माँ दुर्गा स्तुति मंत्र

  1. श्री दुर्गा पूजा
  2. दुर्गा सप्तशती के सिद्ध
  3. दुर्गा मंत्र
  4. दुर्गा मां की स्तुति
  5. Maa Durga Mantras ( मां दुर्गा के मंत्र ) – Devshoppe
  6. माँ दुर्गा देव्यापराध क्षमा प्रार्थना स्तोत्रं!
  7. माँ दुर्गा मंत्र
  8. मां दुर्गा को सबसे प्रिय हैं ये 4 सरल मंत्र, चारों दिशाओं से मिलेगी सफलता। 2020 Navratri Mantra


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श्री दुर्गा पूजा

Durga Stuti and Mantra – श्री दुर्गा दुष्टों का वध करने वाली और साधु-जनों की रक्षा करने वाली हैं। देवता-गण सदैव आपकी स्तुति में निमग्न रहते हैं। आम साक्षात् शक्तिस्वरूपा हैं और यह सम्पूर्ण चराचर जगत आपकी शक्ति से ही अनुप्राणित होता है। श्री दुर्गा माँ की स्तुति और प्रातः स्मरण से जो पुन्य प्राप्त होता है वह सुख और समृद्धि प्रदान करने वाला होता है | देवी प्रातर्नमामि महिषासुर चण्ड-मुण्ड शुम्भासुर प्रमुख दैत्य विनाशदक्षाम् । ब्रह्मेन्द्र रुद्र मुनि मोहनशील लीलां चण्डीं समस्त सुर्मूर्तिमनेकरूपाम् ॥2॥ प्रातर्भजामि भजतामभिलाषदात्रीं धात्रीं समस्तजगतां दुरितापहन्त्रीम् । संसार बन्धन विमोचन हेतुभूतां मायां परां समधिगम्य परस्य विष्णोः ॥ 3 ॥ इसे भी पढ़ें – श्री दुर्गा जी की स्तुति- Durga Stuti and Mantra जय जय त्रिभुवन वन्दिनी, गिरिनन्दिनी हे, गिरिनन्दिनी हे। असुर निकन्दिनी मातु, जय जय शम्भुप्रिये॥ त्रिगुण शक्ति निज धारिणि, शुभकारिणि हे, शुभकारिणि हे। भक्त उधारन मातु, जय जय शम्भुप्रिये ॥ मधु कैटभ संहारिणि, सुरतारिणि हे, सुरतारिणि हे। महिष विदारनि मातु, जय जय शम्भुप्रिये ॥ धूम्रविलोचन, मोचिनि, त्रयलोचनि हे, त्रयलोचनि हे। दुःख विमोचनि मातु, जय जय शम्भुप्रिये ॥ चण्ड मुण्ड भट मर्दिनि, सुविलासिनि हे, सुविलासिनि हे। मन्द हसनि सुर मातु, जय शम्भुप्रिये ॥ रक्तबीज रुधिरासिनि, भयनासिनि हे, भयनासिनि हे। भूधर वासिनि मातु, जय शम्भुप्रिये ॥ शुम्भ निशुम्भ विभंजनि, रिपुगंजनि हे रिपुगंजनि हे। शिव मन रञ्जनि मातु, जय शम्भुप्रिये ॥ धरणीधर वरदायिनि, वरदायिनि हे, वरदायिनि हे। मृगरिपु वाहन मातु, जय जय शम्भुप्रिये ॥ भूल चूक सब कर क्षमा, करुणामयि हे, करुणामयि हे। शिर रख हाथ, जय शम्भुप्रिये ॥ दुर्गे दुर्गति न...

