कनकधारा स्तोत्र गीता प्रेस pdf

  1. Kanakadhara Stotram PDF in Hindi
  2. कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram) से करें मां लक्ष्मी को प्रसन्न [Lyrics
  3. Kanakadhara Strotam Lyrics in Hindi
  4. Stotra Ratnawali Stotra Ratnavali Gita Press
  5. [PDF] : कनकधारा स्त्रोत का पाठ हिन्दी मे अर्थ सहित gita press pdf, kanakadhara stotram in hindi
  6. Siddha Kunjika Stotram PDF


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Kanakadhara Stotram PDF in Hindi

नमस्कार दोस्तो, आज हम इस पोस्ट में kanakadhara stotram pdf in hindi के बारे मे देखेंगे, इस पोस्ट में आप कोइस स्त्रोत के pdf को download करने के लिए मिलने जाएंगा। कनकधारा स्तोत्र इन हिंदी पीडीएफ के साथ ही आप इस स्तोत्र को अर्थ सहित जान पाएंगे, इसमें आप को इस स्त्रोत के Lyrics भी दिए गए है। जिसे आप नीचे जाकर पढ़ सकते है। इस स्त्रोत के पाठ के फायदे और लाभ अतः इसके चमत्कार के बारे में भी बताया गया है। Kanakadhara Stotram PDF In Hindi | कनकधारा स्तोत्र कनकधारा स्त्रोत जो की आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित है। उन्होंने ही सर्वप्रथम माँ लक्ष्मी जी की स्तुति की थी। और उनकी स्तुति से ही स्वर्ण बारिश हुई थी। (kanakadhara stotram pdf download) एक बारशंकराचार्य जी भिक्षा मांगते मांगते जंगल में पहुंचे वहां पर उन्हें एक बूढ़ी औरत मिली, तो उन्होंने उनसे भिक्षा की याचना की। जब शंकाराचार्य जी ने भिक्षा की याचना की तो वे बूढी महिला काफी परेशान हो गए। क्योंकि उनके घर में कुछ भी नहीं था जो इन्हें भिक्षा के रूप में वह दे सके। वह काफी परेशान हो गई। kanakadhara stotram in hindi pdf इसके बाद उन्होंने अपने घर को तलाशा घर में कुछ भी नहीं था। जिससे वह भिक्षा के रूप में शंकराचार्य जी को दे सके, फिर काफी देर तक देखने के बाद घर में उन्हें सुखा आंवले मिला। वही सूखा आंवला ले जा करके उन्होंने भिक्षा के तौर में शंकाराचार्य जी को दिया। इससे शंकाराचार्य जी बहुत दुखी हुए। और उन्होंने सोचा कि इस माता की गरीबी कैसे दूर किया जाए। इससे वे बहुत द्रविन्भुत हो गया बहुत दुखी हुए कि इतनी गरीबी है यह लोग कैसे अपना जिनका (जीवन) चला रहे होंगे। इसके बाद उन्होंने मां लक्ष्मी की बहुत करुण स्वर में बहुत आर्द स्वर में मां की ...

कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram) से करें मां लक्ष्मी को प्रसन्न [Lyrics

kanakadhara stotram in sanskrit • माँ लक्ष्मी हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवियों में से एक है। धर्म ग्रंथों के मुताबिक भगवान विष्णु उसके पति है। वह धन, सम्पदा, शान्ति और समृद्धि अदि की देवी मानी जाती हैं। • कनकधाराकी स्तोत्र में माँ लक्ष्मी के गुणों का वर्णन 21 श्लोक में किया गया है। इस स्तोत्र का पाठ मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस स्तोत्र की रचना कैसे हुई इस पर एक कहानी बहुत प्रख्यात हे जो की हमने आपके लिए स्तोत्र के नीचे दी हुई है। कनकधारा स्तोत्र अगं हरे: पुलकभूषण माश्रयन्ती भूङ्गाङ्गनेव मुकुलाधरणं तमालम्। अगीकृताखिलविभतिरपागलीला माङ्गल्यदास्तु मम मगळदेवतायाः ।।1।। मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारे: प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि। माला दृशोर्मधुकरीव महोत्पले या सा मे श्रियं दिशतु सागर सम्भवाया: ।।2।। विश्वामरेन्द्र पदविभ्रम दान दक्षम् आनन्द हेतु रधिकं मधुविद्विषोपि। ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्द्धम् इन्दीवरोदर सहोदरमिन्दिराय: ।।3।। आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दम् आनन्दकन्दम निमेषमनंगतन्त्रम्। आकेकर स्थित कनी निकपक्ष्म नेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजंगशयांगनाया: ।।4।। बाह्यन्तरे मधुजित: श्रितकौस्तुभे या हारावलीव हरि‍नीलमयी विभाति। कामप्रदा भगवतो पि कटाक्षमाला कल्याण मावहतु मे कमलालयाया: ।।5।। कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारेर् धाराधरे स्फुरति या तडिदंगनेव्। मातु: समस्त जगतां महनीय मूर्ति भद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनाया: ।।6।। प्राप्तं पदं प्रथमत: किल यत्प्रभावान् मांगल्य भाजि मधुमाथिनि मन्मथेन। मय्यापतेत दिह मन्थर मीक्षणार्धं मन्दालसं च मकरालयकन्यकाया: ।।7।। दद्याद् दयानुपवनो द्रविणाम्बुधाराम् अस्मिन्नकिञ्चन विहंग शिशौ विषण्णे। दुष्कर्मधर्ममपनीय चिराय दूरं नाराय...

