करवा चौथ का इतिहास क्या है

  1. करवा चौथ क्यों मनाया जाता है? इतिहास और महत्व! व्रत कैसे तोड़ें?
  2. करवा चौथ
  3. करवा चौथ का क्या इतिहास है? – ElegantAnswer.com
  4. करवा चौथ 2018 जाने इस पर्व का महत्व इतिहास आैर अर्थ
  5. करवा चौथ 2023: तिथियां, उत्सव, इतिहास


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करवा चौथ क्यों मनाया जाता है? इतिहास और महत्व! व्रत कैसे तोड़ें?

करवा चौथ का व्रत कार्तिक के हिंदू महीने में कृष्ण पक्ष चतुर्थी के दौरान होता है। गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिणी भारत में, जो अमांता कैलेंडर का उपयोग करते हैं, करवा चौथ अश्विन महीने के दौरान होता है। लेकिन केवल एक चीज जो अलग है वह है महीने का नाम। करवा चौथ सभी राज्यों में एक ही दिन मनाया जाता है। करवा चौथ उसी समय होता है जब संकष्टी चतुर्थी होती है, जो भगवान गणेश के लिए एक उपवास का दिन है। करवा चौथ का व्रत और अनुष्ठान विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र सुनिश्चित करने के लिए करती हैं। विवाहित महिलाएं भगवान शिव और उनके परिवार की पूजा करती हैं, जिसमें भगवान गणेश भी शामिल हैं। वे अपना उपवास तब तक नहीं तोड़ते जब तक कि वे चंद्रमा को न देख लें और उसे भेंट न दें। करवा चौथ पर लोग सूर्योदय से लेकर रात में चांद देखने तक कुछ भी नहीं खाते-पीते हैं। यह कठोर व्रत है। करवा चौथ को कारक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। करवा या करक मिट्टी के बर्तन के लिए शब्द है जिसके माध्यम से चंद्रमा को जल अर्पित किया जाता है, जिसे अर्घ कहा जाता है। करवा पूजा का एक अनिवार्य हिस्सा है, और इसे ब्राह्मण या अन्य पात्र महिला को दान के रूप में दिया जाता है। करवा चौथ दक्षिण भारतीय राज्यों की तुलना में उत्तर भारतीय राज्यों में अधिक प्रसिद्ध है। करवा चौथ के चार दिनों के बाद, पुत्रों की भलाई के लिए अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। 11.1 अन्य संबंधित पोस्ट: करवा चौथ क्यों मनाते हैं, इसका इतिहास और महत्व करवा चौथ सबसे प्रसिद्ध भारतीय त्योहारों में से एक है, और यह ज्यादातर उत्तर भारत में मनाया जाता है। यह प्यार, शादी और पति-पत्नी के बीच साझा किए गए अटूट बंधन का उत्सव है। “करवा” का अर्थ है मिट्टी का पानी का घड़ा, और “...

करवा चौथ

इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर (अक्टूबर 2018) स्रोत खोजें: · · · · करवा चौथ करवा चौथ आधिकारिक नाम करवा चौथ अन्य नाम करक चतुर्थी ( अनुयायी प्रकार हिन्दू उद्देश्य सौभाग्य तिथि समान पर्व करवा चौथ हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह ग्रामीण स्त्रियों से लेकर आधुनिक महिलाओं तक सभी नारियाँ करवाचौथ का व्रत बडी़ श्रद्धा एवं उत्साह के साथ रखती हैं। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए। पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी के जैसे दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अ‌र्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है। वर्तमान समय में करवाचौथ व्रतोत्सव अधिकतर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं लेकिन अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतुर्थी (करवा-चौथ) व्रत करने का विधान है। इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है। स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है। जो सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं वे यह व्रत रखती हैं। यह व्रत 12 वर्ष तक अथवा 16 वर्ष तक निरंतर प्रति वर्ष किया जाता है। अवधि पूरी होने के पश्चात इस व्रत का उद्यापन (उपसंहार) किया जाता है। जो सुहागिन स्त्रियाँ आजीवन रखना चाहें वे जीवनभर इस व्रत को कर सकती हैं। इस व्रत के समान सौभाग्यदायक व्र...

करवा चौथ का क्या इतिहास है? – ElegantAnswer.com

करवा चौथ का क्या इतिहास है? इसे सुनेंरोकेंकरवा चौथ का इतिहास और कथा – कहा जाता है कि देवताओं और दानवों के युद्ध के दौरान देवों को विजयी बनाने के लिए ब्रह्मा जी ने देवों की पत्नियों को व्रत रखने का सुझााव दिया था। जिसे स्वीकार करते हुए इंद्राणी ने इंद्र के लिए आैर अन्य देवताआें की पत्नियों ने अपने पतियों के लिए निराहार, निर्जल व्रत किया। करवा चौथ की सच्चाई क्या है? इसे सुनेंरोकेंग्रामीण स्त्रियों से लेकर आधुनिक महिलाओं तक सभी नारियाँ करवाचौथ का व्रत बडी़ श्रद्धा एवं उत्साह के साथ रखती हैं। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए। पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। करवा चौथ का व्रत क्यों किया जाता है? इसे सुनेंरोकेंकरवा चौथ पति और पत्‍नी के बीच के प्रेम को दर्शाने वाला बेहद निष्‍ठापूर्ण व श्रद्धा भाव से उपवास रखने का त्‍योहार है। आज पूरे देश में धूमधाम से इस त्योहार को मनाया जा रहा है। प्राचीनकाल से महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए य‍ह व्रत करती चली आ रही हैं। करवा चौथ में किसकी पूजा होती है? इसे सुनेंरोकेंहिंदू महिलाएं इस व्रत को अखंड सुहाग का प्रतिमान मानती हैं। सौभाग्यवती महिलाएं इस दिन अपने पति की दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य की मंगल-कामना करके भगवान रजनीश (चंद्रमा) को अर्घ्य प्रदान करती हैं। करवा चौथ में शिव-शिवा और स्वामी कार्तिकेय का पूजन किया जाता है। इस व्रत को करने का अधिकार मात्र सौभाग्यवती महिलाओं को ही है। करवा चौथ का व्रत करने से क्या लाभ होता है? इसे सुनेंरोकेंमान्यता है कि इस व्रत को करने से पति की उम्र लंबी होती है और परिवार में सुख...

