्ध, आर्थिक कठिनाइयां, सूखा, रौलट एक्ट, जलियांवाला बाग हत्याकांड ,हंटर कमीशन सिफारिश, इन सब ने इन आंदोलनों का सूत्रपात किया। • अन्य घटनाएं जिससे हिंदू मुस्लिम राजनीतिक एकीकरण की व्यापक पृष्ठभूमि तैयार हुई- लखनऊ समझौता, रौलट एक्ट के विरुद्ध प्रदर्शन, मौलिक राष्ट्रवादी मुसलमान मोहम्मद अली अबुल कलाम आजाद हसन इमाम आदि ने अलीगढ़ स्कूल का प्रभाव कम किया और एकता पर बल दिया। Table of Contents • • • • • • • • • • खिलाफत और असहयोग आंदोलन – खिलाफत का मुद्दा • तुर्की के सुल्तान के प्रति ब्रिटिश रवैया खराब था और विश्व के मुसलमान उसे इस्लामी राज्य खलीफा मानते थे। पहले विश्व युद्ध के बाद तुर्की पर सेवर्स की संधि आरोपित की गई जिसमें तुर्की का विभाजन था और खलीफा का पद समाप्त था, तुर्की ने ब्रिटेन के विरुद्ध जर्मनी का साथ दिया था। • भारत में इसकी तीव्र आलोचना हुई • 1919 में अली बंधुओं मोहम्मद अली और शौकत अली मौलाना आजाद अजमल खान आदि के नेतृत्व में खिलाफत कमेटी का गठन किया जिसका उद्देश्य ब्रिटेन पर दबाव डालना था। खिलाफत कमेटी की अध्यक्षता गांधीजी ने की। • जिन्ना ने इसका विरोध किया और कहा कि मुस्लिमों का कट्टर पन बढ़ाएं या हिंदू मुस्लिम एकता के लिए घातक है। • खिलाफत के प्रश्न पर कांग्रेस का रवैया • खिलाफत आंदोलन की सफलता के लिए कांग्रेस का सहयोग अत्यंत आवश्यक था हालांकि खिलाफत गांधीजी के समर्थन से था किंतु कांग्रेस में इस मुद्दे पर सर्वसम्मति का आभाव...

खिलाफत आन्दोलन – Page 2 – Naukri Aspirant

View Solution 23 खिलाफत आंदोलन को हिन्दुओं और मुसलमानों दोनों से समर्थन मिला और इसका पहली पंक्ति से गाँधीजी ने नेतृत्व किया। इसके बावजूद, इस आंदोलन का जोर जाता रहा। क्यों? (अ) स्वयं तुर्की में खलीफा का पद खत्म कर दिया गया और तुर्की को बेहतर शर्ते पेश की गई (ब) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रति मुस्लिम लीग का विरोध (स) ब्रिटिश शासन द्वारा मुस्लिमों को दी गई खास रियायतें (द) कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच आंतरिक संघर्ष

खिलाफत आंदोलन क्यों हुआ ? गाँधीजी ने इसका समर्थन क्यों किया ?

उत्तर ⇒ तुर्की (ऑटोमन साम्राज्य की राजधानी) का खलीफा जो ऑटोमन साम्राज्य का सुलतान भी था, संपूर्ण इस्लामी जगत का धर्मगुरु था। पैगंबर के बाद सबसे अधिक प्रतिष्ठा उसी की थी। प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी के साथ तुर्की भी पराजित हुआ। पराजित तुर्की पर विजयी मिस्र-राष्ट्रों ने कठोर संधि थोप दी (सेव्र की संधि)। ऑटोमन साम्राज्य को विखंडित कर दिया गया। खलीफा और ऑटोमन साम्राज्य के साथ किए गए व्यवहार से भारतीय मुसलमानों में आक्रोश व्याप्त हो गया। वे तुर्की के सुल्तान एवं खलीफा की शक्ति और प्रतिष्ठा की पुनः स्थापना के लिए संघर्ष करने को तैयार हो गए। इसके लिए खिलाफत आंदोलन आरंभ किया गया। 1919 में अली बंधुओं (मोहम्मद अली और शौकत अली) ने बंबई में खिलाफत समिति का गठन किया। आंदोलन चलाने के लिए जगह-जगह खिलाफत कमिटियाँ बनाकर तुर्की के साथ किए गए अन्याय के विरुद्ध जनमत तैयार करने का प्रयास किया गया। ‘ गाँधीजी ने इस आंदोलन को अपना समर्थन देकर हिंदू-मुसलमान एकता स्थापित करने और एक बड़ा सशक्त राजविरोधी आंदोलन आरंभ करने का निर्णय लिया।

