Kishoravastha ki samasya

  1. किशोरावस्था से आप क्या समझते हैं किशोरावस्था की समस्याओं के बारे में विस्तार से बताएं?
  2. किशोरावस्था की समस्या के समाधान के 5 उपाय
  3. किशोरावस्था का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं
  4. किशोरावस्था की परिभाषा, आवश्यकता, विशेषतायें एवं समस्याएं
  5. किशोरावस्था की विभिन्न समस्याएं क्या है इनका समाधान किस प्रकार किया जा सकता है?
  6. किशोरावस्था में होने वाले परिवर्तन, समस्याएं और जरूरी टिप्स


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किशोरावस्था से आप क्या समझते हैं किशोरावस्था की समस्याओं के बारे में विस्तार से बताएं?

विषयसूची Show • • • • • • • • • • क्या किशोरावस्था समस्या है? आपके जीवन में तमाम तरह की परिस्थितियां आती हैं। ध्यान रखें कि वो सिर्फ परिस्थितियां ही होती हैं। अब इनमें से कुछ को आप संभाल पाते हैं और कुछ को संभाल नहीं पाते। जिस स्थिति को आप संभाल नहीं पाते, उसे आप एक समस्या मानने लगते हैं, बजाय इसके कि आप उसे सिर्फ एक स्थिति के तौर पर देखते और उसे संभालने के लिए खुद को तैयार करने की कोशिश करते। तो कैसे करें खुद को तैयार? अगर आप भी एक किशोर बच्चे के माता या पिता हैं या आपका बच्चा किशोरावस्था की तरफ बढ़ रहा है तो आप सिर्फ पांच बातों का ख्याल रखें, यह अवस्था न केवल आपके बच्चे के लिए बल्कि आपके लिए भी सुखद अहसास बन सकती है। 1- उनके अच्छे दोस्त बनें अगर आप एक किशोर की नजर से जिदंगी को देखें तो उनके भीतर जिंदगी रोज बदल रही है। चूंकि किशोर बहुते तेजी से बढ़ रहे हैं, इसलिए उनके आसपास के लोग उस वृद्धि को समझ पाने में सक्षम नहीं होते। आमतौर पर दादा-दादी या नाना-नानी इन बच्चों के प्रति ज्यादा लगाव और प्रेम रखते हैं। इसकी वजह है कि वे चीजों को एक थोड़ी दूरी के साथ देख रहे होते हैं। किशोरावस्था में आप धीरे-धीरे अपने हॉरमोन के वश में आ जाते हैं। जबकि बुढ़ापे का मतलब है कि आप हारमोन्स के नियंत्रण से बाहर निकलने लगते हैं। इसलिए बुजुर्ग लोग किशोरों की मानसिकता को थोड़ा समझ पाते हैं। लेकिन जो मध्य आयु के होते हैं, उनलोगों को किशोरों की मानसिकता के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती। अगर ऐतिहासिक दृष्टि से भी देखा जाए तो मध्य आयु हमेशा से एक भ्रमित मानसिकता का शिकार रही है। किशोरावस्था के कई पहलू होते हैं। पहली चीज, उनकी प्रतिभा या बुद्धि हारमोनों द्वारा संचालित होने लगती है। अचानक उनको पूरी दुन...

