Kundli bhag

  1. कुंडली में 12 भाव और मनुष्य जीवन में उनका महत्व
  2. Janam Kundali by Date of Birth
  3. Free Hindi Janam Kundli, नि:शुल्क संपूर्ण जनम कुंडली हिंदीमे
  4. Astrology:जन्म कुंडली में नवम भाव से कब और कैसे बनता है राजयोग ?
  5. मंगल आठवें खाने में


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कुंडली में 12 भाव और मनुष्य जीवन में उनका महत्व

वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली के 12 भाव व्यक्ति के जीवन के संपूर्ण क्षेत्रों की व्याख्या करते हैं। इन भावों में स्थित राशि, नक्षत्र तथा ग्रहों का अध्ययन करके जातकों के राशिफल को ज्ञात किया जाता है। यहाँ प्रत्येक भाव का संबंध किसी विशेष राशि से होता है। कुंडली में सभी 12 भावों का अपना-अपना विशेष कारकत्व होता है। संख्या भाव भाव के कारकत्व 1. प्रथम जन्‍म और व्‍यक्ति का स्‍वाभाव 2. द्वितीय धन, नेत्र, मुख, वाणी, परिवार 3. तृतीय साहस, छोटे भाई-बहन, मानसिक संतुलन 4. चतुर्थ माता, सुख, वाहन, प्रापर्टी, घर 5. पंचम संतान, बुद्धि 6. षष्ठम रोग, शत्रु और ऋण 7. सप्तम विवाह, जीवनसाथी, पार्टनर 8. अष्टम आयु, खतरा, दुर्घटना 9. नवम भाग्‍य, पिता, गुरु, धर्म 10. दशम कर्म, व्यवसाय, पद, ख्‍याति 11. एकादश लाभ, अभिलाषा पूर्ति 12. द्वादश खर्चा, नुकसान, मोक्ष वैदिक ज्योतिष के माध्यम से उन ब्रह्मांडीय तत्वों का अध्ययन किया जाता है जिनका सीधा प्रभाव मनुष्य जीवन पर पड़ता है। ज्योतिष विज्ञान के द्वारा तीनों काल खण्डों (भूत, वर्तमान और भविष्य) के बारे में जाना जा सकता है। किसी जातक विशेष का फलादेश उसके कर्मों पर आधारित होता है। अच्छे कर्मों का फल सदैव अच्छा होता है जबकि बुरे कर्म के कारण जातक को उसके नकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं। भूतकाल के अनुभवों तथा व्यक्ति के पिछले जन्म के कर्मों के आधार पर भविष्यफल तैयार होता है। मनुष्य जीवन के विविध क्षेत्रों का संबंध कुंडली के इन 12 भावों से है। इसलिए प्रत्येक भाव मनुष्य जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। बारह भाव जीवन के सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन भावों पर जैसे ही ग्रहों का प्रभाव पड़ता है उसका असर जीवन के उस विशेष क्षेत्र...

Janam Kundali by Date of Birth

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Free Hindi Janam Kundli, नि:शुल्क संपूर्ण जनम कुंडली हिंदीमे

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Astrology:जन्म कुंडली में नवम भाव से कब और कैसे बनता है राजयोग ?

Astrology: जन्म कुंडली में नवम भाव से कब और कैसे बनता है राजयोग ? विस्तार वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली में नवम भाव व्यक्ति के भाग्य को दर्शाता है और इसलिए इसे भाग्य का भाव कहा जाता है। जिस व्यक्ति का नवम भाव अच्छा होता है वह व्यक्ति भाग्यवान होता है। इसके साथ ही नवम भाव से व्यक्ति के धार्मिक दृष्टिकोण का पता चलता है। अतः इसे धर्म का भाव भी कहते हैं। इस भाव से व्यक्ति के आध्यात्मिक जीवन का विचार किया जाता है। यह भाव जातकों के लिए बहुत ही शुभ होता है। इस भाव के अच्छा होने से जातक हर क्षेत्र में तरक्की करता है। आचार्य, पितृ, पूर्व भाग्य, पूजा, धर्म, पौत्र, जप, दैव्य उपासना, भाग्य आदि को नवम भाव से दर्शाया जाता है। नवम भाव के स्वामी का अन्य भावों से संबंध कुछ विशेष प्रकार के राजयोगों का निर्माण भी करता है, आइये जानते हैं ये राजयोग कब और कैसे बनते हैं। धार्मिक जीवन- जब लग्न या लग्नेश के साथ नवम भाव अथवा नवमेश का निकट संबंध हो तो मनुष्य के भाग्य और धर्म दोनों का उत्थान होता है। यदि चन्द्र तथा सूर्य से नवम भाव के स्वामी का संबंध चन्द्र व सूर्य अधिष्ठित राशियों के स्वामी से हो जाए तो मनुष्य का जीवन पूर्णतः धर्ममय हो जाता है। चाहे वह गृहस्थी हो या संन्यासी, ऐसा व्यक्ति ज्ञानियों में श्रेष्ठ जीवन वाला और मुक्ति प्राप्त करने वाला महात्मा होता है। राज्यकृपा- नवम भाव को राज्यकृपा का भाव भी कहते हैं। यदि इस भाव का स्वामी राजकीय ग्रह सूर्य, चन्द्र अथवा गुरु हो और बलवान भी हो तो मनुष्य को राज्य(सरकार आदि) की ओर से विशेष कृपा प्राप्त होती है अर्थात वह व्यक्ति राज्य अधिकारी, उच्च पद पर आसीन सम्मानीय व्यक्ति होता है। प्रभुकृपा- प्रभुकृपा का स्थान भी नवम भाव है। क्योंकि यह धर्म स्थान ...

मंगल आठवें खाने में

यह घर मंगल और शनि, के संयुक्त गुणों से प्रभावित होता है। इस घर में कोई ग्रह अच्छा नहीं माना जाता है। यहां स्थित मंगल ग्रह जातक के छोटे भाई पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। लाभ या हानि की परवाह किए बिना जातक अपने द्वारा बनाई गई प्रतिबद्धताओं से चिपका रहता है। उपाय: (1) विधवाओं का आशीर्वाद प्राप्त करें और गले में एक चांदी की चेन पहनें। (2) तंदूर की बनी मीठी रोटी कुत्तों को दें। (3) भोजन रसोई घर में ही करें। (4) अपने घर के अत में एक छोटा से अंधेरा कमरा बनाएँ और उसमें सूर्य की रोशनी न आने दें। (5) धार्मिक स्थानों में चावल, गुड़ और चने की दाल भेंट करें। (6) किसी मिट्टी के बर्तन में ‘देशी खांड’ भरें और श्मशान भूमि के पास दफनाएं।