लोकवन गेहूं की खेती

  1. जानें कैसे करें गेहूं की बंपर पैदावार
  2. Wheat purchase deadline expired only 32 quintals purchased
  3. गेहूं की खेती
  4. [ गेहूं की वैज्ञानिक खेती 2023 ] जानिए गेहूं की खेती कैसे करें जानिए सम्पूर्ण जानकारी
  5. गेहूं की यह बेस्ट किस्में देगी बंपर पैदावार 120 दिन में पूरी तरह से पककर तैयार होगी ये किस्मे,जानिए कैसे करें इनकी खेती
  6. किसानो के लिए खुशखबर, आने वाले समय में इस किस्म का गेहूं होगा महंगा
  7. गेहूं (गेहूं की खेती) बुवाई, सिंचाई, देखभाल और पैदावार
  8. गेहूं (गेहूं की खेती) बुवाई, सिंचाई, देखभाल और पैदावार
  9. किसानो के लिए खुशखबर, आने वाले समय में इस किस्म का गेहूं होगा महंगा
  10. गेहूं की खेती


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जानें कैसे करें गेहूं की बंपर पैदावार

हमारे देश में वैसे तो सभी धर्म व सम्प्रदाय के लोग रहते हैं और सभी धर्मों में विभिन्न प्रकार के व्यंजन खाये व बनाये जाते हैं। इन सभी धर्मों में जिस फसल का सबसे ज्यादा उपयोग और उपभोग किया जाता है, वह हैः- गेहूँ। जी हाँ हमारे देश में गेहूँ सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाला खाद्य है और भारत वि‍श्‍वभर में दूसरे सर्वाधिक गेहूँ का उत्पादक है । रबी की फसलों में गेहूँ की फसल काफी महत्वपूर्ण है। यह वि‍श्‍व की जनसंख्या के लिए लगभग 20 प्रतिशत आहार कैलोरी की पूर्ति करता है। गेहूँ खाद्यान्न फसलों के बीच विशिष्ट स्थान रखता है। कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन गेहूँ के दो मुख्य घटक हैं। गेहूँ में औसतन 14 प्रोटीन व 72 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट होता है। गेहूँ की एक ऐसी फसल है जिसकी हर चीज काम में आती है। गेहूँ के दाने, दानों को पीस कर प्राप्त हुआ आटे से रोटी, डबलरोटी, कुकीज, केक, दलिया, पास्ता, सिवईं, नूडल्स आदि बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। गेहूँ का किण्वन कर शराब और जैवईंधन बनाया जाता है। गेहूँ के भूसे को पशुओं के चारे या घरों के छप्पर निर्माण की सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। भारत में गेहूँ बहुतायत में उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार सहित मध्यप्रदेश व अन्य राज्यों में उगाया जाता है। अधिक उपज के लिए गेहूँ इस तरह उगाएं - तापमानः- बीजाई के समय 18 डिग्री सेन्टीग्रेड, उगने के समय 12 डिग्री सेन्टीग्रेड व कटाई के समय तापमान उच्च 25 डिग्री सेन्टीग्रेड होना चाहिए। वर्षाः- 50-100 से.मी. बारिश । मिट्टीः- गेहूँ के लिए दोमट या बलुई दोमट, बलुई, भारी चिकनी मिट्टी में उगाया जा सकता है। आमतौर पर दोमट मिट्टी गेहूँ की सभी प्रकार की किस्मों के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। खेत तैयार कैसे करें ? पहले ...

