लेखक के अनुसार जीवन में सुख से क्या अभिप्राय है

  1. NCERT solutions for Class 9 Hindi
  2. जीवन शैली से क्या अभिप्राय है? – ElegantAnswer.com
  3. लेखक के अनुसार जीवन में सुख से क्या अभिप्राय है? from Hindi उपभोक्तावाद की संस्कृति Class 9 CBSE


Download: लेखक के अनुसार जीवन में सुख से क्या अभिप्राय है
Size: 41.27 MB

NCERT solutions for Class 9 Hindi

धीरे-धीरे सब कुछ बदल रहा है। इस वाक्य में 'बदल रहा है' क्रिया है। यह क्रिया कैसे हो रही है -धीरे-धीरे। अत: यहॉँ धीरे-धीरे क्रिया-विशेषण है। जो शब्द क्रिया की विशेषता बताते हैं, क्रिया-विशेषण कहलाते हैं। जहाँ वाक्य में हमें पता चलता है क्रिया कैसे, कब, कितनी और कहाँ हो रही है, वहाँ वह शब्द क्रिया-विशेषण कहलाता है। (क)ऊपर दिए गए उदाहरण को ध्यान में रखते हुए क्रिया-विशेषण से युक्त लगभग पाँच वाक्य पाठ में से छाँटकर लिखिए। (ख) धीरे - धीरे , ज़ोर से , लगातार , हमेशा , आजकल , कम , ज़्यादा , यहाँ , उधर , बाहर- इन क्रिया-विशेषण शब्दों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए। (ग)नीचे दिए गए वाक्यों में से क्रिया-विशेषण और विशेषण शब्द छाँटकर अलग लिखिए- वाक्य क्रिया-विशेषण विशेषण 1. कल रात से निरंतर बारिश हो रही है। 2. पेड़ पर लगे पके आम देखकर बच्चों के मुँह में पानी आ गया। 3. रसोईघर से आती पुलाव की हलकी खुशबू से मुझे ज़ोरों की भूख लग आई। 4. उतना ही खाओ जितनी भूख है। 5. विलासिता की वस्तुओं से आजकल बाज़ार भरा पड़ा है। Shaalaa.com has the CBSE Mathematics Class 9 Hindi - Kshitij Part 1 CBSE solutions in a manner that help students grasp basic concepts better and faster. The detailed, step-by-step solutions will help you understand the concepts better and clarify any confusion. Further, we at Shaalaa.com provide such solutions so students can prepare for written exams. NCERT textbook solutions can be a core help for self-study and provide excellent self-help guidance for students. Concepts covered in Using NCERT Class 9 Hindi - Kshitij Part 1 solutions उपभोक्तावाद की संस्कृति exercise by students i...

