क्या मोरारजी देसाई ने अपनी बेटी से शादी की थी

  1. क्या ब्रह्मा जी ने अपनी बेटी सरस्वती से शादी की थी
  2. मोरारजी देसाई जीवनी
  3. आइशा
  4. मोरारजी देसाई Morarji Ranchhodji Desai,
  5. पुरुषर्षभ: मोहम्मद का अपने बेटे की पत्नी से निकाह
  6. जब मोरारजी देसाई ने कहा था
  7. Fact Check: बेटे की चाहत में बाप ने किया बेटी से निकाह? जानिए वायरल PHOTO का पूरा सच
  8. मोरारजी देसाई
  9. आइशा
  10. क्या ब्रह्मा जी ने अपनी बेटी सरस्वती से शादी की थी


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क्या ब्रह्मा जी ने अपनी बेटी सरस्वती से शादी की थी

बेनामी आपने लिखा की हमारे वेदों को ब्रह्मा और उसमें लिखे ज्ञान को सरस्वती कहा जाता है। ईश्वर यानि की ब्रह्मा ने सबका निर्माण किया है और उससे ज्ञानी कोई नही हो सकता और ज्ञान को ही सरस्वती कहते हैं। आप की बात को निर्विवाद सही मान लेते हैं तो ब्रह्मा जी जिनकी उत्पत्ति विष्णु जी के नाभि से उत्पन्न कमल से हुई वो ब्रह्मा जी वास्तव में कौन हैं और ज्ञान और संगीत की देवी मां सरस्वती वास्तव में कौन है ? सादर इस पर प्रकाश डालें |

मोरारजी देसाई जीवनी

मोरारजी देसाई भारत के स्वाधीनता सेनानी और के छ्ठे प्रधानमंत्री (सन् 1977 से 79) थे। वह प्रथम प्रधानमंत्री थे जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बजाय अन्य दल से थे। वही एकमात्र व्यक्ति हैं जिन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न एवं पाकिस्तान के सर्वोच्च सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित किया गया है। वह 81 वर्ष की आयु में प्रधानमंत्री बने थे। इसके पूर्व कई बार उन्होंने प्रधानमंत्री बनने की कोशिश की परंतु असफल रहे। लेकिन ऐसा नहीं हैं कि मोरारजी प्रधानमंत्री बनने के क़ाबिल नहीं थे। वस्तुत: वह दुर्भाग्यशाली रहे कि वरिष्ठतम नेता होने के बावज़ूद उन्हें पंडित नेहरू और लालबहादुर शास्त्री के निधन के बाद भी प्रधानमंत्री नहीं बनाया गया। मोरारजी देसाई मार्च 1977 में देश के प्रधानमंत्री बने लेकिन प्रधानमंत्री के रूप में इनका कार्यकाल पूर्ण नहीं हो पाया। चौधरी चरण सिंह से मतभेदों के चलते उन्हें प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा। प्रारंभिक जीवन : मोरारजी देसाई का जन्म 29 फ़रवरी 1896 को गुजरात के भदेली नामक स्थान पर हुआ था। उनका संबंध एक ब्राह्मण परिवार से था। उनके पिता रणछोड़जी देसाई भावनगर (सौराष्ट्र) में एक स्कूल अध्यापक थे। वह अवसाद (निराशा एवं खिन्नता) से ग्रस्त रहते थे, अत: उन्होंने कुएं में कूद कर अपनी इहलीला समाप्त कर ली। पिता की मृत्यु के तीसरे दिन मोरारजी देसाई की शादी हुई थी। बचपन से ही युवा मोरारजी ने अपने पिता से सभी परिस्थितियों में कड़ी मेहनत करने एवं सच्चाई के मार्ग पर चलने की सीख ली। उन्होंने सेंट बुसर हाई स्कूल से शिक्षा प्राप्त की एवं अपनी मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्कालीन बंबई प्रांत के विल्सन सिविल सेवा से 1918 में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने बाद उन्होंने बारह वर...