किशोरावस्था की समस्या के समाधान के 5 उपाय

क्या किशोरावस्था समस्या है? आपके जीवन में तमाम तरह की परिस्थितियां आती हैं। ध्यान रखें कि वो सिर्फ परिस्थितियां ही होती हैं। अब इनमें से कुछ को आप संभाल पाते हैं और कुछ को संभाल नहीं पाते। जिस स्थिति को आप संभाल नहीं पाते, उसे आप एक समस्या मानने लगते हैं, बजाय इसके कि आप उसे सिर्फ एक स्थिति के तौर पर देखते और उसे संभालने के लिए खुद को तैयार करने की कोशिश करते। तो कैसे करें खुद को तैयार? अगर आप भी एक किशोर बच्चे के माता या पिता हैं या आपका बच्चा किशोरावस्था की तरफ बढ़ रहा है तो आप सिर्फ पांच बातों का ख्याल रखें, यह अवस्था न केवल आपके बच्चे के लिए बल्कि आपके लिए भी सुखद अहसास बन सकती है। 1- उनके अच्छे दोस्त बनें अगर आप एक किशोर की नजर से जिदंगी को देखें तो उनके भीतर जिंदगी रोज बदल रही है। चूंकि किशोर बहुते तेजी से बढ़ रहे हैं, इसलिए उनके आसपास के लोग उस वृद्धि को समझ पाने में सक्षम नहीं होते। आमतौर पर दादा-दादी या नाना-नानी इन बच्चों के प्रति ज्यादा लगाव और प्रेम रखते हैं। इसकी वजह है कि वे चीजों को एक थोड़ी दूरी के साथ देख रहे होते हैं। किशोरावस्था में आप धीरे-धीरे अपने हॉरमोन के वश में आ जाते हैं। जबकि बुढ़ापे का मतलब है कि आप हारमोन्स के नियंत्रण से बाहर निकलने लगते हैं। इसलिए बुजुर्ग लोग किशोरों की मानसिकता को थोड़ा समझ पाते हैं। लेकिन जो मध्य आयु के होते हैं, उनलोगों को किशोरों की मानसिकता के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती। अगर ऐतिहासिक दृष्टि से भी देखा जाए तो मध्य आयु हमेशा से एक भ्रमित मानसिकता का शिकार रही है। किशोरावस्था के कई पहलू होते हैं। पहली चीज, उनकी प्रतिभा या बुद्धि हारमोनों द्वारा संचालित होने लगती है। अचानक उनको पूरी दुनिया काफ़ी अलग सी नजर आने लगती है। अ...

किशोरावस्था का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं

किशोरावस्था की परिभाषा (kishoravastha ki paribhasha) स्टेनली हॉल के अनुसार किशोरावस्था अत्यंत दबाव, तनाव, तूफान और संघर्ष की अवस्था है ब्लेयर एवं जॉन्स के अनुसार किशोरावस्था प्रत्येक बालक के जीवन में वह समय है जिसका आरंभ बाल्यावस्था के अंत में होता है और समाप्ति प्रौढ़ावस्था की आरंभ होती है क्रो एवं क्रो के अनुसार,” किशोर ही वर्तमान की शक्ति व भावी आशा को प्रस्तुत करता हैं।” एस. ए. कोर्टिस के अनुसार,” किशोरावस्था औसतन 12 वर्ष से 18 वर्ष की आयु तक ही है, जिसके अंतर्गत कामांगों का विकास शारीरिक काम विशेषताओं का प्रकटीकरण लाता हैं। किशोरावस्था के दौरान शारीरिक परिवर्तनः यौवनारम्भ तथा अवस्थान्तर किशोरावस्था के दौरान शारीरिक विकास के निम्नलिखित पांच क्षेत्रों में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी जाती हैः 1. लम्बाई 2. भार 3. कंधों की चौड़ाई 4. नितम्ब की चौड़ाई 5. मांसपेशी में सुदृढ़ता यौनारम्भ के दौरान परिवर्तन विलक्षण होते हैं। एक स्कूल जाने वाला बच्चा कुछ ही वर्षों में पूर्णतः विकसित वयस्क बन जाता है। इन परिवर्तनों का निम्नानुसार वर्गीकरण किया जा सकता है। 1. हार्मोन का परिवर्तन 2. शरीर के आकार तथा समानुपात में परिवर्तन 3. मासपेशियों का बढ़ना व अन्य आन्तरिक परिवर्तन 4. यौन परिपक्वता लम्बाई व भार में वृद्धि शरीर में चर्बी के पुनर्व्यवस्थन तथा हड्डियों तथा मासपेशियों के अनुपात में वृद्धि से संबंधित है। लड़कों में सामान्यतः यह विकास लड़कियों की तुलना में दो वर्ष पहले आरम्भ हो जाता है किन्तु यह लम्बी अवधि के लिए रहता है। शारीरिक समानुपात में भी परिवर्तन होते हैं। लड़कियों में सामान्यतः नितम्बों में वृद्धि होती है तथा लड़कों के कंधे चौड़े होते हैं। कमर रेखा में अनुपातिक रूप से कमी होती है। शर...

