किशोरावस्था नोट्स

  1. Childhood and Growing Up (बाल्यावस्था एवं विकास) B.Ed notes in Hindi PDF Download
  2. किशोरावस्था की विशेषतायें
  3. किशोरावस्था की प्रमुख विशेषताएं » Hindikeguru
  4. किशोरावस्था से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था के विकास के सिद्धान्त
  5. किशोरावस्था का अर्थ एवं परिभाषा
  6. किशोरावस्था में सामाजिक विकास
  7. किशोरावस्था की परिभाषा। समस्याएं। किशोरावस्था की आवश्यकताएं » Hindikeguru
  8. KISHORA AVSTHA ME MANSIK VIKASH
  9. किशोरावस्था में शारीरिक विकास तथा शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक


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Childhood and Growing Up (बाल्यावस्था एवं विकास) B.Ed notes in Hindi PDF Download

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किशोरावस्था की विशेषतायें

Table of Contents • • • • • • किशोरावस्था की विशेषतायें किशोरावस्था विकास की तीसरी पीढ़ी है। किशोरावस्था ‘परिपक्वता की ओर बढ़ने’ में पाई जाती है जो 12 से 18 वर्ष तक चलती है। इस अवस्था में शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक, सामाजिक सभी विकास तेज होकर अपनी चरम सीमा को छूते हैं। किशोरावस्था में शारीरिक विकास किशोरावस्था में शारीरिक विकास की निम्नलिखित विशेषताएँ कही गई हैं- (3) कर्मेन्द्रियों एवं ज्ञानेन्द्रियों का विकास वंशानुक्रम और रहन-सहन के आधार पर होता है फिर भी 18 वर्ष तक किशोर हाथ-पैर व चेहरे से पूरा मनुष्य दिखाई देने लगता है। (4) किशोरी की वाणी में कर्कशता और किशोरियों की वाणी में कोमलता आती है। दाढ़ी मूंढ बढ़ना, वक्षस्थल बढ़ना, जनेन्द्रिय की वृद्धि एवं प्रौढ़ता आदि पाई जाती है। (5) क्रियाशीलता बहुत बढ़ जाती है, सभी काम करने के योग्य किशोर हो जाता है इस अवस्था में सभी ग्रन्थियों में वृद्धि होती है। शक्ति का प्रवाह तेज होता है, किशोरियों में मासिक धर्म होने लगता है। (6) विकास तेज होने से कुछ बीमारियाँ भी आ जाती हैं जैसे रक्त हीनता, हृदय की निर्बलता, फेफड़ों की कमजोरी, मुंहासों का निकलना । (7) मस्तिष्क का वजन इस अवस्था में लगभग 1260 ग्राम हो जाता है जब कि जन्म के समय वह 350 ग्राम होता है। (8) गतिशीलता एवं संचरण शीलता में तीव्रता आती है ऐसा मत प्रो० स्टेनली हाल का है। इसीलिए किशोर दिन भर घर से बाहर घूमता पाया जाता है। (9) किशोर-किशोरियों में शरीर को सुन्दर बनाने की क्रियाएँ भी पायी जाती हैं। कसरत एवं दौड़-धूप, खेल की क्रियाएँ होती हैं। (10) शारीरिक आदतों का भी निर्माण इस अवस्था में होता है। काम करने की आदत, खेल-कूद की आदत, आराम करने की आदत बनती है जिसमें पूर्ण, मनुष्य के लक्षण...

