लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?

  1. लेखिका के माँ के स्वभाव में कौन सा वाक्य नहीं मिलता?
  2. लेखिका ने अपनी माँ के बारे में क्या बताया है?
  3. लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है? from Hindi मेरे बचपन के दिन Class 9 CBSE
  4. लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है ?
  5. पाठ 7
  6. [SOLVED] लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल
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  10. पाठ 7


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लेखिका के माँ के स्वभाव में कौन सा वाक्य नहीं मिलता?

विषयसूची Show • • • • • • • • लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व कीनिम्नलिखितविशेषताओं का उल्लेख किया है: 1. उन्हें हिंदी तथा संस्कृत का अच्छा ज्ञान था। 2. वे धार्मिक स्वभाव की महिला थीं। 3. वे पूजा-पाठ किया करती थीं तथा ईश्वर में आस्था रखती थीं। 4. लेखिका की माता अच्छे संस्कार वाली महिला थीं तथा वह लिखा भी करती थीं। 565 Views लेखिका उर्दू-फ़ारसी क्यों नहीं सीख पाई? लेखिका की उर्दू-फ़ारसी में बिल्कुल रुचि न होने के कारण वह उससे सीख नही पायीं। इसलिए लेखिका को बचपन में उर्दू पढ़ाने के लिए जब मौलवी रखा गया और वह जब घर में आए तो लेखिका चारपाई के नीचे छिप गई। 690 Views 'मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।' इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि - उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी? उस समय की लड़कियों की दशा बहुत शोचनीय थी। उस समय का समाज पुरुष प्रधान था। पुरुषों को समाज में ऊँचा दर्जा प्राप्त था।उस समय लड़कियों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी।पुरुषों के सामने नारी को अत्यंत हीन दृष्टि से देखा जाता था।प्रायः लड़कियों को जन्म देते ही मार दिया जाता था। उन्हें बोझ समझा जाता था। यदि उनका जन्म हो जाता था तो पूरे घर में मातम छा जाता था।उस समय समाज में बाल-विवाह, दहेज-प्रथा तथा सती-प्रथा जैसी कुरीतियाँ फ़ैली हुई थी।शिक्षा को पाने का अधिकार भी केवल लड़कों को ही था। कुछ उच्च वर्गों की लड़कियाँ ही शिक्षित थी परन्तु उसकी संख्या भी गिनी चुनी थी। ऐसी लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। 620 Views 'मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।' इस कथन के आलोक...

लेखिका ने अपनी माँ के बारे में क्या बताया है?

विषयसूची Show • • • • • लेखिका की उर्दू-फ़ारसी में बिल्कुल रुचि न होने के कारण वह उससे सीख नही पायीं। इसलिए लेखिका को बचपन में उर्दू पढ़ाने के लिए जब मौलवी रखा गया और वह जब घर में आए तो लेखिका चारपाई के नीचे छिप गई। 690 Views 'मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।' इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि - लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं? आज लड़कियों के जन्म के संबंध की स्थितिओ में काफी सुधार हुआ हैं। इसका कारण अपने अधिकारों को पाने के लिए नारी की जागरूकता हैं। आज शिक्षा के माध्यम से लोग सजग हो रहें हैं। लड़का-लड़की का भेदभाव धीरे-धीरे कम हो रहा हैं। आज लड़कियों को लड़कों की तरह पढ़ाया-लिखाया भी जाता है। परंतु लड़कियों के साथ भेदभाव पूरी-तरह समाप्त नहीं हुआ है। आज भी समाज में भ्रूण-हत्याएँ हो रही हैं, इसलिए सरकार कड़े कानून बना रहीं है। परंतु आज भी कुछ परिवारों में नारी की स्वतंत्रता पर प्रश्न चिन्ह है। 425 Views 'मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।' इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि - उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी? उस समय की लड़कियों की दशा बहुत शोचनीय थी। उस समय का समाज पुरुष प्रधान था। पुरुषों को समाज में ऊँचा दर्जा प्राप्त था।उस समय लड़कियों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी।पुरुषों के सामने नारी को अत्यंत हीन दृष्टि से देखा जाता था।प्रायः लड़कियों को जन्म देते ही मार दिया जाता था। उन्हें बोझ समझा जाता था। यदि उनका जन्म हो जाता था तो पूरे घर में मातम छा जाता था।उस समय समाज में बाल-विवाह, दहेज-प्रथा तथा सती-प्रथा जैसी कुरीतियाँ फ़ैली हुई थी।शिक्ष...

लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है? from Hindi मेरे बचपन के दिन Class 9 CBSE

पहले हिंदु और मुस्लिम दो सम्प्रदायों में आज के जैसा भेदभाव नहीं था। हिंदु और मुस्लिम दोनों एक ही देश में प्रेम पूर्वक रहते थे। स्वतंत्रता के पश्चात् हिंदु और मुस्लिम संबन्धों में बदलाव आ गया है। उदाहरण स्वरूप - ज्वारा के नवाब के साथ महादेवी वर्मा के पारिवारिक संबंध सगे-संबंधियों से भी अधिक बढ़कर थे। जवारा की बेगम स्वयं को महादेवी की ताई समझती थी तथा उन्होंने ही इनके भाई का नामकरण भी किया। वे हर त्योहार पर उनके साथ घुलमिल जाती थी। बेगम साहिबा के घर में अवधी बोली जाती थी। परन्तु हिंदी और उर्दू भी चलती थी। पहले वातावरण में जितनी निकटता थी, वह अब सपना हो गई है। ऐसे में आत्मीय संबंधों की आज के समय में कल्पना भी नहीं की जा सकती। उस समय की लड़कियों की दशा बहुत शोचनीय थी। उस समय का समाज पुरुष प्रधान था। पुरुषों को समाज में ऊँचा दर्जा प्राप्त था। उस समय लड़कियों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। पुरुषों के सामने नारी को अत्यंत हीन दृष्टि से देखा जाता था।प्रायः लड़कियों को जन्म देते ही मार दिया जाता था। उन्हें बोझ समझा जाता था। यदि उनका जन्म हो जाता था तो पूरे घर में मातम छा जाता था। उस समय समाज में बाल-विवाह, दहेज-प्रथा तथा सती-प्रथा जैसी कुरीतियाँ फ़ैली हुई थी। शिक्षा को पाने का अधिकार भी केवल लड़कों को ही था। कुछ उच्च वर्गों की लड़कियाँ ही शिक्षित थी परन्तु उसकी संख्या भी गिनी चुनी थी। ऐसी लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। आज लड़कियों के जन्म के संबंध की स्थितिओ में काफी सुधार हुआ हैं। इसका कारण अपने अधिकारों को पाने के लिए नारी की जागरूकता हैं। आज शिक्षा के माध्यम से लोग सजग हो रहें हैं। लड़का-लड़की का भेदभाव धीरे-धीरे कम हो रहा हैं। आज लड़कियों को लड़...

लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है ?

लेखिका की माता अच्छे संस्कारोंवाली एवं धार्मिक स्वभाव की महिला थीं। वे नित्य पूजा-पाठ किया करती थीं। सुबह शाम मीरा के पदों को गाती थीं। प्रभाती भी गाया करती थीं। सुबह-सुबह वे ‘कृपानिधान पंछी बन बोले’ पद गाती थी। लेखिका की माता लिखा भी करती थीं। उनके द्वारा मीरा के पदों को सुनकर लेखिका ने ब्रजभाषा में लिखना प्रारंभ किया। यों लेखिका की माता शिक्षित धार्मिक सरोकारोंवाली, ईश्वर में आस्था रखनेवाली महिला थीं। संस्कृत भाषा भी जानती थीं अतः महादेवीजी को हिन्दी और संस्कृत भाषा का ज्ञान अपनी माता द्वारा प्राप्त हुआ।

पाठ 7

पाठ 7 - मेरे बचपन के दिन प्रश्न अभ्यास प्रश्न 1.'मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।' इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि - (क) उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी ? (ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं ? उत्तर (क) उस समय लड़कियों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। उस समय का समाज पुरुष प्रधान था। पुरुषों को समाज में ऊँचा दर्जा प्राप्त था। पुरुषों के सामने नारी को अत्यंत हीन दृष्टि से देखा जाता था। इसका एक कारण समाज में व्याप्त दहेज-प्रथा भी थी। इसी कारण से लड़कियों के जन्म के समय या तो उसे मार दिया जाता था या तो उन्हें बंद कमरे की चार दीवारी के अंदर कैद करके रखा जाता था। शिक्षा को पाने का अधिकार भी केवल लड़कों को ही था। कुछ उच्च वर्गों की लड़कियाँ ही शिक्षित थी परन्तु उसकी संख्या भी गिनी चुनी थी। ऐसी लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। (ख) आज लड़कियों के जन्म के संबंध में स्थितियाँ थोड़ी बदली हैं। आज शिक्षा के माध्यम से लोग सजग हो रहें हैं। लड़का-लड़की का अंतर धीरे-धीरे हो रहा हैं। आज लड़कियों को लड़कों की तरह पढ़ाया-लिखाया भी जाता है। परंतु लड़कियों के साथ भेदभाव पूरी-तरह समाप्त नहीं हुआ है। आज भ्रूण-हत्याएँ हो रही हैं, इस लिए सरकार कड़े कानून बना रहीं है। प्रश्न 2. लेखिका उर्दू-फ़ारसी क्यों नहीं सीख पाई ? उत्तर लेखिका को बचपन में उर्दू पढने के लिए मौलवी रखा गया परन्तु उनकी इसमें रूचि न होने के कारण वो उर्दू-फारसी नही सीख पायी। प्रश्न 3. लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है ? उत्तर लेखिका की माता अच्छे संस्कार वाली महिला थीं। वे धार्मिक स्व...