खिलाफत आन्दोलन क्या है और क्यों हुआ था? जाने पूरा सच

खिलाफत और असहयोग आन्दोलन यह बात तब की है जब प्रथम विश्व युध्ध हुआ था. इस युद्ध में तुर्की देश ने तत्कालीन सक्तिसाली राष्ट्र ब्रिटन के खिलाफ हिस्सा लिया था. क्यूंकि तुर्की के लोगो पर ब्रिटन द्वारा अन्याय किया गया था और तुर्की को पहेले से ही पराजित कर दिया गया था. इस बात का बदला लेने के लिए वो बेताब थे. ब्रिटन के प्रति बढ़ रहे इसी क्रोध ने खिलाफत और असहयोग आन्दोलन को जन्म दिया था. इस अन्याय के कारन सन 1919 में अली बंधुओ के नाम से मसहुर मोहम्मद अली और शौकत अली के साथ मौलाना अबुल कलाम आजाद, हसरत मोहानी सहित और कई सारे मुस्लिम नेताओ ब्रिटन के खिलाफ तुर्की का साथ देने के लिए तैयार हुए और इसी वजह से शुरुआत हुई खिलाफत आन्दोलन की. अब हमारे मन में यह सवाल भी आ रहा होगा की आखिर तुर्की के अन्याय के साथ भारत और पाकिस्तान(तब पाकिस्तान भी भारत का ही हिस्सा था) के मुस्लिमो को क्या लेना देना. दरसल तुर्की के सुल्तान को खलीफा यानि की मुस्लिमो का धर्मगुरु माना जाता था इसी वजह से सभी मुस्लिमोने तुर्की का साथ देने की पहेल की. दूसरी तरफ हिन्दू-और मुस्लिम दोनों को ही ब्रिटन से सिकायत तो थी ही और यह एक अच्छा मौका भी था इसी वजह से खिलाफत आन्दोलन छेड़ दिया गया. खिलाफत आन्दोलन सन 1919 से 1922 तक चला था. इसका मकसद तुर्की के खलीफा पद की स्थापना करने के लिए अंग्रजो पर दबाव बनाने का था. सन 1922 के आखिर में जब यह आन्दोलन ढह गया तब तुर्की ने इस परिस्थिति के अनुकूल कूटनीति का इस्तमाल किया धर्मनिरपेक्षता को और बढ़ावा दिया. सन 1924 तक तुर्की ने खलीफा और सुल्तान की भूमिका को खत्म कर दिया था. खिलाफत आन्दोलन का इतिहास जब पहेला विश्व युद्ध हुआ तो जर्मनी और तुर्की दोनो ही मुल्क बुरी तरह से हार गए थे. क्यूंकि तुर्की न...