दुर्गा सप्तशती के सिद्ध

दुर्गा सप्तशती के सिद्ध-मंत्र के दुर्गा सप्तशती के सिद्ध-मंत्र [ ] दुर्गा सप्तशती के सिद्ध-मंत्र के मंत्र कुछ इस प्रकार है: • आपत्त्ति उद्धारक शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे। सर्वस्यार्तिहरे देवी नारायणि नमो स्तु ते ॥ • भयनिवारक सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिमन्विते। भये भ्यस्त्राहि नो देवी दुर्गे देवी नमो स्तु ते ॥ • पापनाशक हिनस्ति दैत्येजंसि स्वनेनापूर्य या जगत्। सा घण्टा पातु नो देवी पापेभ्यो नः सुतानिव ॥ • रोगनाशक रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभिष्टान्। त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति ॥ • पुत्र प्राप्ति के लिये देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते। देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ॥ • इच्छित फल प्राप्ति एवं देव्या वरं लब्ध्वा सुरथः क्षत्रियर्षभः • महामारी नाशक जयन्ती मड्गला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमो स्तु ते ॥ • शक्ति प्राप्ति के लिये सृष्टि स्तिथि विनाशानां शक्तिभूते सनातनि। गुणाश्रेय गुणमये नारायणि नमो स्तु ते ॥ • इच्छित पति प्राप्ति के लिये नन्दगोपसुते देवी पतिं मे कुरु ते नमः ॥ • इच्छित पत्नी प्राप्ति के लिये पत्नीं मनोरामां देहि मनोववृत्तानुसारिणीम्। तारिणीं दुर्गसंसार-सागरस्य कुलोभ्दवाम् ॥ इन्हें भी देखें [ ] • दुर्गा चालीसा • • • बाहरी कडिया [ ] ये सिद्ध मंत्र निम्नलिखित पुस्तको से ली गई है: • दुर्गापाठ पुस्तक • मॉ दुर्गा महिमा

दुर्गा मंत्र

माँ दुर्गा, शक्ति का ही एक रूप है, जो भगवान शिव की अर्धांगिनी और आधा हिस्सा हैं। वह देवी माँ के रूप में भी जानी जाती । वह रक्षक और कवच हैं। वह नारी शक्ति और नारीत्व का सच्चा प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्हें जीवन के निर्माण, जीविका और बुराई के विनाश का कारण माना जाता है। जैसा कि हिंदू पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि मां दुर्गा सभी दैवीय शक्तियों का प्रतिनिधित्व करती हैं और वह तब प्रकट हुईं जब राक्षसों के उत्पीड़न और अत्याचारों को सहन करना बहुत मुश्किल हो गया। हिंदू देवताओं, ब्रह्मा, विष्णु और महादेव की त्रिमूर्ति की संयुक्त शक्ति से, दुष्टों को नष्ट करने के इरादे से इनका एक अलग रूप का निर्माण किया गया था। वह एक योद्धा के रूप में थीं। इनकी तीन आँखें, लंबे काले खुले बाल और प्रत्येक भुजा में युद्ध और जीत का प्रतिनिधित्व करने वाले अस्त्र थे। माँ दुर्गा की भुजाओं में युद्ध जीतने के लिए सभी अस्त्र मौजूद हैं। जैसे कि उनके एक हाथ में आधा खिला हुआ कमल है, जो कि दर्शाता है कि जीत निश्चय है। लेकिन यह अंतिम नहीं है। उनके एक हाथ में शंख है, क्योंकि यह "ओम" का प्रतीक है और हिंदू धर्म के अनुसार युद्ध की शुरुआत में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। मां दुर्गा के पास तलवार और धनुष-बाण भी हैं, जो ज्ञान और ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करते हैं। माँ दुर्गा के एक हाथ में वज्र है जो कि दृढ़ता और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। इसका मतलब है आत्मविश्वास से खड़े रहना और चुनौती का सामना करने से नहीं डरना। सुदर्शन चक्र जो उनकी तर्जनी में घूमता है, यह दर्शाता है कि सारी दुनिया उनकी आज्ञा पर है और वह जो चाहती हैं, वह होना चाहिए। वह बुराइयों को नष्ट करती हैं और एक ऐसा वातावरण बनाती हैं जिसमें धार्मिकता और न्याय की नी...

