लक्ष्मी जी गणेश जी के किस तरफ बैठती हैं

  1. भोजपुरी में पढ़ें
  2. लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी का पूजन क्यों होता है?
  3. Ma Lakshmi Pooja Friday Significance Behind Chanting 11 Names
  4. LAKSHMI JI KE SATH GANESH JI KI POOJA KYUN KI JATI HAI
  5. किस दिशा में रखें लक्ष्मी
  6. लक्ष्मी जी के साथ क्यों पूजे जाते हैं गणेश और क्यों मां लक्ष्मी विराजती, भगवान गणेश के दाहिनी ओर
  7. गणेश जी की मूर्ति कहां लगानी चाहिए: जाने गणपति को घर में कैसे रखें
  8. Lakshmi Ganesh Puja: माता लक्ष्मी के साथ क्यों होती गणेश जी की पूजा? पढ़ें यह पौराणिक कथा


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भोजपुरी में पढ़ें

लक्ष्मी- गणेश के एक संगे पूजा के दू गो बड़ा पवित्र पौराणिक कथा बाड़ी सन. पहिलकी कथा- जब समुद्र मंथन होत रहे त ओमें से लक्ष्मी जी प्रकट भइली. सब देवता लोगन के राय के मुताबिक भगवान विष्णु के लक्ष्मी जी से बियाह भइल. बियाह का बाद लक्ष्मी जी अपना अजर- अमर अथाह धन के देखरेख आ लेनदेन के जिम्मेदारी कुबेर के दे दिहली. कुबेर बहुते उदार रहले. ऊ केहू के धन दे देसु, देबे योग्य होखे भा ना होखे. ई देखि के लक्ष्मी जी चिंतित भइली. तब भगवान विष्णु कहले कि अपना धन के वितरण के जिम्मा गणेश जी के दे द. तूं गणेश जी के पुत्र मान ल. गणेश जी श्रेष्ठतम बुद्धि वाला हउवन. लक्ष्मी जी के ई बिचार पसंद परल. ऊ कुबेर से कहली कि तूं अब धन के रखवाली करब, गणेश जी के छोड़ि के केहू के ओह धन के लेबे- देबे के अधिकार ना रही. लक्ष्मी जी गणेश जी के दत्तक पु्त्र बना लिहली. कुबेर खाली रखवाली करे वाला बनि गइले. गणेश जी के धन व्यवस्था हर जगह बहुत बढ़िया हो गइल. जे परिश्रम करे, जे अच्छा कर्म करे ओकरे लगे धन जाउ. अब एइजा एगो ध्यान देबे वाला बात बा. लक्ष्मी जी का लगे जौना संपत्ति के बात होला ऊ खाली भौतिक संपत्ति ना ह. लक्ष्मी जी का लगे संसार के भौतिक, सूक्ष्म आ आध्यात्मिक संपत्ति बा. उनका लगे अथाह बुद्धि- विचार, अथाह आध्यात्मिकता के खजाना बा. जब गणेश जी धन के सुंदर व्यवस्था क दिहले त विष्णु जी उनका के आसिरबाद दिहले कि संसार में जहां तोहार पूजा होई ओइजा तोहरा माता लक्ष्मी जी के भी पूजा होई. त कौनो काम शुरू भइला पर पहिले गणेश जी के पूजा होला. दीपावली में लक्ष्मी- गणेश के मूर्ति पूजा के बिधान बा. जहां खाली गणेश जी के पूजा होला ओइजा द्रव्य- रुपया पइसा के रूप में लक्ष्मी जी जरूर उपस्थित रहेली. दूनो लोग एक संगे पुजाला. दोसरकी कथ...

लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी का पूजन क्यों होता है?