Wheat purchase deadline expired only 32 quintals purchased

सुपौल, हिन्दुस्तान संवाददाता। जिले में 20 अप्रैल से सरकारी निर्देश के अनुसार शुरू हुई गेहूं खरीद की समय सीमा 31 मई को खत्म हो गई। इस साल गेहूं का समर्थन मूल्य पिछले साल की तुलना में 2110 रुपए 2125 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित था। फिर भी बाजार में मूल्य अधिक मिलने के कारण किसानों ने पैक्सों को गेहूं बेचने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। परिणाम यह रहा कि जिले में तीन किसानों ने सरकारी क्रय केन्द्र पर गेहूं बेचा वह भी सिर्फ 32 क्विंटल यानि 3.2 एमटी। किसानों ने अधिक कीमत मिलने के कारण अपने पैक्सों के बदले बिचौलियों के हाथ गेहूं बेचना बेहतर समझा। किसानों की मानें तो शुरुआत में 2200 से 2250 के भाव में गेहूं बिका। पुष्ट दाने वाले गेहूं की कीमत तो 2300 रुपये क्विंटल तक मिला। इसके चलते भी किसान पैक्सों की बजाए व्यापारी को ही गेहूं बेच दे रहे हैं। किसानों का कहना है कि बेहतर बाजार भाव मिल रहा था तो पैक्स में क्यों बेचें? अब इस इंतजार में किसानों ने गेहूं स्टॉक कर लिया है। जरूरत पूरी करने के लिए बेचकर भाव बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं। फिलहाल 2400 रुपए तक गेहूं का रेट पहंुच गया है। 1.05 लाख हेक्टेयर में हुई थी गेहूं की खेती: बता दें कि इस साल जिले में गेहूं की अच्छी ऊपज हुई थी। 1.05 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती हुई और प्रति एकड़ 16 से 20 क्िंवटल ऊपज हुआ। बावजूद सरकारी गोदाम इसलिए खाली रहा क्योंकि व्यापारियों ने किसानों के खलिहान से ही 2200 रुपए क्विंटल गेहूं लेने लगे। इसके बाद बाजार मूल्य बढ़ता गया। ऐसे में किसान क्रय केन्द्रों तक नहीं पहुंचे और 31 मई को समय सीमा खत्म भी हो गई। ऐसे में धान में रिकॉर्ड स्थापित करने वाला सुपौल गेहूं खरीद मामले में 24 वें नंबर पर चला गया। लोगों का कहना है बाहर के ...

गेहूं की खेती

गेहूं गेहूं भारत वर्ष में रहने वाली 60 प्रतिशत जनसंख्या के भोजन के काम में आता है। इसके दाने को हाथ की चक्की या चक्की से पीस कर आटा तैयार करते हैं। जिससे चपाती आदि बनाकर खाने के फाम में लिया जाता है। इसको ज्यादा बारीक पीसकर मैदा तैयार की जाती है। जिससे मिठाई आदि व नमकीन बनाने के फाम लिया जाता है। प्राय: गेहूं से रोटी पुर-पुए कई मिठाईयां बनाई जाती है। इसके दाने के रंग से ही गेहुंआ रंग कहा जाता है। इस पर एक लम्बी लाईन होती है तथा बीच का हिस्सा मोटा होता है। आजादी से पूर्व हमारे देश में मेहंधनाइप लोगों के भोजन में ही काम आता था क्योंकि यहां के कृषक इसकी खेती फम करते थे। इसलिए उपज कम होती थी। इसके लिए पुरानी एक कहावत प्रचलित है।* * पिछले दिनों हुए विभिप्रयोगों के अनुसार जिला स्तर पर पहाँ के पानी मिट्टी, पर्यावरण को देखते हुए गेहूँ एवं अन्य अनाज की बेराई निर्धारित की गयी है। जिला कृषि विभाग या कृषि सेवक के संपर्क कर बेका चाहिए | गेहूं कहे मेरो फारयोपेट मन खायलो मोटों सेठा • मिट्टी:- गेहूं के लिए दोमट मिट्टी अच्छी रहती है। इसमें गेहूं की पैदावार अच्छी होती है। बालू मिट्टी में इसकी पैदावार फम होती है। नदियों द्वारा बहाकर लाई गई मिट्टी या नदियों के मुहाने पर गेहूं का उत्पादन ज्यादा होता है। इसके लिए मुख्य रूप से दोमट मिट्टी अधिक अच्छी रहती है। • खाद:- गेहूं उत्पादन के लिए खाद की आवश्यकता ज्यादा होती है। अतः गोबर की खाद इसके लिए ज्यादा लाभकर होती है। इसके लिए 60 मन गोबर की खाद (प्रति बीपा के हिसाब से होनी चाहिए)। गोबर की खाद गड्ढों में सड़ाकर कम्पोस्ट खाद तैयार कर लेते हैं। यह खाद गेहूं के लिए 20 मन प्रति बीघा के हिसाब से जमीन में डाली जाती है। • पानी:- गेहूं उगने के 20 से 25 दिन क...