Kanakadhara Strotam Lyrics in Hindi

नमस्कार दोस्तों, इस पोस्ट में आप को Kanakadhara Strotam lyrics in hindi देंगे, इस पोस्ट में lyrics के अलावा कनकधारा स्तोत्र के बारे में भी बताया गया है। इससे जुड़े हर प्रश्नों के उत्तर आप को इस पोस्ट में मिल जायेंगे। इस पोस्ट में नीचे जा के आप कनकधारा स्त्रोत लिरिक्स इन हिन्दी में आप को मिल जाएंगी। कनकधारा स्तोत्र के बारे में / Kanakadhara Strotam कनकधारा स्त्रोत जो की आदि गुरु परंतु वह अत्यंत ही दरिद्र थी। ब्राह्मण महिला अत्यंत ही लज्जित हुई क्योंकि शंकराचार्य जी को देने के लिए उसके पास कुछ नहीं था वह घर के इधर उधर कुछ देख ने लगी कि शायद कुछ भी मिल जाए तो वे शंकराचार्य जी के झोली में डाल सके। (Kanakadhara Strotam lyrics in hindi) क्योंकि किसी भी ब्रह्मचारी को खाली हाथ वापस लौटाना उन्हें अच्छा नहीं लगा। उन्हें उसकी पल एक आंवला मिला उन्होंने श्रद्धा पूर्वक शंकराचार्य के झोली में आंवला डाल दिया। और शंकराचार्य जी से प्राथना की और बोली बाबा मेरे पास कुछ भी नही है को में आप को दे सकू कुपया आप इस आंवले को भिक्षा के रूप में रख ले और मुझे क्षमा प्रदान करे। मां का मन बालक शंकर समझ गए की मां का मन क्या हो रहा होंगा। शंकाराचार्य जी ने उनको अपनी मां के भाती देखा, उन्हें बहुत ही दुख हुआ। इसके बाद उन्होंने मां लक्ष्मी की बहुत करुण स्वर में बहुत आर्द स्वर में मां की भक्ति करने लगे। कनकधारा स्त्रोत का पाठ / kanakadhara Stotram Ka Path उनकी स्तुति करने लगे जो कि कनकधारा स्त्रोत (Kanakadhara Strotam lyrics in hindi) आज हम जिसको पड़ते व सुनते है। शंकाराचार्य जी ने इसका पाठ इतनी करुण भाव से, इतने प्रेम से मां की स्तुति की थी कि मां प्रसन्न हो कर वहा प्रकट हो गई। शंकाराचार्य जी का कनकधारा स्त्...

Stotra Ratnawali Stotra Ratnavali Gita Press

संस्कृत भाषा में धर्म शास्त्र कई हैं, जैसे कि मनुस्मृति, याज्ञवल्क्य स्मृति, वैष्णव धर्मशास्त्र, शिव धर्मशास्त्र, बौद्ध धर्मशास्त्र आदि। संस्कृत साहित्य में व्याकरण भी एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है। पाणिनि का अष्टाध्यायी संस्कृत व्याकरण का मूल ग्रंथ है। संस्कृत न्याय शास्त्र भी महत्वपूर्ण है, जो कि तर्कशास्त्र के रूप में जाना जाता है। न्याय सूत्रों, न्यायवैशेषिक और मीमांसा शास्त्र भी संस्कृत साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इसके अतिरिक्त, आधुनिक संस्कृत साहित्य में अनेक उपन्यास, कहानियां, कविताएं, नाटक, विज्ञान, इतिहास, धर्म, समाज और संस्कृति से संबंधित अन्य विषयों पर भी लेखन उपलब्ध है। अधिकतम शब्द सीमा के लिए, यह बताया जा सकता है कि संस्कृत साहित्य में अनेक विषयों पर लगभग २०,००० से भी अधिक पुस्तकें उपलब्ध होती हैं।

[PDF] : कनकधारा स्त्रोत का पाठ हिन्दी मे अर्थ सहित gita press pdf, kanakadhara stotram in hindi

जो देवताओं के अधिपति इंद्र के पद का वैभव-विलास देने में समर्थ है, श्रीहरि को भी प्रसन्न करने वाली है तथा जो नीलकमल के अन्तः भागवत मनोहर लगती है, उन लक्ष्मीजी के अर्धखुले नेत्रों की दृष्टि पल भर के लिए मेरे ऊपर भी पड़े।।3।।शेषशय्या पर सोये हुए भगवान विष्णु की पत्नी श्री लक्ष्मीजी के नेत्र हमें ऐश्वर्य प्रदान करे, जिनकी पुतली तथा बरौनियां अनंग के वशीभूत हो अधखुले तथा निर्निमेष (अपलक) नयनों से देखने वाले आनंदकंद श्री मुकुन्द को अपने निकट पाकर कुछ तिरछी हो जाती हैं।।4।।

Siddha Kunjika Stotram PDF

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