कलयुग के बाद कौन सा युग आएगा

  1. कलयुग की समाप्ति कब होगी? – ElegantAnswer.com
  2. कलयुग के बाद कौन सा युग आएगा
  3. युग
  4. कलयुग की सम्पूर्ण कहानी
  5. खाटूश्यामजी
  6. कलयुग की भविष्यवाणी, जानिए कृष्ण की 4 और पुराणों की 17 खास बातें
  7. पुराणों में युगों का चार युगों के नाम


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कलयुग की समाप्ति कब होगी? – ElegantAnswer.com

कलयुग की समाप्ति कब होगी? इसे सुनेंरोकेंकलियुग के पांच हजार साल बाद गंगा नदी सूख जाएगी और पुन: वैकुंठ धाम लौट जाएगी। जब कलियुग के दस हजार वर्ष हो जाएंगे, तब सभी देवी-देवता पृथ्वी छोड़कर अपने धाम लौट जाएंगे। इंसान पूजन-कर्म, व्रत-उपवास और सभी धार्मिक काम करना बंद कर देंगे। एक समय ऐसा आएगा कि जमीन से अन्न उपजना बंद हो जाएगा और पृथ्वी जलमगन हो जाएगी। कलयुग में किसका राज होगा? इसे सुनेंरोकेंइसमें भगवान विष्णु के कल्कि अवतार का भी उल्लेख किया गया है। साथ ही यह भी बताया गया है कि कलयुग का कालखंड और युगों से सबसे छोटा होगा। विष्णु पुराण कलयुग के वर्णन करते हुए कहा गया है कि कलयुग में पाप इतना अधिक होगा कि सृष्टि का संतुलन बिगड़ जाएगा। कलयुग की शुरुआत कब हुई थी? इसे सुनेंरोकेंगणना की जाए तो कलियुग का आरंभ 3102 ईसापूर्व हो चुका था। जब धर्मराज युधिष्ठिर अपना पूरा राजपाठ परीक्षित को सौंपकर अन्य पांडवों और द्रौपदी समेत महाप्रयाण हेतु हिमालय की ओर निकल गए थे। कलयुग के बाद कौन सा युग आने वाला है? इसे सुनेंरोकेंकलयुग के बाद कौन सा युग आएगा? – Quora. कलयुग के बाद पुनः सतयुग की वापसी होगी। चार युग अपने क्रम से चलते है सबसे पहले सतयुग इसके बाद त्रेतायुग फिर द्वापरयुग ओर अंत मे कलयुग। आने वाले कलयुग में क्या होने वाला है? इसे सुनेंरोकेंजब कलियुग के दस हजार वर्ष हो जाएंगे तब सभी देवी-देवता पृथ्वी छोड़कर अपने धाम लौट जाएंगे। इंसान पूजन-कर्म,व्रत-उपवास और सभी धार्मिक काम करना बंद कर देंगे। एक समय ऐसा आएगा,जब जमीन से अन्न उपजना बंद हो जाएगा। पेड़ों पर फल नहीं लगेंगे। कलयुग में क्या क्या आएगा? कलयुग के बाद क्या आएगा? इसे सुनेंरोकेंकलियुग के अंतिम काल में भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होगा। यह अवतार...

कलयुग के बाद कौन सा युग आएगा

4 कौन करेगा सतयुग की दोबारा स्थापना कलयुग के बाद कौन सा युग आएगा दोस्तों आप तो जानते ही होंगे कि कलयुग के बाद कौन सा युग आएगा, अगर नहीं जानते तो आपो बता दें कि कलयुग के बाद सतयुग आता है। इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि ग्रंथों के अनुसार चार युग कौन से होते हैं और इन युगों में क्या क्या खास बातें होती हैं। कलयुग की उम्र 432000 साल बताई गई है जिसमें से अभी सिर्फ 5200 वर्ष ही बीते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि कलयुग में लोग अधिकतर नास्तिक हो जाएंगे और उनका एकमात्र उद्देश्य धन कमाना ही रह जाएगा। कलयुग में पाप इतना बढ़ जाएगा कि नदियां सूख जाएंगी, गाय दूध देना बंद कर देगी और पारिवारिक संबंध लगभग समाप्त हो जाएंगे। कलयुग में मनुष्य की आयु केवल 12 वर्ष की ही रह जाएगी। आपको बता दें कि सतयुग में मनुष्य की आयु 4000 वर्ष से 10000 वर्ष तक हुआ करती थी लेकिन जैसे-जैसे पाप बढ़ता गया लोगों की आयु कम होती गई और वर्तमान युग में लोगों की आयु लगभग 100 वर्ष ही रह गई है। कलयुग के बाद सतयुग आएगा शास्त्रों में वर्णन आता है कि जब कलयुग में पापाचार बड़ जाएगा और सभी राजा पथभ्रष्ट हो जाएंगे। राजा अपनी प्रजा का शोषण करेंगे और चारों ओर अधर्म फैल जाएगा। लोग पूजा-पाठ दान पुण्य, कथा, पूजा, आराधना पर ध्यान ना देकर जुआ खेलने, मदिरापान करने, और मांस खाने में संलग्न होंगे तब भगवान कल्कि अवतार लेकर उन सभी दुष्ट राजाओं का वध कर देंगे और इसके साथ ही सतयुग की शुरुआत करेंगे। कलयुग का अंत आते आते कैसी हरकतें करेंगे लोग शास्त्रों में बताया गया है कि कलयुग में तरह-तरह की बीमारियां फैलेंगी और लोग अकाल से पीड़ित होंगे। इस युग में बहुत ही भीषण युद्ध होंगे। कलयुग की कुल आयु 432000 वर्ष है जिसमें से अभी लगभग 5200 वर्ष ...