किशोरावस्था की परिभाषा, आवश्यकता, विशेषतायें एवं समस्याएं

किशोरावस्था बाल्यावस्था के बाद का सबसे महत्त्वपूर्ण पड़ाव है किशोरावस्था, तथा बाल्यावस्था जैसे ही समाप्त होती है। किशोरावस्था के दौर से बालक यौवन की दहलीज पर दस्तक देता है। इस अवस्था में उसके शरीर तथा व्यवहार में तूफान की गति से परिवर्तन होते हैं। वह अपने में होने वाले परिवर्तनों से स्वयं परेशान होता है। और उसे स्वयं समझ नहीं आता कि वह क्या करे ? इसलिए किशोरावस्था को मानव विकास की तीसरी अवस्था कहा है, यह शैशव तथा बाल्यकाल के उपरान्त आती है। यह अवस्था वस्तुतः यौवन एवं बाल्यावस्था के मध्य पड़ने वाला संधिकाल होता है। इस अवस्था को वयः संधि भी कहते हैं। मनोविज्ञान की दृष्टि से यह अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इस अवस्था में अनेक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं जिनके कारण किशोरों को अत्यधिक तनाव से भी गुजरना पड़ता है। किशोरावस्था में व्यक्ति का विकास तीव्र गति से होता है। कुल्हन के अनुसार:"किशोरावस्था, बाल्यावस्था तथा प्रौढावस्था के मध्य का परिवर्तन काल है, मानव विकास में इस अवस्था का विशेष महत्त्व है। यह 13 से 19 वर्ष की आयु तक का काल है इसीलिये इसे टीन एज (Teen age) भी कहा गया है। इसे भी पढ़ें- • किशोरावस्था की परिभाषायें किशोरावस्था, बाल्यावस्था तथा युवावस्था के मध्य की अवस्था है। इसे संधिकाल भी कहते है। किशोर ही भविष्य की आशा तथा वर्तमान की शक्ति है, हैडो कमेटी रिपोर्ट में कहा गया है, कि- "ग्यारह या बारह वर्ष की आयु में बालक की नसों में ज्वार उठना आरम्भ हो जाता है, इसे ही किशोरावस्था के नाम से पुकारा जाता है। यदि इस ज्वार का बाढ़ के समय उपयोग कर लिया जाये एवं इसकी शक्ति और धारा के साथ-साथ नई यात्रा आरम्भ कर दी जाये तो सफलता निश्चित ही प्राप्त की जा सकती है। इसीलिये स्टेनले हॉल ने कहा...

किशोरावस्था की विभिन्न समस्याएं क्या है इनका समाधान किस प्रकार किया जा सकता है?

