लता शास्त्री के लांगुरिया

  1. Shahrukh Khan offers prayers for Lata Mangeshkar during final rites know its Islamic rituals
  2. शास्त्रीय संगीत में लता का कौन
  3. (लता) LATA Shabd Roop
  4. लता शब्द के रूप
  5. himachal pradesh mandi one girl who is Blind from birth without eyesight qualify exam assitant Professor
  6. देवीभक्त लांगुरा का उपहास करते लांगुरिया गीत
  7. इस राग से शुरू हुई थी लता की संगीत साधना
  8. लांगुरिया : चैत्र नवरात्रि और चम्बल की पारम्परिक यादें


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Shahrukh Khan offers prayers for Lata Mangeshkar during final rites know its Islamic rituals

Shahrukh Khan offers prayers for Lata Mangeshkar during final rites know its Islamic rituals | लता मंगेशकर के पार्थिव शरीर पर शाहरुख खान के फूंकने का ये है सच, जानें क्या है इस्‍लामिक परंपरा | Hindi News, बॉलीवुड लता मंगेशकर के पार्थिव शरीर पर शाहरुख खान के फूंकने का ये है सच, जानें क्या है इस्‍लामिक परंपरा? नई दिल्ली: स्वर कोकिला लता मंगेशकर के अंतिम संस्कार में पहुंचे शाहरुख खान (Shahrukh Khan) का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसे लेकर सोशल मीडिया पर बवाल मचा हुआ है. दरअसल, शाहरुख खान ने लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) के पार्थिव शरीर के सामने फातिहा पढ़ा और मास्क हटा कर दुआ फूंकी थी. दरअसल, ये एक इस्लामिक परंपरा है जो किसी के लिए दुआ मांगने के दौरान किया जाता है. शाहरुख खान (Shahrukh Khan) के फूंकने की तस्वीरों पर इस्लामिक स्कॉलर ने अपना बयान दिया है और इसके पीछे की सच्चाई बताई है. स्कॉलर Naushad Usman का कहना है कि जब कोई दुनिया छोड़ कर जाता है तो उसके परिवार वालों के दुखों को कम करने के लिए फातिहा पढ़ा जाता है और उसके बाद फूंक मारा जाता है जिसे दम मारना भी कहते हैं. कई लोगों ने की शाहरुख की जमकर तारीफ वहीं, कई लोगों को शाहरुख (Shahrukh Khan) का इस तरह से लता मंगेशकर को नमन करना यूजर्स को भा गया. एक यूजर ने कमेंट किया- 'यही है असली भारत.' दूसरे यूजर ने लिखा- 'शाहरुख खान सही में प्यार और शांति क प्रतीक हैं.' वहीं कई लोगों ने फेसबुक और व्हाइट्स एप पर किंग खान और पूजा की दुआ मांगते हुए तस्वीर लगाई है और कैप्शन में 'असली भारत' लिखा है. लता दीदी के अंतिम दर्शन करने पहुंचे सितारे गौरतलब है कि लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का रविवार को निधन हो गया था. वह कोरोना से संक्रमित होने के...

शास्त्रीय संगीत में लता का कौन

लेखक का स्पष्ट मत है कि भारतीय गायिकाओं में लता के जोड़ की गायिका हुई ही नहीं। लता के कारण चित्रपट संगीत को विलक्षण लोकप्रियता प्राप्त हुई है, यही नहीं लोगों का शास्त्रीय संगीत की ओर देखने का दृष्टिकोण भी एकदम बदला है। छोटी बात कहूँगा। पहले भी घर-घर छोटे बच्चे गाया करते थे। पर उस गाने में और आजकल घरों में सुनाई देने वाले बच्चों के गाने में बड़ा अंतर हो गया है। आजकल के नन्हे-मुन्ने भी स्वर में गुनगुनाते हैं। यह सब लता के जादू का कारण ही है। कोकिला का निरंतर स्वर कानों में पड़ने लगे तो कोई भी सुनने वाला उसका अनुकरण करने का प्रयत्न करेगा। ये स्वाभाविक ही है। चित्रपट संगीत के कारण सुंदर स्वर मलिकाएँ लोगों के कानों पर पड़ रही हैं। संगीत के विविध प्रकारों से उनका परिचय हो रहा है। उनका स्वर-ज्ञान बढ़ रहा है। सुरीलापन क्या है, इसकी समझ भी उन्हें होती जा रही है। तरह-तरह की लय के भी प्रकार उन्हें सुनाई पड़ने लगे हैं और अकारयुक्त लय के साथ उनकी जान-पहचान होती जा रही है। साधारण प्रकार के लोगों को भी उसकी सूक्ष्मता समझ में आने लगी है। इन सबका श्रेय लता को ही है। इस प्रकार उसने नई पीढ़ी के संगीत को संस्कारित किया है और सामान्य मनुष्य में संगीत विषयक अभिरुचि पैदा करने में बड़ा हाथ बँटाया है। संगीत की लोकप्रियता, उसका प्रसार और अभिरुचि के विकास का श्रेय लता को ही देना पड़ेगा। लता की लोकप्रियता का मुख्य मर्म उसका 'गानपन' ही है। लता के गाने की एक और विशेषता है, उसके स्वरों की निर्मलता। उसके पहले की पार्श्व गायिका नूरजहाँ भी एक अच्छी गायिका थी, इसमें संदेह नहीं तथापि उसके गाने में एक मादक उत्तान दीखता था। लता के स्वरों में कोमलता और मुग्धता है। ऐसा दीखता है कि लता का जीवन की ओर देखने का जो दृष्टिकोण ...

