कर्म में करुणा ही दयालुता है निबंध

  1. interview
  2. भारत: दयालुता के प्रसार के लिये वैश्विक मुहिम
  3. कर्म ही पूजा है पर निबंध (Work Is Worship Essay In Hindi)
  4. कर्म ही धर्म है निबंध Work is Worship Essay in Hindi
  5. करुणा निबंध
  6. दयालुता पर निबंध


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interview

एन. टी. रामाराव सहित कई कलाकारों के करियर को चार चाँद लगाने में अहम भूमिका निभाने वाले सफल फिल्मकार एल. वी. प्रसाद दक्षिण भारत की विभिन्न भाषाओं के अलावा हिंदी फिल्मों में भी सफल रहे। प्रसाद ने सामाजिक उद्देश्यों के साथ मनोरंजक फिल्में बनाईं। आंध्र प्रदेश में दूरदराज के एक गाँव में 17 जनवरी 1908 को किसान परिवार में पैदा हुए एल. वी. प्रसाद का मूल नाम अक्कीनेनी लक्ष्मी वारा प्रसाद राव था और वे अभिनेता के अलावा निर्माता और निर्देशक भी थे। बचपन से ही प्रसाद कुशाग्र बुद्धि के थे, हालाँकि पढ़ाई में उनकी विशेष रूचि नहीं थी। कम उम्र में ही वे नाटकों और नृत्य मंडलियों की ओर आकर्षित हो गए। इन्हीं सपनों को लेकर वे एक दिन घर छोड़कर मुंबई चले गए। लेकिन उनका सफर आसान नहीं रहा और उन्हें तमाम तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ा। दृढ़ निश्चयी प्रसाद ने हार नहीं मानी और अंतत: सफलता उनके कदम छू रही थी। प्रसाद ने देश की तीन भाषाओं की पहली बोलती फिल्मों में काम किया। उन्होंने 1931 में प्रदर्शित आर्देशिर ईरानी की आलम आरा के अलावा कालिदास और भक्त प्रह्लाद में काम किया। आलम आरा जहाँ हिंदी की पहली बोलती फिल्म थी, वहीं कालिदास पहली तमिल बोलती फिल्म थी। भक्त प्रह्लाद पहली तेलुगु बोलती फिल्म थी। एल वी प्रसाद ने हिंदी में कई चर्चित फिल्में बनाई। इन फिल्मों में शारदा, छोटी बहन, बेटी बेटे, दादी माँ, शादी के बाद, हमराही, मिलन, राजा और रंक, खिलौना, एक दूजे के लिए आदि शामिल हैं। उनकी फिल्में सामाजिक उद्देश्यों के साथ स्वस्थ मनोरंजन पर केंद्रित थीं। उन्होंने राज कपूर, मीना कुमारी, संजीव कुमार, कमल हासन, राजेंद्र कुमार, सुनील दत्त, अशोक कुमार, शत्रुघ्न सिन्हा, शशि कपूर, प्राण, मुमताज, राखी जैसे बड़े सितारों के साथ...

भारत: दयालुता के प्रसार के लिये वैश्विक मुहिम

केरल के मंचदिक्करी गाँव में अभी सूर्योदय नहीं हुआ है, लेकिन एनएस राजप्पन की आँखों में नींद नहीं है. 69 वर्षीय यह ग्रामीण बुज़ुर्ग के पाँव बचपन में पोलियो से लकवाग्रस्त हो गए थे. वो रेंगते हुए मीनाचिल नदी में जाते हैं और नाव पर चढ़ जाते हैं. फिर 17 घण्टे तक वो वेम्बनाड झील के जलमार्ग से प्लास्टिक कचरा एकत्र करते हैं. ऐसा वो पिछले पाँच साल से लगभग रोज़ाना करते आ रहे हैं. "KindnessMatters" नामक पुस्तक के एक अध्याय में उनका ज़िक्र करते हुए कहा गया है, "और वह हर दिन काम करना जारी रखते हैं, अपने आस-पास की प्राकृतिक दुनिया में उदारता फैलाते हुए, बारी-बारी, एक-एक प्लास्टिक की बोतल के ज़रिये." भारत और दुनिया भर में हज़ारों छात्रों के लिये, राजप्पन एक उम्मीद की किरण हैं. उनके जैसे कई लोग, एक बेहतर दुनिया के लिये – छोटे-बड़े - प्रयास कर रहे हैं. राजप्पन की कहानी, नवम्बर 2021 में प्रकाशित इस पुस्तक की 50 ऐसी ही कहानियों में से एक है. यह कहानी सिद्ध करती है कि दुनिया में उदारता की कितनी आवश्यकता है. यही सोच, संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के शान्ति एवं सतत विकास के लिये महात्मा गांधी शिक्षा संस्थान (MGIEP) के नेतृत्व में चल रहे इस वैश्विक आन्दोलन के केन्द्र में है. यह पुस्तक, #KindnessMatters अभियान का एक हिस्सा है, जिसे यूनेस्को MGIEP ने 2018 में शुरू किया था और संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों द्वारा अपनाए गए 17 टिकाऊ विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिये, दुनियाभर के युवाओं को जुटाने का एक प्रयास है. टिकाऊ विकास लक्ष्यों में ग़रीबी व भुखमरी समाप्त करने, लैंगिक समानता, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं साफ़ पानी व स्वच्छता के लिये कार्रवाई शामिल है. उदारत...

