करवा चौथ की कहानी डाउनलोड

  1. करवा चौथ की कहानी वीरवती व सात भाई एक बहन की
  2. करवा चौथ की कहानी I Karva Chauth ki Kahani in Hindi
  3. करवा चौथ व्रत कथा: साहूकार के सात लड़के, एक लड़की की कहानी
  4. करवा चौथ व्रत कथा (कहानी)
  5. Karwa Chauth Vrat Katha In Hindi : करवा चौथ की सरल संपूर्ण व्रत कथा यहां पढ़ें
  6. करवा चौथ व्रत की कहानी


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करवा चौथ की कहानी वीरवती व सात भाई एक बहन की

करवा चौथ की कहानी Karwa choth ki kahani करवा चौथ के व्रत के समय सुनी जाती है। करवा चौथ की कहानियाँ में वीरवती की कहानी मुख्य रूप से सुनी जाती है। यहाँ पढ़ें यह तथा अन्य कहानी और आनंद लें। माना जाता है कि कहानी कहने और सुनने से व्रत का पूरा फल मिलता है। करवा चौथ के व्रत , पूजन की विधि और चाँद को अर्क देने की विधि , व्रत कैसे खोलें आदि जानकारी के लिए क्लिक करके इसे पढ़ें : करवा चौथ के उद्यापन की विधि जानने के लिए क्लिक करें – करवा चौथ की कहानी Karva Chauth Ki Kahani ( 1 ) वीरवती की कहानी – Veervati ki kahani बहुत समय पहले की बात हैं वीरवती (Veervati ) नाम की एक राजकुमारी थी। जब वह बड़ी हुई तो उसकी शादी एक राजा से हुई। शादी के बाद वह करवा चौथ का व्रत करने के लिए माँ के घर आई। वीरवती ने भोर होने के साथ ही करवा चौथ का व्रत शुरू कर दिया। यू ट्यूब पर कहानी सुनने के लिए यह वीडियो देखें – वीरवती बहुत ही कोमल व नाजुक थी। वह व्रत की कठोरता सहन नहीं कर सकी। शाम होते होते उसे बहुत कमजोरी महसूस होने लगी और वह बेहोश सी हो गई। उसके सात भाई थे और उसका बहुत ध्यान रखते थे। उन्होंने उसका व्रत तुड़वा देना ठीक समझा। उन्होंने पहाड़ी पर आग लगाई और उसे चाँद निकलना बता कर वीरवती का व्रत तुड़वाकर भोजन करवा दिया । जैसे ही वीरवती ( Veervati ) ने खाना खाया उसे अपने पति की मृत्यु का समाचार मिला। उसे बड़ा दुःख हुआ और वह पति के घर जाने के लिए रवाना हुई ( करवा चौथ की कहानी …. ) रास्ते में उसे शिवजी और माता पार्वती मिले। माता ने उसे बताया कि उसने झूठा चाँद देखकर चौथ का व्रत तोड़ा है। इसी वजह से उसके पति की मृत्यु हुई है। वीरवती अपनी गलती के लिए क्षमा मांगने लगी। तब माता ने वरदान दिया कि उसका पति जीवित तो हो जायेगा ...

करवा चौथ की कहानी I Karva Chauth ki Kahani in Hindi

Table of Contents • • • • • • करवा चौथ क्या है? आज हर सुहागिन स्त्री करवा चौथ की कहानी जानना चाहती है। प्रतिवर्ष कार्तिक मास के चतुर्थी के दिन करवा चौथ का व्रत मनाया जाता है। भारतीय महिलाओं द्वारा अपने पति के अखंड सौभाग्य और लंबी उम्र के लिए यह त्यौहार की यह व्रत किया जाता है। द्वापर युग से लेकर कलियुग तक इस व्रत की महिमा लगातार बनी हुई है। आज सुहागन महिलाएं इस व्रत को पूर्ण निष्ठा और मन पूर्ण मनोयोग से करती हैं। आपने देखा होगा दिवाली से पहले त्यौहार के त्योहार के समय भारत में काफी चहल-पहल होती हैं। क्योंकि उस वक्त बहुत सारे त्योहार मनाए जाते हैं। उनमें से एक प्रमुख पर्व व्रत करवा चौथ है। इस दिन महिलाएं उपवास करती हैं और शाम होने पर चांद को देखकर जल ग्रहण करते हैं करती हैं। क्या आपने कभी सोचा है की करवा चौथ का नाम करवा चौथ क्यों पड़ा ? आखिर वह करवा माता कौन थी और त्यौहार को कब से मनाया जाता है आइए इसके बारे में जानते हैं। करवा चौथ की कहानी क्या है ? प्राचीन कथा के अनुसार करवा नामक एक पतिव्रता स्त्री थी। उनके पति वयोवृद्ध थे। एक दिन वह नदी में स्नान करने के लिए गए उसी समय एक मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया। करवा के पति चिल्लाने लगे। पति के चिल्लाने की आवाज सुनकर करवा दौड़ती हुई आई और बिना एक पल व्यतीत किए हुए पानी में छलांग लगा दी। वह एक पतिव्रता नारी थी उसमें काफी बल था। अपने सूती साड़ी के धागे से उसने मगरमच्छ को बांध दिया। और अपने तपोबल के माध्यम से उसे लेकर यमराज के पास पहुंची। यमराज ने करवा से पूछा देवी यहां आने का कारण क्या है? आप क्या चाहती हैं और यह मगरमच्छ कौन है कृपया बताएं। यमराज की ओर करवा ने हाथ जोड़कर कहा प्रभु इस दुष्ट मगरमच्छ ने मेरे पति को मारने की कोशिश की है...