[ गेहूं की वैज्ञानिक खेती 2023 ] जानिए गेहूं की खेती कैसे करें जानिए सम्पूर्ण जानकारी

गेहूं की वैज्ञानिक खेती | गेहूँ की खेती | गेहूं की खेती कैसे करें | गेहूं की खेती कब और कैसे करें | गेहूं की फसल कितने दिन में पकती है | देश मे गेहूं की खेती लगभग सभी क्षेत्रों मे की जाती है गेहूं एक प्रकार की रबी की फसल है देश मे रबी की फसलों मे सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली अनाज की श्रेणी की फसल है आजादी से पहले कृषि क्षेत्र मे काफी गरीब यानि कम कृषि उत्पादन हुआ करता था और भारत मे अनाज विदेशों से मँगवाया जाता था लेकिन 1966 के बाद आई हरित क्रांति के अचूक प्रयासों ने आज भारत को कृषि प्रधान देश बना दिया है – 14.2 देश मे प्रमुख गेहू उत्पादक राज्य ? गेहू का MSP 2022-23 – फ़सली वर्ष 2022-23 हेतु, हाल ही मे केंद्र सरकार ने गेहू का कम-से कम खरीद मूल्य 40 रुपये बढ़ाकर 2,015 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है| 2021-22 मे गेहू का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रुपये था, लेकिन अब सरकार किसानो से 20,15 रूपये/क्विंटल मे गेहू की खरीदी की जाएगी | गेहूं की प्राकृतिक खेती कैसे करें – गेहूं की खेती कैसे करें और आवश्यक कारक – गेहूं की खेती के लिए जरूरी मृदा, खाद, बीज, जलवायु, सिचाई, खरपतवार के बारे मे नीचे एक-एक करके जानकारी दी गई है| तो आइए जानते है गेहू की उन्नत खेती के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी | गेहूं की खेती के लिए तापमान और जलवायु – इसकी खेती में के लिए तापमान की बात करें तो गेहूं के बीज अंकुरण के समय 20 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की उचित रहता है| जलवायु के बारे मे बात करे तो आद्र-शीत जलवाऊ के मे हल्की धूप तथा फसल पकते समय बसंत ऋतु उपयुक्त रहती है| जो मुख्यतः इस प्रकार की जलवायु पूर्वी-उतर-पश्चिमी भारत मे रहती है | मृदा ओर भूमि का चयन– गेहू की खेती सिंचाई क्षेत्र वाले हर प्रकार के क्षेत्रों में ...

गेहूं की यह बेस्ट किस्में देगी बंपर पैदावार 120 दिन में पूरी तरह से पककर तैयार होगी ये किस्मे,जानिए कैसे करें इनकी खेती

गेहूं की यह बेस्ट किस्में देगी बंपर पैदावार 120 दिन में पूरी तरह से पककर तैयार होगी ये किस्मे,जानिए कैसे करें इनकी खेती,गेहूं की इन किस्मों से होगी बंपर पैदावार 120 दिन में पूरी तरह से पककर तैयार होगी ये किस्मे किसान सीजन के अनुसार अपने खेत में फसल की बुवाई कर अच्छा लाभ कमा सकते हैं. तो आइए रबी सीजन में गेहूं की उन्नत किस्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं… किसान अधिक लाभ कमाने के लिए कई तरह के कार्य करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अपनी फसल से ही आप अधिक से अधिक कमाई कर सकते हैं. इसके लिए आपको बस उसका सही ज्ञान होना चाहिए. गेहूं की यह बेस्ट किस्में देगी बंपर पैदावार 120 दिन में पूरी तरह से पककर तैयार होगी ये किस्मे,जानिए कैसे करें इनकी खेतीइसलिए किसान हमेशा अपने खेत में सीजन के मुताबिक ही फसलों की बुवाई करना शुरू करें. जैसे कि आप जानते हैं, अभी रबी सीजन की फसल की बुवाई शुरू हो चुकी है. ऐसे में आप गेहूं की उन्नत किस्मों को सही तरीके से लगाकर अच्छा लाभ कमा सकते हैं. तो आइए इस लेख में गेहूं की उन्नत किस्मों से लेकर अन्य कई महत्वपूर्ण जानकारी को विस्तार से जानते हैं. गेहूं की यह बेस्ट किस्में देगी बंपर पैदावार 120 दिन में पूरी तरह से पककर तैयार होगी ये किस्मे,जानिए कैसे करें इनकी खेती यह भी पढ़ें :- गेहूं की यह बेस्ट किस्में देगी बंपर पैदावार 120 दिन में पूरी तरह से पककर तैयार होगी ये किस्मे,जानिए कैसे करें इनकी खेती गेहूं की उन्नत किस्में डीबीडब्ल्यू-DBW 187 (करण वंदना) लोक-1 (लोकवन) डब्ल्यू एच147 (WH-147) एचआईHI-1620 (पूसा गेहूं 1620) एचडीHD-3086 (पूसा गौतमी) डीबीडब्ल्यू- DBW 187 गेहूं की इस किस्म को अनुसंधान संस्थान, करनाल के द्वारा साल 2019 में तैयार किया गया था. यह...