युग

अनुक्रम • 1 युग आदि का परिमाण • 2 गधर्म • 3 वैज्ञानिक प्रमाण • 4 कलियुग का आरम्भ • 5 इन्हें भी देखें युग आदि का परिमाण [ ] मुख्य लौकिक युग सत्य (उकृत), त्रेता, द्वापर और कलि नाम से चार भागों में (चतुर्धा) विभक्त है। इस युग के आधार पर ही मन्वंतर और कल्प की गणना की जाती है। इस गणना के अनुसार सत्य आदि चार युग संध्या (युगारंभ के पहले का काल) और संध्यांश (युगांत के बाद का काल) के साथ 12000 वर्ष परिमित होते हैं। चार युगों का मान 4000 + 3000 + 2000 + 1000 = 10000 वर्ष है; संध्या का 400 + 300 + 200 + 100 = 1000 वर्ष; संध्यांश का भी 1000 वर्ष है। युगों का यह परिमाण दिव्य वर्ष में है। दिव्य वर्ष = 360 मनुष्य वर्ष है; अत: 12000 x 360 = 4320000 वर्ष चतुर्युग का मानुष परिमाण हुआ। तदनुसार सत्ययुग = 1728000; त्रेता = 1296000; द्वापर = 864000; कलि = 432000 वर्ष है। ईद्दश 1000 चतुर्युग (चतुर्युग को युग भी कहा जाता है) से एक कल्प याने ब्रह्मा की आयु 100 वर्ष है। 71 दिव्ययुगों से एक मन्वंतर होता है। यह वस्तुत: महायुग है। अन्य अवांतर युग भी है। प्रत्येक संख्या में ३६० के गुणा करना होता है क्योंकि और कलियुग जो की १२०० दिव्यवर्ष अवधि का था वह मानव वर्षों के रूप में ४३२००० वर्ष का बना होता है चारों युगों की अवधि इस प्रकार है सत्य 17,28,000 वर्ष ,त्रेता 12,96,000 वर्ष ,द्वापर 8,64,000 वर्ष कलियुग 4,32,000 वर्ष चारों युगों का जोड़ 43,20,000 वर्ष यानी एक चतुर्युग | दुसरी गलती यह हुई कि जब द्वापर समाप्त हुआ तो उस समय २४०० वा वर्ष चल रहा था जब कलियुग शुरू हुआ तो उसको कलियुग प्रथम वर्ष लिखा जाना चाहिए था लेकिन लिखा गया कलियुग २४०१ तो जो कहा जाता है की २०१८ में कलियुग शुरू हुए ५१२० वर्ष हो गए हैं उसमे ...

कलयुग की सम्पूर्ण कहानी

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खाटूश्यामजी

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कलयुग की भविष्यवाणी, जानिए कृष्ण की 4 और पुराणों की 17 खास बातें

