कोपेन

  1. कोपेन का जलवायु वर्गीकरण राजस्थान
  2. कोपेन के जलवायु वर्गीकरण
  3. 3. कोपेन और थार्न्थवेट के जलवायु वर्गीकरण का तुलनात्मक अध्ययन
  4. कोपेन हावापानी वर्गीकरण
  5. कोपेन व थार्नवेट का जलवायु वर्गीकरण


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कोपेन का जलवायु वर्गीकरण राजस्थान

कोपेन के अनुसार राजस्थान की जलवायु का वर्गीकरण- 1918में कोपेन ने राज्य की जलवायु को चार भागों में बांटा- (Aw) उष्ण कटिबंधीय आर्द्र जलवायु प्रदेश- डूंगरपुर के दक्षिण में तथा बांसवाड़ा जिला। (BShw)अर्द्ध शुष्क जलवायु प्रदेश- बाड़मेर, नागौर, चुरू, जालौर, जोधपुर तथा दक्षिण -पूर्वी गंगानगर आदि क्षेत्र। (BWhw) शुष्क उष्ण मरुस्थलीय जलवायु प्रदेश- उत्तरी-पश्चिमी जोधपुर, जैसलमेर, पश्चिमी बीकानेर तथा गंगानगर। (Cwg) शुष्क शीत जलवायु प्रदेश- अरावली पर्वत के दक्षिणी – पूर्वी तथा पूर्वी भाग (हाड़ौती,मेवात एवं डांग क्षेत्र)।

कोपेन के जलवायु वर्गीकरण

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3. कोपेन और थार्न्थवेट के जलवायु वर्गीकरण का तुलनात्मक अध्ययन

3. कोपेन और थार्न्थवेट के जलवायु वर्गीकरण का तुलनात्मक अध्ययन कोपेन और थार्न्थवेट के जलवायु वर्गीकरण का तुलनात्मक अध्ययन ⇒ समानताएँ:- (i) दोनों योजनाएँ अनुभवात्मक परीक्षण पर आधारित है। (ii) दोनों ने तापमान और वर्षा को वायुमंडल की मूलभूत तत्व माना है जो जलवायु को नियंत्रित करती है। (iii) दोनों ने जलवायु-वनस्पति संबंध को महत्व दिया है। (iv) दोनों ने जलवायु प्रदेश को दिखाने के लिए अंग्रेजी अक्षर का प्रयोग किया है। (v) दोनों वर्गीकरण में उष्ण क्षेत्र की सीमाएँ समान होती हैं। (vi) दोनों ने वर्गीकरण को कई बार प्रस्तुत किया। जैसे- कोपेन ने 1900, 1918, 1931, 1936, 1953 में थार्न्थवेट ने 1931, 1936, 1948, 1955 में विषमताएँ:- (i) कोपेन ने वनस्पति को जलवायु का समग्र रूप से व्यक्त करने वाला प्रत्यक्ष सूचक माना। यही कारण है कि कोपेन के वर्गीकरण में जलवायु प्रकारों की सीमाएँ एवं वनस्पति प्रकारों की सीमाएँ लगभग एक है। वहीं थार्न्थवेट ने वाष्पीकरण-वाष्पोत्सर्जन प्रभाविता को प्रत्यक्ष और वनस्पति को अप्रत्यक्ष रूप से वर्गीकरण का आधार माना। (ii) कोपेन ने जहाँ किसी स्थान के तापमान और वर्षा के आंकिक मानों को लेकर वहाँ के जलवायु का निर्धारण किया है: वहीं थार्न्थवेट ने जटिल सूत्रों के माध्यम से वर्षा प्रभाविता तथा तापीय दक्षता का मान निकालकर किसी स्थान की जलवायु का निर्धारण किया। (ii) जहाँ कोपेन ने मुख्य 6 जलवायु समूह को निर्धारित किया है, वहीं थार्न्थवेट ने 8 जलवायु समूह का निर्धारण किया है- जैसे- कोपेन थार्न्थवेट 1. उष्ण 1. अति आर्द्र 2. उपोषण 2. आर्द्र 3. मध्य तापीय 3. तर आर्द्र 4. सूक्ष्म तापीय 4. शुष्क उपार्द्र 5. ध्रुवीय 5. अर्द्ध शुष्क 6. पर्वतीय 6. शुष्क 7. उप ध्रुवीय 8. ध्रुवीय (iv) कोप...

कोपेन हावापानी वर्गीकरण

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कोपेन व थार्नवेट का जलवायु वर्गीकरण

कोपेन व थार्नवेट का जलवायु वर्गीकरण जर्मन वनस्पति विज्ञानी तथा जलवायु विज्ञानवेत्ता ब्लाडीमीर कोपेन ने 1900 में विश्व की जलवायु का वर्णनात्मक वर्गीकरण प्रस्तुत किया। इनके इस वर्गीकरण का आधार फ्रांसीसी विद्वान कैण्डोल द्वारा 1874 में प्रस्तुत विश्व का वनस्पति कटिबंध (Vegetation zone) था। सन् 1918 में कोपेन ने अपने वर्गीकरण की योजना में संशोधन एवं परिमार्जन किया तथा औसत वार्षिक तापमान एवं औसत वार्षिक वर्षा तथा उसके ॠषित्वक वितरण (Seasonal distribution) के आधार पर विश्व की जलवायु का पुनरीक्षित वर्गीकरण प्रस्तुत किया। कोपेन ने अपने वर्गीकरण की योजना को पुनः 1931 तथा 1936 संशोधित किया। सन् 1953 में गीगर-पोही ने कोपेन के विश्व जलवायु के वर्गीकरण की मौलिक योजना को संशोधित करके वर्गीकरण की नयी योजना को प्रकाशित कराया। आगे चलकर विश्व जलवायु का यह वर्गीकरण गीगर-पोही वर्गीकरण के नाम से प्रसिद्ध हुआ। ज्ञातव्य है कि कोने का वर्गीकरण परिमाणात्मक (quantitative) होने के कारण अधिक महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि जलवायु प्रदेशों की सीमाओं के निर्धारण में तापमान तथा वर्षा संबंधी संख्यात्मक मूल्यों (Numerical values) को सम्मिलित किया गया है। कोपेन ने जलवायु का नामकरण अंग्रेजी भाषा के अक्षरों, तथा जलवायु का निर्धारण फार्मूला के आधार पर किया है, जिस कारण इनका वर्गीकरण आवश्यकता से अधिक दुरूह हो गया है, क्योंकि प्रत्येक अक्षर का विशिष्ट विशद अर्थ होता है जिसे हमेशा याद रखना होता है। कोपेन ने कैण्डोल द्वारा 1974 में प्रस्तावित विश्व के निम्न 5 वनस्पति मंडलों को विश्व की जलवायु के विभाजन का आधार बनाया है तथा इन्हीं के आधार पर विश्व की जलवायु को भी प्रमुख समूहों में विभक्त किया है जिनका नामकरण A, B,...