माँ कामाख्या धाम

  1. Kamakhya Devi Temple corridor: माँ कामाख्या देवी परिसर जीर्णोद्धार
  2. कामाख्या मन्दिर
  3. कामाख्या देवी मंदिर ,रहस्य, और यात्रा की (A
  4. देवी के 52 शक्ति पीठ (52 Shakti Peeth Name List In Hindi)


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Kamakhya Devi Temple corridor: माँ कामाख्या देवी परिसर जीर्णोद्धार

Kamakhya Devi Temple corridor: अपनी एक जनसभा को संबोधित करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि किसी राष्ट्र का सांस्कृिक वैभव, इतना विशाल तभी होता है जब उसकी सफलता का परचम विश्व पटल पर लहरा रहा होता है और सफलता के शिखर तक पहुंचने के लिए भी ये जरुरी है कि राष्ट्र अपने सांस्कृतिक उत्कर्ष को छूए, अपनी पहचान के साथ गौरव से सर उठाकर के खड़ा हो जाए। उन्होंने आगे कहा था कि आज आयोध्या में राम मंदिर का निर्माण पूरी गति से हो रहा है उन्होंने काशी विश्वनाथ का स्मरण करते हुए कहा था कि काशी में विश्वनाथ धाम भारत की सांस्कृतिक राजधानी का गौरव बढ़ा रहा है। सोमनाथ में विकास के कार्य नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं, उत्तराखंड पर बाबा केदार के आशीर्वाद से केदारनाथ बद्रीनाथ क्षेत्र में विकास के नए अध्याय लिखे जा रहे हैं। उन्होंने कहा था कि आज जब हम उत्तर से दक्षिण तक, पूर्व से पश्चिम तक अपने प्राचीन मंदिरों को देखते हैं। तो उनकी विशालता और उनकी वास्तूकला हमें आश्चर्य से भर देती है। इसमें कोई संशय नही होना चाहिए की वर्तमान केंद्र सरकार के नेतृत्व में देश के धार्मिक स्थलों का अतुलनीय विकास हुआ है और ये सिलसिला निरंतर जारी है। जहां अब काशी विश्वनाथ कॉरिडॉर की तर्ज पर असम में मां कामाख्या मंदिर कॉरिडोर बनने जा रहा है। इस लेख में पढियेअसम में बनने वाले दिव्य और भव्य मां कामाख्या मंदिर कॉरिडोर ( Kamakhya Devi Temple corridor) के बारे में. धार्मिक स्थलों का किया जा रहा है जीर्णोद्धार वर्तमान में हमारे देश के धार्मिक स्थलों के विकास से भारत की अध्यात्मिक ज्योती के विकास के साथ साथ भारत के ज्ञान और दर्शन का विकास हो रहा है। यही कारण है कि भाजपा नेतृत्व वाली सरकार इस पर प्रम्मुख रुप से...

कामाख्या मन्दिर

असम में अवस्थिति 26°09′59″N 91°42′20″E / 26.166426°N 91.705509°E / 26.166426; 91.705509 26°09′59″N 91°42′20″E / 26.166426°N 91.705509°E / 26.166426; 91.705509 वास्तु विवरण प्रकार नीलाचल शैली, कूच शैली निर्माता म्लेच्छ वंश के राजा निर्माण पूर्ण 8वीं-17वीं सदी आयाम विवरण मंदिर संख्या 6 स्मारक संख्या 8 वेबसाइट .maakamakhyadevalaya .org कामाख्या मंदिर विश्व विख्यात और विश्व का एकमात्र मां कामाख्या महासिद्ध पीठ की एक मान्यता ये भी देवी ग्रंथ कुलावर्ण तंत्र और महाभगवती पुराण में बताई गई है कि जो भी कलयुग में इस स्वयंभू सिद्ध पीठ में गंगा मईया का गंगा जल लाकर चढ़ाएगा और उस में से ही महा नदी ब्रह्मपुत्र में डाल देगा उसको वाजपई यज्ञ का फल मिलेगा क्योंकि ये सभी पृथ्वी के साथ सभी लोकों की दिव्य शक्तियों का भी शक्ति केंद्र हमेशा रहा ही है नीलांचल पर्वत विश्व विख्यात देवज्ञ पंडित राजीव शर्मा "शूर" राज ज्योतिषी,धर्मगुरु भी हैं और जो कंडाघाट,जिला सोलन ,हिमाचल प्रदेश के निवासी भी हैं ने स्वय यहां सिद्ध पीठ में रह कर साधना में जप तप हवन यज्ञ करके और लगभग हर त्यौहार मेले अंबु वाची आदि में भी शामिल हो के अनेक बार मां कामाख्या का साक्षात् सिद्धि की अनुभूति प्राप्त की और वेद पुराण शास्त्रों में दी गई सभी बताती गई महिमा को आज भी उस से अधिक शत प्रतिशत वैसे अनुभूत पाया अनुक्रम • 1 अम्बुवाची पर्व • 2 पौराणिक सन्दर्भ • 3 सर्वोच्च कौमारी तीर्थ • 4 कामाख्या मंदिर मे योनि(गर्भ) की पूजा • 5 कामाख्या मंदिर का समय • 6 इन्हें भी देखें • 7 सन्दर्भ • 8 बाहरी कड़ियाँ अम्बुवाची पर्व [ ] विश्व के सभी तांत्रिकों, मांत्रिकों एवं सिद्ध-पुरुषों के लिये वर्ष में एक बार पड़ने वाला अम्बूवाची योग पर्व वस्तुत एक वरदान ...