Laxmi Ganesh Relation in Hindi ( Lakshmi Ji Ke Saath Ganesh Ji Ka Poojan Kyon Hota Hain ) – सांसारिक समृद्धि के साथ सुख और शान्ति के लिए शास्त्रों में लक्ष्मी को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना सबसे महत्वपूर्ण है. लक्ष्मी का भौतिक जीवन में शांति और समृद्धि के साथ ऐसा सम्बन्ध है कि परिवार में आने वाली बहू को गृहलक्ष्मी का नाम दिया जाता है. मान्यता है जहाँ गृहलक्ष्मी प्रसन्न है उस परिवार में सब प्रसन्न रहते है. विश्वास किया जाता है “ यत्र नारी पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता” जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवता वास करते हैं. प्रत्येक संसारी की या स्वाभाविक इच्छा होती है कि वह जीवन में सुख एवं समृद्धि प्राप्त करें. इसके लिए वह अनेक प्रकार के प्रयास करता है किन्तु सफलता केवल विरलों को ही मिलती हैं. जिन्हें मिलती है वो वे इसे ईश्वर की कृपा मानते है और जिन्हें नहीं मिलती वे इसके लिए भाग्य को दोषी ठहराते है परन्तु क्या उन्होंने यह कभी सोचा है कि जीवन में सुख एवं समृद्धि के लिए ईश्वरीय कृपा के साथ-साथ स्वयं के प्रयत्न भी आवश्यक हैं. जिस प्रकार बिना तत्वों के सही अनुपात के कोई भी यौगिक नहीं बन सकता, उसी प्रकार ईश्वरीय कृपा प्राप्त करने के लिए और सुख एवं समृद्धि प्राप्त करने के लिए नियमपूर्वक विधि-विधान के साथ नियमपूर्वक लक्ष्मी का पूजन करना पड़ता है. उचित साधनों का प्रयोग किये बिना लक्ष्मी या धन प्राप्ति सम्भव नहीं. धन और वैभव प्राप्त करने के लिए उचित देवताओं का उचित ढंग से उचित समय तक आह्वान करना पड़ता है. इसके लिए शास्त्र सम्मत पूजन विधान है. लक्ष्मी की पूजा किस प्रकार से हो, इसे लेकर अलग-अलग विचार है. सबसे अधिक मान्यता जिस विचार को प्राप्त है वह यह है कि लक्ष्मी की पूजा गणेश के...

Ma Lakshmi Pooja Friday Significance Behind Chanting 11 Names

देवी लक्ष्मी जी को हिन्दू धर्म में विशेष महत्वता दी गयी है। यह गणेश भगवन की अर्धांग्नी हैं और साथ ही धन शौर्य और विलासता की देवी है। जिस व्यक्ति के ऊपर लक्ष्मी जी का हाथ होता है। उसको जीवन में कभी भी धन के अभाव से कष्ट कठिनाईया नहीं झेलनी पड़ती। कहा जाता है की धन की देवी को प्रसन करने से शांति और समृद्धि के भगवान् गणेश तथा गणपति जी भी घर में वास कर लेते है। गणेश जी के घर या जीवन में वास करने से बुद्धि और समृद्धि दोनों ही व्यक्ति के सहभागी बन जाते है। तथा ज्ञान की देवी सरस्वती भी उसके ऊपर उपकार करने में समय व्यर्ध नहीं करती। तो लक्ष्मी जी की पूजा यदि सुबह शाम सही और लिखित विधियों के अनुसार करी जाये तो लक्ष्मी जी, गणपति जी और सरस्वती जी तीनो व्यक्ति के जीवन में वास करके उसके जीवन को परिपूर्ण बना कर समाज में एक योग्य स्थान दिलवा देते है। जहा लक्ष्मी जी को प्रसन करने के लिए जरुरी है, की घर में सुख, शांति , सहमति और प्रेम का आवागमन बना रहे वही जरुरी है की कुछ पौराणिक कथाओं और विधियों को ध्यान में रखते हुए विधि विधान द्वारा लक्ष्मी जी की पूजा पाठ निष्ठा से करी जाए। यहाँ कुछ ऐसे ही 11 नामों का उल्लेख है जिन्हे यदि आप अपने जीवन की कार्यशैली में उतार लेंगे और नियमानुसार प्रतिदिन इनका उच्चारण लक्ष्मी जी को ध्यान में रखते हुए करेगें तो लक्ष्मी जी की कृपा को आपके भाग्य में उतरने से स्वयं आपका भाग्य भी नहीं रोक सकता। वैसे तो कहा जाता है की यह 11 नाम गुरूवार और शुक्रवार को जपने से लक्ष्मी जी अत्यंत प्रसन होती हैं। किन्तु यह जाप बाकी दिन करने से भी कोई हानि नहीं होती। यहाँ जरुरी यह बात जानना है की यह मंत्र नियमानुसार कार्य निष्ठां और साफ़ मन से करे जाये। तथा यदि आप पूजा या अर्चना करते समय ...