किशोरावस्था की प्रमुख विशेषताएं » Hindikeguru

2.13 निष्कर्ष : किशोरावस्था की विशेषताएं/Characteristics of Adolescence किशोरावस्था की प्रमुख विशेषताएं किशोरावस्था वह काल होता है जिसमें बालक या बालिका ना तो बच्चा होता है और ना ही उन्हें प्रौढ़ ही कहा जा सकता है। इस अवस्था में बालक एवं बालिकाओं में कई तरह के परिवर्तन तेजी से होने लगता है जिस कारण से उन्हें इस अवस्था में काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है इस अवस्था को तनाव तूफान तथा संघर्ष का काल भी कहा जाता है क्योंकि इस अवस्था में बालक एवं बालिकाओं में काफी सारे परिवर्तन होने के कारण भी बहुत ज्यादा वे तनाव में रहते हैं और अपने जीवन में बहुत ज्यादा संघर्ष करते हुए आगे बढ़ते हैं आज हम किशोरावस्था के प्रमुख विशेषताओं के बारे में अध्ययन करेंगे। किशोरावस्था के प्रमुख विशेषताओं को हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से जानेंगे। १.खुद पर सबसे ज्यादा भरोसा : किशोरावस्था के प्रमुख विशेषताओं में यह विशेषता सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि किशोरावस्था के बालक एवं बालिकाओं खुद पर सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं वे किसी भी अन्य व्यक्ति या माता-पिता के बातों को अनदेखा कर देते हैं वे जो भी करते हैं उसे पूरी लगन से करते हैं। Read More: २. विद्रोही प्रवृत्ति: किशोरावस्था के बालक एवं बालिकाओं में विद्रोह प्रवृत्ति बहुत ज्यादा होती है वह पौराणिक नियमों को नहीं मानते बुजुर्गों के द्वारा बनाए गए नियमों का पालन नहीं करते उनके द्वारा बताए गए बातें उन्हें अच्छा नहीं लगता जिसके कारण मैं उसमें बदलाव लाने का प्रयास करते हैं वह चुनौतियों का सामना करने सीख लेते हैं जिसके कारण उन्हें अगर कोई बात उनके मन मुताबिक ना हो तो वह विद्रोह कर देते हैं। ३.आक्रोश एवं हिंसक प्रवृत्ति : किशोरावस्था काल होता है जिसम...

किशोरावस्था से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था के विकास के सिद्धान्त

अनुक्रम (Contents) • • • • • • • किशोरावस्था से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था से आप क्या समझते हैं? – बाल्यावस्था के समापन अर्थात् 13 वर्ष की आयु से किशोरावस्था आरम्भ होती है। इस अवस्था को तूफान एवं संवेगों की अवस्था कहा गया है। हैडो कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है-11-12 वर्ष की आयु में बालक की नसों में ज्वार उठना आरम्भ होता है, इसे किशोरावस्था के नाम से पुकारा जाता है। यदि इस ज्वार का बाढ़ के समय उपयोग कर लिया जाय एवं इसकी शक्ति और धारा के साथ नई यात्रा आरम्भ की जाये तो सफलता प्राप्त की जा सकती है। जरशील्ड के शब्दों में, ‘किशोरावस्था वह समय है जिसमें विचारशील व्यक्ति बाल्यावस्था से परिपक्वता की ओर संक्रमण करता है।’ स्टेनले हॉल के अनुसार– “किशोरावस्था बड़े संघर्ष तनाव-तूफान तथा विरोध की अवस्था है।” ब्लेयर, जोन्स एवं सिम्पसन के विचारानुसार, “किशोरावस्था प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में वह काल है, जो बाल्यावस्था के अन्त में आरम्भ होता है और प्रौढ़ावस्था के आरम्भ में समाप्त होता है।” मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि इस अवस्था की अवधि साधारणतः 7 या 8 वर्ष से 12 से 18 वर्ष तक की आयु तक होती है। इस अवस्था के आरम्भ होने की आयु, लिंग, प्रजाति, जलवायु, संस्कृति, व्यक्ति के स्वास्थ्य आदि पर निर्भर करती है। सामान्यतः बालकों की किशोरावस्था लगभग 13 वर्ष की आयु में और बालिकाओं की लगभग 12 वर्ष की आयु में आरम्भ होती है। भारत में यह आयु पश्चिम के ठण्डे देशों की अपेक्षा एक वर्ष पहले आरम्भ हो जाती है। इसे भी पढ़े… • किशोरावस्था के विकास के सिद्धान्त किशोरावस्था में बालकों और बालिकाओं में क्रान्तिकारी शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और संवेगात्मक परिवर्तन होते हैं। इन परिवर्तनों के सम्बन्ध में दो सिद्धान्त ...

