Khilji vansh ke shasak

  1. खिलजी वंश का इतिहास
  2. खिलजी वंश के बारे में लिखें। Khilji Vansh Ke Bare Mein Likhen
  3. Khilji Vnsh Short Notes
  4. गुप्त साम्राज्य इतिहास और रोचक तथ्य
  5. khilji vansh in hindi


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खिलजी वंश का इतिहास

अन्य संबंधित लेख- • • • • खिलजी वंश ( 1290-1320 ई. ) – खिलजी वंश गुलाम वंशकी तरह यह राजवंश भी मूलत: तुर्किस्तान का था। खिलजी वंश का संस्थापक जलालुद्दीन खिलजीथा। इसको अमीर वर्ग, उलेमा वर्ग, जनता का समर्थन प्राप्त नहीं था।खिलजी वंश को खिलजी क्रांति की संज्ञा दी गई है, इसके कारण निम्नलिखित हैं- • खिलजी वंश की स्थापना के साथ सल्तनत में नस्लवादी प्रवृत्ति का अंत हुआ। तथा प्रशासन में वंश या कुल के स्थान पर योग्यता को आधार बनाया गया। • खिलजियों ने बिना किसी वर्ग के समर्थन के शक्ति के बल पर न केवल शासन की स्थापना की बल्कि बङे साम्राज्य का निर्माण किया। इसके तीन शासक अपनी निष्ठाहीनता, निर्दयता और दक्षिण भारतीय हिंदू राज्यों पर अधिकार के लिए जाने जाते थे। खिलजी वंश के संस्थापक जलालुद्दीन फिरोज खिलजी, गुलाम वंश के अंतिम कमजोर बादशाह क्यूमर्श के पतन के बाद एक कुलीन गुट के सहयोग से गद्दी पर बैठे। जलालुद्दीन उम्र में काफी बड़े थे और अफगानी कबीले का होने के कारण एक समय वह इतने अलोकप्रिय थे कि राजधानी में घुसने तक का साहस नहीं कर सकते थे। उनके भतीजे जूना ख़ां ने दक्कन के हिन्दू राज्य पर चढ़ाई करके एलिचपुर और उसके खजाने पर अधिकार कर लिया और फिर 1296 में वापस लौटकर उन्होंने अपने चाचा की हत्या कर दी। जूना ख़ां ने अलाउद्दीन खिलजी की उपाधि धारण कर 20 वर्ष तक शासन किया। उन्होंने रणथंभौर (1301), चित्तौड़ (1303) और मांडू (1305) पर क़ब्ज़ा किया और देवगिरि के समृद्ध हिन्दू राज्य को अपने राज्य में मिला लिया। उन्होंने मंगोलों के आक्रमण का भी मुंहतोड़ जवाब दिया। अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति मलिक काफूर को 1308 में दक्षिण पर क़ब्ज़ा कर लिया, कृष्णा नदी के दक्षिण में होयसल वंश को उखाड़ फेंका और सुदूर दक्षि...

खिलजी वंश के बारे में लिखें। Khilji Vansh Ke Bare Mein Likhen

भारत आने से पूर्व खिलजी जातिअफगानिस्तान में हेलमंद नदी (Helmand River) की घाटी के प्रदेश में रहती थी।दिल्ली के सिंहासन पर खिलजी वंश (Khilji Vansh) का आधिपत्य हो जाने से भारत में तुर्कों की श्रेष्ठता समाप्त हो गई। इसके साथ ही शासन मे भारतीय (Indians) और गैर तुर्कमुसलमानों का प्रभाव पड़ गया। by Pranav Kumar

Khilji Vnsh Short Notes

khilji vansh Khilji dynasty PDF in Hindi, खिलजी वंश (Khilji Vansh) का संपूर्ण इतिहास और उससे संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य, khilji dynasty Hindi Me, khilji vansh in hindi pdf download, khilji vansh gk in hindi, Important Information about Khilji Dynasty in Hindi, History of Khilji Dynasty in Hindi. भारत में खिलजी वंश का संस्थापक जलालुद्दीन फिरोज खिलजी था। दिल्ली सल्तनत के राज सिंहासन पर आसीन होते समय उसकी आयु 70 वर्ष की थी। खिलजी वंश की स्थापना खिलजी क्रांति के नाम से प्रसिद्ध है। क्योंकि इसके द्वारा तुर्की अमीर वर्ग का सत्ता पर एकाधिकार और तुर्की लोगों की जातीय तानाशाही खत्म हो गई थी। खिलजी वंश के शासकों की सूची और उनका कार्यकाल- जलालुद्दीन खिलजी (1290 ईस्वी-1296 ईस्वी) अलाउद्दीन खिलजी (1296 ईस्वी-1316 ईस्वी) शिहाबुद्दीन उमर (1316 ईस्वी) कुतुबुद्दीन मुबारक शाह खिलजी (1316 ईस्वी-1320 ईस्वी ) नासिरुद्दीन खुसरो शाह ( 15 अप्रैल-5 सितंबर 1320 ईस्वी ) Khilji Vansh Hindi Me गुलाम वंश के शासन को समाप्त कर 13 जून 1290 ईसवी को जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने खिलजी वंश की स्थापना की थी। जलालुद्दीन की हत्या 1296 ईस्वी में उसके ही भतीजे एवं दामाद अलाउद्दीन खिलजी ने इलाहाबाद में कर दी थी। जलालुद्दीन खिलजी ने किलोखरी को अपना राजधानी बनाया था। 22 अक्टूबर 1296 ईसवी में अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली सल्तनत का सुल्तान बना। अलाउद्दीन खिलजी के बचपन का नाम अली तथा गुरशास्प था। दिल्ली के शासकों में अलाउद्दीन खिलजी के पास सबसे विशाल स्थाई सेना थी। अलाउद्दीन खिलजी ने सेना को नगद वेतन देने की एवं स्थाई सेना की नियुक्ति की नीवं रखी थी। खिलजी वंश सामान्य ज्ञान . अलाउद्दीन खिलजी ने ही घोड़ा दागने एवं सैनिको का हुलिया ल...