आइशा

अनुक्रम • 1 विवरण • 2 नाम • 3 प्रारंभिक जीवन • 4 मुहम्मद के साथ विवाह • 5 शादी में आयु • 6 उनके संबंध में हदीस • 7 राजनीतिक कैरियर • 8 मृत्यु • 9 इन्हें भी देखें • 10 सन्दर्भ • 11 बाहरी कड़ियाँ विवरण [ ] उनके पिता, अबू बकर., मुहम्मद सल्ललाहु अलैहि व सल्लम के बाद पहला पारंपरिक हदीस के अधिकांश स्रोतों में कहा गया है कि इब्न हिशम के अनुसार आइशा रजी. की शादी छः या सात वर्ष की आयु में मुहम्मद सल्ललाहु अलैहि व सल्लम से हुई थी, और विदाई रुखसती दस वर्ष की उमर में, आधुनिक समय में कई विद्वानों द्वारा इस समयरेखा को चुनौती दी गई और उन्होंने 19 वर्ष की होने की दलीलें दी हैं। शिया का आम तौर पर आइशा रजी. का नकारात्मक विचार है। उन्होंने ऊंट की लड़ाई में अपने खलीफा के दौरान अली रजी. से खलीफा उस्मान के हत्या के बदला लेने के लिए लड़ने उसे अपमानित करने का आरोप लगाया, जब उसने बसरा में अली रजी. की सेना से लड़ा। कुछ शिया का मानना है कि आयशा ने मुहम्मद साहब को विष दिया था ,जिसके कारण उनकी मृत्यु हुई। नाम [ ] आयशा,आइशा और आईशा एक आयशा ,आयेशा, आएशा और आइशा प्रारंभिक जीवन [ ] आइशा रजी. का जन्म 613 के अंत में या 614 के आरंभ में हुआ था। वह उम्म रुमान और मक्का के अबू बकर रजी. की बेटी थीं, मुहम्मद सल्ललाहु अलैहि व सल्लम के सबसे भरोसेमंद साथी थे। आइशा रजी. मुहम्मद सल्ललाहु अलैहि व सल्लम की तीसरी और सबसे छोटी पत्नी थीं। कोई स्रोत आइशा रजी. के बचपन के वर्षों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं देता है। मुहम्मद के साथ विवाह [ ] मुख्य लेख: मुहम्मद सल्ललाहु अलैहि व सल्लम के साथ आइशा रजी. से मेल खाने का विचार ख्वाला बिंत हाकिम ने सुझाया था। इसके बाद, जुबैर इब्न मुतीम के साथ आइशा रजी. के विवाह के संबंध में पिछले सम...

मोरारजी देसाई Morarji Ranchhodji Desai,

मोरारजी देसाई मोरारजी देसाई की जीवनी मोरारीजी देसाई भारत के प्रधानमंत्री बने | इनका कार्यकाल मोरारजी देसाई का प्रारंभिक जीवन ‘मोरारजी देसाई’ का जन्म 29 फ़रवरी 1896 को गुजरात के भदेली नामक स्थान पर हुआ था। उनका संबंध एक ब्राह्मण परिवार से था। उनके पिता का नाम रणछोड़जी देसाई था जो भावनगर (सौराष्ट्र) में एक स्कूल अध्यापक थे एवम बेहद अनुशासन प्रिय थे । बचपन से ही युवा मोरारजी ने अपने पिता से सभी परिस्थितियों में कड़ी मेहनत करने एवं सच्चाई के मार्ग पर चलने की सीख ली। अपने माता-पिता की आठ संतानों में वे सबसे बड़े थे | मोरारजी देसाई की शिक्षा देसाई ने सौराष्ट्र के द कुंडला स्कूल, सवार्कुंदला से अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की जिसे आज जे.व्ही. मोदी स्कूल के नाम से भी जाना जाता है | उन्होंने सेंट बुसर हाई स्कूल से शिक्षा प्राप्त की एवं अपनी मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। बाद में मुबई के विल्सन कॉलेज से ग्रेजुएट होने के बाद वे गुजरात के सिविल सर्विस में शामिल हो गये | मई 1930 में गोदरा के डिप्टी कलेक्टर के पद से उन्होंने इस्तीफा दे दिया | विद्यार्थी जीवन में मोरारजी देसाई एक विवेकशील छात्र थे। 1917 में उन्होंने यूनिवर्सिटी ट्रेनिंग कोर्स में प्रविष्टि पाई। मोरारजी देसाई का वैवाहिक जीवन श्री देसाई ने 1911 में गुजराबेन से शादी की। उनके पांच बच्चों में से एक बेटी और एक बेटा अभी जीवित है। मोरारजी देसाई का राज्यनैतिक सफ़र मोरारजी देसाई ने 1930 में ब्रिटिश सरकार की नौकरी छोड़ दी और स्वतंत्रता संग्राम के सिपाही बन गए। 1932 में मोरारजी देसाई को 2 वर्ष की जेल भुगतनी पड़ी। बाद में वे उस समय वे ऐसे पहले प्रधानमंत्री थे जो भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के बजाय अन्य दल के थे. भारत सरकार के विभिन्न पदो...