खिलाफत आंदोलन के 100 साल इसी से हुआ असहयोग आंदोलन का उद्गम स्वराज इसका मकसद नहीं था

[डॉ. श्रीरंग गोडबोले]। यह एक गलतफहमी है कि असहयोग और खिलाफत आंदोलन एक साथ शुरू किये गए या फिर असहयोग के बाद खिलाफत आरम्भ हुआ। इस विषय पर कुशाग्र बुद्धि के स्वामी डॉ. अंबेडकर लिखते हैं कि श्री गाँधी खिलाफत के लिए न केवल मुसलमानों से सहमत थे, बल्कि इस काम में उनके मार्गदर्शक और मित्र भी बन गये। खिलाफत आन्दोलन में श्री गांधी ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। इससे अधिकतर लोग मानने लगे कि कांग्रेस ने ही स्वराज पाने प्राप्ति के लिए असहयोग आन्दोलन शुरू किया। यह विचार सब जगह घर कर गया था। सच्चाई यह है कि असहयोग आन्दोलन का उद्गम खिलाफत आन्दोलन से हुआ था, न कि स्वराज के लिए कांग्रेस के आंदोलन के रूप में। इसे खिलाफतवादियों ने तुर्की की मदद के लिए शुरू किया था और कांग्रेस ने केवल खिलाफतवादियों की मदद करने के लिए इसे अपनाया था। इसका मूल उद्देश्य स्वराज नहीं, बल्कि खिलाफत था। स्वराज का गौण उद्देश्य बनाकर उससे जोड़ दिया गया था, ताकि हिन्दू भी उसमे भाग लें और यह बात नीचे दिए गए तथ्यों से स्पष्ट होती है। खिलाफत आंदोलन की शुरुआत 27 अक्टूबर 1919 को हुई समझी जा सकती है, क्योंकि इसी दिन देश भर में खिलाफत सम्मलेन हुआ। इस अधिवेशन में मुसलमानों ने इस बात की संभावना पर विचार किया कि क्या असहयोग करके अंग्रेज सरकार को खिलाफत की गलती दूर करने के लिए विवश किया जा सकता है। 10 मार्च 1920 को कलकत्ता में खिलाफत सम्मलेन हुआ और उसमे यह फैसला कर लिया गया कि आन्दोलन के लक्ष्य को आगे बढाने के लिए असहयोग सर्वोत्तम हथियार हो सकता है। 9 जून 1920 को इलाहाबाद में खिलाफत सम्मलेन हुआ और वहां असहयोग का सहारा लेने पर सर्वसम्मति बनी। 22 जून 1920 को मुस्लिमों ने वायसराय को सन्देश भेजा कि यदि एक अगस्त 1920 से पूर्व तुर्क लोगों ...

खिलाफत आंदोलन का वर्णन कीजिए। महात्मा गांधी ने इसका समर्थन क्यों किये?

खिलाफत आंदोलन का वर्णन कीजिए। महात्मा गांधी ने इसका समर्थन क्यों किया? समझाइए। उत्तर: खिलाफत आन्दोलन ( 1919-1922) भारत में मुख्यत: मुसलमानों द्वारा चलाया गया राजनीतिक-धार्मिक आन्दोलन था। इस आन्दोलन का उद्देश्य (सुन्नी) इस्लाम के मुखिया माने जाने वाले तुर्की के खलीफा के पद की पुन:स्थापना कराने के लिये अंग्रेजों पर दबाव बनाना था। सन् १९२४ में मुस्तफ़ा कमाल के ख़लीफ़ा पद को समाप्त किये जाने के बाद यह अपने-आप समाप्त हो गया। लेकिन इसकी वजह से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और आजकल की भारतीय राजनीति में एक बहस का मुद्दा छिड़ गया। इसके मुख्य प्रणेता उत्तर प्रदेश के अली बंधुओं को पाकिस्तान में बहुत आदर से देखा जाता है। सन् 1908 ई. में तुर्की में युवा तुर्की दल द्वारा शक्तिहीन खलीफा के प्रभुत्व का उन्मूलन खलीफत (खलीफा के पद) की समाप्ति का प्रथम चरण था। इसका भारतीय मुसलमान जनता पर नगण्य प्रभाव पड़ा। किंतु , 1912 में तुर्की-इतालवी तथा बाल्कन युद्धों में , तुर्की के विपक्ष में , ब्रिटेन के योगदान को इस्लामी संस्कृति तथा सर्व इस्लामवाद पर प्रहार समझकर भारतीय मुसलमान ब्रिटेन के प्रति उत्तेजित हो उठे। यह विरोध भारत में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध रोषरूप में परिवर्तित हो गया। इस उत्तेजना को अबुलकलाम आजाद , जफर अली खाँ तथा मोहम्मद अली ने अपने समाचारपत्रों अल-हिलाल , जमींदार तथा कामरेड और हमदर्द द्वारा बड़ा व्यापक रूप दिया। प्रथम महायुद्ध में तुर्की पर ब्रिटेन के आक्रमण ने असंतोष को प्रज्वलित किया। सरकार की दमननीति ने इसे और भी उत्तेजित किया। राष्ट्रीय भावना तथा मुस्लिम धार्मिक असंतोष का समन्वय आरंभ हुआ। महायुद्ध की समाप्ति के बाद राजनीतिक स्वत्वों के बदले भारत को रौलट बिल , दमनचक्र , तथा जलियानवाला...