LAKSHMI JI KE SATH GANESH JI KI POOJA KYUN KI JATI HAI

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है. इस दिन मां लक्ष्मी जी के साथ धन के देवता कुबेर जी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है. इस दिन भगवान श्री राम 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापस आए थे, तो अयोध्या वासियों ने नगर को दीपों से सजाया था. दिवाली पर लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा क्यों की जाती है गणेश जी रिद्धि- सिद्धि और बुद्धि के देवता हैं. गणेश जी की पत्नियां रिद्धि-सिद्धि हैं और दो पुत्र शुभ- लाभ है. मां लक्ष्मी धन-संपत्ति की देवी हैं. माना जाता है मां लक्ष्मी उसी के पास टिकती है जिसके पास बुद्धि होती है . इसीलिए लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा करने का विधान है. एक पौराणिक कथा एक पौराणिक कथा के अनुसार लक्ष्मी जी को एक बार धन की देवी होने का अभिमान हो गया . विष्णु जी ने उनके अभिमान को दूर करने के लिए कहा कि, "स्त्री तब तक पूर्ण नहीं होती जब तक मां नहीं बन जाए". लक्ष्मी जी का कोई भी पुत्र नहीं था. इसलिए वह माताजी लक्ष्मी बहुत प्रसन्न हुई. उन्होंने कहा कि सुख- समृद्धि के लिए अब से पहले गणेश जी की पूजा करनी पड़ेगी, फिर मेरी पूजा संपन्न होगी . मान्यता है इसी कारण लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा की जाती है . लक्ष्मी जी धन की देवी है और गणेश जी विवेक के देवता है. बिना विवेक के धन किसी के पास ज्यादा समय तक टिक नहीं सकता .लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी का पूजन करते समय गणेश जी को सदा लक्ष्मी जी के बाई और रखना चाहिए तभी पूजा का पूर्ण फल मिलता है. ALSO READ

किस दिशा में रखें लक्ष्मी

लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा की चर्चा हो रही है तो यदि आप गौर करें तो पाएंगे कि गणेश जी बुद्धि-विवेक के देवता हैं और धन-वैभव की देवी लक्ष्मी जी चंचला हैं जो आसानी से कहीं ठहरती नहीं हैं। अपने अंदर की चंचलता को हम अपनी बुद्धि-विवेक से बेहतर तरीके से संचालित कर सकते हैं, इसीलिए बुद्धि का धन-वैभव के साथ रहना बहुत जरूरी है। यह इस बात को भी दर्शाता है कि जहां गणेश जी की पूजा होगी, वहां लक्ष्मी जी भी वास करेंगी। यह बहुत ज़रूरी है कि आप पूजा कमरे में लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति का मुंह शास्त्र-सम्मत तरीके से सही दिशा में लगायें, इससे आपके घर में खुशहाली और वैभव की वृद्धि होगी। वास्तुशास्त्र के अनुसार, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति का मुंह उत्तर दिशा में होना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भोले बाबा जो भगवान गणेश के पिता हैं, उनका स्थान उत्तर दिशा में होता है, वैसे आप इन्हें उत्तर-पूर्व दिशा में भी रख सकती हैं। चूँकि हिंदू धर्म में पूजा करने की पद्धतियां तर्कपूर्ण विज्ञान पर आधारित हैं, इसलिए घर में देवी-देवताओं की मूर्तियों को रखने के नियम भी बहुत अर्थपूर्ण तर्कों पर आधारित हैं। बहुत से लोग सोचते हैं कि लक्ष्मी जी का स्वरूप स्त्री का है और स्त्रियां पूजा-पाठ जैसे शुभ कार्यों में बायीं तरफ बैठती हैं, परंतु आप यह जान लीजिए कि ऐसा हर स्त्री के लिए नहीं होता बल्कि शुभ कार्यों में सिर्फ पत्नी को ही पति के वामाङ्ग यानी बायीं तरफ बैठाया जाता है। आप ये बात समझ लें कि मूर्तियों को गलत तरीके से रखने पर भगवान किसी को खुद गलत परिणाम या सज़ा नहीं देते क्योंकि प्रभु तो दयालु हैं, वो हमेशा दया और क्षमा ही करते हैं परंतु हर क्रिया पर स्वाभाविक प्रतिक्रिया का जो इस प्रकृति का नियम है वो हमेशा ही सक्रीय रहता है, ...

