लक्ष्मी पूजा कब है

  1. Yogini Ekadashi 2023: आज है योगिनी एकादशी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत का महत्व
  2. Kojagiri Purnima 2020: कब है कोजीगिरी पूर्णिमा? जानें व्रत,पूजा विधान, महत्व और पारंपरिक कथा
  3. लक्ष्मी पूजा पर 10 वाक्य
  4. Lakshmi Puja kab hai 2022
  5. Kojagari Laxami Puja 2020 Date: कब है कोजागरी लक्ष्मी पूजा? जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
  6. लक्ष्मी
  7. Sharad Purnima 2022: कब है शरद पूर्णिमा? इस दिन पूजा करने से मिलता है मां लक्ष्मी का आशीर्वाद


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Yogini Ekadashi 2023: आज है योगिनी एकादशी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत का महत्व

डीएनए हिंदीः प्रत्येक माह की कृष्ण और शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि (Yogini Ekadashi 2023) का विशेष धार्मिक महत्व होता है. एकादशी तिथि का व्रत (Ekadashi Vrat 2023) पर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है. जून महीने में पंचांग के आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि (Yogini Ekadashi 2023) आने वाली है. आषाढ़ माह कृष्ण पक्ष एकादशी योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi 2023) के रूप में मनाई जाती है. योगिनी एकादशी व्रत करने से समस्त पापों का अंत होता है. तो चलिए योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi 2023) व्रत की तिथि, पूजा विधि और महत्व के बारे में बताते हैं. योगिनी एकादशी व्रत 2023 (Yogini Ekadashi 2023 Date) आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि की शुरुआत 13 जून को सुबह 9 बजकर 28 मिनट पर होगी जिसका समापन अगले दिन 14 जून को सुबह 8 बजकर 48 मिनट पर होगा. पंचांग में तिथि के लिएसूर्य उदय तिथि को महत्व दिया जाता है. ऐसे में एकादशी व्रत 14 जून को रखा जाएगा. एकादशी व्रत करने से कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति को लाभ होता है. यह व्रत करने से उसके रोग जल्द ही ठीक हो जाते हैं. एकादशी व्रत से सुखों की प्राप्ति होती है और श्रीहरि की कृपा मिलती है. योगिनी एकादशी के दिन लाल रंग के आसन के चारों कोनो पर एकमुखी दीपक जला दें. इसके बाद आसन पर बैठकर संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ करें. यह उपाय करने से जल्द ही नौकरी के योग बनते हैं. (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में

Kojagiri Purnima 2020: कब है कोजीगिरी पूर्णिमा? जानें व्रत,पूजा विधान, महत्व और पारंपरिक कथा

Kojagiri Purnima 2020: कब है कोजीगिरी पूर्णिमा? जानें व्रत,पूजा विधान, महत्व और पारंपरिक कथा कोजागरी पूर्णिमा का सनातन धर्म में खास महत्व माना जाता है. कोजागरी पूर्णिमा को ही शरद पूर्णिमा, रास पूर्णिमा, कौमुदी पूर्णिमा इत्यादि के नाम से भी जाना जाता है. ज्योतिषियों के अनुसार साल भर में जितनी भी पूर्णिमा की तिथियां होती हैं, उनमें कोजागरी पूर्णिमा का सबसे ज्यादा महत्व होता है. पूर्णिमा की इस तिथि से जुड़ी कई मान्यताएं और कथाएं प्रचलित हैं. Kojagiri Purnima 2020: कोजागरी पूर्णिमा (Kojagiri Purnima) का सनातन धर्म में खास महत्व माना जाता है. कोजागरी पूर्णिमा को ही शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima), रास पूर्णिमा (Raas Purnima), कौमुदी पूर्णिमा (Kaumudi Purnima) इत्यादि के नाम से भी जाना जाता है. ज्योतिषियों के अनुसार साल भर में जितनी भी पूर्णिमा की तिथियां होती हैं, उनमें कोजागरी पूर्णिमा का सबसे ज्यादा महत्व होता है. इस दिन को लेकर तमाम तरह की मान्यताएं एवं किंवदंतिया प्रचलित हैं. यह पर्व अश्विन मास के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा के दिन आता है. इस पूर्णिमा को कौमुदी उत्सव इसलिए कहते हैं, क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) ने अपनी माया से तमाम रूप धर कर गोपियों के साथ नृत्य किया था. इसके अलावा मान्यता है कि इस उत्सव को शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, जब चंद्रमा अपनी अपनी सोलह कलाओं से युक्त होता है. इस रात आसमान के नीचे खीर रखे जाने की परंपरा भी है. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात अमृत की वर्षा होती है. अमृत की कुछ बूंदे खीर में भी गिरती हैं, अगले दिन प्रातःकाल उसी खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 30 अक्टूबर को कोजागरी ...