किसानो के लिए खुशखबर, आने वाले समय में इस किस्म का गेहूं होगा महंगा

Lokwan Wheat Price 2023: किसानो के लिए खुशखबर, आने वाले समय में इस किस्म का गेहूं होगा महंगा रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी दूसरे साल भी जारी है। गेहूं की कुछ किस्मों को छोड़कर खाने (चपाती बनाने) के लिए उपयुक्त गेहूं की अन्य किस्मों के दाम लगातार दूसरे साल अच्छे बने हुए हैं, इसका फायदा किसानों को मिल रहा है. यही वजह है कि किसान अब कुछ विरोधी गेहूं का स्टॉक कर रहे हैं। किसानों को उम्मीद है कि आने वाले समय में गेहूं के दाम और बढ़ेंगे। यह भी पढ़े- लोकवान गेहूं के कीमतों में होगी बढ़ोतरी व्यापारी भी खाने के लिए उपयुक्त गेहूं (चपाती बनाना) बंद कर रहे हैं। गेहूं की कीमतों के भविष्य को देखते हुए यह तय है कि लोकवन गेहूं मूल्य 2023 में गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी होगी। इस खबर के माध्यम से हम जानते हैं कि गेहूं, खासकर लोक-1 पूर्णा और नई किस्म पूषा अहिल्या 1634 के दाम कितने हैं। आने वाले समय में बढ़ेगा। यह भी पढ़े- मंडियों में गेहूं की आवक कमजोर क्यू गेहूं की फसल लोकवन गेहूं की कीमत 2023 पूरे मध्यप्रदेश में उगाई जाती है। ऐसे में इंदौर, उज्जैन, भोपाल, नीमच, मंदसौर, रतलाम, खंडवा समेत प्रदेश की अन्य मंडियों में सीजन में गेहूं की आवक अच्छी रहती है। लेकिन चालू सप्ताह में सोमवार से बुधवार तक प्रदेश की अधिकांश मंडियों में गेहूं की आवक बढ़ने लगी है। इतना ही नहीं गेहूं की सरकारी खरीद को लेकर भी किसानों में खास उत्साह नहीं दिख रहा हैं. वर्तमान में समर्थन मूल्य पर गेहूं उपार्जन लोकवन गेहूं मूल्य 2023 का कार्य चल रहा है। ज्ञात हो कि प्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेहूँ उपार्जन का कार्य 10 मई तक किया जायेगा, किन्तु गेहूँ की आवक कम होने के कारण माना जा रहा है कि भविष्य में दाम ...

गेहूं (गेहूं की खेती) बुवाई, सिंचाई, देखभाल और पैदावार

गेहूं (Wheat) की फसल एक गेहूं जितना ज्यादा बुआई में विलम्ब होता जाता है, गेहूँ की पैदावार में गिरावट की दर बढ़ती चली जाती है। दिसम्बर से बुआई करने पर गेहूँ की पैदावार 3 से 4 कु0/ हे0 एवं जनवरी में बुआई करने पर 4 से 5 कु0/ हे0 प्रति सप्ताह की दर से घटती है। गेहूँ की बुआई सीडड्रिल से करने पर उर्वरक एवं बीज की बचत की जा सकती है। गेहूं की बुवाई गेहूं की बुवाई अधिकतर धान के बाद की जाती है इसीलिए ज्यादातर जगहों पर गेहूं की बुवाई में देरी हो जाती है। हम किसानों को पहले से निश्चित कर लेना चाहिए की गेहूं का अत्यधिक उत्पादन लेने के लिए हमें खरीफ की फसल जैसे धान आदि को समय से बोना चाहिए। जिससे गेहूं की बुवाई के लिए अक्टूबर तक खेत खाली हो जाए। धान की फसल के बाद खेत थोड़ा कठोर हो जाता है इसलिए खेत की अच्छी तरह से जुताई करनी चाहिए तत्पश्चात ही गेहूं को बोना चाहिए। मिट्टी भुरभुरी हो जाने के बाद ही गेहूं की बुवाई करनी चाहिए। रोटावेटर से जुताई करने पर खेत एक बार में ही पूर्ण रूप से तैयार हो जाता है। गेहूं की बुवाई के लिए उपयुक्त समय निर्धारण कर लेना चाहिए और खेत में नमी की मात्रा भी चेक कर लेनी चाहिए जिससे कि गेहूं का अंकुरण अच्छी तरह से हो सके। देर से पकने वाली प्रजातियों की बुवाई समय से कर देनी चाहिए जिससे की उपज में कोई प्रॉब्लम ना हो। जैसे-जैसे बुवाई में विलंब होता जाता है उत्पादन की मात्रा भी समय के हिसाब से कम होती जाती है इसलिए गेहूं की बुवाई समय से करना अति आवश्यक है। गेहूं का बीज बीज की मात्रा एवं अच्छे बीज का प्रयोग मशीन से बुवाई करने पर 100 किलोग्राम तथा मोटा दाना 125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्रयोग करना चाहिए। यदि खेत में बीज की अंकुरण क्षमता कम है तो बीज का प्रयोग स...