पुरुषर्षभ: मोहम्मद का अपने बेटे की पत्नी से निकाह

मोहम्मद का पहला विवाह ४० वर्षीया खंदिजा बिन्त ख्वालिद, जो कि उस से लगभग १५ वर्ष बड़ी थी, हुआ था. इस विवाह के कुछ समय उपरान्त, खंदिजा के एक भतीजे हाकिम ने ज़ायेद नामक एक सेवक भेंट स्वरुप खंदिजा को दिया. ज़ायेद एक इसाई माता पिता की संतान था जो कि सीरिया में रहते थे. एक दिन जब नन्हा ज़ायेद अपनी माँ के साथ यात्रा पर जा रहा था तो अरबी आक्रान्ताओं ने उस का अपहरण कर के उसे गुलामी के लिए बेच दिया था. जब वो एक तरुण ही था तो वो हाकिम के अधिकार में आया. उस का पिता हरिथ उसे ढूँढने के प्रयास कर रहा था. उस के कुछ परिचितों ने, जब वे मक्का में तीर्थ यात्रा पर आये थे, तब ज़ायेद को खंदिजा के यहाँ देखा और इस की सूचना हरिथ को दी. वो अपने पुत्र को मुक्त कराने के लिए आया और इस के लिए एक भारी धन राशि भी ले कर आया. मोहम्मद ने उसे बुलाया और उसे अपनी इच्छा बताने के लिए कहा. ज़ायेद ने कहा, "मैं आपको छोड़ कर कहीं नहीं जाऊंगा. मेरे लिए तो आप ही मेरे माता और पिता हो". उसकी ये स्वामी भक्ति देख कर मोहम्मद ने कहा, "मैं उपस्थित व्यक्तियों के सामने ये घोषणा करता हूँ कि ज़ायेद मेरा पुत्र है. ये मेरा उत्तराधिकारी भी है". ज़ायेद का पिता हरिथ इस संतोष से वापिस चला गया कि उस का पुत्र गुलामी के जीवन से मुक्त हो, एक सामान्य जीवन व्यतीत करेगा. इस के पश्चात् उसे ज़ायेद बिन मोहम्मद (ज़ायेद - मोहम्मद का बेटा) के नाम से जाना जाने लगा. इस समय कोई नहीं जानता था कि कुछ वर्ष पश्चात्, जब मोहम्मद एक नबी के रूप में अपने आप को स्थापित कर लेगा तो इस संबंध का ज़ायेद को भारी मूल्य चुकाना पड़ेगा. मोहम्मद के कहने पर, ज़ायेद ने 'ओम्म अयमन', नामक महिला से निकाह किया. हालाँकि ओम्म अयमन ज़ायेद से दोगुनी आयु की थी, किन्तु मोहम्मद ने उसे आश्वासन दिया ...

जब मोरारजी देसाई ने कहा था

आज देश के चौथे और पहले गैरकांग्रेसी प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई (Morarji Desai) की जन्म जयंती है. आज ही के दिन 1896 में बॉम्बे प्रांत के भदेली गांव में मोरारजी रणछोड़जी देसाई (Morarji Ranchhodji Desai)का जन्म हुआ था. मोरारजी देसाई 1977 से लेकर 1979 तक देश के प्रधानमंत्री रहे. इसके अलावा वो बॉम्बे राज्य के मुख्यमंत्री के पद पर भी रहे. आजादी की लड़ाई से लेकर उसके बाद देश की राजनीति में उन्होंने अपना अहम योगदान निभाया. एक पारंपरिक धार्मिक परिवार से आने वाले मोरारजी देसाई कहा करते थे कि हर आदमी को अपनी जिंदगी में सच्चाई और उसके विश्वास के अनुरूप काम करना चाहिए. ब्रिटिश शासनकाल के दौरान मोरारजी देसाई ने करीब 12 वर्षों तक डिप्टी कलेक्टर का पद संभाला. लेकिन महात्मा गांधी से प्रेरित होकर वो 1930 में आजादी की लड़ाई में कूद पड़े. 1931 में उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ले ली. आजादी के बाद भी उन्होंने देश की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई. वो जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट में गृहमंत्री के पद पर रहे. इसके बाद इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए, वो उपप्रधानमंत्री और वित्तमंत्री रहे. इंदिरा गांधी के लगाए आपातकाल के सबसे मुखर विरोधी रहे मोरारजी देसाई 1969 में जब इंदिरा गांधी ने उनसे वित्तमंत्रालय छीनकर 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया तो उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस (आर्गेनाइजेशन) की स्थापना की, जिसे सिंडिकेट भी कहा गया. मोरारजी देसाई उन बड़े नेताओं में शामिल रहे, जिन्होंने इंदिरा गांधी के लगाए आपातकाल का पुरजोर विरोध किया था. इंदिरा विरोध में एकजुट हुई जनता पार्टी का उन्होंने नेतृत्व किया और 1977 के चुनाव में जब जनता पार्टी ने शानदार बहुम...

