Laxmi chalisa pdf

  1. [लक्ष्मी चालीसा] ᐈ Shri Laxmi Chalisa Lyrics In Hindi Pdf & Meaning
  2. श्री लक्ष्मी चालीसा
  3. Chalisa Sangrah
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[लक्ष्मी चालीसा] ᐈ Shri Laxmi Chalisa Lyrics In Hindi Pdf & Meaning

(जय माँ लक्ष्मी) Jai Maa Laxmi. So we posted (लक्ष्‍मी चालीसा) Laxmi Chalisa Hindi lyrics so that who is reading this get all the blessings of Almighty Devi Laxmi. As you all know what Devi Laxmi is all about health, wealth, and prosperity. And may you are wondering what are the benefits of reading Mahalakshmi Chalisa? So the person who reads and recites this Chalisa on a daily basis gets all the miracle benefits that he/she never thought of in their life. And also added some new features like now you can download Shri Laxmi Chalisa Hindi Lyrics in Pdf and mp3 audio. Shri Laxmi Chalisa SuperFast Hindi Lyrics With Meaning ॥ दोहा ॥ मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास। मनोकामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥ ॥ सोरठा ॥ यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करूं। सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका ॥ ॥ चौपाई ॥ सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही। ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि ॥ 1 ॥ तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरबहु आस हमारी ॥ 2॥ जै जै जगत जननि जगदम्बा। सबके तुमही हो स्वलम्बा ॥ 3 ॥ तुम ही हो घट घट के वासी। विनती यही हमारी खासी ॥ 4॥ जग जननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी ॥ 5 ॥ विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी ॥ 6 ॥ केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी ॥ 7 ॥ कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी। जगत जननि विनती सुन मोरी ॥ 8 ॥ ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता ॥ 9 ॥ क्षीर सिंधु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिंधु में पायो ॥ 10 ॥ चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभुहिं बनि दासी ॥ 11 ॥ जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रूप बदल तहं सेवा कीन्हा ॥ 12 ॥ स...

श्री लक्ष्मी चालीसा

लक्ष्मी जी हमारे घर में सुख संपदा शांति और समृद्धि लेकर आती है जो व्यक्ति लक्ष्मी माता की चालीसा रोजाना करता है उसके घर में धन की कभी भी कमी नहीं होती तथा जीवन भर वह सुख तथा समृद्ध बना रहता है. माँ लक्ष्मी जिस व्यक्ति पर अपनी कृपा बना लेती है उसे गरीब से अमीर बना लेती है हालांकि धन को प्राप्त करने मात्र से ही किसी भी व्यक्ति को सुखी नहीं कहा जा सकता जब किसी व्यक्ति के पास अधिक धन आता है तो वह व्यक्ति अहंकारी बन जाता है इसीलिए मां लक्ष्मी ऐसा आशीर्वाद देती है जिससे कि उस व्यक्ति में धन भी रहे तथा वह व्यक्ति सुखी भी रहे आवश्यकता से अधिक धन व्यक्ति को कुसंस्कारी तथा वह धन का दुरुपयोग करने लगता है। लक्ष्मी को सौंदर्य की देवी भी कहा गया है क्योंकि लक्ष्मी माता वहां निवास करती है जहां स्वच्छता तथा प्रसन्नता बनी रहती है लक्ष्मी जी की सवारी उल्लू को कहा जाता है लक्ष्मी चालीसा को प्रतिदिन पढ़ना चाहिए क्योंकि चालीसा को पढ़ने से आपके घर में लक्ष्मी सदा निवास करेगी इसके अलावा लक्ष्मी आरती सभी पाठ जरूर करें। See also RSS 360 Book PDF (Demystifying Rashtriya Swayamsevak Sangh) Chalisa Lyrics in Hindi ।। दोहा ।। मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास। मनोकामना सिद्घ करि, परुवहु मेरी आस॥ ।। सोरठा ।। यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं। सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥ ।। चौपाई ।। सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही। ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही॥ तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥ जय जय जगत जननि जगदम्बा । सबकी तुम ही हो अवलम्बा॥ तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमारी खासी॥ जगजननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥ विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी॥ केहि व...

Chalisa Sangrah

The Hindu God/Goddess Chalisa or Chaleesa symbolize divine rhyme consist of 40 verse to honor that particular God or Goddess. The word “Chalisa” comes from “chalees” in Hindi which means Forty. According to Hindu mythology it’s a belief that recitation of any God/Goddess chalisa on a regular basis with full devotion you can get free from all problems and sufferings. Voidcan.org has made a complete collection of all major God/Goddess chalisa’s sangrah. Chalisa Sangrah (Collection) [themify_col grid=”2-1 first”] • [/themify_col] [themify_col grid=”2-1″] • [/themify_col]

[PDF] Laxmi Chalisa PDF

Title : लक्ष्मी चालीसा No. of pages : 8 File Size : 600 Kb File format : PDF Category : Hinduism / Chalisa Language : Hindi To read : केवल पढ़े: पचीस वर्ष की उम्र के पहले लड़कों की शादी करना तथा 18-19 वर्ष की आयु के पहले लड़कियों की शादी करना उनके साथ बेइंसाफी व पक्षपात करना है। लड़के-लड़की अल्पायु में ही अपनी शक्ति को निर्बल व अशक्त करके शरीर-मन के रोगी तथा पतला व कृश हो जाते हैं। वे गृहस्थी के काम-धंधे तथा पढ़ाई-लिखाई सब में निकम्मे हो जाते हैं। इन जाहिल माता-पिताओं के ख्याल से जीवन का लक्ष्य मानो शादी ही है, जो बचपन से ही लड़के-लड़कियों के गले में टांग या झूला दिया जाना चाहिए। लड़के-लड़की कच्ची अवस्था में ही अपने शरीर-मन से पतित होकर माता-पिता के लिए भी भार स्वरूप हो जाते हैं, तब भी माता-पिता अपनी अयथार्थता या भरम को न स्वीकार करके कहते है 'यह कलयुग है, सब किसी ने पूछा, 'बच्चों की शिक्षा कब से आरम्भ की जाय?' उत्तरदाता ने कहा, 'बच्चों के जन्म से बीस वर्ष पहले से ही।' प्रश्नकर्ता ने कहा, उत्तरदाता ने कहा, 'इसका तात्पर्य है कि बच्चों के जनन व प्रसूति से पहले माता-पिता स्वयं को सदाचारी तथा मानवगुण सम्पन्न बना लें।' सांचा जिस तरह व आकार होता है, उसमें ईंटों का आकार उसी प्रकार होता है। माता-पिता जिस प्रकार होंगे, बच्चों का बहुधा वैसा होना स्वाभाविक है। यद्यपि इसका प्रवाद या लोकवाद भी है, तथापि वालिदैन का असर बच्चों पर पड़ता ही है। वालिदैन के रज-वीर्य का, उनके तक़सीम या चाल-चलन का तथा मानस का प्रभाव औलाद पर अचल पड़ता है। अतएव जो युवक-युवती माता-पिता बनने के लिए विचार कर रहे है या तैयारी करते हो, उन्हें अपनी भविष्य पीढ़ी को सच्चरित्र, सुखी, शांतिप्रद एवं सुसम्पन्न बनाने के लिए पहले स्वयं अप...