गेहूं (गेहूं की खेती) बुवाई, सिंचाई, देखभाल और पैदावार

गेहूं (Wheat) की फसल एक गेहूं जितना ज्यादा बुआई में विलम्ब होता जाता है, गेहूँ की पैदावार में गिरावट की दर बढ़ती चली जाती है। दिसम्बर से बुआई करने पर गेहूँ की पैदावार 3 से 4 कु0/ हे0 एवं जनवरी में बुआई करने पर 4 से 5 कु0/ हे0 प्रति सप्ताह की दर से घटती है। गेहूँ की बुआई सीडड्रिल से करने पर उर्वरक एवं बीज की बचत की जा सकती है। गेहूं की बुवाई गेहूं की बुवाई अधिकतर धान के बाद की जाती है इसीलिए ज्यादातर जगहों पर गेहूं की बुवाई में देरी हो जाती है। हम किसानों को पहले से निश्चित कर लेना चाहिए की गेहूं का अत्यधिक उत्पादन लेने के लिए हमें खरीफ की फसल जैसे धान आदि को समय से बोना चाहिए। जिससे गेहूं की बुवाई के लिए अक्टूबर तक खेत खाली हो जाए। धान की फसल के बाद खेत थोड़ा कठोर हो जाता है इसलिए खेत की अच्छी तरह से जुताई करनी चाहिए तत्पश्चात ही गेहूं को बोना चाहिए। मिट्टी भुरभुरी हो जाने के बाद ही गेहूं की बुवाई करनी चाहिए। रोटावेटर से जुताई करने पर खेत एक बार में ही पूर्ण रूप से तैयार हो जाता है। गेहूं की बुवाई के लिए उपयुक्त समय निर्धारण कर लेना चाहिए और खेत में नमी की मात्रा भी चेक कर लेनी चाहिए जिससे कि गेहूं का अंकुरण अच्छी तरह से हो सके। देर से पकने वाली प्रजातियों की बुवाई समय से कर देनी चाहिए जिससे की उपज में कोई प्रॉब्लम ना हो। जैसे-जैसे बुवाई में विलंब होता जाता है उत्पादन की मात्रा भी समय के हिसाब से कम होती जाती है इसलिए गेहूं की बुवाई समय से करना अति आवश्यक है। गेहूं का बीज बीज की मात्रा एवं अच्छे बीज का प्रयोग मशीन से बुवाई करने पर 100 किलोग्राम तथा मोटा दाना 125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्रयोग करना चाहिए। यदि खेत में बीज की अंकुरण क्षमता कम है तो बीज का प्रयोग स...