कामाख्या देवी मंदिर ,रहस्य, और यात्रा की (A

मां कामाख्या देवी मंदिर दर्शन, समय, ब्लीडिंग का रहस्य, तथा कामाख्या देवी यात्रा कैसे करें इस लेख में देवी से जुड़े रोचक तथ्यों की पूरी जानकारी दी गई। भारत के असम राज्य की राजधानी गुवाहाटी से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित 51 शक्तिपीठों में से एक कामाख्या देवी का मंदिर जहां माता की योनि स्वरूप में पूजा की जाती है। इस मंदिर के गर्भ में कामाख्या के अलावा कई और देवियों के दर्शन एक साथ मिलते हैं जिनमें से बगलामुखी , तारा, कमला, धूमवती, भैरवी, जैसी तांत्रिक देवियों की मूर्तियां विराजमान हैं। जैसा कि आपको पता ही होगा कि इस मंदिर में देवी सती के योनि की पूजा की जाती है लेकिन बहुत से लोग इस बात से आज भी अनजान है कि आखिर यहां ऐसा क्यों होता है तो चलिए सबसे पहले इसके रहस्य के बारे में जानते हैं। Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • कामाख्या मंदिर का रहस्य पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव की पत्नी देवी सती के पिता दक्ष ने एक बार इससे माता सती को बहुत आघात पहुंचा और उन्होंने यज्ञ के हवन कुंड में कूदकर अपने प्राणों की आहुति दे दी। भगवान शिव को जब इस बात की पता लगती है तो वहां पहुंचकर देवी सती के मृत शरीर को अपनी बाजू में उठाकर पूरे ब्रह्मांड में तांडव करने लगे जिससे संसार पर खतरा मंडराने लगा। तब भगवान विष्णु से शिव का वियोग देखा नहीं गया और उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के पार्थिव शरीर को टुकड़े-टुकड़े कर दिए जोकि 51 भागों में कट गया और जहां जहां वह धरती पर टुकड़े गिरे वहां वहां एक-एक शक्तिपीठ का निर्माण हुआ। उन्हीं में से एक है कामाख्या देवी यहां देवी सती की योनि गिरी थी इसीलिए यहां पर इनकी पूजा इसी के अनुरूप की जाती है । आगे बढ़ने से पहले हम जान लेते हैं यह...

देवी के 52 शक्ति पीठ (52 Shakti Peeth Name List In Hindi)

आप सभी को कितना तो पता होगा कि प्रजापति दक्ष के द्वारा भगवान शिव जी को अपमानित करने के बाद माता सती को भी बहुत क्रोध आ गया था। जिस के कारण माता सती ने अपनी देह को पवित्र अग्नि मे समर्पित कर दिया था। शिव जी ने दक्ष प्रजापति के यज्ञ का विधवंश कर दिया था। इसलिए भगवान शंकर ने माता सती की देह को लेकर जब शोकातुर होकर कैलाश की ओर जाने लगे थे। तब श्री विष्णु हरी जी ने जनकल्याण के लिए अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के देह (शरीर) को 52 भागों में विघटित कर दिया था। देवी के 52 शक्ति पीठ (52 shakti peeth name list in hindi) Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • शक्ति पीठ का मतलब क्या है? माता सती के शरीर के जो भी अंग (दिव्यांग) वस्‍त्र और गहने गिरे है वहां-वहां माता सती के शक्‍तिपीठ बन गए है । ये शक्तिपीठ जहाँ -जहाँ भी जा कर गिरे है। वह स्थान आज भी परमशान्ति को देने वाले है। शक्ति पीठ के रूप में दर्शनीय और पुजनीय हो गए है। सभी शक्ति पीठ की अपनी पहचान और शक्तियां है। यहाँ आज हम माता सती के स्वरूपों की और रक्षक भैरव की देवी पुराण के अनुसार कुछ जानकारी दी गई है। देवी के 52 शक्ति पीठ (52 shakti peeth name list in hindi) देवी के 52 शक्ति पीठ की लिस्ट 1-हिंगलाज शक्तिपीठ कराची से 125 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है हिंगलाज शक्तिपीठ। पुराणों की मानें तो यहां माता का सिर गिरा था। इसकी शक्ति-कोटरी (भैरवी कोट्टवीशा) है। भीम लोचन भैरव इस शक्ति पीठ की रक्षा करते हैं| 2- शर्कररे (करवीर) यह शक्ति पीठ पाकिस्तान स्थित में कराची के सुक्कर स्टेशन के पास है| कहा जाता है की यहाँ पर माता सती की आंख गिरी थी | और इस शक्ति पीठ...