लक्ष्मी पूजा पर 10 वाक्य

हिन्दू धर्म में माता लक्ष्मी को धन और सुख-समृद्धि की देवी कहा जाता है और उनकी पूजा करने से व्यक्ति के सभी कष्ट तथा दरिद्रता समाप्त हो जाती है। लक्ष्मी पूजा के पर्व पर लोग अपने घरों को साफ करते हैं तथा दीप, रंगोली व झालरों से सजाते हैं। लक्ष्मी पूजा( Lakshmi Pooja) दिवाली पर्व का एक प्रमुख हिस्सा भी है। लक्ष्मी पूजा पर 10 लाइन (Ten Lines on Lakshmi Pooja in Hindi) आज हम इन 10 लाइनों के सेट से भगवान विष्णु की पत्नी और धन की देवी माता लक्ष्मी कि की जाने वाली पूजा के बारे में जानेंगे। Lakshmi Pooja par 10 Vakya – Set 1 1) लक्ष्मी पूजा एक प्रमुख हिन्दू धार्मिक पूजा या त्यौहार है जो मुख्य दिपावली के दिन विधि-विधान से किया जाता है। 2) लक्ष्मी पूजा, हिंदी पंचांग के मुताबिक कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन किया जाता है। 3) शाम के समय में लोग नए और अच्छे कपड़े पहनते हैं और देवी लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पूजा करते हैं। 4) लक्ष्मी पूजा के दिन लोग भगवान कुबेर की भी पूजा करते हैं क्योंकि भगवान कुबेर को धन कोष का देवता माना जाता है। 5) इस अवसर पर लोग अपने घरों को साफ करते हैं और मुख्य द्वार पर दीप जलाकर देवी का स्वागत करते हैं। 6) लोगों की मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी सबके घरों में आती हैं और भक्तों को धन-धान्य तथा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। 7) कुछ महिलाएं इस दिन उपवास रखती हैं क्योंकि माना जाता है इस दिन का एक वैभव लक्ष्मी व्रत 21 उपवास के बराबर होता है। 8) बंगाल में लक्ष्मी पूजा विजयादशमी के बाद शरद पूर्णिमा के दिन की जाती है जिसे लोकखी पूजा भी कहा जाता है। 9) लोक्खी पूजा को बंगाल में कोजगोरी (कोजागरी) लोक्खी पूजा भी कहा जाता है जो वहाँ का एक मुख्य उत्...

