कोट पैंट

  1. नाटक लेखन ( नाटक लिखने का व्याकरण )


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नाटक लेखन ( नाटक लिखने का व्याकरण )

इस लेख में नाटक के व्याकरण रूप का अध्ययन करेंगे। इसके अंतर्गत नाटक किसे कहते हैं ? नाटक के तत्व आदि का विस्तृत रूप से विवरण प्रस्तुत किया गया है। यह विद्यार्थियों के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है। इस लेख का अध्ययन कर विद्यार्थी इस विषय में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर सकते हैं। इतना ही नहीं , वह नाटक लिखने की कला का भी विकास कर सकते हैं। नाटक लेखन –नाटक लिखने का व्याकरण यहां दृश्य काव्य अर्थात नाटक का व्याकरणिक रूप का अध्ययन करेंगे। नाटक दृश्य काव्य भी कहा जाता है। अन्य काव्य तथा साहित्य में पढ़ने सुनने तक का दायरा सीमित रहता है , किंतु इसके अंतर्गत देखने का भी गुण है। यही कारण है कि इसे रंगमंच का पूरक माना गया है अर्थात नाटक वह साहित्य है जो रंगमंच पर प्रस्तुत किया जा सकता है , उस का मंचन किया जा सकता है। व्याकरण से हमारा संबंध नाटक के तत्व और उसकी रचना से है। यहां आप इन्हीं बिंदुओं पर अध्ययन करेंगे। नाटक किसे कहते है नाटक एक दृश्य विधा है। इसे हम अन्य गद्य विधाओं से इसलिए अलग नहीं मानते हैं क्योंकि नाटक भी कहानी , उपन्यास , कविता , निबंध आदि की तरह साहित्य के अंतर्गत ही आती है। पर यह अन्य विधाओं से इसलिए अलग है , क्योंकि वह अपने लिखित रूप से दृश्यता की ओर बढ़ता है। नाटक केवल अन्य विधाओं की भांति केवल एक आगामी नहीं है। नाटक का जब तक मंचन नहीं होता तब तक वह संपूर्ण रूप व सफल रूप में प्राप्त नहीं करता है। अतः कहा जा सकता है कि नाटक को केवल पाठक वर्ग नहीं , दर्शक वर्ग भी प्राप्त होता है। साहित्य की गद्य विधाएं पढ़ने या फिर सुनाने तक की यात्रा करती है। परंतु नाटक पढ़ने , सुनने और देखने के गुण को भी अपने भीतर रखता है। नाटक के तत्व या अंग घटक व्याकरण की दृष्टि से नाटक को एक निश्च...