किशोरावस्था का अर्थ एवं परिभाषा

अनुक्रम (Contents) • • • • • किशोरावस्था का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning & Definition of Adolescence) “किशोरावस्था” अंग्रेजी भाषा के शब्द “एडोलेसेन्स” (Adolescence) का हिन्दी रूपान्तर है। “एडोलेसेन्स” (Adolescence) शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द “एडोलेसियर” (Adolescere) से हुई है, जिसका अर्थ है “प्रौढ़ता की ओर बढ़ना” (To grow to Maturity)। यह जीवन का सबसे कठिन काल है। यह बाल्यावस्था और प्रौढ़ावस्था के मध्य का “सन्धि-काल” (Transitional Period) है, अर्थात् बालक दोनों अवस्थाओं में रहता है। अतः उसे न तो बालक समझा जाता है और न ही प्रौढ़। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक जरसील्ड ने किशोरावस्था का अर्थ स्पष्ट करते हुए लिखा है- “किशोरावस्था, वह समय है जिसमें व्यक्ति बाल्यावस्था से प्रौढ़ता की ओर विकसित होता है।” ब्लेयर, जोन्स और सिम्पसन का विचार है- “किशोरावस्था प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का वह काल है जो बाल्यावस्था के अन्त में आरम्भ होता है और प्रौढ़ावस्था के आरम्भ में समाप्त होता है।” यह अवस्था बाल्यावस्था के पश्चात् आती है। मनोवैज्ञानिकों ने इसका समय 13 वर्ष से 18 वर्ष तक माना है। इस समय में शैशवकाल के पश्चात् बाल्यकाल में आई स्थिरता विलुप्त हो जाती है। इस अवस्था में शारीरिक और मानसिक स्वरूप में क्रान्तिकारी परिवर्तन होते हैं। स्टैनले हॉल ने लिखा है- “किशोरावस्था महान् तनाव, तूफान तथा विरोध का समय है।” किशोरावस्था की प्रमुख विशेषताएँ (Chief Characteristics of Adolescence) किशोरावस्था की प्रमुख विशेषता के सम्बन्ध में मनोवैज्ञानिक बिग तथा हण्ट ने लिखा है- “किशोरावस्था की विशेषताओं को सर्वोत्तम रूप से व्यक्त करने वाला एक शब्द है ‘परिवर्तन’। परिवर्तन शारीरिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक होता है।” ...

किशोरावस्था में सामाजिक विकास

अनुक्रम (Contents) • • • • किशोरावस्था में सामाजिक विकास (Social Development in Adolescence) किशोरावस्था में किशोर एवं किशोरियों का सामाजिक परिवेश अत्यंत विस्तृत हो जाता है। शारीरिक, मानसिक तथा संवेगात्मक परिवर्तनों के साथ-साथ उनके सामाजिक व्यवहार में भी परिवर्तन आना स्वाभाविक है। किशोरावस्था में होने वाले अनुभवों तथा बदलते सामाजिक संबंधों के फलस्वरूप किशोर-किशोरियाँ नए ढंग से सामाजिक वातावरण में समायोजित करने का प्रयास करते हैं। किशोरावस्था में सामाजिक विकास का स्वरूप निम्नांकित होता है- 1. समूहों का निर्माण (Formation of Groups) – 2. मैत्री भावना का विकास (Development of Friendship)– किशोरावस्था में मैत्रीभाव विकसित हो जाता है। प्रारम्भ में किशोर किशोरों से तथा किशोरियाँ किशोरियों से मित्रता करती हैं, परंतु उत्तर किशोरावस्था में किशोरियों की रुचि किशोरों से मित्रता करने की तथा किशोरों की रुचि किशोरियों से मित्रता करने की हो जाती है। वे अपनी सर्वोत्तम वेशभूषा, शृंगार व सजधज के साथ एक-दूसरे के समक्ष उपस्थित होना चाहते हैं। 3. समूह के प्रति भक्ति (Devotion to the Group) – किशोरों में अपने समूह के प्रति अत्यधिक भक्तिभाव होता है। समूह के सभी सदस्यों के आचार-विचार, वेशभूषा, तौर तरीके आदि लगभग एक ही जैसे होते हैं। किशोर अपने समूह द्वारा स्वीकृत बातों को आदर्श मानता है तथा उनका भरसक अनुकरण करने का प्रयास करता है। 4. सामाजिक गुणों का विकास (Development of Social Qualities) – समूह के सदस्य होने के कारण किशोर-किशोरियों में उत्साह, सहानुभूति, सहयोग, सद्भावना, नेतृत्व आदि सामाजिक गुणों का विकास होने लगता है। उनकी इच्छा समूह में विशिष्ट स्थान प्राप्त करने की होती है, जिसके लिए वे विभि...

