किशोरावस्था के पांच लक्षण

  1. 10: किशोरावस्था की ओर / Vigyan
  2. किशोरावस्था (Adolescents) के बारे में पाएं पूरी जानकारी
  3. किशोरावस्था की समस्याएं, सिद्धांत, शिक्षा का स्वरूप
  4. किशोरावस्था के लक्षण एवं प्रमुख समस्याएं क्या है ?
  5. NCERT NOTES CLASS 8 SCIENCE अध्याय 10 : किशोरावस्था की ओर PDF


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10: किशोरावस्था की ओर / Vigyan

किशोरावस्था की ओर पि छले अध्याय में आपने पढ़ा कि जंतु किस प्रकार जनन क रते हैं। मानव एवं बहुत से अन्य जंतु एक निश्चित आ यु तक पहुँचने के बाद ही जनन कर सकते हैं। मानव किसी निश्चित आयु के बाद ही क्यों जनन कर सकते हैं? इस अध्याय में आप मानव के शरीर में होने वाले उन परिवर्तनों के विषय में पढ़ेंगे जिनके उ परान्त वह जनन हेतु सक्षम हो पाता है। अध्याय 9 में आप मानव जननांगों के विषय में पढ़ चुके हैं। इस अध्याय में हम उन हार्मोनों के विषय में चर्चा करेंगे जो शिशु (बच्चे) में होने वाले उन परिवर्तनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जिनके कारण बच्चा बड़ा होकर वयस्क हो जाता है। 10.1 किशोरावस्था एवं यौवनारम्भ बूझो अपना 12 वाँ जन्मदिन मना रहा था। मित्रों के चले जाने के पश्चात् बूझो और पहेली अपने माता-पिता के साथ बातें करने लगे। पहेली एक कन्या विद्याल य में पढ़ती है। वह हँसने लगी। उसने टिप्पणी की कि ब ूझो के कई मित्रों जिनसे वह एक वर्ष बाद मिली थी, की लंबाई एकाएक कितनी बढ़ गई है। उनमें से कुछ तो मूँछें आने से जोकर (कार्टून) नज़र आ र हे थे। उसकी माँ ने समझाया कि लड़के बड़े हो गए हैं। वृद्धि जन्म के समय से ही होने लगती है। परन्तु 10 या 11 वर्ष की आयु के बाद वृद्धि में एकाएक तीव्रता आती है और वृद्धि सा फ़ दि खाई देने लगती है। शरीर में होने वाले परिवर्तन वृद्धि प्रक्रिया का एक भाग हैं। यह इस बात का संकेत है कि अब आप बच्चे नहीं रहे तथा युवावस्था में क दम रख रहे हैं। वृद्धि एक प्राकृतिक प्रक्रम है। जीवन काल की वह अवधि जब शरीर में एेसे परिवर्तन होते हैं जिसके परिणामस्वरूप जनन परिपक्वता आती है, किशोरावस्था (Adolescence) कहलाती है। कि शोरावस्था लगभग 11 वर्ष की आयु से प्रारम्भ होकर 18 अथवा 19 वर्ष की आयु तक ...

किशोरावस्था (Adolescents) के बारे में पाएं पूरी जानकारी

मनुष्य के जीवन को पांच चरणों में बांटा गया है बचपन (Childhood), किशोरावस्था (Adolescents), युवावस्था (Adulthood), प्रौढ़ावस्था और वृद्धावस्था। बचपन (childhood) से युवावस्था (Adulthood) के बीच की स्टेज को किशोरावस्था (Adolescents) कहा जाता है। जो बच्चे किशोरावस्था (Adolescents) में प्रवेश करते हैं वो उस दौरान कई तरह के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और समाजिक बदलावों से गुजर रहे होते हैं। यह बदलाव किशोरों और उनके माता-पिता दोनों के लिए चिंता और परेशानी ले कर आते हैं। जीवन के अन्य चरणों की तरह इस चरण और इसमें होने वाले बदलावों के बारे में किशोर और पेरेंट्स दोनों को जानकारी होना जरूरी है। सही जानकारी किशोर के विकास के लिए जरूरी है। पाएं, किशोरावस्था (Adolescents) के बारे में पूरी जानकारी। इस, दौरान माता-पिता को क्या ध्यान रखना चाहिए यह जानना भी न भूलें। किशोरावस्था के चरण कौन-कौन से हैं (Stages of Adolescents)? इनमें कौन से बदलाव आते हैं? किशोरावस्था (Adolescents) में विभाजित किया गया है। ताकि, इस दौरान होने वाले बदलावों के बारे में अच्छे से बताया जा सके। किशोरावस्था की विभिन्न स्टेजिज (Stages of Adolescents) इस प्रकार हैं: यह भी पढ़ें : शुरुआती किशोरावस्था (Early Adolescents) (10 से 13 की उम्र) 10 से 13 साल की उम्र एक ऐसी उम्र होती है, जब बच्चे टीनएज में कदम रखते हैं। इस दौरान बदलाव तो आते हैं लेकिन इन होने बदलावों को बच्चे समझ नहीं पाते। किसी अन्य व्यक्ति या परिजन से पूछने में भी वो शर्म महसूस करते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि वो इन परिवर्तनों को असामान्य मान लेते हैं और इससे वो चिंता या तनाव का शिकार हो सकते हैं। शुरुआती किशोरावस्था (Early Adolescents) में बच्चों में होने वाले...