लक्ष्मी जी के साथ क्यों पूजे जाते हैं गणेश और क्यों मां लक्ष्मी विराजती, भगवान गणेश के दाहिनी ओर

हर साल कार्तिक मास में अमावस्या तिथि को दीवाली का पर्व मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार दीवाली 04 नवंबर 2021 दिन गुरुवार को मनाई जाएगी। इस दिन रात्रि में दिवाली पर लक्ष्मी गणेश का पूजन किया जाता है यह तो सर्वविदित है। आपने अब तक देखा होगा कि सभी देवों को उनकी देवियों के साथ पूजा जाता है लेकिन क्या आपको पता है कि मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु के अलावा गणेश जी का पूजन क्यों किया जाता है और मां लक्ष्मी की प्रतिमा सदैव गणेश जी के दाहिनी ओर क्यों रखी जाती है। तो चलिए जानते हैं कि लक्ष्मी जी के साथ क्यों किया जाता है गणेश जी का पूजन और क्यों लक्ष्मी विराजती हैं गणेश के दाहिनी ओर। इसलिए की जाती है लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां लक्ष्मी धन के देवी हैं। उन्हीं की कृपा से संसार के मनुष्यों को धन-दौलत की प्राप्ति होती है, लेकिन मां लक्ष्मी की उत्पत्ति जल से होने के कारण वे एक स्थान पर नहीं ठहरती हैं। लक्ष्मी जी को संभालने के लिए बुद्धि की आवश्यकता होती है और गणेश जी को बुद्धि के देवता कहा गया है, इसलिए लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी का पूजन किया जाता है। कहा जाता है कि यदि मनुष्य को अधिक लक्ष्मी यानी अत्यधिक धन की प्राप्ति हो जाए तो वह चकाचौंध में खो जाता है ऐसे में वह बुद्धि से काम ले इसलिए लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी का पूजन करना आवश्यक होता है। क्यों गणेश जी के दाहिनी ओर विराजती हैं मां लक्ष्मी पौराणिक कथा के अनुसार एक बार लक्ष्मी जी को स्वयं पर अभिमान हो गया कि धन प्राप्ति के लिए सारा संसार उनकी पूजा करता है और उन्हें पाने के लिए लालायित रहता है। भगवान विष्णु उनकी यह भावना को ज्ञात हो गई। मां लक्ष्मी का अंहकार दूर करने हेतु भगवान विष्णु ...