जीवन शैली से क्या अभिप्राय है? – ElegantAnswer.com

इसे सुनेंरोकेंप्रदीप कुमार भी आधुनिक जीवन शैली को अस्वस्थता का प्रमुख कारण मानते हैं। कहते हैं देर रात तक जागना और देर तक सोना भी अपने आप में बीमारी के लक्षण पैदा करते हैं। आधुनिक जीवन शैली ने लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाला है। कम मेहनत और चिकनाई युक्त भोजन लोगों को अस्वस्थ बना दे रहा है। सकारात्मक जीवन शैली की आवश्यकता क्यों है? इसे सुनेंरोकेंशारीरिक रूप से सक्रिय रहने से कई स्वास्थ्य समस्याएं प्रबंधित होती है और तनाव, अवसाद और दर्द को कम करके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। नियमित व्यायाम चयापचय सिंड्रोम, आघात, उच्च रक्तचाप, गठिया और व्याकुलता को रोकने में मदद करता है। जीवन शैली में बदलाव कैसे लाएं? इसे सुनेंरोकेंपर्याप्त निंद्रा: पर्याप्त मात्रा में सोना भी स्वास्थ्य जीवन शैली का एक मुख्य अंग है, विशेषता इससे चित्रवृति मिज़ाज (MOOD) और मनोदशा पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। चोट से बचाय: स्वस्थ्य जीवन शैली को बनाए रखने से घातक दुर्घटनाओं के कारण होने वाली चोटो से बचाव किया जा सकता है। नई जीवन शैली की क्या विशेषता है class 9? इसे सुनेंरोकेंपाठ 3 – उपभोक्तावाद की संस्कृति Extra Questions क्षितिज़ Class 9th हिंदी आप यह भूल जाते हैं कि जाने-अनजाने आज के माहौल में आपका चरित्र भी बदल रहा है और आप उत्पाद को समर्पित होते जा रहे हैं। (क) लेखक के अनुसार, नयी जीवन-शैली अपनाने से क्या हुआ है? (ख) उपभोक्तावाद के दर्शन के कारण हमारी जीवन-शैली में कैसा बदलाव आया है? आधुनिक जीवन आवश्यकताओं में वृद्धि अशांति क्या करे? आवश्यकताओं में वृद्धि. अशांति. क्या करें​ – Brainly.in….अपने जीवन में इस अशांति को खत्म करने के लिए हम लोग निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं: • हम लोग प्रतिदिन योग और व्याय...

लेखक के अनुसार जीवन में सुख से क्या अभिप्राय है? from Hindi उपभोक्तावाद की संस्कृति Class 9 CBSE

आज की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे दैनिक जीवन को पूरी तरह प्रभावित कर रही है। आजकल उपभोक्तावादी संस्कृति के प्रचार-प्रसार के कारण हमारी अपनी सांस्कृतिक पहचान, परम्पराएँ, आस्थाएँ घटती जा रही है। सामाजिक दृष्टिकोण से यह एक बड़ा खतरा है। मन में अशांति एवं आक्रोश बढ़ रहे हैं। उपभोक्तावादी संस्कृति के कारण हम धीरे-धीरे उपभोगों के दास बनते जा रहे हैं। सारी मर्यादाएँ और नैतिकताएँ समाप्त होती जा रही हैं तथा मनुष्य स्वार्थ-केन्द्रित होता जा रहा है। विकास का लक्ष्य हमसे दूर होता जा रहा है। हम लक्ष्यहीन हो रहें हैं।आज हर तंत्र पर विज्ञापन हावी है, परिणामत: हम वही खाते-पीते और पहनते-ओढ़ते हैं जो आज के विज्ञापन हमें कहते हैं। उपभोक्ता संस्कृति से हमारी सांस्कृतिक अस्मिता का ह्रास हो रहा है। गाँधी जी सामाजिक मर्यादाओं और नैतिकता के पक्षधर थें। गाँधी जी चाहते थे कि लोग सदाचारी, संयमी और नैतिक बनें, ताकि लोगों में परस्पर प्रेम, भाईचारा और अन्य सामाजिक सरोकार बढ़े। लेकिन उपभोक्तावादी संस्कृति इन सबके विपरीत चलती है। वह भोग को बढ़ावा देती है जिसके कारण नैतिकता तथा मर्यादा का ह्रास होता है। गाँधी जी चाहते थें कि हम भारतीय अपनी बुनियाद और अपनी संस्कृति पर कायम रहें। उपभोक्ता संस्कृति से हमारी सांस्कृतिक अस्मिता का ह्रास हो रहा है। उपभोक्ता संस्कृति से प्रभावित होकर मनुष्य स्वार्थ-केन्द्रित होता जा रहा है। भविष्य के लिए यह एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि यह बदलाव हमें सामाजिक पतन की ओर अग्रसर कर रहा है उपभोक्तावाद के बढ़ते प्रभाव ने मनुष्य को सुविधाभोगी बना दिया। परंतु आज सुख-सुविधा का दायरा बढ़कर, समाज में प्रतिष्ठा बढ़ाने का साधन बन गया है। सामाजिक प्रतिष्ठा विभिन्न प्रकार की होती है जिनके कई रूप तो बि...