(लता) LATA Shabd Roop

What is Shabd Roop of Lata? Know below (शब्द रूप) shabd roop of lata in sanskrit grammar. लता (Lata) ke shabd roop kya Hain. विभक्ति एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथमा लता लते लताः द्वितीया लताम् लते लताः तृतीया लतया लताभ्याम् लताभिः चर्तुथी लतायै लताभ्याम् लताभ्यः पन्चमी लतायाः लताभ्याम् लताभ्यः षष्ठी लतायाः लतयोः लतानाम् सप्तमी लतायाम् लतयोः लतासु सम्बोधन लते लते लताः

लता शब्द के रूप

आज इस लेख में हम जानेंगे कि लता शब्द के अनेक रूप कैसे बनाए जाते हैं और उनका इस्तेमाल कैसे किया जाता है उदाहरण सहित बताएंगे । लता शब्द रूप (Lata Shabd Roop In Sanskrit) विभक्ति एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथमा लता लते लताः द्वितीया लताम् लते लताः तृतीया लतया लताभ्याम् लताभिः चतुर्थी लतायै लताभ्याम् लताभ्यः पंचमी लतायाः लताभ्याम् लताभ्यः षष्ठी लतायाः लतयोः लतानाम् सप्तमी लतायाम् लतयोः लतासु सम्बोधन हे लते! हे लते! हे लताः! Ans. लता शब्द (Creeper): आकारान्त स्त्रील्लिंग संज्ञा, सभी आकारान्त स्त्रील्लिंग संज्ञापदों के रूप इसी प्रकार बनाते है। परंतु ‘अम्बा’ के सम्बोधन में ‘हे अम्ब होता है और जरा के रूप कुछ भिन्न होते है। Q. लता का बहुवचन क्या होता है? लता का बहुवचन लताः होता है? यह भी पढ़ें – हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Lata Shabd Roop आपको पसंद आये होगे। अगर यह शब्द के रूप आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

himachal pradesh mandi one girl who is Blind from birth without eyesight qualify exam assitant Professor

himachal pradesh mandi one girl who is Blind from birth without eyesight qualify exam assitant Professor | हिमाचल में जन्म से अंधी बेटी ने कर दिया कमाल, बिना आंखों की रोशनी..अपने सपनें किए पूरे | Hindi News, Himachal Pradesh हिमाचल में जन्म से अंधी बेटी ने कर दिया कमाल, बिना आंखों की रोशनी..अपने सपनें किए पूरे कोमल लता/मंडी: जन्म से अंधी बेटी जब अंर्तमन की आंखों से बड़े सपने देखना शुरू करती है तो पिता की उम्मीदों को पंख लगना स्वाभाविक हो जाता है. हम आपसे इसलिए ऐसा बोल रहे हैं क्योंकि, मंडी के सदर क्षेत्र की तरनोह पंचायत की प्रतिभा ने इस बात को साबित किया है. बता दें प्रतिभा का चयन राजनीतिक विज्ञान की अस्सिटेंट प्रोफेसर के पद पर हुआ है. जो काफी गर्व की बात इसलिए है, क्योंकि प्रतिभा जन्म से देख नहीं सकती हैं. Bigg Boss OTT 2: बिग बॉस ओटीटी पर नजर आएंगे ये कंटेस्टेंट्स, जानें कब और कहां देखें बिग बॉस बता दें, प्रतिभा जन्म से दिव्यांग होने के बावजूद छोटे-छोटे सपने देखने शुरू किए और उन्हें पूरा करने की जिद मन में ठान ली. प्रतिभा के पिता पत्रकार खेमचंद शास्त्री बताते हैं कि प्रतिभा बचपन में बहुत इलाज करवाया. मगर उसकी आंखों की रौशनी नहीं लौट सकी. उसने स्कूल जाने की जिद की तो पूरा परिवार परेशान हो गया. हालांकि, प्रतिभा ने स्व. धनीराम ठाकुर मैमोरियल राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बरयारा से जमा दो और वल्लभ कालेज मंडी से बीए, एमए , बीएड और एमएड प्रथम श्रेणी में पास की. इसके बाद हिमाचल प्रदेश विश्व विद्यालय में 2020 में प्रतिभा का चयन पीएचडी राजनीतिक शास्त्र के लिए हुआ. पिता खोमचंद शास्त्री ने बताया कि प्रतिभा बचपन से ही शिक्षा के क्षेत्र में या फिर विदेश मंत्रालय में सेवाएं देने की इ...