Lakshmi Puja kab hai 2022

दिवाली का पर्व हर साल हिन्दू धर्म में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। दिवाली का पर्व भगवान्न राम के चौदह वर्ष वनवास से घर लौटने की खुशी में मनाया जाता है। दिवाली (2022) के दिन लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व होता है। कुछ किवदंतियों के अनुसार ऐसा माना जाता है, जो व्यक्ति दिवाली के दिन विधि विधान से माँ लक्ष्मी की पूजा अर्चना करता है उसके पास हमेश माँ लक्ष्मी वास करती है और उसे धन धान्य की कमी नहीं होती है। अगर आप दिवाली इस दिवाली पहली बार माँ लक्ष्मी की पूजा करने जा रहे हैं तो आप आगे जानिए लक्ष्मी पूजा कब है, शुभ मुहूर्त, लक्ष्मी पूजा में अल्पना का महत्व और कैसे करें माँ लक्ष्मी की आरती। लक्ष्मी पूजा के खास मौके पर आप भी अपने सभी जानने वालो के साथ लक्ष्मी पूजा और Lakshmi puja kab hai | लक्ष्मी पूजा कब है दिवाली का नाम सुनते ही सबसे पहले हर किसी के मन में यह सवाल आता है की Lakshmi puja kab hai 2022 तो आपकी जानकारी के लिए बता दें हिन्दू पंचाग के अनुसार साल 2022 में लक्ष्मी पूजा 24 अक्टूबर को मनाई जायगी। कई लोग लक्ष्मी पूजा को कोजागर पूजा मानते हैं मगर यह दोनों पूजाएं अलग-अलग है। कोजागर पूजा में भी माता लक्ष्मी का व्रत करने का विधान होता है। लक्ष्मी पूजा दीवाली के दिन की जाती है। यह खास पूजा घर में सदा लक्ष्मी के निवास के लिए किया जाता है। अगर आप भी चाहते हैं की साल भर माता लक्ष्मी आपके घर निवास करें तो आप भी जानिए Lakshmi puja ka shubh muhurta, Lakshmi puja mantra और लक्ष्मी पूजा विधि के बारे में। lakshmi puja ka shubh muhurt Kya hai | लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त लक्ष्मी पूजा का पूरा फल पाने के लिए यह बहुत जरुरी होता है की आप पूजा से पहले पूजा का शुभ मुहूर्त जान लें। यहाँ हम आपको द...

Kojagari Laxami Puja 2020 Date: कब है कोजागरी लक्ष्मी पूजा? जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

• • Faith Hindi • Kojagari Laxami Puja 2020 Date: कब है कोजागरी लक्ष्मी पूजा? जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि Kojagari Laxami Puja 2020 Date: कब है कोजागरी लक्ष्मी पूजा? जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि कुछ पौराणिक मान्याओं के मुताबिक, माता लक्ष्मी का अवतर शरद पूर्णिमा के दिन ही हुआ था. इस दिन माता लक्ष्मी देर रात में पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं. chaitra purnima 2021 नई दिल्ली: अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि जिसे शरद पूर्णिमा भी कहा जाता है 30 अक्टूबर यानी कल है. शरद पूर्णिमा के दिन कोजागरी लक्ष्मी पूजा होती है. आपको बता दें कि दिवाली से पहले माता लक्ष्मी की पूजा करने का यह शुभ समय होता है. कुछ पौराणिक मान्याओं के मुताबिक, माता लक्ष्मी का अवतर शरद पूर्णिमा के दिन ही हुआ था. इस दिन माता लक्ष्मी देर रात में पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं. कोजागर पूजा शुक्रवार, अक्टूबर 30, 2020 को कोजागर पूजा निशिता काल – 23: 39 to 00:31, अक्टूबर 31 कोजागर पूजा के दिन चन्द्रोदय – 17:11 पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 30, 2020 को 17:45 बजे पूर्णिमा तिथि समाप्त – अक्टूबर 31, 2020 को 20:18 बजे कोजागरी पूर्णिमा का (Kojagari Purnima 2020 Importance) महत्व कोजागरी पूर्णिमा के पर्व को देश के विभिन्न हिस्सों में लोग अपनी-अपनी मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार मनाते हैं. इस तिथि पर मध्य रात्रि या निशिथ काल में पूजा करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है और इस रात आसमान से अमृत की वर्षा होती है. देवी लक्ष्मी कोजागरी पूर्णिमा की रात पृथ्वी पर विचरण करती हैं और अपने भक्तों को धन-संपदा और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं. धार्मिक मान्यताओं ...

