लक्षणा शब्द शक्ति की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।


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शब्द

शब्द का अर्थ बोध करानेवाली शक्ति ‘शब्द शक्ति’ कहलाती है। शब्द-शक्ति को संक्षेप में ‘शक्ति’ कहते हैं। इसे ‘वृत्ति’ या ‘व्यापार’ भी कहा जाता है। सरल शब्दों में- मिठाई या चाट का नाम सुनते ही मुँह में पानी भर आता है। साँप या भूत का नाम सुनते ही मन में भय का संचार हो जाता है। यह प्रभाव अर्थगत है। अतः जिस शक्ति के द्वारा शब्द का अर्थगत प्रभाव पड़ता है वह शब्दशक्ति है। हिन्दी के रीतिकालीन आचार्य चिन्तामणि ने लिखा है कि ”जो सुन पड़े सो शब्द है, समुझि परै सो अर्थ”अर्थात जो सुनाई पड़े वह शब्द है तथा उसे सुनकर जो समझ में आवे वह उसका अर्थ है। स्पष्ट है कि जो ध्वनि हमें सुनाई पड़ती है वह ‘शब्द’ है, और उस ध्वनि से हम जो संकेत या मतलब ग्रहण करते है वह उसका ‘अर्थ’ है। शब्द से अर्थ का बोध होता है। अतः शब्द हुआ ‘बोधक’ (बोध करानेवाला) और अर्थ हुआ ‘बोध्य’ (जिसका बोध कराया जाये)। जितने प्रकार के शब्द होंगे उतने ही प्रकार की शक्तियाँ होंगी। शब्द तीन प्रकार के- वाचक, लक्षक एवं व्यंजक होते हैं तथा इन्हीं के अनुरूप तीन प्रकार के अर्थ- वाच्यार्थ, लक्ष्यार्थ एवं व्यंग्यार्थ होते हैं। शब्द और अर्थ के अनुरूप ही शब्द की तीन शक्तियाँ- अभिधा, लक्षणा एवं व्यंजना होती हैं। शब्द अर्थ शक्ति वाचक/अभिधेय वाच्यार्थ/अभिधेयार्थ/मुख्यार्थ अभिधा लक्षक/लाक्षणिक लक्ष्यार्थ लक्षणा व्यंजक व्यंग्यार्थ/व्यंजनार्थ व्यंजना वाच्यार्थ कथित होता है, लक्ष्यार्थ लक्षित होता है और व्यंग्यार्थ व्यंजित, ध्वनित, सूचित या प्रतीत होता है। शब्द में अर्थ तीन प्रकार से आता है। अर्थ के जो तीन स्त्रोत हैं उन्हीं के आधार पर शब्द की शक्तियों का नामकरण किया जाता है। शब्द शक्ति के प्रकार प्रक्रिया या पद्धति के आधार पर शब्द-शक्ति तीन प्रकार के होत...