दुर्गा मां की स्तुति

विश्व में कोई अन्य ऐसा धर्म नहीं है जहाँ ईश्वरीय शक्ति के रूप में नारीत्व की पूजा की जाती हो जबकि सनातन धर्म में माँ आदिशक्ति जिन्हें हम माँ दुर्गा के नाम से भी जानते हैं, वह ईश्वर के लिए भी पूजनीय है। श्रीराम जब रावण के साथ अंतिम प र जा रहे थे तब उन्होंने माँ दुर्गा का ही ध्यान किया था और सर्वोच्च ईश्वर भी माँ की आराधना करते हुए देखे जा सकते हैं। यही कारण है कि सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए दुर्गा मां की स्तुति (Maa Durga Stuti) का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। आज के इस लेख में आप अवश्य ही दुर्गा स्तुति (Durga Stuti) पढ़ने आये होंगे किन्तु हम आपको एक बात पहले ही बता दे कि दुर्गा जी की स्तुति जिनके द्वारा की गयी है, उनके द्वारा इसका कॉपीराइट लिया गया है। आपको इंटरनेट पर तरह-तरह की वेबसाइट पर कई तरह की दुर्गा माँ स्तुति (Durga Maa Stuti) पढ़ने को मिल जाएगी लेकिन वे केवल और केवल आपको भ्रमित करने का ही प्रयास कर रहे हैं। आइये इसके बारे में विस्तार से नीचे जानते हैं। दुर्गा मां की स्तुति (Maa Durga Stuti) दुर्गा माँ की स्तुति की रचना श्री चमन लाल जी भारद्वाज के द्वारा की गयी थी। उन्हें चमन के नाम से भी जाना जाता है। उनके द्वारा लिखी गयी दुर्गा स्तुति की शुरुआत एक पाठ से होती है और फिर दुर्गा प्रार्थना की जाती है। इसके पश्चात दुर्गा स्तुति अध्याय की शुरुआत होती है जिनकी कुल संख्या तेरह है। इस तरह से दुर्गा स्तुति अध्यायों की संख्या 13 हो जाती है और इन सभी को मिलाकर ही दुर्गा स्तुति को पूर्ण माना जाता है। चमन जी के अनुसार दुर्गा स्तुति के हरेक अध्याय की अपनी अलग महत्ता है और उनका पाठ करने से मिलने वाला फल भी अलग-अलग होता है। ऐसे में प्रत्येक भक्त को दुर्गा स्तुति के सभी अध्यायों का ...

Maa Durga Mantras ( मां दुर्गा के मंत्र ) – Devshoppe

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माँ दुर्गा देव्यापराध क्षमा प्रार्थना स्तोत्रं!

माँ दुर्गा की पूजा समाप्ति पर करें ये स्तुति, तथा पूजा में हुई त्रुटि के अपराध से मुक्ति पाएँ। श्री देव्यापराध क्षमापन स्तोत्रं ॥ न मन्त्रं नो यन्त्रं तदपि च न जाने स्तुतिमहो न चाह्वानं ध्यानं तदपि च न जाने स्तुतिकथा: । न जाने मुद्रास्ते तदपि च न जाने विलपनं परं जाने मातस्त्वदनुसरणं क्लेशहरणम् ॥ 1 ॥ विधेरज्ञानेन द्रविणविरहेणालसतया विधेयाशक्यत्वात्तव चरणयोर्या च्युतिरभूत् । तदेतत्क्षन्तव्यं जननि सकलोद्धारिणि शिवे कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥ 2 ॥ पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहव: सन्ति सरला: परं तेषां मध्ये विरलतरलोSहं तव सुत: । मदीयोSयं त्याग: समुचितमिदं नो तव शिवे कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥ 3 ॥ जगन्मातर्मातस्तव चरणसेवा न रचिता न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया । तथापि त्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषे कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥ 4 ॥ परित्यक्ता देवा विविधविधिसेवाकुलतया मया पंचाशीतेरधिकमपनीते तु वयसि । इदानीं चेन्मातस्तव यदि कृपा नापि भविता निरालम्बो लम्बोदरजननि कं यामि शरणम् ॥ 5 ॥ श्वपाको जल्पाको भवति मधुपाकोपमगिरा निरातंको रंको विहरति चिरं कोटिकनकै: । तवापर्णे कर्णे विशति मनुवर्णे फलमिदं जन: को जानीते जननि जपनीयं जपविधौ ॥ 6 ॥ चिताभस्मालेपो गरलमशनं दिक्पटधरो जटाधारी कण्ठे भुजगपतिहारी पशुपति: । कपाली भूतेशो भजति जगदीशैकपदवीं भवानि त्वत्पाणिग्रहणपरिपाटीफलमिदम् ॥ 7 ॥ न मोक्षस्याकाड़्क्षा भवविभववाण्छापि च न मे न विज्ञानापेक्षा शशिमुखि सुखेच्छापि न पुन: । अतस्त्वां संयाचे जननि जननं यातु मम वै मृडानी रुद्राणी शिव शिव भवानीति जपत: ॥ 8 ॥ नाराधितासि विधिना विविधोपचारै: किं रुक्षचिन्तनपरैर्न कृतं वचोभि: । श्यामे त्वमेव यदि किंचन मय्यनाथे धत्से ...