खिलाफत आंदोलन क्या था?

खिलाफत आन्दोलन क्या था? khilafat aandolan kya tha in hindi;प्रथम विश्व युद्ध मे जब तर्की ने जर्मनी और उसके सहयोगियों को सहयोग दिया तो खिलाफत का भारत मे 1913-15 मे प्रश्न उठा। प्रथम विश्व युद्ध मे इंग्लैंड जर्मनी के खिलाफ लड़ रहा था और टर्की उसके शत्रु का साथ दे रहा था परन्तु भारत मे मुस्लिम सहयोग पाने के उद्देश्य से अंग्रेजों ने घोषणा की थी कि टर्की की अखण्डता और पवित्र स्थलो की रक्षा की जायेगी। अतः भारतीय मुसलमानों ने इस शर्त पर युद्ध मे सहायता कि की युद्ध के बाद टर्की को हानि न पहुंचाई जाए। मुसलमानों की धार्मिक निष्ठा टर्की के खलीफा के प्रति होने से प्रथम विश्व युद्ध के समय उन्होंने अंग्रेजों का साथ दिया परन्तु युद्ध समाप्ति के बाद इंग्लैंड ने अपने वचन का पालन नही किया। इंग्लैंड और मित्र राज्यों ने टर्की पर अपमानजनक संधि और शर्ते शोप दी। जिससे भारतीय मुसलमानों को चोट पहुंची। भारतीय मुसलमानों मे प्रथम बार अंग्रेज विरोधी भावना एवं मुस्लिम चेतना खिलाफत आंदोलन मे दृष्टिगोचर हुई। इससे पहले भारतीय मुसलमान अंग्रेजों के अनन्य भक्त बने हुए थे। खिलाफत आंदोलन का स्वरूप धार्मिक अधिक था। भारतीय मुसलमान तुर्की के सुल्तान को अपना धर्मगुरू "खलीफा" मानते थे। मुगल सम्राटो के समय गजनी के सुल्तान को "खलीफा" माना जाता था। पर गजनी का साम्राज्य नष्ट होने से तुर्की का सुल्तान ही भारतीय मुसलमानों का धार्मिक नेता बन गया था। खिलाफत आंदोलन की मांगे 1. तुर्की के सुल्तान को खलीफा बनाए रखा जाए। 2. जाजीर-तुल-अरब नामक इस्लाम के धार्मिक केन्द्र को मुस्लिम शासन के अंतर्गत ही रखा जाए। 3. तुर्की की अखंडता को नष्ट नही किया जाए। महात्मा गांधी समझते थे कि स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए हिन्दू मुस्लिम एकता आवश्यक ह...