करवा चौथ 2018 जाने इस पर्व का महत्व इतिहास आैर अर्थ

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला पर्व करवा चौथ भारत में सौभाग्यवती महिलाआें का प्रमुख त्योहार है। यह व्रत सुबह सूर्योदय से पूर्व प्रात: 4 बजे प्रारंभ होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद पूर्ण होता है। किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की स्त्री को इस व्रत को करने का अधिकार है। अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना से स्त्रियां इस व्रत को करती हैं । इस वर्ष ये पर्व शनिवार 27 अक्टूबर 2018 को पड़ रहा है। इस दिन श्री गणेश की पूजा विशेष रूप से की जाती है। करवाचौथ में भी संकष्टी या गणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अ‌र्घ्य देने के बाद भोजन करने का विधान है। करवा चौथ व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है। हांलाकि अब कर्इ जगह अविवाहित कन्यंये भी योग्य वर की कामना से या विवाह सुनिश्चित होने के बाद होने वाले पति की शुभेच्छा के कारण ये व्रत करने लगी हैं। ये विश्वास किया जाता है कि करवाचौथ का व्रत करके उसकी कथा सुनने से विवाहित महिलाओं के सुहाग की रक्षा होती है, आैर परिवार में सुख, शांति एवम् समृद्धि आती है। महाभारत में श्री कृष्ण ने भी करवाचौथ के महात्म्य के बारे में बताया है। इस बारे में एक कथा भी सुनार्इ जाती है। इस कथा के अनुसार कृष्ण जी से करवाचौथ की महिमा को समझ कर द्रौपदी ने इस व्रत को रखा, जिसके फलरूप ही अर्जुन सहित पांचों पांडवों ने महाभारत के युद्ध में कौरवों सेना को पराजित कर विजय हासिल की थी। करवा चौथ का इतिहास एेसी मान्यता है कि करवाचौथ की परंपरा देवताओं के समय से चली आ रही है। एक कथा के अनुसार एक बार देवताओं और दानवों के युद्ध के दौरान देवों को पराजय से बजाने के लिए ब्रह्मा ...

करवा चौथ 2023: तिथियां, उत्सव, इतिहास

• इतिहास • घूमने के स्थान • कैसे पहुंचा जाये करवा चौथ भारत में एक अत्यधिक मनाया जाने वाला कार्यक्रम है जिसके दौरान विवाहित महिलाएँ अपने पति के लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए उपवास करती हैं और चंद्रमा की पूजा करती हैं। उत्सव कार्तिक के हिंदू महीने में कृष्ण पक्ष चतुर्थी पर आयोजित किया जाता है। यह पूरे देश में मनाया जाता है, हालांकि यह उत्तरी शहरों में सबसे लोकप्रिय है करवा चौथ व्रत का इतिहास प्राचीन शास्त्रों और पौराणिक कथाओं के अनुसार, करवा चौथ एक दिन का हिंदू उत्सव है, जिसके दौरान महिलाएं भोर से चंद्रोदय तक कुछ भी नहीं खाती या पीती हैं। करवा चौथ इतिहास के अनुसार, जब द्रौपदी और उनके पांच पांडव पति नीलगिरि पर्वत की यात्रा पर गए, तो उन्होंने व्रत रखा। इसके अलावा भी कई और कहानियां जुड़ी हैं करवा चौथ व्रत. पारंपरिक मिथक के अनुसार, यह घटना करवा नामक एक विवाहित महिला की वास्तविक कहानी पर आधारित है। करवा की पत्नी नदी में नहा रही थी तभी मगरमच्छ ने उस पर हमला कर दिया। जब करवा ने यह देखा तो वह उसे बचाने के लिए अपने पति की ओर दौड़ी। मगरमच्छ को बांधकर वह अपनी पत्नी को बचाने में सफल रही। जब भगवान यम पहुंचे, तो उन्हें एक घायल मगरमच्छ मिला। उसकी बहादुरी ने भगवान यम को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने उसके पति को लंबे और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद दिया और मगरमच्छ को नरक में भेज दिया। रानी वीरवती की कथा भी प्रसिद्ध है और करवा चौथ पूजा के दौरान इसका पाठ किया जाता है। इवेंट के लिए रानी अपने माता-पिता के घर पर थीं। जब उसने अपनी बहन को पूरे दिन खाली पेट देखा, तो वह काफी चिंतित हो गया और एक पेड़ के ऊपर एक चाँद बनाने के लिए एक दर्पण का उपयोग किया। लेकिन, जैसे ही उसने अपना उपवास तोड़ा, उसे अपने पति की मृत...