किशोरावस्था की समस्याएं, सिद्धांत, शिक्षा का स्वरूप

किशोरावस्था की समस्याएं kishoravastha ki samasya;किशोरावस्था को तनाव तथा तूफान की अवस्था कहा गया है। इस अवस्था को जीवन की सबसे कठिन अवस्था कहा गया है। यही वह अवस्था है जब किशोर न तो बालक रहता है एवं न पूर्ण बन पाता है। इसे परिवर्तन की अवस्था भी कहा गया है क्योंकि इस अवस्था में परिवर्तनों का अंबार लग जाता हैं। किशोर बालक-बालिकाओं में अनेक शारीरिक तथा मानसिक परिवर्तन होते है। उनके संवेगात्मक, सामाजिक तथा नैतिक जीवन का स्वरूप बदल जाता हैं। बाल्यावस्था की विशेषताओं का लोप होने लगता है एवं नये-नये लक्षण जन्म लेने लगते हैं। यही वह अवस्था है जिसमें उनमें अदम्य उत्साह तथा अपूर्व शक्ति होती है जिनमें वे अपना अधिकतम विकास भी कर सकते हैं एवं अपना सर्वस्व गवां भी सकते हैं। यह भी पढ़े; किशोरावस्था को समस्याओं की आयु अथवा समस्याओं की अवस्था भी कहा गया हैं क्योंकि इस अवस्था में जहाँ स्वयं किशोर बालक-बलिकायें अपने परिवार, विद्यालय, स्वास्थ्य, मनोरंजन, भविष्य, यौन आदि से संबंधित समस्याओं से जूझते हैं, वहीं उनके माता-पिता, संरक्षक, अध्यापक, समाज और राष्ट्र के लिए वे भी एक समस्या होते हैं। इस अवस्था में किशोर तथा किशोरियों को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उनमें किशोरावस्था की प्रमुख समस्यायें निम्नलिखित हैं-- 1. स्वतंत्रता की समस्या किशोरावस्था में आत्मप्रकाशन की भावना बड़ी प्रबल होती है। वे समाज की रूढ़ियों तथा अंधविश्वासों का घोर विरोध करते हैं। वे माता-पिता के बंधन में बँधकर रहना नही चाहते। यदि उन पर नियंत्रण लगाया जाता है तो वे विद्रोह करने के लिए तैयार रहते हैं। किशोरों को घूमना-फिरना बहुत अच्छा लगता है। वे नये-नये स्थानों पर जाना पसंद करते हैं। उन्हें एक स्थान पर बंधकर रहना अच्छ...

किशोरावस्था के लक्षण एवं प्रमुख समस्याएं क्या है ?