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• 1919 से 1922 के मध्य दो सशक्त जन आंदोलन (Khilafat Movement & Non coparation Movement) चलाए गए हालांकि यह दोनों आंदोलन प्रथक प्रथक मुद्दों पर प्रारंभ हुए थे किंतु दोनों ने ही संघर्ष के एक ही तरीके अहिंसक सहयोग के मार्ग को अपनाया। • प्रथम विश्व युद्ध, आर्थिक कठिनाइयां, सूखा, रौलट एक्ट, जलियांवाला बाग हत्याकांड ,हंटर कमीशन सिफारिश, इन सब ने इन आंदोलनों का सूत्रपात किया। • अन्य घटनाएं जिससे हिंदू मुस्लिम राजनीतिक एकीकरण की व्यापक पृष्ठभूमि तैयार हुई- लखनऊ समझौता, रौलट एक्ट के विरुद्ध प्रदर्शन, मौलिक राष्ट्रवादी मुसलमान मोहम्मद अली अबुल कलाम आजाद हसन इमाम आदि ने अलीगढ़ स्कूल का प्रभाव कम किया और एकता पर बल दिया। Table of Contents • • • • • • • • • • खिलाफत और असहयोग आंदोलन – खिलाफत का मुद्दा • तुर्की के सुल्तान के प्रति ब्रिटिश रवैया खराब था और विश्व के मुसलमान उसे इस्लामी राज्य खलीफा मानते थे। पहले विश्व युद्ध के बाद तुर्की पर सेवर्स की संधि आरोपित की गई जिसमें तुर्की का विभाजन था और खलीफा का पद समाप्त था, तुर्की ने ब्रिटेन के विरुद्ध जर्मनी का साथ दिया था। • भारत में इसकी तीव्र आलोचना हुई • 1919 में अली बंधुओं मोहम्मद अली और शौकत अली मौलाना आजाद अजमल खान आदि के नेतृत्व में खिलाफत कमेटी का गठन किया जिसका उद्देश्य ब्रिटेन पर दबाव डालना था। खिलाफत कमेटी की अध्यक्षता गांधीजी ने की। • जिन्ना ने इसका विरोध किया और कहा कि मुस्लिमों का कट्टर पन बढ़ाएं या हिंदू मुस्लिम एकता के लिए घातक है। • खिलाफत के प्रश्न पर कांग्रेस का रवैया • खिलाफत आंदोलन की सफलता के लिए कांग्रेस का सहयोग अत्यंत आवश्यक था हालांकि खिलाफत गांधीजी के समर्थन से था किंतु कांग्रेस में इस मुद्दे पर सर्वसम्मति का आभाव...

खिलाफत आंदोलन क्यों हुआ ? गाँधीजी ने इसका समर्थन क्यों किया ?

उत्तर ⇒ तुर्की (ऑटोमन साम्राज्य की राजधानी) का खलीफा जो ऑटोमन साम्राज्य का सुलतान भी था, संपूर्ण इस्लामी जगत का धर्मगुरु था। पैगंबर के बाद सबसे अधिक प्रतिष्ठा उसी की थी। प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी के साथ तुर्की भी पराजित हुआ। पराजित तुर्की पर विजयी मिस्र-राष्ट्रों ने कठोर संधि थोप दी (सेव्र की संधि)। ऑटोमन साम्राज्य को विखंडित कर दिया गया। खलीफा और ऑटोमन साम्राज्य के साथ किए गए व्यवहार से भारतीय मुसलमानों में आक्रोश व्याप्त हो गया। वे तुर्की के सुल्तान एवं खलीफा की शक्ति और प्रतिष्ठा की पुनः स्थापना के लिए संघर्ष करने को तैयार हो गए। इसके लिए खिलाफत आंदोलन आरंभ किया गया। 1919 में अली बंधुओं (मोहम्मद अली और शौकत अली) ने बंबई में खिलाफत समिति का गठन किया। आंदोलन चलाने के लिए जगह-जगह खिलाफत कमिटियाँ बनाकर तुर्की के साथ किए गए अन्याय के विरुद्ध जनमत तैयार करने का प्रयास किया गया। ‘ गाँधीजी ने इस आंदोलन को अपना समर्थन देकर हिंदू-मुसलमान एकता स्थापित करने और एक बड़ा सशक्त राजविरोधी आंदोलन आरंभ करने का निर्णय लिया।

खिलाफत आन्दोलन – Page 2 – Naukri Aspirant

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