कर्म ही पूजा है पर निबंध (Work Is Worship Essay In Hindi)

कर्म ही पूजा है पर निबंध (Work Is Worship Essay In Hindi) प्रस्तावना जैसा हम देखते है बहुत लोगो को कुछ काम करने से शर्म आती हैं। कुछ लोग काम करने से पहले ही डर जाते हैं और हम ये कभी नहीं सोचते हैं की बिना कोई काम किये कैसे कोई परिणाम मिल सकता हैं। कुछ लोग तो कोई काम शुरू करने से पहले ही उसके परिणाम की चिंता करने लगते हैं। हमे कोई भी काम सकारात्मक सोच के साथ शुरू करना चाहिए और उस काम को कर्म ही पूजा हैं के विचार से लगातार ईमानदारी से करते जाना चाहिए। इससे हमे हमारे काम में एक दिन जरूर सफलता मिलेगी। कर्म ही पूजा हैं का अर्थ कर्म ही पूजा हैं ये शब्द हमारे यहाँ कहावत के तरह इस्तेमाल किये जाते हैं। कई जगह पर इस शब्द को लिखा हुआ भी हमे देखने को मिल जाता हैं। कर्म ही पूजा हैं ये शब्द जितना छोटा हैं उतना ही इस शब्द का मतलब उतना बड़ा हैं। जैसे भगवन से आश्रीवाद लेने के लिए पूजा एकदम स्वच्छ मन से और लगन के साथ करते हैं, उसी प्रकार अपने काम में सफल होने के लिए हमे अपने काम को पुरे ईमानदारी के साथ और लगन के साथ ही करना होता हैं। कर्म ही पूजा हैं किसने कहा था? कर्म ही पूजा हैं हमारे देश के प्रशिद्ध राज नेता महात्मा गाँधी जी ने कहा था। महात्मा गाँधी जी ने इस शब्द को ऐसे ही नहीं कह दिया था। उन्होंने देखा बहुत से लोग काम करने से शरमाते हैं, उन्हें कभी – कभी कोई काम बहुत छोटा लगने लगता हैं। इसी बजह से वो उस काम को नहीं करते हैं, लेकिन कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता सभी काम जरुरी होते हैं। कर्म ही पूजा हैं कर्म ही पूजा हैं ये शब्द हमारे जिंदगी में काम का महत्त्व बताता हैं। इस शब्द के माध्यम से काम को पूजा के साथ तोला गया हैं, जिससे हम सोच सकते हैं की कितना ज्यादा इस शब्द का असर हमारे जीवन प...

कर्म ही धर्म है निबंध Work is Worship Essay in Hindi

कर्म ही धर्म है निबंध Work is Worship Essay in Hindi – कार्य ही पूजा है जब हम कर्म(काम) और धर्म(पूजा) दोनों की एक साथ बात करते हैं, तो हमें इन दोनों शब्दों का सही अर्थ समझना बहुत जरुरी हो जाता है। कर्म ही धर्म है निबंध Work is Worship Essay in Hindi – कार्य ही पूजा है कार्य ही पूजा है Labor is Worship in Hindi जैसे जब हम अपने कर्म की इज्जत करते हैं या उस कार्य को पूरे मन लगाकर करते है तो वह इसका मतलब है, कि भगवान भी हमसे कर्म करवाना चाहता है। हमें अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कार्य करना अति आवश्यक है। जब कोई जब तक हम प्रयास नहीं करेंगे, तब तक हम अपने सामने रखे भोजन को भी नहीं खा सकते हैं इसलिये जीवन कर्म के बिना अधूरा है। यह जीवन केवल तभी उपयोगी होता है जब तक हम सभी कार्य करते हैं। कार्य करना जीवन का मुख्य उद्देश्य है। सफल उद्योगपतियों ने काम के मूल्य को समझ लिया और अपने जीवन में अपने कर्म में खुद को समर्पित किया। निराशा और अवशोषण जीवन में अभिशाप के अलावा कुछ भी नहीं है। किस्मत भी बहादुर व्यक्ति हमेशा प्रसिद्ध और पुरस्कृत होते हैं। अब, हम इतना काम इसलिए करते है क्योंकि, कार्य का मतलब प्रयास है, और कर्म जीवन का सार है। मुझे लगता है कि अगर हम कर्म करते हैं तो हम जीवन के अमृत को पी रहे हैं। सभी प्रकार के आनंद, सभी उपलब्धि सभी प्रगति का मतलव केवल एक जादुई शब्द है ”कर्म” या ‘काम’। जब हम किसी व्यक्ति, देश या समुदाय की प्रगति पर विचार करते हैं, तो यह संबंधित लोगों द्वारा किये गये कार्यों के साथ स्पष्ट रूप से मापा जा सकता है। 1947 में, विभाजन के बाद भारत में पंजाब के निवासियों को पंजाब में अपने घरों से पूरी तरह से बाहर निकाल दिया गया था और उन्होंने अपना सब कुछ खो दिया था और वे...