किशोरावस्थाबालक या बालिकाओं की अवस्था 12 से 18 वर्ष के बीच होती है, विकास एवं वृद्धि की विभिन्न अवस्थाओं में किशोरावस्थाअत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। किशोरावस्था मनुष्य के विकास की तीसरी अवस्था है यह बाल्यावस्था के बाद शुरू होकर प्रौढ़ावस्था शुरू होने तक चलती रहती है, परंन्तु जलवायु एवं व्यक्तिगत भेदों के कारण किशोरावस्थाकी अवधि में कुछ अंतर आता है। यह वह अवस्था है, जिसका तात्कालीन प्रभाव व दीर्घकालीक प्रभाव दोनों ही देखने को मिलता है इस अवधि में शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक प्रभाव दोनों ही सबसे अधिक दिखाई देते है। इस अवधि में अचानक एवं अलग प्रकार से शारीरिक वृद्धि होने लगती है, इसी अवधि में यौन विकास भी तेजी से होता है। इस समय बालक- बालिकाऐं अपने सहपाठियों के साथ रहना अधिक पसंद करते है।इस अवस्था के पहुँचने तक बालक आत्मनिर्भर हो जाता है अर्थात अपना काम स्वयं करने लगता है एवं जिम्मेदारी वहन कर सकता है, इस अवस्था में यौन अंगों का विकास जारी रहता है। इस उम्र में संवेगात्मक प्रभाव के साथ सांस्कृतिक बदलाव भी दिखाई देता है। किशोरावस्था बालक- बालिकाओं की पहचान उनकी शारीरिक वृद्धि से होती है, सोचने, समझने, बनने- सँवरने की भूमिका में बदलाव नजर आता है। अलग- अलग प्रकार के कपडे़ पहनना, घंटों काँच के सामने बैठना, तर्कवितर्क करना, भविष्य के सपनों की उड़ान भरना, एवं सामाजिक कार्यो में रूचि लेना मुख्य है, किशोरावस्था में यौन परिवर्तन मुख्य पहचान के लक्षण है। किशोरावस्था बालक की दाढ़ी- मूँछ आना, आवाज में भारीपन एवं बालिकाओं में मासिक धर्म की शुरूआत होती है। भारत चूँकि गरम देषों की श्रेणी में आता है अतः यहाँ बालकों एवं बालिकाओं में परिपक्वता की उम्र पाश्चात्य देशों की तुलना में जल्दी आ जाती ...

NCERT NOTES CLASS 8 SCIENCE अध्याय 10 : किशोरावस्था की ओर PDF

किशोरावस्था क्या है। किशोरावस्था की उम्र। किशोरावस्था के लक्षण। यौवनावस्था में होने वाले परिवर्तन। इस लेख में हम मानव के शरीर मे होने वाले परिवर्तनों के बारे में पढ़ेंगे। बालकों की तीन अवस्था :- 1. शैशवावस्था, जो एक 01 से 06 तक रहती है। 2.बाल्यावस्था जो 06 वर्ष से 12 वर्ष तक रहती है। 3.किशोरावस्था जो 12 वर्ष से 18 वर्ष तक रहती है। ❍ किशोरावस्था :- शरीर में ऐसे परिवर्तन होते हैं जिसके परिणामस्वरूप जनन परिपक्वता आती है , जिसे किशोरावस्था कहते है। ○ किशोरावस्था लगभग 12 वर्ष की आयु से प्रारंभ होकर 18 वर्ष की आयु तक रहती है। ○ लड़कियों में यह अवस्था लड़को की अपेक्षा एक या दो वर्ष पूर्व प्रारंभ हो जाती हैं। ❍ यौवनावस्था :- किशोरावस्था के दौरान मनुष्य के शरीर में अनेक परिवर्तन आते हैं , जिसे यौवनावस्था कहते हैं। ○ यौवनावस्था में परिवर्तन :- यौवनावस्था के दौरान होने वाला सबसे अधिक दृष्टिगोचर परिवर्तन है। • इस समय अस्थियों , पेशियों एवं लंबाई में वृद्धि होती हैं। • लड़कियों लड़को की अपेक्षा अधिक तीव्रता से बढ़ती है। • 18 वर्ष की आयु तक दोनों अपनी लंबाई प्राप्त कर लेते हैं। • लंबाई माता-पिता से प्राप्त जिन पर भी निर्भर करती हैं। ○ शारीरिक आकृति में परिवर्तन :- • लड़को में कंधे फैल जर चौड़े हो जाते हैं। • लड़कियों में कमर का निचला भाग चौड़ा हो जाता है। ○ स्वर में परिवर्तन :- • लड़को में स्वरतंत्र विकसित होकर बड़ा और उभरे भाग के रूप में दिखाई देता है। • लड़कियों में ‘ स्वरयंत्र ‘ छोटा होता है अतः बाहर से सामान्यतः दिखाई नही देता। ○ स्वेद एवं तैलग्रन्थियो में वृद्धि :- • किशोरावस्था में स्वेद एवं तैलग्रन्थियो के स्राव बढ़ जाता है। • जिसके कारण व्यक्तियों के चेहरे पर फुंसियाँ और मुँहासे हो जाते हैं। ...