Fact Check: बेटे की चाहत में बाप ने किया बेटी से निकाह? जानिए वायरल PHOTO का पूरा सच

क्‍या हो रहा वायरल- फेसबुक पर वायरल हो रही इस फोटो में लिखा गया है, “वाप ने की अपनी ही वेटी के साथ शादी। बेटे की चाहत में 75 साल के बाप ने 15 साल की बेटी से निकाह कर लिया है। अब अपनी ही बेटी लड़का पैदा करेगी, वाह रे तेरा मजहाब।” क्या है सच- हमने गूगल रिवर्स इमेज के जरिए वायरल फोटो को सर्च किया। सर्च रिजल्ट में हमें साल 2017 की कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं, जिनमें यह फोटो लगी हुई थी। उस वक्त, मेनका गांधी ने भी तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से इस बच्ची को वापस लाने के मामले में कार्रवाई करने की मांग की थी। Monsoon in India: मौसम वैज्ञानिकों ने शुक्रवार को कहा कि अरब सागर से उठे चक्रवात बिपरजॉय के कारण उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में रविवार से बारिश के आसार हैं। साथ ही वैज्ञानिकों ने बिपरजॉय के पूर्वी भारत में मानसून को आगे बढ़ाने में मददगार होने की संभावना जताई है। पूर्वी भारत फिलहाल भीषण गर्मी की चपेट में है। Cyclone Biporjoy Effect : चक्रवात बिपारजॉय के गुजरात से राजस्थान की ओर बढ़ने के कारण गुरुवार रात से ही राजस्थान के कई इलाकों में बारिश हो रही है। मौसम विभाग ने 17 जून को बाड़मेर और जोधपुर जिलों के लिए 'रेड अलर्ट' जारी किया है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने दो दिन पहले ही एक समीक्षा बैठक करके चक्रवात बिपारजॉय के प्रभावों से निपटने के लिए सभी तैयारियां पूरी रखने का निर्देश दिया था। ठाणे। महाराष्ट्र के ठाणे जिले में 13 वर्षीय नाबालिग लड़की से कथित तौर पर छेड़छाड़ करने और धर्मांतरण के लिए उसे धमकाने के मामले में 2 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पीड़ित की मां की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत के मुताबिक एक आरोपी ने लड़की को 12 जून को कुछ कपड़े, आभूषण और एक बुरका दि...

मोरारजी देसाई

विषय सूची • 1 जन्म • 2 विद्यार्थी जीवन • 3 व्यावसायिक जीवन • 4 राजनीतिक जीवन • 5 प्रधानमंत्री पद पर • 5.1 सहयोगी दल सरकार • 5.2 उतार चढ़ाव • 6 व्यक्तिव विशेषताएँ • 7 टीका टिप्पणी और संदर्भ • 8 संबंधित लेख जन्म मोरारजी देसाई का जन्म 29 फ़रवरी 1896 को "मेरे पिता ने मुझे जीवन के मूल्यवान पाठ पढ़ाए थे। मुझे उनसे कर्तव्यों का पालन करने की प्रेरणा प्राप्त हुई थी। उन्होंने धर्म पर विश्वास रखने और सभी स्थितियों में समान बने रहने की शिक्षा भी मुझे दी थी।" मोरारजी देसाई की माता मणिबेन क्रोधी स्वभाव की महिला थीं। वह अपने घर की समर्पित मुखिया थीं। रणछोड़जी की मृत्यु के बाद वह अपने नाना के घर अपना परिवार ले गईं। लेकिन इनकी नानी ने इन्हें वहाँ नहीं रहने दिया। वह पुन: अपने पिता के घर पहुँच गईं। विद्यार्थी जीवन मोरारजी देसाई की शिक्षा-दीक्षा "मैं अपने पैसों से फ़िल्म देखना या मनोरंजन करना पसंद नहीं करता। मुझमें कभी ऐसी ख़्वाहिश ही नहीं उठती थी।" बचपन में मोरारजी देसाई को क्रिकेट देखने का भी शौक़ था लेकिन क्रिकेट खेलने का नहीं। व्यावसायिक जीवन मोरारजी देसाई ने मुंबई प्रोविंशल सिविल सर्विस हेतु आवेदन करने का मन बनाया जहाँ सरकार द्वारा सीधी भर्ती की जाती थी। जुलाई राजनीतिक जीवन इसके बाद आत्ममंथन का दौर चला। मोरारजी देसाई ने मोरारजी देसाई एकमात्र ऐसे भारतीय प्रधानमंत्री हैं जिन्हें भारत सरकार की ओर से 'भारत रत्न' तथा पाकिस्तान की ओर से 'तहरीक़-ए-पाकिस्तान' का सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान प्राप्त हुआ है। प्रधानमंत्री पद पर पण्डित जवाहर लाल नेहरू के समय कांग्रेस में जो अनुशासन था, वह उनकी मृत्यु के बाद बिखरने लगा। कई सदस्य स्वयं को पार्टी से बड़ा समझते थे। मोरारजी देसाई भी उनमें से एक थे। श्री इसक...