करवा चौथ व्रत कथा: साहूकार के सात लड़के, एक लड़की की कहानी

साहूकार के सात लड़के, एक लड़की की कहानी | करवा चौथ की पौराणिक व्रत कथा श्री गणेशाय नमः ! एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। एक बार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित उसकी सातों बहुएं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा। रात्रि के समय जब साहूकार के सभी लड़के भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन कर लेने को कहा। इस पर बहन ने कहा- भाई, अभी चांद नहीं निकला है। चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देकर ही मैं आज भोजन करूंगी। साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे, उन्हें अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देख बेहद दुख हुआ। साहूकार के बेटे नगर के बाहर चले गए और वहां एक पेड़ पर चढ़ कर अग्नि जला दी। घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चांद निकल आया है। अब तुम उन्हें अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करो। साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से कहा- देखो, चांद निकल आया है, तुम लोग भी अर्घ्य देकर भोजन कर लो। ननद की बात सुनकर भाभियों ने कहा- बहन अभी चांद नहीं निकला है, तुम्हारे भाई धोखे से अग्नि जलाकर उसके प्रकाश को चांद के रूप में तुम्हें दिखा रहे हैं। साहूकार की बेटी अपनी भाभियों की बात को अनसुनी करते हुए भाइयों द्वारा दिखाए गए चांद को अर्घ्य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार करवा चौथ का व्रत भंग करने के कारण विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश साहूकार की लड़की पर अप्रसन्न हो गए। गणेश जी की अप्रसन्नता के कारण उस लड़की का पति बीमार पड़ गया और घर में बचा हुआ सारा धन उसकी बीमारी में लग गया। साहूकार की बेटी को जब अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसे बहुत पश्चाताप हुआ। उसने गणेश जी से क्षमा प्रार्थना की और फिर से विधि-विधान पूर्वक चतुर्थी का व्रत शुरू कर दिया। उसने उपस्थित सभी...

करवा चौथ व्रत कथा (कहानी)

करवा चौथ व्रत कथा (कहानी) | Karva Chauth Vrat Katha Book & Pooja Vidhi हिन्दी PDF डाउनलोड करें इस लेख में नीचे दिए गए लिंक से। अगर आप करवा चौथ व्रत कथा (कहानी) | Karva Chauth Vrat Katha Book & Pooja Vidhi हिन्दी पीडीएफ़ डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। इस लेख में हम आपको दे रहे हैं करवा चौथ व्रत कथा (कहानी) | Karva Chauth Vrat Katha Book & Pooja Vidhi के बारे में सम्पूर्ण जानकारी और पीडीएफ़ का direct डाउनलोड लिंक। हिन्दू धर्म के अनुसार कार्तिक महीने में पूर्णिमा के चौथ दिन करवा चौथ वाला त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी लंबी उम्र की कामना के साथ निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन श्याम को करवा चौथ कथा की कहानी पढ़ते कर शाम के समय चंद्रमा निकलने के बाद वे चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और पति का तिलक आदि करने के बाद पति के हाथों से पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं। इस दिन भगवान शिव, गणेश जी और स्कन्द यानि कार्तिकेय के साथ बनी गौरी के चित्र की सभी उपचारों के साथ पूजा की जाती है। कहते हैं कि इस व्रत को करने से जीवन में पति का साथ हमेशा बना रहता है। साथ ही, सौभाग्य की प्राप्ति और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। Karva Chauth Vrat Katha 2022 PDF | करवाचौथ व्रत की कथा (कहानी) PDF Download | Karva Chauth Vrat Katha Book PDF | ਕਰਵਾ ਚੌਥ ਵਰਤ ਦੀ ਕਹਾਣੀ एक साहूकार के एक पुत्री और सात पुत्र थे। करवा चौथ के दिन साहूकार की पत्नी, बेटी और बहुओं ने व्रत रखा। रात्रि को साहूकार के पुत्र भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी वहन से भोजन करने के लिए कहा। बहन वोली- “भाई! अभी चन्द्रमा नहीं निकला है, उसके निकलने पर मैं अर्घ्य देकर भोजन करूँगी।” इस पर भाइयों ने नगर ...