[SOLVED] लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल

SOLUTION लेखिका ने अपनी माँ के हिंदी-प्रेम और लेखन-गायन के शौक का वर्णन किया है। वे हिंदी तथा संस्कृत जानती थीं। इसलिए इन दोनों भाषाओं का प्रभाव महादेवी पर भी पड़ा। महादेवी की माता धार्मिक स्वभाव की महिला थीं। वे पूजा-पाठ करती थीं। सवेरे ‘कृपानिधान पंछी बन बोले’ पद गाती थीं। मीरा के पद गाती थीं। वे लिखा भी करती थीं।

लेखिका ने अपनी माँ के बारे में क्या बताया है?

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SOLUTION लेखिका ने अपनी माँ के हिंदी-प्रेम और लेखन-गायन के शौक का वर्णन किया है। वे हिंदी तथा संस्कृत जानती थीं। इसलिए इन दोनों भाषाओं का प्रभाव महादेवी पर भी पड़ा। महादेवी की माता धार्मिक स्वभाव की महिला थीं। वे पूजा-पाठ करती थीं। सवेरे ‘कृपानिधान पंछी बन बोले’ पद गाती थीं। मीरा के पद गाती थीं। वे लिखा भी करती थीं।

लेखिका के माँ के स्वभाव में कौन सा वाक्य नहीं मिलता?

विषयसूची Show • • • • • • • • लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व कीनिम्नलिखितविशेषताओं का उल्लेख किया है: 1. उन्हें हिंदी तथा संस्कृत का अच्छा ज्ञान था। 2. वे धार्मिक स्वभाव की महिला थीं। 3. वे पूजा-पाठ किया करती थीं तथा ईश्वर में आस्था रखती थीं। 4. लेखिका की माता अच्छे संस्कार वाली महिला थीं तथा वह लिखा भी करती थीं। 565 Views लेखिका उर्दू-फ़ारसी क्यों नहीं सीख पाई? लेखिका की उर्दू-फ़ारसी में बिल्कुल रुचि न होने के कारण वह उससे सीख नही पायीं। इसलिए लेखिका को बचपन में उर्दू पढ़ाने के लिए जब मौलवी रखा गया और वह जब घर में आए तो लेखिका चारपाई के नीचे छिप गई। 690 Views 'मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।' इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि - उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी? उस समय की लड़कियों की दशा बहुत शोचनीय थी। उस समय का समाज पुरुष प्रधान था। पुरुषों को समाज में ऊँचा दर्जा प्राप्त था।उस समय लड़कियों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी।पुरुषों के सामने नारी को अत्यंत हीन दृष्टि से देखा जाता था।प्रायः लड़कियों को जन्म देते ही मार दिया जाता था। उन्हें बोझ समझा जाता था। यदि उनका जन्म हो जाता था तो पूरे घर में मातम छा जाता था।उस समय समाज में बाल-विवाह, दहेज-प्रथा तथा सती-प्रथा जैसी कुरीतियाँ फ़ैली हुई थी।शिक्षा को पाने का अधिकार भी केवल लड़कों को ही था। कुछ उच्च वर्गों की लड़कियाँ ही शिक्षित थी परन्तु उसकी संख्या भी गिनी चुनी थी। ऐसी लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। 620 Views 'मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।' इस कथन के आलोक...

पाठ 7

पाठ 7 - मेरे बचपन के दिन प्रश्न अभ्यास प्रश्न 1.'मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।' इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि - (क) उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी ? (ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं ? उत्तर (क) उस समय लड़कियों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। उस समय का समाज पुरुष प्रधान था। पुरुषों को समाज में ऊँचा दर्जा प्राप्त था। पुरुषों के सामने नारी को अत्यंत हीन दृष्टि से देखा जाता था। इसका एक कारण समाज में व्याप्त दहेज-प्रथा भी थी। इसी कारण से लड़कियों के जन्म के समय या तो उसे मार दिया जाता था या तो उन्हें बंद कमरे की चार दीवारी के अंदर कैद करके रखा जाता था। शिक्षा को पाने का अधिकार भी केवल लड़कों को ही था। कुछ उच्च वर्गों की लड़कियाँ ही शिक्षित थी परन्तु उसकी संख्या भी गिनी चुनी थी। ऐसी लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। (ख) आज लड़कियों के जन्म के संबंध में स्थितियाँ थोड़ी बदली हैं। आज शिक्षा के माध्यम से लोग सजग हो रहें हैं। लड़का-लड़की का अंतर धीरे-धीरे हो रहा हैं। आज लड़कियों को लड़कों की तरह पढ़ाया-लिखाया भी जाता है। परंतु लड़कियों के साथ भेदभाव पूरी-तरह समाप्त नहीं हुआ है। आज भ्रूण-हत्याएँ हो रही हैं, इस लिए सरकार कड़े कानून बना रहीं है। प्रश्न 2. लेखिका उर्दू-फ़ारसी क्यों नहीं सीख पाई ? उत्तर लेखिका को बचपन में उर्दू पढने के लिए मौलवी रखा गया परन्तु उनकी इसमें रूचि न होने के कारण वो उर्दू-फारसी नही सीख पायी। प्रश्न 3. लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है ? उत्तर लेखिका की माता अच्छे संस्कार वाली महिला थीं। वे धार्मिक स्व...