गणेश जी की मूर्ति कहां लगानी चाहिए: जाने गणपति को घर में कैसे रखें

Register Now NoBroker Forum: A Great Place to Discuss & Ask Questions About Anything Related to Real Estate - Residential and Commercial Rent, Home Rental Agreements, Movers and Packers Cost Estimates, Furniture Rentals, Home Cleaning & Painting Services, Sale Agreements and Legal Queries related to Buying and Selling of Homes. मेरा मानना है की गणेश प्रतिमा को अपने घर में लाकर आप सुख-समृद्धि ला सकते हैं। सभी भारतीयों द्वारा, गणेश जी को अत्यंत भाग्यशाली माना जाता है। मेरी दादी कहती थी की स्वास्थ्य और धन के संरक्षक देवता हैं। इसलिए प्रत्येक भारतीय अन्य सभी देवताओं से पहले उसकी पूजा करता है। सभी भारतीय उनके सम्मान में ऐसा करके किसी भी आयोजन की शुरुआत का जश्न मनाते हैं। भगवान गणेश की मूर्ति आपको स्वास्थ्य, धन, आंतरिक शांति और आपके घर में बाधाओं को दूर करने वाली है अगर इसे ठीक से रखा जाए। इसलिए ये बेहद ज़रूरी है की आपको पता हो की गणेश जी की मूर्ति कहां लगानी चाहिए (ganesh ji ki murti kaha rakhe). आइये मैं आपको बताता हूँ की मेरे पंडित जी ने उस बारे में मुझे क्या समझाया था। NoBroker के पेशेवर इंटीरियर डिजाइनरों की मदद से अपने घर के इंटीरियर को वास्तु के अनुसार डिजाइन करवाएं। गणेश जी की फोटो कहां लगाएं (ganesh ji ki photo kaha lagaye ) ? यदि आप भगवान गणेश की मूर्ति को उत्तर-पूर्व, उत्तर या पश्चिम दिशा में रखते हैं तो आपके घर में ऊर्जा तुरंत बदल जाएगी। अपने घर में बुरी ऊर्जा को प्रवेश करने से रोकने के लिए, मूर्ति को लिविंग रूम में रखें। लिविंग रूम में मूर्ति होने से घर में शांति बनी रहती है। वह ज्ञान के देवता हैं और आपको अधिक प्रभावी ढंग से ध्यान केंद्रित करने में मदद करेंगे, इस प्र...

Lakshmi Ganesh Puja: माता लक्ष्मी के साथ क्यों होती गणेश जी की पूजा? पढ़ें यह पौराणिक कथा

Lakshmi Ganesh Puja: आप सभी को पता है कि किसी भी शुभ कार्य के लिए सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. सबसे पहले उनको ही आमंत्रित किया जाता है. क्या आपको पता है कि धन और वैभव की देवी माता लक्ष्मी (Mata Lakshmi) के साथ गणेश जी (Lord Ganesha) की पूजा क्यों होती है? शास्त्रों में कहा गया है कि जहां पर बुद्धि होता है, ज्ञान होता है, वहीं पर लक्ष्मी यानी धन का सही उपयोग होता है. गणेश जी ज्ञान और बुद्धि के भंडार हैं और माता लक्ष्मी धन-धान्य देने वाली. गणेश जी और लक्ष्मी जी की साथ पूजा करने के बारे में अलग-अलग पौराणिक कथाएं और कारण हैं. आज आपको इससे जुड़ी एक कथा के बारे में बताते हैं. एक समय की बात है. माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु बैठे हुए थे. माता लक्ष्मी को इस बात का अभिमान हो गया कि पूरी सृष्टि धन-धान्य के लिए उनकी ही पूजा करती है. भगवान विष्णु तो अंतर्यामी हैं. वे लक्ष्मी जी के मन की बात समझ गए और उनके अभिमान को तोड़ने के लिए कहा कि वे धन-धान्य, वैभव, समृद्धि, संपदा आदि से परिपूर्ण हैं, लेकिन एक स्त्री होते हुए अपूर्ण हैं. यह बात सुनकर लक्ष्मी जी हैरत में पड़ गईं और उनको दुख भी हुआ कि प्रभु श्रीहरि ऐसा कह रहे हैं. उन्होंने उनसे पूछा कि वे अपूर्ण क्यों हैं? इस पर भगवान विष्णु ने कहा कि आपकी कोई संतान नहीं है. कोई स्त्री तभी पूर्ण होती है, जब उसे मातृत्व सुख मिलता है. यह बात सुनकर वह काफी दुखी हो गईं. एक दिन उन्होंने माता पार्वती से अपने मन की व्यथा कही. साथ ही उन्होंने माता पार्वती से निवेदन किया कि उनके तो दो पुत्र कार्तिकेय एवं गणेश हैं. उनमें से वे उन्हें गणेश जी को पुत्र रुप में गोद लेने की अनुमति दें. माता पार्वती लक्ष्मी जी को मना न कर सकीं. माता लक्ष्मी ने गणेश जी को ग...