Karwa Chauth Vrat Katha In Hindi : करवा चौथ की सरल संपूर्ण व्रत कथा यहां पढ़ें

Karva Chauth Vrat Katha In Hindi करवा चौथ की कथा : आइए पढ़ते हैं करवा चौथ की कहानी... बहुत समय पहले की बात है, एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। यहां तक कि वे पहले उसे खाना खिलाते और बाद में स्वयं खाते थे। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी। शाम को भाई जब अपना व्यापार-व्यवसाय बंद कर घर आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी। सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्‍य देकर ही खा सकती है। चूंकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है। इस प्रकार जब छठे नंबर की भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात दोहराती है। यह भाभी उसे बताती है कि चूंकि सबसे छोटे भाई की वजह से उसका व्रत टूटा था अतः उसकी पत्नी में ही शक्ति है कि वह तुम्हारे पति को दोबारा जीवित कर सकती है, इसलिए जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को जिंदा न कर दे, उसे नहीं छोड़ना। ऐसा कह कर वह चली जाती है।

करवा चौथ व्रत की कहानी

करवा चौथ व्रत की कहानी गुरूवार 13 अक्तूबर 2022 एक गावं में एक साहूकार के सात बेटें और एक बेटी थी | सेठानी ने सातों बहुएँ और बेटी सहित कार्तिक कृष्णा चौथ को करवा चौथ का व्रत किया | साहूकार की लडकी को उसके भाई बहुत प्यार करते थें उसको साथ लेकर खाना खाते थे | भाइयो ने बहन को खाने के लिये बोला तो बहन भाइयो से बोली भाई आज तो मेरें करवा चौथ का व्रत हैं इसलिये आज जब चाँद उगेगा तब चाँद के अर्ध्य देकर खाना खाऊगी | भाईयो ने चाँद उगने का इंतजार किया पर चाँद नही दिखा व्याकुल होकर उन्होंने एक उपाय सोचा कि एसे तो बहन भूखी रहेगीं इसलिए एक भाई ने दीपक लिया एक ने चलनी ली और पहाड़ी पर चढ़ कर दीपक जला कर चलनी लगा दी | दुसरे भाइयो ने संकेत मिलतें ही बहन से कहा बहन चाँद दिख गया | तब बहन ने अपनी भाभियों से कहा भाभी चाँद दिख गया चाँद देख लो तो भाभी बोली ये तो आपका चाँद दिखा है हमारा चाँद तो रात में दिखेगा | बहन ने अपने भाइयो पर विश्वास कर चाँद को अर्ध्य देकर खाना खाने बेठी पहले ग्रास में बाल आया , दूसरा ग्रास खाने लगी तो ससुराल से बाई को लेने वाले आ गये और बोले बेटा बहुत बीमार हैं बहु को भेज दो | माँ ने जैसे ही कपड़े निकालने के लिये बक्सा खोला तो काले , नीले व सफेद वस्त्र ही हाथ में आये | माँ ने एक सोने का सिक्का पल्ले के बांध दिया और बोली रास्ते में सबके पावं छुती जाना और जों अमर सुहाग की आशीस दे उसे देना | सारे रास्ते पावं छुती गई पर किसी ने अमर सुहाग की आशीस न दी ससुराल के दरवाजे पर आठ साल की जेठुती खड़ी थी उसके पावं छूने पर वह बोली की , “ सीली हो सपूती हो सात पूत की माँ हो | “ यह सुनते ही सोने का सिक्का निकाल कर उसें दे दिया और पल्ले के गाठं बांध ली | अंदर गई तो पति मरा पड़ा था | बहु ने अपने मरे ...