किशोरावस्था की परिभाषा। समस्याएं। किशोरावस्था की आवश्यकताएं » Hindikeguru

2.13 किशोरावस्था में संवेगात्मक विकास दोस्तों आज का लेख सीटेट और b.ed जैसे विद्यार्थियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है आज का टॉपिक है – kishoravastha आज हम किशोरावस्था की परिभाषा, किशोरावस्था की समस्याएं, किशोरावस्था को तूफान का काल क्यों कहा जाता है, किशोरावस्था के शारीरिक विकास, किशोरावस्था के मानसिक विकास, किशोरावस्था के संवेगात्मक विकास, किशोरावस्था में सामाजिक विकास भी अनेकों विषय के बारे में पढ़ेंगे। किशोरावस्था ( Kishoravastha) किशोरावस्था विकास तथा समायोजन का वह समय है जो बचपन से शुरू होता है और प्रौढ़ावस्था में लीन हो जाता है इस काल में बचपन समाप्त हो जाता है और परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू होती है वास्तव में यह समय परिवर्तन का समय ही है। Kishoravastha किशोरावस्था की परिभाषा:- किशोरावस्था की शाब्दिक परिभाषा :- शब्द Adolescence शब्द Adolescere से निकला है जिसका अर्थ है फलना फूलना अथवा प्रौढ़ होना। जीव विज्ञान तथा कालक्रम के अनुसार परिभाषा :- जीव विज्ञान के दृष्टिकोण से किशोरावस्था व समय हैं जब यौवन आरंभ होता होता है कार्यक्रम के अनुसार वह जीवन का वह भाग है जो 12 वर्ष से 17 19 वें वर्ष तक होता है जिसमें निजी तथा सांस्कृतिक अंतर होते हैं । कोहलन के अनुसार किशोरावस्था की परिभाषा:- “किशोरावस्था वह काल है जिसकी विशेषताएं हैं लिंगी सामाजिक, व्यवसायिक, आदर्श संबंधित समायोजन और माता-पिता पर निर्भरता से मुक्ति प्राप्त करने का चेष्टा।” स्टैनले हाल के अनुसार किशोरावस्था की परिभाषा : – “किशोरावस्था बहुत दबाव तथा तनाव और तूफान तथा संघर्ष का समय होता है।” Read More : किशोरावस्था की समस्याएं किशोरावस्था की समस्याएं बहुत ही जटिल समस्याएं हैं किशोरावस्था व्यक्ति के जीवन की अत्यंत विका...