गुप्त साम्राज्य इतिहास और रोचक तथ्य

Gupta Empire in Hindi/ गुप्त राजवंश या गुप्त वंश प्राचीन भारत के प्रमुख राजवंशों में से एक था। इसे भारत का एक स्वर्ण युग माना जाता है। गुप्त वंश 275 ई. के आसपास अस्तित्व में आया। इसकी स्थापना श्रीगुप्त ने की थी। लगभग 510 ई. तक यह वंश शासन में रहा। आरम्भ में इनका शासन केवल मगध पर था, पर बाद में गुप्त वंश के राजाओं ने संपूर्ण उत्तर भारत को अपने अधीन करके दक्षिण में कांजीवरम के राजा से भी अपनी अधीनता स्वीकार कराई। इस वंश में अनेक प्रतापी राजा हुए। कालिदास के संरक्षक सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय (380-415 ई.) इसी वंश के थे। यही ‘विक्रमादित्य’ और ‘शकारि’ नाम से भी प्रसिद्ध हैं। नृसिंहगुप्त बालादित्य (463-473 ई.) को छोड़कर सभी गुप्तवंशी राजा वैदिक धर्मावलंबी थे। बालादित्य ने गुप्त राजवंश का इतिहास – History of Gupta Empire in Hindi गुप्त राजवंशों का इतिहास साहित्यिक तथा पुरातात्विक दोनों प्रमाणों से प्राप्त होता है। गुप्त राजवंश या गुप्त वंश प्राचीन भारत के प्रमुख राजवंशों में से एक था। इसे भारत का ‘स्वर्ण युग’ माना जाता है। गुप्त काल भारत के प्राचीन राजकुलों में से एक था। मौर्य चंद्रगुप्त ने गिरनार के प्रदेश में शासक के रूप में जिस ‘राष्ट्रीय’ (प्रान्तीय शासक) की नियुक्ति की थी, उसका नाम ‘वैश्य पुष्यगुप्त’ था। शुंग काल के प्रसिद्ध ‘बरहुत स्तम्भ लेख’ में एक राजा ‘विसदेव’ का उल्लेख है, जो ‘गाप्तिपुत्र’ (गुप्त काल की स्त्री का पुत्र) था। अन्य अनेक शिलालेखों में भी ‘गोप्तिपुत्र’ व्यक्तियों का उल्लेख है, जो राज्य में विविध उच्च पदों पर नियुक्त थे। इसी गुप्त कुल के एक वीर पुरुष श्रीगुप्त ने उस वंश का प्रारम्भ किया, जिसने आगे चलकर भारत के बहुत बड़े भाग में मगध साम्राज्य का फिर से विस्तार...

khilji vansh in hindi

khilji vansh in hindi – इस्लामिक आक्रमणो के बाद भारत में दिल्ली सल्तनत का दौर आता है और इस दौर में सबसे पहले हमने gulam vansh के बारे में पढ़ा कि कैसे gulam vansh की स्थापना होती है और कैसे उस वंश के सुलतानों ने कार्य किये और कैसे गुलाम वंश ख़त्म हुआ। आज हम खिलजी वंश के बारे में पढ़ेंगे, हमने पिछले गुलाम वंश के आर्टिकल में बताया था की उस वंश के आखरी सुल्तान क्यूमर्स की हत्या हो जाने के बाद khilji vansh की स्थापना हो जाती है और सबसे पहले इसकी स्थापना करने वाला सुल्तान था जलालुद्दीन फिरोज खिलजी। 1.5 नसीरूदीन ख़ुसरो खा (1320) Khilji vansh (1290-1320) • जलालुदीन फिरोज खिलजी (1290-1296) • अल्लाउदीन खिलजी (1296-1316) • मुबारक शाह (1316-1320) • नसीरूदीन ख़ुसरो खा (1320) जलालुदीन फिरोज खिलजी (1290-1296) khilji vansh in hindi – khilji vansh का पहला सुल्तान था जलालुदीन फिरोज खिलजी, 1290 में जलालुद्दीन ख़िलजी ने khilji vansh की नींव रखी। उसने दिल्ली के ही समीप किलोखरी महल में अपना राज्याभिषेक किया था, और जिस समय वह सुल्तान बना उस समय वह 70 वर्ष की आयु का था। माना जाता है कि पूरे दिल्ली सल्तनत के दौर में जलालुदीन खिल्जी ही ऐसा सुल्तान था जो सबसे उम्रदराज सुल्तान था। उसका एक भतीजा था जिसका नाम अल्लाउदीन खिलजी था, उसके पिता का नाम शिहाबुद्दीन खिलजी था और उनकी मृत्यु अल्लाउदीन खिलजी के छोटी सी उम्र के क्रम में ही हो गयी थी और उसकी देख रेख जलालुदीन खिल्जी ही करते थे। अल्लाउदीन खिलजी की कुशलता धीरे धीरे बहुत बढ़ती चली गयी और जलालुद्दीन खिलजी ने उसे सेनापति नियुक्त किया और अल्लाउदीन को जलालुदीन खिलजी ने दक्षिण भारत के अभियान पर भेजा। 1296 में अल्लाउदीन खिलजी दक्षिण भारत के अभियान के क्रम मे...