करुणा निबंध

करुणा निबंध- आचार्य रामचंद्र शुक्ल जब बच्चे को संबंधज्ञान कुछ कुछ होने लगता है तभी दु:ख के उस भेद की नींव पड़ जाती है जिसे करुणा कहते हैं। बच्चा पहले परखता है कि जैसे हम हैं वैसे ही ये और प्राणी भी हैं और बिना किसी विवेचना क्रम के स्वाभाविक प्रवृत्ति द्वारा, वह अपने अनुभवों का आरोप दूसरे प्राणियों पर करता है। फिर कार्य-कारण-संबंध से अभ्यस्त होने पर दूसरों के दु:ख के कारण या कार्य को देखकर उनके दु:ख का अनुमान करता है और स्वयं एक प्रकार का दु:ख अनुभव करता है। प्राय: देखा जाता है कि जब माँ झूठ-मूठ ‘ऊँ ऊँ’ करके रोने लगती है तब कोई-कोई बच्चे भी रो पड़ते हैं। इसी प्रकार जब उसके किसी भी भाई या बहिन को कोई मारने उठता है तब वे कुछ चंचल हो उठते हैं। दु:ख की श्रेणी में प्रवृत्ति के विचार से करुणा का उलटा क्रोध है। क्रोध जिसके प्रति उत्पन्न होता है उसकी हानि की चेष्टा की जाती है। करुणा जिसके प्रति उत्पन्न होती है, उसकी भलाई का उद्योग किया जाता है। किसी पर प्रसन्न होकर भी लोग उसकी भलाई करते हैं। इस प्रकार पात्र की भलाई की उत्तेनजना दु:ख और आनंद दोनों की श्रेणियों में रखी गई है। आनंद की श्रेणी में ऐसा कोई शुद्ध मनोविकार नहीं है, जो पात्र की हानि की उत्ते्जना करे, पर दु:ख की श्रेणी में ऐसा मनोविकार है जो पात्र की भलाई की उत्तेगजना करता है। लोभ से, जिसे मैंने आनंद की श्रेणी में रखा है, चाहे कभी-कभी और व्यक्तियों या वस्तुओं की हानि पहुँच जाए पर जिसे जिस व्यक्ति या वस्तु का लोभ होगा, उसकी हानि वह कभी न करेगा। लोभी महमूद ने सोमनाथ को तोड़ा, पर भीतर से जो जवाहरात निकले उनको खूब सँभालकर रखा। नूरजहाँ के रूप में लोभी जहाँगीर ने शेर अफगन को मरवाया, पर नूरजहाँ को बड़े चैन से रखा। शुक्ल जी के अन्य ...

दयालुता पर निबंध

प्रत्येक मनुष्य को यह सिखाया जाता है कि उसके अंदर दयालुता का भाव अवश्य होना चाहिए। क्योंकि एक दयालु व्यक्ति एक महान व्यक्ति कहलाता है। क्या आप दयालुता के विषय में जानते हैं? आज हम आपको दयालुता विषय पर निबंध प्रस्तुत कर रहे हैं। जिसके अंतर्गत आपको दयालुता के विषय में संपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी। आइए जानते हैं “दयालुता” विषय पर निबंध… प्रस्तावना दयालुता व्यक्ति की है महान विशेषता दयालुता का लाभ भगवान हमें हर पल देखता है, हम जिस घड़ी जिस प्राणी पर दया का भाव करेंगे ईश्वर हमें हर जगह देख लेगा। हमारी दयालुता के गुण से प्रसन्न होकर निश्चित रूप से ईश्वर हमें निष्पक्ष लाभ प्रदान करेगा। जानवरों के प्रति दयालुता हमें लावारिस कुत्तों बिल्लियों को खाना खिलाना चाहिए और उन्हें यदि चोट लगी हो यथासंभव उनकी मदद करनी चाहिए। कभी भी सड़क पर कुत्तों को नहीं मारना चाहिए। इसके साथ ही पशु पक्षियों के लिए दाना पानी की व्यवस्था करनी चाहिए। पशु पक्षियों तथा जानवरों की मदद करके आप स्वयं में भी एक उत्तम भाव महसूस करेंगे। निष्कर्ष जो लोग धर्मार्थ कार्य करते हैं और विभिन्न लोगों की उनके बड़े और छोटे कार्यों में मदद करते हैं वे उन लोगों से ज्यादा खुश रहते हैं जो केवल खुद के लिए काम करते हैं। Categories