देवीभक्त लांगुरा का उपहास करते लांगुरिया गीत

आत्माराम यादव पीव जहां-जहां मानव का अस्तित्व है वहाँ-वहाँ उसके विकास ओर प्रस्फुटन से अनेक मार्ग बनते गए है जो अनादि भी है ओर अनंत भी है। जो मार्ग अनादि ओर अनंत है वे सनातन परंपरा के ऋषिओ द्वारा अन्वेषित है जिन्हे धर्म के रूप में महत्व मिला हुआ है। कुछ मार्ग थोड़ा सा चलने के बाद आनंद देकर समाप्त हो जाते है तो कुछ मार्ग कदम दो कदम चलने का स्वाद देकर आत्मविभोर कर देते है। आर्यावर्त के लोग सारी दुनिया पर यह मार्ग बनाकर अपने पदचाप छोड़ आए है ओर समय के थपेड़ों से उभरा भारतदेश भी इन मार्गों से सम्पन्न हुआ है जहा स्वंयकई युगों में अवतरित देवी देवताओ ने इन मार्गों कि धुरी रोपी है जिसपर संसार चल रहा हैओर भारत अपनी इस सनातनी विरासत को पाकर विश्व में ऊंचा स्थान बनाए हुये है। देवीभक्तिकेमार्ग पर “”लांगुर””काबड़ा महत्व है ओर देश के विभिन्न प्रांतों,क्षैत्रो,देवी स्थानों पर लांगुर के रूप को लेकर विभिन्नताए देखी जा सकती है जिसमें जहा कुछ लोग शिव को लांगुर मानते है,कुछ भैरव को तो कोई हनुमान को यह स्थान देते है,जबकि वास्तव में बटुक,भैरव,वीर,बेताल आदि देवी के लांगुर है। लांगुर का शाब्दिक अर्थ पुत्र माना गया है ओर शिव-शक्ति पति पत्नी के रूप में प्रतिष्ठित होने से शिव के लांगुर होने की बात लोकमान्यता में उचित प्रतीत नही होती। भैरव को भवानी के पुत्र के रूप में पूजा जाता है इसलिए भैरव के लांगुर होने को सहज ही स्वीकारोकित मिली हुई है ओर अनेक देवी गीत में लांगुर के रूप में भैरव का गुणगान होने से भैरव देवी के लांगुर होने व जनसामान्य के देव के रूप में विशेष स्थान रखते है। ऐसे ही सीता को देवी का स्वरूप मानकर उनके लांगुर के रूप में हनुमान को सर्वोच्च स्थान मिला हुआ है। देवी की भक्ति में लांगुरिया गीत ...