माँ दुर्गा मंत्र

आज के आधुनिक युग में पृथ्वी पर रहने वाले हरेक मनुष्य का जीवन सरल बनने के बजाय जटिल बनता जा रहा है। सबका मन कही न कही कभी न कभी विचलित हो ही जाता है। हरेक इंसान अपनी जीवन में अपनी और अपने परिवार की ख़ुशी चाहता है, इसके लिए वह अपने मन मस्तिष्क पर नियंत्रण करके विचलित होने से बचना चाहता है। आइए अब हम आपके जीवन को सरल और सुखी बनाने का आसान उपाय बताते है। इसमें माँ दुर्गा के प्रिय मंत्र का स्तुति करना सिखाते है। माँ दुर्गा मंत्र | Maa Durga Mantra in Hindi ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।। माँ दुर्गा मंत्र का अर्थ: हे माँ आपको जयन्ती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री, स्वाहा और स्वधा जैसे अनेकों नामो से जाना जाता है। इन नामों से प्रसिद्ध हे माँ जगदम्बे आपको मेरा नमस्कार है। हमारे सनातन धर्म में देवी को प्रमुख माना जाता है, उन्हें सबसे ऊपर का स्थान दिया गया है। हर घर में आदि शक्ति माँ दुर्गा की स्तुति किसी न किसी रूप में ज़रूर होती है। ऐसे तो माँ दुर्गा के अनेकों मंत्र है लेकिन उन सारे मंत्रों में यह सबसे अनोखा और सर्वश्रेष्ठ मंत्र है। माँ दुर्गा के इस मंत्र का स्तुति करने का भी अपना एक अनोखा तरीका है। - Advertisement - आदि शक्ति माँ दुर्गा के इस मंत्र की स्तुति सप्ताह में दो दिन किया जाता है। इसके लिए सोमवार और शुक्रवार का दिन निर्धारित किया गया है। इस मंत्र की स्तुति प्रातः काल में करना होता है। इसके लिए सबसे पहले नहाकर शारीरिक रूप से स्वच्छ हो जाना होता है। इस मंत्र की स्तुति माता दुर्गा की प्रतिमा के सामने करना होता है। और पढ़े: इस मंत्र की स्तुति के समय हाथ में लाल रंग का फूल अपने हाथ में रखना हो...

मां दुर्गा को सबसे प्रिय हैं ये 4 सरल मंत्र, चारों दिशाओं से मिलेगी सफलता। 2020 Navratri Mantra

Mithun sankranti 2023 : सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में गोचर संक्रांति कहलाता है। वृषभ संक्रांति के बाद अब मिथुन संक्रांति होगी। मिथुन राशि में मृगशिरा नक्षत्र के 2 चरण, आद्रा, पुनर्वसु के 3 चरण रहते हैं। मिथुन संक्रांति के दौरान पुष्य और अष्लेषा नक्षत्र रहेंगे। कब होगी मिथुन संक्रांति और सूर्य की इस मिथुन संक्रांति का क्या है महत्व? Mangal Grah Mandir Amalner : अमलनेर। कहते हैं कि मांगलिक लड़की का विवाह मांगलिक लड़के से नहीं किया गया तो जीवन में कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है। मांगलिक दोष को लेकर समाज में कई तरह की भ्रांत धारणाएं हैं और लोग इसको लेकर डरते हैं। क्या है मांगलिक दोष और क्या इससे डरना चाहिए या नहीं। चलिए जानते हैं। Kalava in hindi : कई लोग हाथ की कलाई पर काला या लाल धागा बांधते हैं। पीला धागा अक्सर मांगलिक कार्य के दौरान बांधा जाता है लेकिन काला या सफेद धागा ज्योतिष की मान्यता या लोकमान्यता के अनुसार कलाई पर बांधा जाता है। कहते हैं कि 2 राशियों के लोगों को काला और अन्य 2 राशियों के जातकों को काला धागा या नाड़ा नहीं बांधना चाहिए। मिथुन संक्रांति 2023 सूर्य देव 15 जून 2023 को मिथुन में प्रवेश कर रहे हैं Sun Transit into Gemini जब सूर्य एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति कहा जाता है। 15 जून को सूर्य देव मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे इसलिए इसे मिथुन संक्रांति कहा जाएगा। 15 जून 2023 को मिथुन संक्रांति का समय शाम को 06 बजकर 29 मिनट पर है। इस समय सूर्य देव मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे और इस परिवर्तन का सारी राशियों पर असर होगा। Love marriage or arranged marriage : आजकल लव मैरिज करके लीव इन में रहने का प्रचलन भी तेजी से बढ़ र...