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किशोरावस्था में मानसिक विकास Mental Development in Adolescence किशोरावस्था में मानसिक विकास अपनी उच्चतम सीमा पर पहुँचने लगता है। इस अवस्था में मानसिक विकास से संबंधित प्रमुख विशेषतायें निम्नांकित हैं | 1. मानसिकत योग्यतायें Mental Capacities 2. कल्पना शक्ति Imagination 3. भाषा Language 4. रुचियों का विकास Development of Interests किशोरावस्था में मानसिक विकाससे संबंधित प्रमुख विशेषतायें निम्नांकित हैं | 1. मानसिकत योग्यतायें Mental Capacities किशोरावस्था में मानसिक योग्यताओं का स्वरुप लगभग निश्चित हो जाता है। किशोरों में सोचने-समझने, विचार करने तथा समस्याओं का समाधान करने की उच्च स्तरीय मानसिक योग्यतायें विकसित हो जाती हैं, परंतु वे प्रौढ़ों के समान उनका प्रभावशाली ढंग से उपयोग नहीं कर पाते हैं। ध्यान, चिन्तन, तर्क, स्मरण आदि की योग्यतायें अपनी अधिकतम सीमा को छूने लगती हैं। यह माना जाता है कि 16 वर्ष की आयु तक किशोर किशोरियों का लगभग पूर्ण मानसिक विकास हो जाता है। 2. कल्पना शक्ति Imagination किशोरावस्था में किशोर वास्तविक जगत में रहते हए भी कल्पना लोक में विचरण करते हैं। कल्पना की अधिकता के कारण उनमें दिवास्वप्न देखने की प्रवृत्ति उत्पन्न हो जाती है। बालको की अपेक्षा बालिकाओं में कल्पना शक्ति अधिक होती है। संगीत, कला, साहित्य तथा अन्य रचनात्मक कार्यों के द्वारा किशोर-किशोरियाँ अपनी कल्पना शक्ति को अभिव्यक्त करते हैं। 3. भाषा Language किशोरावस्था में शब्द भंडार बहुत बढ़ जाता है। चिन्तन्, तर्क तथा कल्पना शक्ति के विकास का प्रभाव बालकों के भाषा विकास पर भी पड़ता है। सामाजिक सम्पर्क तथ विद्यालय के प्रभाव के फलस्वरुप उनका भाषा ज्ञान तीव्र गति से बढ़ता है। 4. रुचियों का विकास Dev...

किशोरावस्था में शारीरिक विकास तथा शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक

अनुक्रम (Contents) • • • • किशोरावस्था में शारीरिक विकास (Physical Development During Adolescence) किशोरावस्था में बालक और बालिकाओं का विकास अत्यन्त तीव्र गति से होता है। बालिका का तेजी से बढ़ने का समय 11 से 13 वर्ष की आयु और बालकों का 14 से 15 वर्ष की आयु होती है। इस अवस्था में शारीरिक विकास से सम्बन्धित निम्न परिवर्तन देखे जाते हैं- (1) भार- किशोरावस्था में बालकों का भार बालिकाओं से अधिक होता है। इस अवस्था के अंत तक बालकों का भार बालिकाओं के भार से लगभग 50 पौण्ड अधिक हो जाता है। (2) लम्बाई- किशोरावस्था में लम्बाई में भी तेजी से वृद्धि होती है। अध्ययन द्वारा यह ज्ञात हुआ है कि बालक 14 वर्ष की आयु तक अपनी पूरी ऊँचाई का 57 प्रतिशत प्राप्त कर लेते हैं, परन्तु बालिकाएँ इस समय तक अपनी सम्पूर्ण ऊँचाई का 60 प्रतिशत प्राप्त कर लेती हैं। लड़के किशोर काल के अन्त तक अपनी सम्पूर्णता प्राप्त कर लेते हैं और बालिकाएँ अपनी सम्पूर्ण ऊँचाई 16 वर्ष की आयु तक प्राप्त कर लेती हैं। ऊँचाई की प्राप्ति भी एक विशेष गति से होती है, जो भिन्न-भिन्न आयु में अलग-अलग होती हैं। 12 वर्ष के बाद से ऊँचाई की वृद्धि में तब तक तीव्रता रहती है जब तक किशोर अपनी पूरी ऊँचाई प्राप्त नहीं कर लेते हैं। (3) अस्थि विकास- किशोरावस्था में अस्थियों में नमनीयता नहीं रह जाती। अस्थियाँ हो जाती हैं और अस्थिकरण की प्रक्रिया पूरी हो जाती है। प्रायः जन्म के समय शिशु की आयु में वह बढ़कर दृढ़ हड्डियों की संख्या लगभग दो सौ सत्तर होती है। इसके बाद 14 वर्ष की लगभग तीन सौ पचास हो जाती है लेकिन प्रौढ़ावस्था में इनकी संख्या घट जाती है। वे केवल दो सौ छह रह जाती हैं। हड्डियों में कमी इसलिये होती है कि कुछ छोटी और कोमल हड्डियाँ आपस में मिल...