आइशा

अनुक्रम • 1 विवरण • 2 नाम • 3 प्रारंभिक जीवन • 4 मुहम्मद के साथ विवाह • 5 शादी में आयु • 6 उनके संबंध में हदीस • 7 राजनीतिक कैरियर • 8 मृत्यु • 9 इन्हें भी देखें • 10 सन्दर्भ • 11 बाहरी कड़ियाँ विवरण [ ] उनके पिता, अबू बकर., मुहम्मद सल्ललाहु अलैहि व सल्लम के बाद पहला पारंपरिक हदीस के अधिकांश स्रोतों में कहा गया है कि इब्न हिशम के अनुसार आइशा रजी. की शादी छः या सात वर्ष की आयु में मुहम्मद सल्ललाहु अलैहि व सल्लम से हुई थी, और विदाई रुखसती दस वर्ष की उमर में, आधुनिक समय में कई विद्वानों द्वारा इस समयरेखा को चुनौती दी गई और उन्होंने 19 वर्ष की होने की दलीलें दी हैं। शिया का आम तौर पर आइशा रजी. का नकारात्मक विचार है। उन्होंने ऊंट की लड़ाई में अपने खलीफा के दौरान अली रजी. से खलीफा उस्मान के हत्या के बदला लेने के लिए लड़ने उसे अपमानित करने का आरोप लगाया, जब उसने बसरा में अली रजी. की सेना से लड़ा। कुछ शिया का मानना है कि आयशा ने मुहम्मद साहब को विष दिया था ,जिसके कारण उनकी मृत्यु हुई। नाम [ ] आयशा,आइशा और आईशा एक आयशा ,आयेशा, आएशा और आइशा प्रारंभिक जीवन [ ] आइशा रजी. का जन्म 613 के अंत में या 614 के आरंभ में हुआ था। वह उम्म रुमान और मक्का के अबू बकर रजी. की बेटी थीं, मुहम्मद सल्ललाहु अलैहि व सल्लम के सबसे भरोसेमंद साथी थे। आइशा रजी. मुहम्मद सल्ललाहु अलैहि व सल्लम की तीसरी और सबसे छोटी पत्नी थीं। कोई स्रोत आइशा रजी. के बचपन के वर्षों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं देता है। मुहम्मद के साथ विवाह [ ] मुख्य लेख: मुहम्मद सल्ललाहु अलैहि व सल्लम के साथ आइशा रजी. से मेल खाने का विचार ख्वाला बिंत हाकिम ने सुझाया था। इसके बाद, जुबैर इब्न मुतीम के साथ आइशा रजी. के विवाह के संबंध में पिछले सम...

क्या ब्रह्मा जी ने अपनी बेटी सरस्वती से शादी की थी

बेनामी आपने लिखा की हमारे वेदों को ब्रह्मा और उसमें लिखे ज्ञान को सरस्वती कहा जाता है। ईश्वर यानि की ब्रह्मा ने सबका निर्माण किया है और उससे ज्ञानी कोई नही हो सकता और ज्ञान को ही सरस्वती कहते हैं। आप की बात को निर्विवाद सही मान लेते हैं तो ब्रह्मा जी जिनकी उत्पत्ति विष्णु जी के नाभि से उत्पन्न कमल से हुई वो ब्रह्मा जी वास्तव में कौन हैं और ज्ञान और संगीत की देवी मां सरस्वती वास्तव में कौन है ? सादर इस पर प्रकाश डालें |