ज्योतिष और पौराणिक ग्रंथों में युग का मान अलग-अलग है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार चार युग होते हैं। सत, त्रेता, द्वापर और कलि। कहते हैं कि कलियुग में पाप अपने चरम पर होगा। वर्तमान में कलिकाल अर्थात कलयुग चल रहा है। ग्रंथों में इस युग में क्या-क्या होगा या घटेगा यह लिखा गया है। यह भी है कि इस युग में जब कहीं भी प्रलय होगा तो सिर्फ हरि कीर्तन ही उसे बचाएगा। आओ जानते हैं कि कलियुग के संबंध में ग्रंथों में क्या लिखा है। 1. सतयुग- सतयुग में प्रतिकात्मक तौर पर धर्म के चार पैर थे। सतयुग में मनुष्य की लंबाई 32 फिट अर्थात लगभग 21 हाथ बतायी गई है। इस युग में पाप की मात्र 0 विश्वा अर्थात् 0% होती है। पुण्य की मात्रा 20 विश्वा अर्थात् 100% होती है। राजा हरिशचंद्र हुए थे। हरिश्चंद ने सत्य के लिए खुद के परिवार और अंत में खुद का बलिदान भी दे दिया था। 2. त्रेतायुग- त्रेतायुग में धर्म के तीन पैर थे। इस युग में मनुष्य की लंबाई 21 फिट अर्थात लगभग 14 हाथ बतायी गई है। इस युग में पाप की मात्रा 5 विश्वा अर्थात् 25% होती है और पुण्य की मात्रा 15 विश्वा अर्थात् 75% होती है। इस युग में विष्णु का वामन और राम अवतार हुआ था। असुर राज बाली ने तीन पग में धरती दान कर दी, जबकि राक्षस राज रावण से सीता का अपहरण करने के बाद उन्हें छूआ तक नहीं। 3. द्वापर- द्वापर में धर्म के दो पैर ही रहे। इस युग में मनुष्य की लंबाई 11 फिट अर्थात लगभग 7 हाथ बतायी गई है। इस युग में पाप की मात्रा 10 विश्वा अर्थात् 50% होती है जबकि पुण्य की मात्रा 10 विश्वा अर्थात् 50% होती है। मतलब यह कि इस युग में आधे मनुष्य पापी और आधे पुण्यात्मा थे। इसी युग में महाभारत का युद्ध हुआ था। यह युद्ध धर्मयुद्ध ही था। कृष्ण ने धर्म की रक्षा की थी। 4. क...

पुराणों में युगों का चार युगों के नाम

पुराणों में युगों का अध्ययन – युग हिंदू सभ्यता के अनुसार पुराणों में चार युगों के बारे में बताया गया है। 1. सतयुग 2. त्रेता युग 3. द्वापर युग 4. कलयुग इसमें हर युग को युग से खराब बताया गया है। कहा गया है कि जब एक युग के बाद दूसरा युग आरंभ होता है, नैतिक मूल्यों और सामाजिक मानदंडों का पतन हो जाता है। इतिहास में युगों के काल, स्थान का विशेष महत्व किया गया है। युग अवतार जीवों का विकास 1. सतयुग मत्स्य अवतार मछली : जलीय जीव कूर्म अवतार कछुआ : उभयचर वराह अवतार सूअर : थल का पशु नरसिंह अवतार अर्ध्दमानव : पशु व मानव के बीच का जीव 2. त्रेतायुग वामन अवतार बौना : लघु मानव परशुराम अवतार शस्त्र प्रयोक्ता मानव राम अवतार समुदाय मे रहने वाला मानव 3. द्वापरयुग कृष्ण अवतार पशुपालन करने वाला मानव बुद्ध अवतार कृषि कर्म को बढावा देने वाला मानव 4. कलयुग कल्कि भविष्य का मानव, संहारक शक्ति वाला मानव विष्णु पुराण मेंं चार युगो का सही क्रम इस प्रकार बताया गया है। कल्प ( ब्रह्मा का दिन ) | मनवंतर ( 71 दिव्य युग ) | दिव्य युग ( 4 युग ) | सतयुग त्रेतायुग द्वापरयुग कलियुग 1. सतयुग – ( कृत युग ) यह पहला एवं सबसे अच्छा युग था। इस युग में अपराध बिल्कुल शून्य था। यह युग सत्य और शत-प्रतिशत शुद्धता वाला समय था। इसमें लोग दयालु थे। इस समय चोरी, हत्या, अपराध, आदि के लिए कोई जगह नहीं थी। सतयुग में लोग निरोग्य थे। इस समय के लोग मजबूत, साहसी, धैर्यवान एवं सभी गुणों से संपन्न थे। 2. त्रेता युग – यह दूसरा युग था। इसमें नैतिक व सामाजिक मूल्यों में कमी आई। इस समय कई राज्य का उदय हुआ। त्रेता युग में अनेकों युद्ध लड़े गए। खेती, खनन आदि कार्य प्रमुख थे। 3. द्वापर युग- यह तीसरा युग था। इसमें नैतिक और सामाजिक मूल्यों में ब...