लक्ष्मी

इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर (अप्रैल 2020) स्रोत खोजें: · · · · लक्ष्मी देवी महालक्ष्मी अपने दिव्य कमल पर वैकुंठ में विराजमान अन्य नाम भार्गवी, श्री, विष्णुप्रिया, सिंधुसूता, महालक्ष्मी, संबंध महा निवासस्थान ॐ श्रीं श्रीयें नमः अस्त्र श्री यंत्र दिवस शुक्रवार जीवनसाथी भाई-बहन अलक्ष्मी, चंद्रदेव ,शुक्राचार्य संतान सवारी लक्ष्मी (/ˈlʌkʃmi/; गायत्री की कृपा से मिलने वाले वरदानों में एक लक्ष्मी भी है। जिस पर यह अनुग्रह उतरता है, वह दरिद्र, दुर्बल, कृपण, असंतुष्ट एवं पिछड़ेपन से ग्रसित नहीं रहता। स्वच्छता एवं सुव्यवस्था के स्वभाव को भी 'श्री' कहा गया है। यह सद्गुण जहाँ होंगे, वहाँ दरिद्रता, कुरुपता टिक नहीं सकेगी। पदार्थ को मनुष्य के लिए उपयोगी बनाने और उसकी अभीष्ट मात्रा उपलब्ध करने की क्षमता को लक्ष्मी कहते हैं। यों प्रचलन में तो 'लक्ष्मी' शब्द सम्पत्ति के लिए प्रयुक्त होता है, पर वस्तुतः वह चेतना का एक गुण है, जिसके आधार पर निरुपयोगी वस्तुओं को भी उपयोगी बनाया जा सकता है। मात्रा में स्वल्प होते हुए भी उनका भरपूर लाभ सत्प्रयोजनों के लिए उठा लेना एक विशिष्ट कला है। वह जिसे आती है उसे लक्ष्मीवान्, श्रीमान् कहते हैं। शेष अमीर लोगों को धनवान् भर कहा जाता है। गायत्री की एक किरण लक्ष्मी भी है। जो इसे प्राप्त करता है, उसे स्वल्प साधनों में भी अथर् उपयोग की कला आने के कारण सदा सुसम्पन्नों जैसी प्रसन्नता बनी रहती है। श्री, लक्ष्मी के लिए एक सम्मानजनक शब्द, पृथ्वी की मातृभूमि के रूप में सांसारिक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे पृथ्वी माता के रूप में संदर्भित किया जाता है, और उसे भु देवीऔर श्री देवी के अवतार मानी जाती हैं। ज...

Sharad Purnima 2022: कब है शरद पूर्णिमा? इस दिन पूजा करने से मिलता है मां लक्ष्मी का आशीर्वाद

• • Faith Hindi • Sharad Purnima 2022: कब है शरद पूर्णिमा? इस दिन पूजा करने से मिलता है मां लक्ष्मी का आशीर्वाद Sharad Purnima 2022: कब है शरद पूर्णिमा? इस दिन पूजा करने से मिलता है मां लक्ष्मी का आशीर्वाद Sharad Purnima 2022: शरद पूर्णिमा के दिन रात के समय मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है और कहते हैं कि इससे घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. कई जगहों पर इसे कोजागर पूर्णिमा भी कहा जाता है. शरद पूर्णिमा Sharad Purnima 2022: आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है और कई जगहों पर इसे कोजागर पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है और इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर जातकों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं. खास बात है कि शरद पूर्णिमा के दिन सुबह नहीं, बल्कि रात के समय पूजा की जाती है और रात में समय जागरण किया जाता है. लेकिन ध्यान रखें कि रात को पूजा करने से पहले घर में साफ-सफाई अवश्य होनी चाहिए क्योंकि इस दिन मां लक्ष्मी घर में प्रवेश करती हैं. आइए जानते हैं कब है शरद पूर्णिमा और पूजन विधि. Also Read: • • • शरद पूर्णिमा 2022 कब है? हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है. इस साल शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर 2022, रविवार के दिन है. कई जगह शरद पूर्णिमा को कोजागर पूर्णिमा भी कहा जाता है और इस दिन मां लक्ष्मी का पूजन होता है. मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा को सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला दिन कहा गया है. शरद पूर्णिमा पूजन विधि शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात को मां लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं. भ्रमण करते समय मां लक्ष्...