इस राग से शुरू हुई थी लता की संगीत साधना

दुनिया भर में मशहूर गायिका लता मंगेशकर को 'सुर साम्रज्ञी' और 'सुरों की मल्लिका' कहा जाता है. बॉलीवुड में सबसे ज्यादा गाना गाने का रिकॉर्ड उनके नाम पर है. 'नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा, मेरी आवाज ही पहचान है'... हां, कानों में मिश्री घोलती आवाज ही तो लता मंगेशकर की पहचान है... लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इस महान गायिका ने अपनी संगीत साधना की शुरुआत किस राग से की थी? लता मंगेशकर ने 'पूरिया धनश्री' राग से अपनी संगीत साधना शुरू की थी. उस वक्त लता मंगेशकर की उम्र महज 6 साल थी. उन्होंने ये राग अपने पिता और जाने-माने संगीतकार-नाट्यकार और गायक पंडित दीनानाथ मंगेशकर की गोद में बैठकर सीखा था. आम तौर पर शास्त्रीय गायन की शिक्षा की शुरुआत 'राग भैरव', 'राग यमन' या 'राग भूपाली' से की जाती है. इन रागों की अपेक्षा 'राग पूरिया धनश्री' काफी कठिन राग है, लेकिन लता जी की शिक्षा इसी कठिन राग से शुरू हुई. फिल्म लेखन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित कृति यतींद्र मिश्र ने अपनी किताब 'स्वर्ण कमल' में बताया कि लता मंगेशकर ने 1978 में रिलीज हुई फिल्म 'बदलते रिश्ते' के लिए 'राग पूरिया धनश्री' पर एक गाना गाया था. गाने के बोल थे, 'मेरी सांसों को जो महका रही है'. इस गाने में उनका साथ महेंद्र कपूर ने दिया था. पर्दे पर इस गाने को रीना रॉय के ऊपर फिल्माया गया था. इस गाने के अलावा और भी कई फिल्मी गाने हैं जो 'राग पूरिया धनश्री' पर कंपोज किए गए हैं. इसमें कई गाने 90 के दशक में आई फिल्मों में भी तैयार किए गए. 1952 में आई फिल्म बैजू बावरा में भी 'राग पूरिया धनश्री' पर एक गाना कंपोज किया गया था. संगीत निर्देशक नौशाद द्वारा तैयार की गई इस कंपोजीशन ‘तोरी जय जयकार’ को उस्ताद अमीर खान साहब ने गाया था. इसक...

लांगुरिया : चैत्र नवरात्रि और चम्बल की पारम्परिक यादें

अपने जन्मस्थान और वहाँ से जुड़ी परंपराएँ याद करूँ तो बरबस ही कुछ चलचित्र से आँखों के सामने तैर जाते हैं । सुबह सुबह कैसे वहाँ नंगे पैर, अपने धुले, (अधिकतर)लंबे लंबे बाल खोले महिलाएं एक हाथ में जल का लोटा, उसके ऊपर थाली में देवी पूजन की सामग्री ढंके हुए एकाग्रता से देवी मंदिरों को जाती दिख जाती थी। भक्ति, सौन्दर्य, और कडक मिजाज का ऐसा अनोखा संगम कहीं और देखने को शायद ही मिले। इस पूरे क्षेत्र में शक्ति पूजा के अनेक प्रमाण भी हैं। पद्मावती में सिंघवाहिनी देवी तथा गुप्त काल की प्राप्त मातृका मूर्तियाँ भी इस क्षेत्र में शक्ति पूजा की परिचायक हैं। यहाँ के गाँव, नगरो में देवी के खूब मंदिर हैं। नवरात्रि में जवारे बोने का चलन है। जवारों का पूजन किया जाता है। नौ दिन तक देवी पूजन, व्रत, उपवास, किए जाते हैं। नौवे दिन यह जवारे निकाले जाते हैं, खूब नाच गाने होते हैं। शाम के समय इन्हें विसर्जित कर दिया जाता है। महिलाएं सर पे जवारे रख कर खूब नृत्य करती हैं। दरअसल इस क्षेत्र में हरेक गाँव के बाहर पीपल के पेड़ के नीचे चबूतरे पर लांगुर की प्रतीक मूर्ति होती है। पीपल की जड़ में ‘पथावरी’ (एक प्रतीक पत्थर) को पूजने का चलन है। वहीं बैठ कर अक्सर लांगुरिया गाई जाती हैं । लांगुरिया पे नाचते समय पुरुष नर्तक पाँव में घुँघरू बांधते हैं, और साथी लोग ढोलक, चिमटा, झांझ, मँजीरा, झींका बजाते हैं। वहाँ से पास में सटे राज्य राजस्थान में करौली, (जो कैला देवी का स्थान है,) में लांगुरिया पूजन बहुत महत्वपूर्ण है। लांगुरिया के बारे में कहावत है कि त्रेता में जब राम और लक्ष्मण का अपहरण करके अहिरावण पाताल ले गया, उस समय हनुमान जी ने इन्हें बचाया था। देवी हनुमान से इतनी प्रसन्न हुई की वे उन्हें पुत्र के रूप में प्राप्त...