किशोरावस्था मनुष्य के जीवन का बसंतकाल माना गया है। यह काल बारह से उन्नीस वर्ष तक रहता है, परंतु किसी किसी व्यक्ति में यह बाईस वर्ष तक चला जाता है। यह काल भी सभी प्रकार की मानसिक शक्तियों के विकास का समय है। भावों के विकास के साथ साथ बालक की कल्पना का विकास होता है। उसमें सभी प्रकार के सौंदर्य की रुचि उत्पन्न होती है और बालक इसी समय नए नए और ऊँचे ऊँचे आदर्शों को अपनाता है। बालक भविष्य में जो कुछ होता है, उसकी पूरी रूपरेखा उसकी किशोरावस्था में बन जाती है। जिस बालक ने धन कमाने का स्वप्न देखा, वह अपने जीवन में धन कमाने में लगता है। इसी प्रकार जिस बालक के मन में कविता और कला के प्रति लगन हो जाती है, वह इन्हीं में महानता प्राप्त करने की चेष्टा करता और इनमें सफलता प्राप्त करना ही वह जीवन की सफलता मानता है। जो बालक किशोरावस्था में समाज सुधारक और नेतागिरी के स्वप्न देखते हैं, वे आगे चलकर इन बातों में आगे बढ़ते है। विषयसूची Show • • • • • • पश्चिम में किशोर अवस्था का विशेष अध्ययन कई मनोवैज्ञानिकों ने किया है। किशोर अवस्था काम भावना के विकास की अवस्था है। कामवासना के कारण ही बालक अपने में नवशक्ति का अनुभव करता है। वह सौंदर्य का उपासक तथा महानता का पुजारी बनता है। उसी से उसे बहादुरी के काम करने की प्रेरणा मिलती है। किशोर अवस्था शारीरिक परिपक्वता की अवस्था है। इस अवस्था में बच्चे की हड्डियों में दृढ़ता आती है; भूख काफी लगती है। कामुकता की अनुभूति बालक को 13 वर्ष से ही होने लगती है। इसका कारण उसके शरीर में स्थित ग्रंथियों का स्राव होता है। अतएव बहुत से किशोर बालक अनेक प्रकार की कामुक क्रियाएँ अनायास ही करने लगते हैं। जब पहले पहल बड़े लोगों को इसकी जानकारी होती है तो वे चौंक से जाते हैं।...

किशोरावस्था में होने वाले परिवर्तन, समस्याएं और जरूरी टिप्स

Image: Shutterstock बचपन से लेकर बुढ़ापे तक जीवन में कई पड़ाव आते हैं, जिनमें से सबसे अहम पड़ाव किशोरावस्था है। यह वो समय होता है, जब बच्चे बचपने से निकल कर जीवन की दूसरी सीढ़ी पर पैर रखने के लिए तैयार होते हैं। उनमें मानसिक व शारीरिक विकास के साथ-साथ बौद्धिक विकास भी होने लगता है। यही वो दौर होता है, जहां से उनके भविष्य की राह तय होती है। इस समय में जरा-सी लापरवाही बच्चे के जीवन की राह बदल देती है। अगर यह कहा जाए कि मनुष्य के जीवन का यह सबसे नाजुक दौर होता है, तो गलत नहीं होगा। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी कई गुणा बढ़ जाती है। इस दौरान युवाओं में किस तरह के परिवर्तन होते हैं और उन्हें कैसे संभाला जाए, मॉमजंक्शन के इस आर्टिकल में हम इसी बारे में बात करेंगे। किशोरावस्था क्या है? बचपन और वयस्कता के बीच के महत्वपूर्ण समय को ही किशोरावस्था कहा जाता है। बचपन से किशोरावस्था की ओर बढ़ते लड़के और लड़कियों में हार्मोन्स की वजह से मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और शारीरिक बदलाव होते हैं। यह समय यौवन के आसपास का होता है। इस समय किशोर में सामाजिक क्षमताओं और व्यवहार का विकास होता है। साथ ही किशोरों का मस्तिष्क भी परिपक्वता की ओर बढ़ता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक ये बदलाव लगभग 10 से 19 साल के बीच तक जारी रहती हैं किशोरावस्था के बाद चलिए अब यौवन से जुड़ी कुछ अहम बातों के बारे में जान लेते हैं। यौवन कब शुरू होता है? यौवन जीवन का ऐसा समय होता है, जब लड़का या लड़की यौन रूप से परिपक्व होने लगते हैं। यह ऐसी प्रक्रिया है, जो लड़कियों में 10 से 14 की उम्र और लड़कों में 12 से 16 साल के बीच होती है। इन शारीरिक परिवर्तन के कारण लड़के और लड़कियों में अलग-अलग तरह के प्रभाव देखे जाते हैं किशोरावस...