किसानो के लिए खुशखबर, आने वाले समय में इस किस्म का गेहूं होगा महंगा

Lokwan Wheat Price 2023: किसानो के लिए खुशखबर, आने वाले समय में इस किस्म का गेहूं होगा महंगा रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी दूसरे साल भी जारी है। गेहूं की कुछ किस्मों को छोड़कर खाने (चपाती बनाने) के लिए उपयुक्त गेहूं की अन्य किस्मों के दाम लगातार दूसरे साल अच्छे बने हुए हैं, इसका फायदा किसानों को मिल रहा है. यही वजह है कि किसान अब कुछ विरोधी गेहूं का स्टॉक कर रहे हैं। किसानों को उम्मीद है कि आने वाले समय में गेहूं के दाम और बढ़ेंगे। यह भी पढ़े- लोकवान गेहूं के कीमतों में होगी बढ़ोतरी व्यापारी भी खाने के लिए उपयुक्त गेहूं (चपाती बनाना) बंद कर रहे हैं। गेहूं की कीमतों के भविष्य को देखते हुए यह तय है कि लोकवन गेहूं मूल्य 2023 में गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी होगी। इस खबर के माध्यम से हम जानते हैं कि गेहूं, खासकर लोक-1 पूर्णा और नई किस्म पूषा अहिल्या 1634 के दाम कितने हैं। आने वाले समय में बढ़ेगा। यह भी पढ़े- मंडियों में गेहूं की आवक कमजोर क्यू गेहूं की फसल लोकवन गेहूं की कीमत 2023 पूरे मध्यप्रदेश में उगाई जाती है। ऐसे में इंदौर, उज्जैन, भोपाल, नीमच, मंदसौर, रतलाम, खंडवा समेत प्रदेश की अन्य मंडियों में सीजन में गेहूं की आवक अच्छी रहती है। लेकिन चालू सप्ताह में सोमवार से बुधवार तक प्रदेश की अधिकांश मंडियों में गेहूं की आवक बढ़ने लगी है। इतना ही नहीं गेहूं की सरकारी खरीद को लेकर भी किसानों में खास उत्साह नहीं दिख रहा हैं. वर्तमान में समर्थन मूल्य पर गेहूं उपार्जन लोकवन गेहूं मूल्य 2023 का कार्य चल रहा है। ज्ञात हो कि प्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेहूँ उपार्जन का कार्य 10 मई तक किया जायेगा, किन्तु गेहूँ की आवक कम होने के कारण माना जा रहा है कि भविष्य में दाम ...

गेहूं की खेती

गेहूं गेहूं भारत वर्ष में रहने वाली 60 प्रतिशत जनसंख्या के भोजन के काम में आता है। इसके दाने को हाथ की चक्की या चक्की से पीस कर आटा तैयार करते हैं। जिससे चपाती आदि बनाकर खाने के फाम में लिया जाता है। इसको ज्यादा बारीक पीसकर मैदा तैयार की जाती है। जिससे मिठाई आदि व नमकीन बनाने के फाम लिया जाता है। प्राय: गेहूं से रोटी पुर-पुए कई मिठाईयां बनाई जाती है। इसके दाने के रंग से ही गेहुंआ रंग कहा जाता है। इस पर एक लम्बी लाईन होती है तथा बीच का हिस्सा मोटा होता है। आजादी से पूर्व हमारे देश में मेहंधनाइप लोगों के भोजन में ही काम आता था क्योंकि यहां के कृषक इसकी खेती फम करते थे। इसलिए उपज कम होती थी। इसके लिए पुरानी एक कहावत प्रचलित है।* * पिछले दिनों हुए विभिप्रयोगों के अनुसार जिला स्तर पर पहाँ के पानी मिट्टी, पर्यावरण को देखते हुए गेहूँ एवं अन्य अनाज की बेराई निर्धारित की गयी है। जिला कृषि विभाग या कृषि सेवक के संपर्क कर बेका चाहिए | गेहूं कहे मेरो फारयोपेट मन खायलो मोटों सेठा • मिट्टी:- गेहूं के लिए दोमट मिट्टी अच्छी रहती है। इसमें गेहूं की पैदावार अच्छी होती है। बालू मिट्टी में इसकी पैदावार फम होती है। नदियों द्वारा बहाकर लाई गई मिट्टी या नदियों के मुहाने पर गेहूं का उत्पादन ज्यादा होता है। इसके लिए मुख्य रूप से दोमट मिट्टी अधिक अच्छी रहती है। • खाद:- गेहूं उत्पादन के लिए खाद की आवश्यकता ज्यादा होती है। अतः गोबर की खाद इसके लिए ज्यादा लाभकर होती है। इसके लिए 60 मन गोबर की खाद (प्रति बीपा के हिसाब से होनी चाहिए)। गोबर की खाद गड्ढों में सड़ाकर कम्पोस्ट खाद तैयार कर लेते हैं। यह खाद गेहूं के लिए 20 मन प्रति बीघा के हिसाब से जमीन में डाली जाती है। • पानी:- गेहूं उगने के 20 से 25 दिन क...